कहानी बैतूल जिले के सारणी की है। सारणी में एक इलाका है, बगडोबा। यह घटना 2023 की है। बगडोबा में शैलेश साक नाम का व्यक्ति रहता था, जो एक ढाबे का मालिक था। शैलेश की शादी 16 साल पहले मालती से हुई थी। शादी के दो साल बाद मालती ने एक बेटी को जन्म दिया, जो अब 14 साल की हो चुकी है। उनके घर में एक पालतू कुत्ता भी था, जो परिवार का हिस्सा था।
शैलेश का ढाबा काफी मशहूर था। यहां ग्राहक शराब पीने के साथ कुछ अन्य सुविधाओं का भी लाभ उठा सकते थे। इन सुविधाओं से शैलेश को अच्छा मुनाफा होता था, और उसकी जिंदगी आराम से चल रही थी। लेकिन समय के साथ शैलेश को शराब की लत लग गई। यह लत इतनी बढ़ गई कि वह दिन-रात नशे में डूबा रहने लगा।
ढाबा बंद करने के बाद जब शैलेश घर लौटता, तो वह इतनी शराब पी चुका होता कि अपनी पत्नी मालती से बात करना तो दूर, उसे प्यार से देखना भी मुमकिन नहीं रहता। धीरे-धीरे यह आदत उनके पारिवारिक जीवन पर बुरा असर डालने लगी।
बगडोबा का शैलेश साक और उसका ढाबा इलाके में खूब मशहूर था, लेकिन उसकी शराब की लत ने उसकी जिंदगी को ठहराव पर ला दिया था। एक दिन, शैलेश के ढाबे पर काम की तलाश में इटारसी से हेमंत बाबरिया नाम का एक युवक आया। उम्र में 28 साल का हेमंत मजबूत कद-काठी वाला था और काम में माहिर भी। शैलेश ने न सिर्फ उसे काम दिया, बल्कि ढाबे के पास रहने के लिए एक कमरा भी दे दिया।
हेमंत जल्दी ही ढाबे की दिनचर्या में रम गया। वह ग्राहकों की सेवा करता, साफ-सफाई का ध्यान रखता और शैलेश के जर्मन शेफर्ड कुत्ते को भी समय पर खाना खिलाने लगा। कुत्ते को हेमंत इतना पसंद आया कि वह अब उसी के इशारों पर चलने लगा। इस दौरान हेमंत का परिचय शैलेश की पत्नी मालती और उसकी 14 साल की बेटी से भी हो गया।
मालती, जो लंबे समय से अकेलेपन और शैलेश की उपेक्षा से परेशान थी, हेमंत को देखकर भीतर ही भीतर ठंडी सांसें भरने लगी। वह उम्र में उससे लगभग 10 साल छोटा था, लेकिन उसकी ऊर्जावान उपस्थिति ने मालती के दिल में कुछ हलचल पैदा कर दी।
हेमंत ढाबे के पीछे बने खुले आंगन में नहाने जाता था। एक दिन जब वह नहा रहा था, मालती की नजर उस पर पड़ी। उसकी आंखों में कुछ ऐसा था जिसने मालती को बेचैन कर दिया। उसी पल उसने ठान लिया कि वह हेमंत को अपने करीब लाएगी।
हेमंत भी मालती की ओर बढ़ते आकर्षण को भांप गया था। वह समझ गया था कि मालती उसकी तरफ खिंच रही है। हेमंत के मन में भी इस नए समीकरण को लेकर उत्सुकता जागने लगी। धीरे-धीरे यह रिश्ता एक नए मोड़ की ओर बढ़ने लगा, जहां हर कदम एक रहस्य से भरा हुआ था।
एक रात हेमंत ने मालती से कहा, “मुझे पता है, आप मुझसे क्या चाहती हैं। लेकिन अगर मालिक को ये सब पता चला, तो मैं काम से हाथ धो बैठूंगा।”
मालती ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए धीरे से कहा, “शराब के नशे में उसे होश कहां रहता है? अगर तुम चाहो, तो आज रात पीछे वाले कमरे में मुझसे मिलने आ सकते हो।”
यह बात हेमंत के लिए एक स्पष्ट निमंत्रण थी। रात होते ही वह बताई गई जगह पर पहुंचा। जैसे ही उसने कमरे का दरवाजा खोला, मालती उसे देखकर खुद को रोक नहीं पाई। वह उससे पागलों की तरह लिपट गई। उस रात उनके बीच शारीरिक संबंध बन गए।
हेमंत, जो जवान और कुंवारा था, जल्द ही मालती के और करीब आ गया। उनका रिश्ता गहराने लगा, और दोनों अक्सर एक-दूसरे के साथ समय बिताने लगे। लेकिन इस रिश्ते के बीच एक बड़ी समस्या थी – शैलेश। उसकी शराब की लत ने एक तरफ दोनों को मिलने के मौके दिए, लेकिन वह खतरा भी बना हुआ था।
