आइए, आज की कहानी शुरू करते हैं। यह किस्सा उत्तर प्रदेश के इठा जिले के देवराई गांव का है। गांव के एक किसान, मेवाराम यादव, अपनी पकी हुई गेहूं की फसल काटने में व्यस्त था। उसके साथ कई मजदूर भी खेत में कटाई कर रहे थे। दोपहर के करीब 12 बजे, तेज प्यास महसूस होने पर मेवाराम ने मजदूर सुदामा को पानी लाने के लिए प्रदीप कुमार के कुएं पर भेजा।
सुदामा कुएं पर पहुंचा, लेकिन वहां उसे अजीब सी बदबू महसूस हुई। जिज्ञासा वश जब उसने कुएं के अंदर झांका, तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं, और उसके मुंह से तेज चीख निकल गई। कुएं के भीतर एक लाश पड़ी हुई थी।
सुदामा की चीख सुनकर मेवाराम और बाकी मजदूर भी भागते हुए कुएं के पास पहुंचे। देखते ही देखते यह खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई, और वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई।
यह घटना 2 अप्रैल 2020 की है। जैसे ही अपने कुएं में लाश होने की खबर प्रदीप कुमार शाक्य तक पहुंची, उसका दिल दहल गया। प्रदीप का 17 वर्षीय बेटा, अंकित, 30 मार्च की शाम करीब 7 बजे घर से निकला था और फिर कभी वापस नहीं लौटा। प्रदीप और उसके परिवार ने गांव के हर कोने की खाक छान मारी थी, लेकिन अंकित का कोई सुराग नहीं मिला था।
जब थक-हारकर प्रदीप अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने पुलिस के पास गया, तो वहां भी उसे निराशा हाथ लगी। पुलिस ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। अब, अपने कुएं में लाश मिलने की खबर ने प्रदीप के मन में डर और आशंकाओं का सैलाब ला दिया।
वह अपनी पत्नी दिलीप कुमारी और परिवार के अन्य सदस्यों को साथ लेकर खेत पर स्थित अपने कुएं पर पहुंचा। वहां पहले से दर्जनों लोग मौजूद थे, जो कुएं में झांक-झांककर उस लाश को देख रहे थे। प्रदीप का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, क्योंकि उसे अपने बेटे की अनहोनी का डर सताने लगा था।
कुएं में मिली दो लाशें: प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत या ऑनर किलिंग?
प्रदीप कुमार और उनके परिवार ने भी कुएं में झांककर शव देखा, लेकिन यह पहचान पाना मुश्किल था कि लाश किसकी है। इस बीच, गांव के चौकीदार ने भरथना थाने को फोन कर सूचना दी। खबर मिलते ही थाना प्रभारी बलिराज शाही पुलिस टीम के साथ देवराई गांव के उस कुएं पर पहुंचे।
घटनास्थल पर गांव के दो युवकों, सूरज और राजू, को कुएं में उतारा गया। दोनों कुशल तैराक थे। जैसे ही वे कुएं में उतरे, सूरज चिल्ला उठा, “सर, कुएं में एक नहीं, दो लाशें हैं!” यह सुनकर पुलिस और गांव वालों की सांसें थम गईं।
पुलिस ने युवकों की मदद से रस्सी के सहारे दोनों शवों को कुएं से बाहर निकलवाया। शवों को देखते ही मौजूद लोगों ने उनकी पहचान कर ली। एक शव प्रदीप कुमार के 17 वर्षीय बेटे अंकित का था, जबकि दूसरा शव गांव के ही राम प्रसाद की 16 वर्षीय बेटी सुलेखा का था।
राम प्रसाद और उनके परिवार का कोई सदस्य घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। थाना प्रभारी ने राम प्रसाद के घर सूचना भिजवाई, लेकिन इसके बावजूद वहां से कोई भी नहीं आया।
घटनास्थल पर अपने बेटे अंकित का शव देखकर प्रदीप कुमार और उनकी पत्नी दिलीप कुमारी फूट-फूटकर रोने लगे। परिवार के अन्य सदस्य भी विलाप कर रहे थे।
