सुनील तमांग हत्या कांड की कहानी – क्या आप भी हो सकते थे इसका शिकार ? – Hindi Crime Story

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के लाजपत नगर फेज-4 स्थित अमर कॉलोनी में रहने वाले ए. के. दत्ता, जो दिल्ली जल बोर्ड में कार्यरत थे, के घर की तीसरी मंजिल पर सुनील तमांग और अनीता पिछले एक साल से किराए पर रह रहे थे। 9 सितंबर की रात, अनीता अपनी एक महिला मित्र से मिलने ग्रेटर नोएडा गई थीं। 10 सितंबर की दोपहर करीब 2 बजे जब वह वापस लौटीं, तो उन्होंने कमरे का दरवाजा खुला पाया। अंदर बिस्तर पर सुनील खून से लथपथ पड़ा था। यह दृश्य देखकर अनीता दहशत में चीख पड़ीं और तुरंत मकान मालिक ए. के. दत्ता को घटना की सूचना दी।

दत्ता परिवार के साथ ऊपर पहुंचे, जहां उन्होंने सुनील की खून से सनी लाश देखी। उन्होंने तत्काल अमर कॉलोनी थाने में घटना की सूचना दी। उस समय थाने के एसएचओ अनंत कुमार गुंजन साकेत कोर्ट से लौट रहे थे। जैसे ही उन्हें हत्या की खबर मिली, वह अपनी टीम के साथ तुरंत घटनास्थल की ओर रवाना हुए। उन्होंने घड़ी चौकी के इंचार्ज अभिषेक कुमार मिश्रा को भी मौके पर बुलाया, क्योंकि यह इलाका उनके अधिकार क्षेत्र में आता था।

घटनास्थल पर पहुंचकर इंस्पेक्टर गुंजन ने पाया कि सुनील का गला बेरहमी से रेता गया था। लेकिन कमरे में न तो किसी संघर्ष के निशान थे और न ही लूटपाट का संकेत, जिससे साफ हुआ कि हत्या का मकसद सिर्फ सुनील की जान लेना था। इंस्पेक्टर ने तुरंत एसपी गोविंद शर्मा और डीएसपी चिन्मय बिस्वाल को वारदात की जानकारी दी। कुछ ही देर में दोनों अधिकारी फॉरेंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंचे। फिंगरप्रिंट और घटना स्थल की तस्वीरें लेने के बाद पुलिस ने शव का पंचनामा कर सफदरजंग अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।

Sunil Tamang Murder Case Unfolded
Sunil Tamang Murder Case Unfolded

लिव-इन रिलेशन और अनीता की कहानी: हत्या के पीछे के रहस्यों की तलाश

घटना की जांच के अगले चरण में इंस्पेक्टर अनंत गुंजन ने अनीता को अमर कॉलोनी थाने लाकर पूछताछ शुरू की। अनीता ने पुलिस को बताया कि सुनील मूल रूप से नेपाल के काठमांडू का रहने वाला था और पिछले 15 साल से दिल्ली में रह रहा था। वह साकेत नगर के एक स्टाइलिश रेस्टोरेंट में चाइनीज़ कुक के रूप में काम करता था। अनीता ने आगे बताया कि पिछले एक साल से वह और सुनील, ए. के. दत्ता के मकान में किराए पर रह रहे थे।

जब अनीता ने सुनील के बारे में सब कुछ बता दिया, तो इंस्पेक्टर अनंत ने उससे सीधे सवाल किया, “आपका सुनील के साथ क्या रिश्ता था?” अनीता कुछ देर तक चुप बैठी रही। फिर गहरी सांस लेकर उसने कहा, “सर, हम दोनों लिव-इन रिलेशन में रहते थे।”

इसके बाद इंस्पेक्टर गुंजन ने उससे उसके बारे में पूरी जानकारी देने को कहा। अनीता ने बताया कि वह पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की रहने वाली है। उसने यह भी खुलासा किया कि करीब पांच साल पहले उसकी शादी दिल्ली के साकेत में रहने वाले दीपक नाम के एक युवक से हुई थी। शादी के बाद उन्हें एक बेटी हुई। लेकिन जब उनकी बेटी आठ महीने की थी, तब उनके रिश्ते में दरार आने लगी।