एक दिन हेमंत ने मालती से सुझाव दिया, “शैलेश की शराब की लत छुड़वा देते हैं। उसे इटारसी के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवा सकते हैं। वहां से हटने के बाद वह शायद सुधर जाएगा।”
मालती ने इस बात पर असहमति जताई। उसने कहा, “अगर शैलेश की लत छूट गई, तो वह हर चीज पर नजर रखेगा। हमारी मुलाकातें मुश्किल हो जाएंगी। मुझे लगता है कि उसे ऐसे ही रहने देना बेहतर है।”
हेमंत ने उसे समझाते हुए कहा, “अगर वह नशा मुक्ति केंद्र में चला गया, तो ढाबे पर हमारा कब्जा हो जाएगा। हमें रोकने वाला भी कोई नहीं रहेगा।”
मालती ने कुछ सोचने के बाद हामी भर दी। कुछ दिनों बाद, शैलेश के विरोध के बावजूद, वह उसे इटारसी के नशा मुक्ति केंद्र लेकर गई और भर्ती करवा दिया।
अब ढाबे की जिम्मेदारी पूरी तरह हेमंत ने संभाल ली। वह मालती के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा। लेकिन उनकी हरकतें शैलेश की 14 साल की बेटी से छिप नहीं पाईं। वह अपने पिता से बेहद प्यार करती थी और अपनी मां और हेमंत के रिश्ते को लेकर शक करने लगी थी।
एक रात, उसने देखा कि हेमंत मालती के कमरे में आकर सोता था। यह देखकर उसका गुस्सा और दुख बढ़ गया। उसने अपनी मां से इसका विरोध किया, लेकिन मालती ने उसकी कोई बात नहीं सुनी।
फिर एक दिन, वह अकेली इटारसी चली गई और किसी तरह अपने पिता को नशा मुक्ति केंद्र से वापस ले आई। शैलेश को बेटी की बातों से एहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ चल रहा है।
जब वे घर लौटे, तो शैलेश ने मालती और हेमंत पर चुपचाप नजर रखनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे उसे इस बात के संकेत मिलने लगे कि उसके पीछे दोनों के बीच कुछ गलत चल रहा था। और अब, शैलेश की नजरों में वो ढाबा एक जंग का मैदान बन गया था, जहां सच्चाई का सामना होना तय था।
10 जनवरी की आधी रात, जब शैलेश की नींद अचानक खुली, तो उसने देखा कि मालती बिस्तर पर नहीं थी। उसे कुछ अजीब सा महसूस हुआ। संदेह के साथ, वह धीरे-धीरे हेमंत के कमरे की ओर बढ़ा। वहां का दृश्य देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई—मालती और हेमंत एक आपत्तिजनक स्थिति में थे। यह नजारा उसके सारे शक को सच साबित कर चुका था।
उस रात का तूफान शैलेश के परिवार के रिश्तों को हिला कर रख गया। दोनों के बीच झगड़ा बढ़ा, और हालात इतने बिगड़ गए कि हेमंत ने नौकरी छोड़ दी और इटारसी लौट गया। हेमंत के जाने के बाद मालती पूरी तरह टूट गई। वह एक घायल शेरनी की तरह हो गई थी—अपने दर्द, अकेलेपन और गुस्से से जूझती हुई। उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी, और उसका गुस्सा अक्सर शैलेश पर फूट पड़ता।
शैलेश, जो अब अपने परिवार को टूटने से बचाना चाहता था, अपनी गलतियों का एहसास कर चुका था। उसने यह तय कर लिया कि वह हर हाल में अपने परिवार को दोबारा एकजुट करेगा। उसने ढाबे को किराए पर दे दिया ताकि वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ समय बिता सके। ढाबे के पीछे बने छोटे से कमरे में उसने मालती और अपनी बेटी के साथ रहने का फैसला किया।
हालांकि, मालती के दिल में अब भी हेमंत के लिए जगह बनी हुई थी। वह मानसिक और भावनात्मक रूप से हेमंत की ओर पूरी तरह खिंच चुकी थी। एक दिन, मालती ने फोन पर हेमंत से पूछा, “क्या तुम मुझसे शादी करने के लिए तैयार हो?”