थाना प्रभारी बलिराज शाही ने युवक और युवती के शव मिलने की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी। कुछ देर बाद एसएसपी आकाश तोमर और सीओ भरथना आलोक प्रसाद घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और मृतकों के परिजनों व अन्य ग्रामीणों से जानकारी जुटाई।
छानबीन से पता चला कि अंकित और सुलेखा एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। दोनों के बीच प्रेम संबंध थे, जिनका उनके परिवार वाले विरोध कर रहे थे। दो दिन पहले, दोनों देर शाम अपने-अपने घरों से निकले थे।
पुलिस को शवों की तलाशी में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। अधिकारियों को यह जानकर हैरानी हुई कि सुलेखा के घर से कोई भी घटनास्थल पर नहीं आया। ग्रामीणों ने बताया कि सुलेखा के घर पर केवल महिलाएं थीं, जबकि पुरुष फरार हो गए थे।
पुलिस की समझ में यह बात नहीं आई कि सूचना के बावजूद मृतिका की घर की महिलाएं भी शव देखने क्यों नहीं आईं। इस रहस्यमयी व्यवहार ने पुलिस को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि यह मामला ऑनर किलिंग का हो सकता है।
हत्या या आत्महत्या? प्रेमी युगल की मौत का खुलासा
अंकित की मां, दिलीप कुमारी, बार-बार चिल्लाकर कह रही थीं कि उसके बेटे की हत्या सुलेखा के घर वालों ने की है। उनका दावा था कि हत्या के बाद शवों को कुएं में फेंक दिया गया, ताकि यह मामला आत्महत्या लगे। हालांकि, सच का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही चल सकता था।
पुलिस ने अंकित और सुलेखा के शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल इटावा भेज दिया। 3 अप्रैल 2020 को, तीन डॉक्टरों के पैनल ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया। जब थाना प्रभारी बलिराज शाही ने रिपोर्ट पढ़ी, तो वह चौंक गए। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या का मामला था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मौत पानी में डूबने से नहीं, बल्कि दम घुटने से हुई थी। थाना प्रभारी ने यह जानकारी एसएसपी आकाश तोमर को दी। एसएसपी ने इस प्रेमी युगल हत्याकांड को गंभीरता से लिया और कातिलों को पकड़ने के लिए सीओ भरथना आलोक प्रसाद की निगरानी में एक विशेष पुलिस टीम गठित की।
इस टीम में थाना प्रभारी बलिराज शाही, एसआई अनिल कुमार, महिला सिपाही सरिता सिंह, एसजी प्रभारी सत्येंद्र सिंह, और सर्विलांस प्रभारी बेचैन सिंह को शामिल किया गया।
जांच की शुरुआत मृतक अंकित के घर से हुई। पुलिस ने उसके परिजनों से पूछताछ की। अंकित की मां दिलीप ने बताया कि 30 मार्च की शाम 7:00 बजे अंकित के मोबाइल पर एक कॉल आई थी। उसने कॉल रिसीव की, कुछ बात की, और फिर घर से बाहर चला गया। इसके बाद वह कभी वापस नहीं लौटा, और दो दिन बाद उसकी लाश मिली।
दिलीप कुमारी ने अपने बेटे की हत्या का आरोप सुलेखा के घर वालों पर लगाया। उन्होंने बताया कि अंकित का मोबाइल घर पर चार्जिंग पर रखा था। पुलिस ने मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया और उसकी जांच शुरू की।
जब पुलिस ने मोबाइल खंगाला, तो पता चला कि अंतिम कॉल 30 मार्च की शाम 7:00 बजे आई थी। यह जानकारी मामले की तह तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती थी।
पुलिस टीम ने इस सबूत के आधार पर आगे की जांच तेज कर दी। अब सवाल यह था कि वह कॉल किसकी थी, और क्या यह कॉल अंकित और सुलेखा की मौत की कड़ी को सुलझाने में मदद कर सकती थी?