अनीता ने बताया कि दीपक परिवार के लिए खर्चा नहीं देता था। वह जो भी कमाता था, उसे शराब में उड़ा देता था। घर में लगातार आर्थिक तंगी बनी रहती थी, और जब अनीता खर्चे के बारे में बात करती, तो दीपक उसे मारता-पीटता था। यह सब लंबे समय तक चलता रहा। आखिरकार, एक दिन अनीता ने दीपक को छोड़कर अपने मायके लौटने का फैसला कर लिया और अपनी छोटी बेटी को पति के पास ही छोड़ दिया।

कुछ समय बाद, दीपक उसे मनाने के लिए दार्जिलिंग गया, लेकिन अनीता और उसके परिवार ने साफ-साफ कह दिया कि अब वह दीपक के साथ नहीं रह सकती।

अनीता और सुनील की मुलाकात से लिव-इन रिलेशन तक की कहानी

दीपक, अपनी बेटी को पालने के लिए अकेला रह गया, जबकि अनीता दार्जिलिंग में अपने परिवार के साथ रहने लगी। लेकिन साधारण परिवार की लड़की अनीता को कुछ समय बाद महसूस होने लगा कि वह अपने परिवार पर बोझ बन रही है। दार्जिलिंग में वह पहले कई रेस्टोरेंट्स में नौकरी कर चुकी थी, लेकिन अब उसने दिल्ली में अपनी किस्मत आज़माने का फैसला किया। इस हत्या कांड से दो साल पहले, वह काम की तलाश में दिल्ली आ गई।

दिल्ली में कालिंग पूंग इलाके में उसकी कुछ जान-पहचान वाली लड़कियां रहती थीं। शुरुआती दो महीने अनीता उन्हीं के साथ रही और नौकरी की तलाश में जुट गई। इस दौरान, उसकी सहेली उषा ने उसे साकेत के एक रेस्टोरेंट में नौकरी दिलवाई, जहां सुनील तमांग पहले से कुक के तौर पर काम कर रहा था। कुछ ही समय में, अनीता और सुनील के बीच दोस्ती हो गई, जो जल्द ही गहरे आकर्षण में बदल गई।

उस समय सुनील साकेत में एक किराए के फ्लैट में रहता था। जब उसे पता चला कि अनीता के पास रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं है, तो उसने दोस्ती के नाते अनीता को अपने साथ रहने का प्रस्ताव दिया। अनीता ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और सुनील के फ्लैट में रहने लगी। समय के साथ, दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए और उन्होंने एक-दूसरे को लिव-इन पार्टनर के रूप में स्वीकार कर लिया।

बाद में, किसी बात पर रेस्टोरेंट मैनेजमेंट से अनबन होने के कारण अनीता ने अपनी नौकरी छोड़ दी। लेकिन उसने जल्द ही एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी जॉइन कर ली, जो लेट नाइट पार्टियों में लेडीज वेटर और वेलकम गर्ल्स मुहैया कराती थी। यह नई नौकरी अनीता को बहुत पसंद आई।

कुछ समय बाद, सुनील ने साकेत का फ्लैट छोड़कर अमर कॉलोनी में ए. के. दत्ता के घर तीसरी मंजिल पर किराए पर कमरा ले लिया। अनीता भी उसके साथ उसी फ्लैट में रहने लगी। जब दत्ता साहब ने सुनील से अनीता के बारे में पूछा, तो सुनील ने अनीता को अपनी पत्नी बताया। आज के समय में लड़के-लड़कियों का लिव-इन रिलेशन में रहना कोई नई बात नहीं है, इसलिए इंस्पेक्टर अनंत गुंजन ने इसे विशेष महत्व नहीं दिया।

हालांकि, उन्होंने अनीता से यह जरूर पूछा, “सुनील के परिवार में और कौन-कौन है?”