हेमंत, जो पहले से ही मालती के मोहपाश में बंध चुका था, ने बिना किसी हिचकिचाहट के “हां” कह दिया। मालती ने इसके बाद एक नई योजना बनाई। उसने शैलेश को छोड़ने का फैसला किया और बैतूल होते हुए इटारसी आकर हेमंत के साथ रहने लगी।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। मालती के मन में एक खतरनाक ख्याल पनप चुका था। उसने हेमंत से कहा, “अगर शैलेश को रास्ते से हटा दिया जाए, तो हम दोनों आराम से अपनी जिंदगी जी सकते हैं। ढाबा भी तुम्हारे नाम कर दूंगी।”
हेमंत को यह सुनकर झटका लगा। वह मालती के साथ रहना चाहता था, लेकिन हत्या जैसा घिनौना कदम उठाने के लिए तैयार नहीं था। उसने शुरुआत में इस योजना को साफ तौर पर मना कर दिया।
मालती, जो अब पूरी तरह से अपने जुनून में अंधी हो चुकी थी, ने हेमंत को समझाने की कोशिश की। उसने कहा, “तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है। मैं किसी और से यह काम करवा सकती हूं। लेकिन अगर शैलेश जिंदा रहा, तो वह हमें कभी चैन से जीने नहीं देगा।”
हेमंत शुरुआत में हिचकिचाया, लेकिन मालती ने उसे लालच देकर फंसाने की कोशिश की। उसने कहा, “सोचो, शैलेश की दौलत और मेरा साथ, दोनों तुम्हें मिल सकते हैं। यह मौका मत गंवाओ।”
हेमंत खुद को इस जाल से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मालती का जुनून और मक्कारी दोनों ही रिश्ते को एक खतरनाक मोड़ पर ले जा रहे थे।
एक खौफनाक रात की कहानी: रिश्तों की परतों के पीछे छिपा अंधेरा
1 फरवरी की सुबह, जब शैलेश की बेटी स्कूल जा चुकी थी, हेमंत ने अपनी खौफनाक योजना को अंजाम दिया। वह धीरे-धीरे ढाबे के पीछे बने कमरे में दाखिल हुआ, जहां शैलेश गहरी नींद में था। बिना कोई आवाज किए उसने हथौड़े से शैलेश के सिर पर जोरदार वार किया। लगातार चार-पांच वारों के बाद, जब शैलेश की सांसें थम गईं, तो उसने पेट्रोल छिड़ककर कमरे में आग लगा दी और वहां से भाग निकला।
हत्या के समय शैलेश का वफादार जर्मन शेफर्ड कुत्ता कमरे में मौजूद था। लेकिन हेमंत को उसने कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, क्योंकि वह उसे पहचानता था। हेमंत ही पहले उसे खाना खिलाया करता था। यह वफादारी कुत्ते को रोकने का कारण बन गई।
ढाबे के अन्य कर्मचारियों को कमरे से उठते काले धुएं ने चौंका दिया। ढाबा संचालक समीर आग बुझाने दौड़ा। कमरे में दाखिल होते ही उसने देखा कि बिस्तर पर शैलेश का जलता हुआ शव पड़ा था। यह दृश्य किसी बुरे सपने जैसा था। उसने तुरंत पुलिस को सूचना दी।
