हरियाणा के हिसार जिले में 23 अगस्त 2001 की सुबह एक ऐसा खौफनाक मंजर सामने आया, जिसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। एक बड़े घर का नौकर रोज की तरह बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए आया था। उसने बाहर से आवाज लगाई, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। उसे लगा कि शायद पिछली रात किसी पार्टी की वजह से घर के लोग देर तक सो रहे होंगे। लेकिन जब वह अंदर गया, तो जो उसने देखा, वह किसी भी आम इंसान के होश उड़ा सकता था।
घर के अंदर आठ लोगों की लाशें पड़ी थीं, जिनमें से एक विधायक भी था। सिर्फ एक व्यक्ति की सांसें चल रही थीं, लेकिन वह भी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था। आखिर यह नरसंहार किसने किया? मरने वाले कौन थे? और इस हत्याकांड की असली वजह क्या थी? यह सब जानने के लिए पूरा मामला विस्तार से समझते हैं।

रेलू राम पूनिया: गरीबी से अमीरी तक का सफर
रेलू राम पूनिया का जन्म हरियाणा के हिसार जिले के प्रभुवाला गांव में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने गरीबी को करीब से देखा था। बड़े होकर उन्होंने सबसे पहले ट्रक क्लीनर के रूप में काम शुरू किया। लेकिन उन्हें आगे बढ़ना था, इसलिए उन्होंने अपने कारोबार में हाथ आजमाया।
रेलू राम ने हल्काट्रे (स्क्रैप) का कारोबार शुरू किया और देखते ही देखते वह इसमें बहुत सफल हो गए। इसके बाद उन्होंने तेल के धंधे में भी हाथ डाला और काफी पैसा कमाया। उनके पास इतनी संपत्ति हो गई कि उन्होंने 100 एकड़ जमीन खरीदकर एक शानदार हवेली बनाई। इस हवेली की खासियत यह थी कि उसमें गाड़ी सीधे दूसरी मंजिल तक जा सकती थी। दूर-दूर से लोग इस महलनुमा घर को देखने आते थे।
लेकिन पैसा आने के बाद अब उन्हें राजनीतिक ताकत चाहिए थी। इसलिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा।
विधायक बना, लेकिन दुश्मन भी बढ़े
1996 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान रेलू राम पूनिया को टिकट देने का वादा किया गया था। उन्होंने अपनी पूरी दौलत पार्टी के प्रचार में झोंक दी, लेकिन जब चुनाव के टिकट घोषित हुए, तो उन्हें टिकट नहीं मिला। इससे गुस्साए रेलू राम ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया और भारी मतों से जीतकर विधायक बन गए।
अब उनकी संपत्ति और ताकत दोनों बढ़ती जा रही थी। उन्होंने 170 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीद ली, कई बड़े शहरों में घर और दुकानें खरीदीं, और उनका महलनुमा घर 25 एकड़ में फैल चुका था।
परिवार और रिश्तों में आई दरार
रेलू राम पूनिया ने दो शादियां की थीं। उनकी पहली पत्नी ओमी देवी से उनका एक बेटा सुनील था। दूसरी पत्नी कृष्णा देवी से उनकी तीन बेटियां थीं—सोनिया, प्रियंका और पम्मी।
रेलू राम अपनी बड़ी बेटी सोनिया से बहुत प्यार करते थे और उसे हर तरह की सुविधा दी थी। सोनिया को ताइक्वांडो सीखने की इजाजत भी दी गई थी, जो उस समय कम लड़कियों को मिलती थी। यहीं उसकी मुलाकात जूडो खिलाड़ी संजीव कुमार से हुई। दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।
लेकिन सोनिया का यह प्यार उसके परिवार के लिए एक बड़ी समस्या बन गया।
प्यार, शादी और पारिवारिक झगड़ा
सोनिया का परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था क्योंकि संजीव आर्थिक रूप से उतना मजबूत नहीं था। लेकिन सोनिया अपने फैसले पर अड़ी रही। आखिरकार, परिवार को यह शादी मंजूर करनी पड़ी और सोनिया ने संजीव कुमार से शादी कर ली।
लेकिन शादी के बाद हालात बिगड़ने लगे। सोनिया का अपने भाई सुनील से संपत्ति को लेकर झगड़ा शुरू हो गया। उसे लगा कि उसके पिता की सारी संपत्ति उसके भाई के पास जा रही है। धीरे-धीरे यह पारिवारिक झगड़ा इतना बढ़ गया कि खून-खराबे तक पहुंच गया।
हत्याकांड की रात
22 अगस्त 2001 को सोनिया ने अपनी बहन प्रियंका का जन्मदिन मनाने का फैसला किया। प्रियंका उस समय हॉस्टल में थी, लेकिन सोनिया उसे गुपचुप तरीके से घर ले आई। रात को पूरा परिवार इकट्ठा हुआ, केक काटा गया और जश्न मनाया गया।
लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि यह उनकी आखिरी रात होगी।
रात के अंधेरे में सोनिया और संजीव ने मिलकर पूरे परिवार का खून कर दिया। सभी को एक-एक करके मौत के घाट उतार दिया गया।
सुबह जब नौकर घर में आया, तो उसे सोनिया बेहोश मिली। उसका सिर फटा हुआ था। बाकी कमरों में उसने जो देखा, वह दिल दहला देने वाला था—रेलू राम पूनिया, उनकी पत्नी कृष्णा देवी, बेटा सुनील, सुनील की पत्नी शकुंतला, उनके तीन छोटे बच्चे और प्रियंका—सभी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
पुलिस जांच और चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस को पहले शक हुआ कि यह किसी बाहरी गैंग का काम हो सकता है। लेकिन जब जांच शुरू हुई, तो जल्द ही सच्चाई सामने आ गई।
जब पुलिस ने सोनिया से पूछताछ की, तो उसने पहले झूठ बोलने की कोशिश की। लेकिन जब सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने कबूल किया कि यह हत्याकांड उसी ने अंजाम दिया था।
उसने बताया कि परिवार की संपत्ति को लेकर उसके भाई से झगड़ा हुआ था। उसे लगा कि उसके पिता भी उसके भाई का साथ दे रहे थे। इस गुस्से में उसने अपने पति संजीव के साथ मिलकर यह भयानक कदम उठा लिया।
सजा और जेल की जिंदगी
कोर्ट ने सोनिया और संजीव को 8 हत्याओं के जुर्म में मौत की सजा सुनाई। लेकिन बाद में यह सजा उम्रकैद में बदल दी गई।
2018 में जेल में सोनिया ने आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन उसे बचा लिया गया।
अब कैसा है वह खौफनाक घर?
जिस घर में यह भयानक हत्याकांड हुआ था, वह अब वीरान पड़ा है। लोगों का मानना है कि वह घर अब भूतिया बन चुका है। रेलू राम पूनिया के छोटे भाई राम सिंह पूनिया ही अब वहां रहते हैं।
यह हत्याकांड दिखाता है कि लालच और गुस्सा इंसान को किस हद तक गिरा सकता है। एक संपत्ति के लिए एक बेटी ने पूरे परिवार का खात्मा कर दिया। यह मामला भारतीय अपराध इतिहास के सबसे खौफनाक हत्याकांडों में से एक बन गया।
निष्कर्ष
यह घटना बताती है कि जब पैसा और लालच रिश्तों से ऊपर हो जाता है, तो उसका अंजाम कितना भयानक हो सकता है। यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि पूरे परिवार के खत्म हो जाने की कहानी है।
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