सुनील की अतीत की परछाइयों और अनीता के जवाबों पर सवाल

अनीता ने पुलिस को बताया कि सुनील पिछले 15 साल से नेपाल से दिल्ली आया था और तब से कभी अपने घर वापस नहीं गया। जब अनीता ने खुद सुनील से उसके परिवार के बारे में पूछा, तो उसने केवल इतना बताया कि उसकी मां हिमाचल प्रदेश की रहने वाली है और उसके पिता का देहांत हो चुका है। लेकिन सुनील ने कभी यह नहीं बताया कि उसकी मां हिमाचल में कहां रहती हैं।

सुनील से जुड़ी हर जानकारी एकत्रित करने के बाद, इंस्पेक्टर अनंत गुंजन ने अनीता से वे सवाल पूछने शुरू किए, जो बार-बार उनके मन में उठ रहे थे। उन्होंने सीधे सवाल किया, “मिस अनीता, यह बताइए कि आप 9 तारीख की रात को अचानक अपनी सहेली से मिलने क्यों गई थीं?”

अनीता ने संयमित स्वर में जवाब दिया, “सर, मैं आपको पहले ही बता चुकी हूं कि बुरे समय में मेरी कई सहेलियों ने मेरी मदद की थी। मेरी एक सहेली, मीरा, ग्रेटर नोएडा के अल्फा सेक्टर में रहती है और एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है। उसकी तबीयत पिछले दो-तीन दिनों से खराब चल रही थी। लेकिन कल शाम उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई, तो उसने मुझे अपनी देखभाल के लिए बुलाया। मैं इंकार नहीं कर पाई और रात करीब 10 बजे मेट्रो पकड़कर उसके पास चली गई।”

अनीता ने आगे कहा, “जब मैं घर से निकली, तो सुनील बिल्कुल ठीक था। जाने से पहले मैंने उसके लिए खाना भी बनाया था और उसे बताया था कि मैं अगले दिन दोपहर तक वापस आऊंगी। लेकिन जब मैं लौटकर आई, तो मैंने सुनील को इस हालत में पाया। किसी ने बड़ी ही बेदर्दी से उसकी हत्या कर दी थी।”

अनीता के इन जवाबों ने कुछ स्पष्ट किया, लेकिन कई और सवाल खड़े कर दिए, जिनका जवाब अब भी अनसुलझा था।

पुलिस की जांच में शुरुआती झटके और नए सवाल

इंस्पेक्टर अनंत गुंजन ने अनीता से अगला सवाल किया, “अनीता जी, हमें आपकी दोस्त का नाम, पता, और फोन नंबर चाहिए। हमें उससे कुछ जरूरी पूछताछ करनी है।”

इसके बाद, इंस्पेक्टर गुंजन ने अनीता की शिकायत पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ अमर कॉलोनी थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 294 (अश्लीलता) के तहत मामला दर्ज कर लिया। केस की गंभीरता को देखते हुए, एसीपी गोविंद शर्मा ने इंस्पेक्टर गुंजन के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम गठित की। इस टीम में सब-इंस्पेक्टर अभिषेक कुमार मिश्रा, सब-इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह, आर.एस. डागर, ईएसआई जगदीश, हेड कांस्टेबल राजेश राय, अजय, और सज्जन को शामिल किया गया।

जांच टीम ने सबसे पहले दत्ता साहब के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने का काम शुरू किया। पुलिस को उम्मीद थी कि जो भी व्यक्ति तीसरी मंजिल पर गया होगा, वह किसी न किसी कैमरे में जरूर कैद हुआ होगा। लेकिन जांच टीम का दुर्भाग्य यह था कि इलाके के ज्यादातर सीसीटीवी कैमरे या तो खराब थे या घटना के समय काम नहीं कर रहे थे। यह पहला कदम ही पुलिस के लिए एक बड़ी निराशा साबित हुआ।