दो परिवारों के आरोपों के बीच उलझी प्रेमी युगल की हत्या: पुलिस जांच और विवाद
पुलिस ने कॉल रिकॉर्ड की जांच की तो पता चला कि अंतिम कॉल सुलेखा के चचेरे भाई सौरभ के नंबर से आई थी। लेकिन सौरभ समेत उसके घर के सभी पुरुष सदस्य फरार थे। पुलिस टीम जब सुलेखा के घर पहुंची, तो वहां उसकी मां सीता देवी और बहनें फूट-फूटकर रो रही थीं।
सीता देवी ने पुलिस को बताया कि सुलेखा की हत्या अंकित के घर वालों ने की है। उन्होंने यह भी कहा कि सुलेखा अंकित से प्यार करती थी, और परिवार के लोग उनके संबंध का विरोध कर रहे थे। परिवार के पुरुष सदस्य, बदनामी और पुलिस के डर से घर छोड़कर भाग गए थे।
पुलिस को सुलेखा का मोबाइल फोन भी घर में मिला, जिसे उन्होंने कब्जे में ले लिया। अब दोनों परिवार एक-दूसरे पर हत्या का इल्जाम लगा रहे थे। पुलिस इस उलझन में थी कि आखिर कातिल किस परिवार से है।
जांच को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने सुलेखा के फोन की कॉल डिटेल्स खंगाली। इसमें पता चला कि सुलेखा दो नंबरों पर बार-बार बात करती थी। इनमें एक नंबर अंकित का था और दूसरा उसकी चचेरी बहन आरती का। आरती, सुलेखा की सहेली और पढ़ाई की साथी थी। पुलिस को लगा कि आरती इस मामले की सच्चाई उजागर कर सकती है।
4 अप्रैल की रात करीब 11 बजे, पुलिस टीम अंकित के चाचा रामकुमार के घर पहुंची। पूछताछ के बहाने, उन्होंने उसकी बेटी आरती को जीप में बिठा लिया। जब परिवार ने रात में बेटी को थाने ले जाने का विरोध किया, तो पुलिस ने कहा कि उससे कुछ जरूरी पूछताछ करनी है।
थाने में पुलिस ने आरती से कड़ी पूछताछ शुरू कर दी। उनका उद्देश्य था कि वह यह स्वीकार कर ले कि प्रेमी युगल की हत्या अंकित के घरवालों ने की है। इस बीच, आरती के पिता और भाई भी थाने पहुंच गए। पुलिस ने उन दोनों को भी जमकर पीटा।
आरती ने पुलिस के दबाव में भी कोई स्वीकारोक्ति नहीं दी। जब वह नहीं टूटी, तो पुलिस ने उसे उसके घर वापस छोड़ दिया। अगले दिन, आरती और उसके परिवार ने एसएसपी आकाश तोमर से पुलिस द्वारा प्रताड़ना की शिकायत की।
एसएसपी ने तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया और थाना प्रभारी बलिराज शाही को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही, सीओ से कहा कि मामले को सुलझाएं, लेकिन किसी को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित न करें।
अब सवाल यह था कि क्या पुलिस सही कातिलों तक पहुंच पाएगी, या यह मामला दोनों परिवारों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच ही उलझा रहेगा?
प्रेमी युगल हत्याकांड: पुलिस की सख्ती से खुला परिवार का खौफनाक राज
एसएसपी आकाश तोमर की सख्त हिदायत के बाद, पुलिस ने जांच की रफ्तार बढ़ा दी। सुलेखा के पिता, भाई, चाचा, और चचेरे भाई पर शिकंजा कसते हुए उनके मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए गए। उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए मुखबिर भी तैनात किए गए।
पुलिस टीम मृतिका सुलेखा की बहन बरखा से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ करने उनके घर पहुंची। बरखा ने खुलासा किया कि उनके पिता, चाचा, और भाई सुलेखा को बहला-फुसलाकर गेहूं के खेत पर ले गए थे। इसके बाद, वह घर वापस नहीं आई।
बरखा के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि सुलेखा और उसके प्रेमी अंकित की हत्या सुलेखा के घर वालों ने की थी। इसके बाद, पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई जगह दबिश दी, लेकिन वे हाथ नहीं आए। उनकी लोकेशन भरथना के आसपास के गांवों में मिल रही थी।
