यह कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिसने अपने सपनों को सजाया, अपने प्यार को संजोया, लेकिन अंततः उसे धोखे का शिकार होना पड़ा। यह न केवल हरप्रीत कौर की कहानी है, बल्कि यह समाज के उस पक्ष को भी उजागर करती है जहां प्यार के नाम पर छल होता है। 13 दिसंबर 2019 को कानपुर में हरप्रीत कौर की सगाई होनी थी। लेकिन इस खुशी के मौके ने जल्दी ही एक परिवार के लिए दुखद और भयावह घटना में बदल दिया।
घटनाओं की शुरुआत
हरप्रीत कौर, कानपुर निवासी, 9 दिसंबर 2019 को अपनी सगाई की शॉपिंग के लिए दिल्ली जाने वाली थी। उसकी शादी दिल्ली में बंगला साहिब गुरुद्वारा के क्लर्क युवराज सिंह से तय हुई थी। हरप्रीत के पिता गुरबचन सिंह ने बेटी को दिल्ली भेजा, लेकिन पिता का दिल बेचैन था। उन्होंने रात 12 बजे बेटी को फोन किया, लेकिन फोन बंद पाया। यह चिंता अगली सुबह और बढ़ गई, जब फोन अब भी बंद था।

हरप्रीत का गायब होना
जब हरप्रीत दिल्ली नहीं पहुंची, तो उसके भाई सुरेंद्र ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उसकी खोज शुरू की। स्टेशन के हर कोने की तलाशी के बावजूद, हरप्रीत का कुछ पता नहीं चला। युवराज सिंह को भी सूचित किया गया, लेकिन वह भी हरप्रीत के बारे में अनभिज्ञ था। अंततः यह मामला कानपुर जीआरपी पुलिस के पास पहुंचा। लेकिन शुरुआत में पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, यह कहकर कि वह बालिग है और शायद अपने किसी दोस्त के साथ घूमने गई होगी।
परिवार का संघर्ष और सीसीटीवी फुटेज
गुरबचन सिंह और सिख समुदाय के दबाव के बाद पुलिस ने हरप्रीत की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। सीसीटीवी फुटेज में हरप्रीत को कानपुर स्टेशन से बाहर निकलते देखा गया, जिससे स्पष्ट हुआ कि वह दिल्ली गई ही नहीं थी।
पुलिस जांच के दौरान यह सामने आया कि हरप्रीत आखिरी बार रेलवे स्टेशन के पास हरिसगंज इलाके में देखी गई। एक फुटेज में उसे युवराज और दो अन्य लोगों के साथ एक कार में बैठते हुए देखा गया। यह कार युवराज के दोस्तों की थी, जो हत्या के मामले को और उलझा रही थी।
शव की बरामदगी
13 दिसंबर 2019 को कानपुर के महाराजपुर क्षेत्र में हाईवे के पास झाड़ियों में एक युवती का शव पाया गया। पुलिस ने शव की जांच की और पाया कि यह हरप्रीत कौर का था। शव पर किसी प्रकार के चोट के निशान नहीं थे, जिससे यह अंदाजा लगाया गया कि गला घोंटकर उसकी हत्या की गई थी।
इस खबर ने सिख समुदाय में आक्रोश भर दिया। लोग पोस्टमार्टम हाउस के पास जुटने लगे और पुलिस की लापरवाही पर नारेबाजी करने लगे। हरप्रीत के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि यदि पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती, तो उनकी बेटी की जान बचाई जा सकती थी।
हत्या की जांच और अपराधी की पहचान
एसपी अपर्णा गुप्ता की देखरेख में जांच शुरू हुई। पुलिस ने युवराज सिंह और उसके दोस्तों सुखचैन और सुखविंदर सिंह को संदिग्ध मानते हुए उनकी तलाश शुरू की।
सीसीटीवी और टोल प्लाजा के फुटेज से पता चला कि जिस कार का इस्तेमाल किया गया था, उसने 9 दिसंबर की रात कानपुर और दिल्ली के बीच कई बार यात्रा की। इस कार के मालिक सुखविंदर को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में सुखविंदर ने युवराज और सुखचैन के साथ मिलकर हत्या की साजिश का खुलासा किया।

साजिश की परतें और युवराज का छल
जांच में पता चला कि युवराज पहले से शादीशुदा था और एक बच्चे का पिता था। उसने यह बात हरप्रीत से छिपाई थी। हरप्रीत को धोखे में रखकर युवराज ने उससे शादी का वादा किया और सगाई तय कर ली।
युवराज ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर हरप्रीत को मारने की योजना बनाई। हत्या की रात उसने हरप्रीत को नशीला पदार्थ खिलाया और फिर गला घोंटकर हत्या कर दी।
परिवार का दर्द और न्याय की लड़ाई
हरप्रीत के परिवार के लिए यह घटना विनाशकारी थी। 13 दिसंबर, जिस दिन उसकी सगाई होनी थी, उसी दिन उसकी अर्थी उठी। गुरुद्वारों में मातम छा गया।
हरप्रीत की मां और परिवार को न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए। युवराज और सुखचैन को भी आखिरकार गिरफ्तार किया गया।
निष्कर्ष
हरप्रीत कौर की यह कहानी केवल एक हत्या की कहानी नहीं है, यह उस समाज को भी आईना दिखाती है, जहां प्यार के नाम पर धोखा और लालच का खेल चलता है।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि रिश्तों में विश्वास के साथ-साथ सतर्कता भी जरूरी है। यह परिवारों और समाज के लिए एक सबक है कि अपराध के खिलाफ लड़ाई में कभी हार न मानें।
हरप्रीत कौर अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए चेतावनी है जो विश्वास और रिश्तों का सम्मान करता है।