हालांकि, इंस्पेक्टर अनंत गुंजन ने अब तक एक बात स्पष्ट रूप से समझ ली थी—जिसने भी सुनील तमांग की हत्या की, उसका इरादा केवल हत्या करना ही था। घर में किसी भी तरह की लूटपाट के कोई निशान नहीं मिले थे।

उधर, सुनील की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी पुलिस को मिल गई। रिपोर्ट के अनुसार, उसकी हत्या सुबह 4:00 बजे से 5:00 बजे के बीच हुई थी। इसका मतलब था कि हत्यारा कोई ऐसा व्यक्ति था जिसे सुनील जानता था, क्योंकि रात के समय केवल किसी परिचित के लिए ही दरवाजा खोला जा सकता है। घर में न तो जबरन घुसने के निशान थे और न ही किसी संघर्ष के सबूत।

सबसे अहम बात यह थी कि सुनील का मोबाइल फोन उसके शव के पास ही मिला। इससे पुलिस को यह अंदेशा हुआ कि हो सकता है सुनील का किसी से आर्थिक लेन-देन का विवाद चल रहा हो या फिर किसी दुश्मनी के चलते उसकी हत्या की गई हो।

पुलिस के सामने अब यह सवाल था कि आखिर कौन था वह व्यक्ति, जिसे सुनील रात के वक्त अपने घर में आने दे सकता था? जांच का अगला कदम इन्हीं संभावनाओं पर केंद्रित होना था।

अनीता के बयानों में उलझन और पुलिस का बढ़ता शक

जब पुलिस ने अनीता से सुनील के जीवन में किसी दुश्मनी या लेन-देन के विवाद के बारे में पूछा, तो उसने साफ इनकार कर दिया। अनीता सुनील की जिंदगी में सबसे करीबी शख्स थी, और घटना वाली रात को उसका घर से अपनी सहेली के पास जाना इंस्पेक्टर अनंत गुंजन को खटक रहा था। इस संदिग्ध परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने अपनी टीम को तीन हिस्सों में बांट दिया और अलग-अलग काम सौंपे।

पहली टीम को सुनील और अनीता के मोबाइल की कॉल डिटेल्स खंगालने का काम दिया गया। दूसरी टीम को ग्रेटर नोएडा से अनीता की सहेली मीरा को अमर कॉलोनी थाने बुलाने की जिम्मेदारी दी गई।

जब मीरा से पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि उसकी तबीयत कई दिनों से खराब थी। उसने कहा कि घटना वाले दिन, दोपहर के बाद उसकी हालत और बिगड़ गई थी, इसलिए उसने अनीता को अपनी देखभाल के लिए बुलाया। मीरा के बयान में कोई ऐसी बात नहीं थी, जिससे अनीता पर सीधा शक किया जा सके।

लेकिन एक बात थी, जिसने पुलिस का ध्यान खींचा। अनीता ने दावा किया था कि वह रात 9:30 से 10:00 बजे के बीच अपनी सहेली के घर के लिए निकल गई थी। लेकिन जब पुलिस ने उसकी कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) रिपोर्ट की जांच की, तो पता चला कि अनीता का मोबाइल रात 11:30 बजे तक अमर कॉलोनी में उसके मकान पर ही सक्रिय था।

जब इंस्पेक्टर गुंजन ने इस विरोधाभास के बारे में अनीता से सवाल किया, तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। उसने केवल यही कहा कि वह रात 12:00 बजे के बाद मीरा के घर पहुंची थी।

पुलिस ने पड़ोसियों और अन्य लोगों से भी सुनील और अनीता के रिश्ते के बारे में जानकारी जुटाई। सबने बताया कि दोनों एक-दूसरे से बेहद प्यार करते थे और उनके बीच कभी कोई झगड़ा या नाराजगी नहीं देखी गई थी।

हालांकि, अनीता के घर छोड़ने के समय को लेकर सामने आए तथ्य और उसकी अस्पष्ट जवाबदेही ने पुलिस का शक उस पर बढ़ा दिया। लेकिन इसके अलावा अनीता के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था। जांच अभी भी अधूरी थी, और अनीता की भूमिका पर सवाल बने हुए थे।