सारणी थाना के टीआई रत्नाकर हिंगवे और उनकी टीम मौके पर पहुंची। जले हुए कमरे में पेट्रोल की गंध और शैलेश के सिर पर चोट के निशान देखकर पुलिस को शक हुआ कि यह महज दुर्घटना नहीं, बल्कि हत्या थी। जांच में जुटी पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले। उनमें एक युवक को भागते हुए देखा गया, जिसे शैलेश की बेटी और समीर ने तुरंत पहचान लिया। वह कोई और नहीं, हेमंत बाबरिया था।
रिश्तों का सच उजागर
पुलिस की पूछताछ में शैलेश की बेटी ने बताया कि उसकी मां मालती और हेमंत के बीच अवैध संबंध थे। शैलेश को जब इस बात का पता चला, तो उसने हेमंत को ढाबे से निकाल दिया था। मालती ने इटारसी जाकर हेमंत के साथ रहना शुरू कर दिया था। बेटी की गवाही ने इस गुत्थी को सुलझा दिया कि हत्या के पीछे कौन था।
मालती को हिरासत में लेकर जब पूछताछ की गई, तो उसने सारे आरोपों से इनकार किया। लेकिन अगले ही दिन पुलिस को हेमंत की लोकेशन का पता चल गया। रावण देव के जंगल में छिपे हुए हेमंत को पांच दिन बाद गिरफ्तार कर लिया गया। वह भूखा-प्यासा था। पुलिस ने उसे खाना खिलाने के बाद पूछताछ की।
हेमंत की कबूलनामा और साजिश का पर्दाफाश
हेमंत ने बिना झिझक अपना गुनाह कबूल किया। उसने बताया कि मालती ने उसे शैलेश को मारने के लिए उकसाया था। मालती ने वादा किया था कि शैलेश की हत्या के बाद वह उससे शादी करेगी और ढाबा भी उसके नाम कर देगी। शुरू में हेमंत झिझका, लेकिन मालती के दबाव और धमकियों ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।
घटना के दिन, हेमंत ने मालती की योजना के तहत शैलेश की हत्या की। उसने सोते हुए शैलेश पर वार किए और सबूत मिटाने के लिए आग लगा दी। गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने हेमंत और मालती को अदालत में पेश किया, जहां दोनों को जेल भेज दिया गया।
सबसे बड़ा दर्द: बेटी का अकेलापन
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा नुकसान 14 साल की मासूम बेटी का हुआ। मां के अवैध संबंध और पिता की हत्या ने उसकी जिंदगी को तहस-नहस कर दिया। अब वह सिर्फ अपने पालतू कुत्ते के सहारे अकेले जीवन बिताने को मजबूर थी।
कहानी से सीख
यह कहानी रिश्तों, विश्वास और नैतिकता के टूटने की त्रासदी को उजागर करती है। शैलेश की शराब की लत, मालती की बेवफाई और हेमंत का लालच तीनों ने एक परिवार को बर्बाद कर दिया।
यह घटना हमें सिखाती है कि गलत फैसलों और नैतिक पतन का अंत हमेशा दुखद होता है। बच्चों पर माता-पिता के फैसलों का गहरा असर पड़ता है। इस कहानी में बेटी ने अपनी मासूमियत की कीमत चुकाई।
एक बेहतर समाज की ओर कदम
हम सभी को अपने जीवन में सही फैसले लेने और गलत रास्तों से बचने की कोशिश करनी चाहिए। प्यार, ईमानदारी और नैतिकता के मूल्यों को समझकर ही हम एक बेहतर समाज बना सकते हैं।
इस कहानी के संदेश के साथ, मैं फिर लौटूंगा। तब तक सुरक्षित रहें, सतर्क रहें, और हर कदम सोच-समझकर उठाएं।