आखिरकार, 7 अप्रैल की सुबह करीब 6:00 बजे, पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि इटावा-कन्नौज हाईवे पर झुआ मोड़ गेट के पास राम प्रसाद, उसके भाई राजीव उर्फ राजी, बेटे सनी, और भतीजे सौरभ के साथ मौजूद हैं।
पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और घेराबंदी कर चारों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों को थाना भरथना लाया गया, जहां उनसे सख्ती से पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान चारों आरोपी टूट गए और जुर्म कबूल कर लिया।
उन्होंने खुलासा किया कि इस हत्या का मास्टरमाइंड सुलेखा का चाचा, राजीव उर्फ राजी, था। उसने ही हत्या की साजिश रची और घर के अन्य सदस्यों को उकसाया।
जुर्म कबूलने के बाद, थाना प्रभारी बलिराज शाही ने मृतिका के पिता राम प्रसाद, चाचा राजीव उर्फ राजी, भाई सनी कुमार, और चचेरे भाई सौरभ कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 120बी के तहत मामला दर्ज कर लिया।
पुलिस की मेहनत और चतुराई से आखिरकार यह जघन्य अपराध उजागर हुआ, लेकिन इसने दोनों परिवारों को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया।
प्यार के बंधन से बंधे नादान दिल: इज्जत और परिवार के बीच झूलती कहानी
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के थाना भरतना क्षेत्र के एक गांव देवरासन में यह दिलचस्प और दर्दनाक घटना घटी। गांव में राम प्रसाद अपने परिवार के साथ रहता था। परिवार में पत्नी सीता, दो बेटे—सनी और मणि, और चार बेटियां थीं। इनमें सुलेखा तीसरे नंबर की थी। राम प्रसाद के पास 10 बीघा जमीन थी, जिससे उनकी आजीविका चलती थी।
राम प्रसाद का भाई राजीव प्रसाद, जिसे गांव वाले “राजी” कहते थे, एक दबंग और प्रभावशाली व्यक्ति था। पढ़ा-लिखा राजीव खेती के साथ किराने की दुकान चलाता था, जहां उसका बेटा सौरभ बैठता था। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत थी।
राम प्रसाद के पड़ोसी प्रदीप कुमार शाक्य थे। उनके परिवार में पत्नी दिलीप कुमारी और दो बेटे—अमन और अंकित—थे। प्रदीप खेती के साथ गल्ले का व्यवसाय करते थे, जिससे उनकी आमदनी अच्छी थी। उनका 17 वर्षीय बेटा अंकित, जो 11वीं कक्षा में पढ़ता था, अपने पिता के काम में मदद करता था।
दोनों परिवार भले ही अलग-अलग जाति और बिरादरी से थे, लेकिन पड़ोसी होने के नाते उनके रिश्ते बेहद मधुर थे। वे एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल रहते थे।
बचपन का खेल, जवानी का इश्क
सुलेखा और अंकित हमउम्र थे। बचपन से ही दोनों साथ खेलते और हंसी-ठिठोली करते थे। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनके बचपन की दोस्ती एक अनकही मोहब्बत में बदल गई। हालांकि, अब वे साथ खेल नहीं पाते थे, पर उनकी आंखें दिल की बातें करने का जरिया बन चुकी थीं। अंकित की किसी शरारत पर सुलेखा शर्मा जाती, तो अंकित उस पल को जीने में मदहोश हो जाता।
उनका प्यार स्कूल, कॉलेज और गांव की गलियों में चर्चा का विषय बन गया। एक कान से दूसरे कान होती यह बात आखिरकार सुलेखा के पिता राम प्रसाद के कानों तक पहुंची।
राम प्रसाद ने इस बात को गंभीरता से लिया। लेकिन उन्होंने बेटी को डांटने के बजाय प्यार से समझाया,
सुलेखा, जब तक तेरा बचपन रहा, मैंने तुझ पर कोई पाबंदी नहीं लगाई। लेकिन अब तू सयानी हो गई है। अंकित के साथ चोरी-छिपे बात करना छोड़ दे। गांव में तरह-तरह की बातें हो रही हैं। मेरी इज्जत की खातिर तू उसका साथ छोड़ दे, यही हम सबकी भलाई है
सुलेखा ने पिता के कहने पर हामी भर ली और कहा, “पापा, लोग यूं ही बातें बनाते हैं। हमारे बीच कोई गलत संबंध नहीं है। मैं अंकित से बस पढ़ाई के बारे में बात करती हूं।”