सुनील तमांग की हत्या का पर्दाफाश: दार्जिलिंग से गिरफ्तारी और चौंकाने वाला खुलासा

सुनील तमांग की हत्या के मामले में पुलिस की जांच तेज हो चुकी थी। सब-इंस्पेक्टर अभिषेक मिश्रा के नेतृत्व में एक टीम को तुरंत दार्जिलिंग रवाना किया गया। 13 सितंबर की शाम को, सब-इंस्पेक्टर मिश्रा ने अनीता के भाई विजय छेत्री और राजेंद्र छेत्री को गिरफ्तार कर लिया। 15 सितंबर की सुबह, पुलिस की यह टीम दोनों आरोपियों को लेकर दिल्ली पहुंची।

दिल्ली में, जब उनसे सख्ती से पूछताछ की गई, तो विजय और राजेंद्र ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने ही सुनील की हत्या की थी। पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश कर तीन दिन का रिमांड लिया, ताकि उनसे और पूछताछ की जा सके।

इस पूछताछ के दौरान जो खुलासे हुए, उन्होंने पुलिस को हैरान कर दिया। आरोपियों के बयान के आधार पर, पुलिस ने अनीता छेत्री को भी गिरफ्तार कर लिया। जब तीनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई, तो उन्होंने सुनील की हत्या की जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी।

अब सवाल यह था कि आखिर तीनों ने सुनील की हत्या क्यों की?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अनीता के पारिवारिक इतिहास और उसकी शादीशुदा जिंदगी पर नजर डालनी पड़ी।

अनीता का जन्म दार्जिलिंग के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उसके माता-पिता के पांच बच्चे थे—दो बड़ी बहनें, एक बड़ा भाई, और एक छोटा भाई। अनीता परिवार में चौथे स्थान पर थी। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि वे बच्चों को ज्यादा पढ़ा नहीं सके। इसलिए, सभी भाई-बहन ने जवानी में ही काम तलाशकर घर चलाने में योगदान देना शुरू कर दिया।

2014 में, अनीता के माता-पिता ने उसकी शादी दिल्ली में रहने वाले दीपक से कर दी। दीपक मूल रूप से नेपाल का रहने वाला था और शादी के समय वह अच्छी आमदनी करता था। लेकिन शादी के एक-डेढ़ साल बाद ही दीपक की नौकरी चली गई। इसके बाद दीपक ने काम की तलाश में इधर-उधर भटकना शुरू किया।

हालांकि, उसे चौकीदारी जैसे छोटे-मोटे काम मिलते रहे, लेकिन इनसे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता था। अनीता और दीपक की एक बेटी भी थी, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो गया।

यह आर्थिक तंगी और तनाव, अनीता के जीवन को एक ऐसे मोड़ पर ले गया, जिसने उसे सुनील तमांग से जोड़ा और फिर अंततः इस दर्दनाक हत्या की कहानी को जन्म दिया।

अनीता और सुनील के रिश्ते की शुरुआत: जीवन की कठिनाइयों से उपजा एक नया मोड़

दीपक और अनीता के बीच आए दिन होने वाले झगड़े ने उनके रिश्ते को पूरी तरह से तोड़ दिया। दीपक की नौकरी छूटने और उसकी शराब पीने की आदत ने घर की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया। जब अनीता घर के खर्चों के लिए पैसे मांगती थी, तो दीपक लड़ाई-झगड़ा शुरू कर देता। दीपक की संगत साकेत में रहने वाले कुछ ऐसे दोस्तों के साथ हो गई थी, जिनकी वजह से वह दिन-ब-दिन शराब की लत का शिकार होता गया।

इन परिस्थितियों से परेशान होकर अनीता ने अपनी बेटी को दीपक के पास छोड़कर दार्जिलिंग लौटने का फैसला किया। मायके पहुंचने पर, जब अनीता ने अपने माता-पिता को अपनी परेशानी बताई, तो उन्होंने तय किया कि दीपक में परिवार को संभालने की क्षमता नहीं है। इसलिए अनीता अब दीपक के पास वापस नहीं जाएगी।

दार्जिलिंग में, अनीता ने करीब डेढ़ साल अपने माता-पिता के साथ बिताए। हालांकि, उसके माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वे अनीता और उसकी बेटी का खर्च उठा सकें। अनीता ने भी अपने परिवार की स्थिति को समझा और घर की मदद करने के लिए काम की तलाश शुरू कर दी। उसने स्थानीय होटल और ढाबों पर काम किया, लेकिन दार्जिलिंग में उसे ऐसी नौकरी नहीं मिली जिससे वह ज्यादा पैसा कमा सके।

अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए अनीता ने दोबारा दिल्ली लौटने का फैसला किया। दिल्ली पहुंचकर, उसने अपनी कुछ सहेलियों के साथ रहते हुए नौकरी ढूंढनी शुरू की। इस दौरान उसे साकेत के एक रेस्टोरेंट में नाइट शिफ्ट में वेटर का काम मिला।

यहीं उसकी मुलाकात सुनील से हुई। सुनील नेपाल का रहने वाला था और दिल्ली में अकेला रहता था। अनीता भी नेपाल से थी, जिससे दोनों के बीच जल्दी ही दोस्ती हो गई। सुनील ने अपनी शादी नहीं की थी, और उसकी आदतें भी अनीता के पहले पति दीपक से कहीं बेहतर थीं।

सुनील का हैंडसम व्यक्तित्व और अच्छा स्वभाव अनीता को उसकी ओर आकर्षित करने लगा। धीरे-धीरे, दोनों के बीच लगाव बढ़ा और वे एक-दूसरे को पसंद करने लगे।

कुछ समय बाद, अनीता सुनील के साथ उसके फ्लैट में रहने लगी। उनके बीच नजदीकियां इतनी बढ़ गईं कि उनका रिश्ता शारीरिक संबंधों तक पहुंच गया।

यह नया रिश्ता अनीता के लिए एक नई शुरुआत की तरह था, लेकिन यह रिश्ता अंततः एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया, जिसने सुनील की हत्या और इस मामले की गुत्थी को जन्म दिया।

अनीता का पलायन और हत्या की साजिश की ओर बढ़ते कदम

अनीता के लिए सुनील के साथ संबंध धीरे-धीरे उबाऊ होते जा रहे थे। उसकी जिंदगी में कई लड़कों से दोस्ती हो गई थी, जो उस पर दिल खोलकर पैसा खर्च करते थे, और अनीता ने सुनील से साफ कह दिया कि अब वह उसके साथ नहीं रहना चाहती। हालांकि, सुनील को अनीता से बहुत प्यार था और वह उसके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था। लेकिन अनीता अब सुनील से छुटकारा पाना चाहती थी क्योंकि उसकी दिलचस्पी अब सुनील में घटती जा रही थी। सुनील ने अनीता को जबरन अपने साथ रखने की कोशिश की, जिससे अनीता के दिल में उसके प्रति नफरत और गुस्सा बढ़ने लगा।

एक दिन, अनीता ने अपने भाई विजय छेत्री को बताया कि वह दिल्ली में एक लड़के के साथ रहती है, जो उसे जबरन अपने साथ रखना चाहता है। अनीता ने अपने भाई से कहा कि वह किसी तरह से उससे पीछा छुड़वाए। विजय ने इस मामले की चर्चा अपने जीजा, राजेंद्र छेत्री से की, और दोनों ने इस समस्या का हल निकालने के लिए एक खतरनाक योजना बनाई: सुनील को मार डालना।

इसके बाद, विजय और राजेंद्र ने अनीता से लगातार संपर्क किया और उसे बताते रहे कि वह सुनील से छुटकारा पाने के लिए तैयार हैं। योजना के अनुसार, अनीता ने 7 सितंबर को अपने भाई और जीजा को दिल्ली आने के लिए पैसे भेजे और 9 सितंबर को वे दिल्ली पहुंचे। दोनों ने पहाड़गंज में एक सस्ते होटल में कमरा लिया और फिर दिल्ली के आसपास घूमते हुए अपना समय बिताया। इस दौरान, अनीता उनसे मिलने आई और उन्हें अपने प्लान के बारे में बताया।