उसने अपने पिता को झूठ बोलकर मना लिया। राम प्रसाद ने भी बेटी की बातों पर विश्वास कर लिया, लेकिन शायद वे यह नहीं समझ पाए कि उनकी बेटी का दिल इश्क के रंग में रंग चुका था।
सुलेखा और अंकित के प्यार की खुशबू हर जगह फैल चुकी थी। हालांकि, उनके प्यार के इस अनकहे सफर को समाज और परिवार के बंधनों ने जकड़ना शुरू कर दिया। यह मासूम मोहब्बत जल्द ही एक भयानक हादसे में बदलने वाली थी।
सुलेखा और अंकित का प्रेम एक गुपचुप सिलसिले के रूप में चलता रहा। परिवार की सख्त पाबंदियों के बावजूद, मोबाइल पर चोरी-छिपे बातें जारी रहीं। हालात सामान्य होते ही, एक दिन जब सुलेखा घर में अकेली थी, अंकित अचानक आ पहुंचा। सुलेखा उसे देखकर खुशी से झूम उठी। दोनों ने अपनी भावनाओं को खुलकर जिया, लेकिन उनकी यह नजदीकी किसी गहरी साजिश की ओर बढ़ रही थी।
प्यार का पर्दाफाश और विरोध का तूफान
एक दिन, जब दोनों एकांत में थे, सुलेखा की मां सीता ने उन्हें रंगे हाथों देख लिया। गुस्से में भरी सीता ने अंकित को थप्पड़ मारा और उसे घर से भगा दिया। इसके बाद, सुलेखा पर सख्त पाबंदियां लगा दी गईं। पिता राम प्रसाद और भाई सनी ने उसे मारा-पीटा और बाहर जाने पर रोक लगा दी। सुलेखा को जब परिवार की बंदिशें असहनीय होने लगीं, तो उसने अपनी सहेली और अंकित की चचेरी बहन आरती का सहारा लिया। आरती के फोन से उनकी बातचीत जारी रही।
दबंग चाचा और खौफनाक योजना
सुलेखा का चाचा राजीव उर्फ राजी, गांव का दबंग व्यक्ति था। जब उसे सुलेखा और अंकित के रिश्ते के बारे में पता चला, तो वह बिफर गया। उसने अंकित और उसके परिवार को धमकाया और सुलेखा को प्रताड़ित करते हुए उस पर और पाबंदियां लगा दीं।
अंकित और सुलेखा के लिए एक-दूसरे से मिलना अब मुश्किल हो गया था। ऐसे में, अंकित ने सुलेखा से भागकर शादी करने की बात कही। सुलेखा ने परिवार की इज्जत और अपनी बहनों के भविष्य का हवाला देकर मना कर दिया।
लॉकडाउन के बीच बढ़ती बंदिशें
मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में देशव्यापी लॉकडाउन के चलते उनके मिलने की संभावनाएं और भी सीमित हो गईं। इसी बीच, राजीव को पता चला कि दोनों घर से भागने की योजना बना रहे हैं। अपनी भतीजी और परिवार की “इज्जत” बचाने के नाम पर राजीव ने सुलेखा और अंकित को हमेशा के लिए खत्म करने की खौफनाक योजना बनाई।
30 मार्च 2020 की शाम को, राजीव ने अपने बेटे सौरभ को अंकित को दुकान पर बुलाने का निर्देश दिया। अंकित को बात करने के बहाने गेहूं के खेत पर ले जाया गया, जहां राजीव, राम प्रसाद और सनी पहले से घात लगाए बैठे थे। वहां इन चारों ने मिलकर अंकित का मुंह दबाकर उसे मार डाला।
अंकित को मारने के बाद, राजीव और सनी ने सुलेखा को यह कहकर गेहूं के खेत पर बुलाया कि अंकित से बात करके कोई ठोस निर्णय लेना है। सुलेखा को जैसे ही अपने प्रेमी की लाश दिखाई दी, वह समझ गई कि उसके परिवार ने अंकित को मार डाला है। भागने की कोशिश में, उसे भी घेर लिया गया। राम प्रसाद ने अपनी ही बेटी की सांसें रोक दीं।
हत्या के बाद, शवों को अंकित के कुएं में डाल दिया गया ताकि इसे आत्महत्या का मामला दिखाया जा सके।
2 अप्रैल 2020 को, जब सुदामा नाम के मजदूर ने कुएं पर पानी लेने के दौरान शव देखे, तो घटना का खुलासा हुआ। पुलिस ने 8 अप्रैल 2020 को राजीव, राम प्रसाद, सनी, और सौरभ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
यह कहानी न केवल एक प्रेम की त्रासदी है, बल्कि समाज की जड़ सोच और परिवार की खोखली “इज्जत” की बलि चढ़े मासूम दिलों की दर्दनाक गाथा भी है।