रात 9 बजे, विजय और राजेंद्र बैग लेकर अमर कॉलोनी पहुंचे और अनीता से मिलने के बाद उसे अपने फ्लैट पर ले आईं। अनीता ने सुनील से कहा कि ये दोनों उसके रिश्तेदार हैं और आज रात उनके फ्लैट पर रहेंगे, फिर सुबह चले जाएंगे। सुनील ने कोई आपत्ति नहीं जताई क्योंकि उसने इन दोनों को अनीता के रिश्तेदार के रूप में स्वीकार किया था।

अनीता ने पहले से ही खाना ज्यादा बना लिया था, और चारों ने साथ में खाना खाया। इसके बाद, अनीता ने घर छोड़ दिया और अपनी सहेली मीरा के पास जाने के लिए निकली। वह रात को आखिरी मेट्रो पकड़कर ग्रेटर नोएडा पहुंची और मीरा के फ्लैट पर पहुंची। रात के करीब तीन बजे तक वह सुनील के साथ चैट करती रही, और इस दौरान वह अपनी बहन विनीता से भी बात करती रही।

इस योजना का हिस्सा यह था कि अनीता जब घर से निकलेगी, तो उसके बाद विजय और राजेंद्र उससे संपर्क नहीं करेंगे। इसके बजाय, अनीता अपनी बहन विनीता से बात करती, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह अपनी सहेली के घर पहुंच गई है या नहीं।

यह सब एक खतरनाक साजिश का हिस्सा था, जिसमें सुनील की हत्या का उद्देश्य धीरे-धीरे पूरा होने की ओर बढ़ रहा था।

अनीता की साजिश का अंत और पुलिस का खुलासा

अनीता ने सुनील की हत्या करवाने के लिए एक बहुत सोची-समझी योजना बनाई थी, लेकिन उसकी कुछ छोटी-छोटी गलतियों ने उसे पुलिस के शिकंजे में ला दिया। इस सब के दौरान, उसकी बहन विनीता और सहेली मीरा को इस साजिश के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, वे केवल अनीता के कहे अनुसार बातें करती रही थीं।

जब सुनील गहरी नींद में सो रहा था, तब विजय और राजेंद्र ने उसे आसानी से मार डाला। उन्होंने चॉपर से सुनील का गला काट दिया और फिर उसके खून से सने कपड़े अपने बैग में छिपा लिए। हत्या के बाद, वे अपनी योजना के अनुसार बिना किसी की नजर में आए फ्लैट से बाहर निकल गए। उन्होंने आनंद विहार की ओर जाते हुए रिंग रोड पर चॉपर को झाड़ियों में फेंक दिया।

अनीता ने शुरू में पुलिस को यह बताया कि वह 10 बजे से 10:30 बजे के बीच अपनी सहेली के घर पहुंची थी, लेकिन पुलिस ने जब उसकी मोबाइल लोकेशन चेक की, तो यह 11:30 बजे तक सुनील के फ्लैट पर ही पाई गई, जिससे अनीता पर शक गहरा गया। इसके बाद पुलिस ने अनीता, विजय, और राजेंद्र से कड़ी पूछताछ की और फिर सुनील की हत्या में इस्तेमाल किए गए खून से सने कपड़े और फेंका गया चॉपर भी बरामद कर लिया।

अनीता की सहेली मीरा और उसकी बहन विनीता इस साजिश के बारे में पूरी तरह से अंजान थीं, इसलिए उन्हें रिहा कर दिया गया। हालांकि, अनीता, विजय और राजेंद्र को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

यह घटना न केवल अपराध की भयावहता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि हमारे द्वारा की जाने वाली छोटी-सी गलती भी अपराधी को पकड़े जाने का कारण बन सकती है।

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