तालाब में मिली बोरी से हुआ चौंकाने वाला खुलासा
2021 में, बिहार के झारखंड जिले के जमशेदपुर के टेल्को इलाके में 17 नवंबर की सुबह कुछ बच्चे खेल रहे थे। खेलते-खेलते उनकी नजर तालाब में तैर रही एक बोरी पर पड़ी। पहले उन्होंने सोचा कि कोई कचरा फेंक गया होगा, लेकिन जब वे पास जाकर देखने लगे, तो घबरा गए।
बच्चों ने तुरंत वहां से गुजर रहे लोगों को इसकी जानकारी दी। जब कुछ लोग तालाब के पास पहुंचे, तो देखा कि बोरी में से किसी इंसान की उंगलियां दिख रही थीं। यह देख लोगों को शक हुआ और उन्होंने तुरंत टेल्को पुलिस को सूचना दी।
पुलिस मौके पर पहुंची और बोरी को तालाब से बाहर निकाला। जब उसे खोला गया, तो सभी हैरान रह गए क्योंकि उसमें एक लड़की की लाश थी। लाश इस कदर फूल चुकी थी कि उसकी पहचान कर पाना बेहद मुश्किल था।
पुलिस के सामने बड़ी पहेली बनी लाश
पुलिस के सामने पहला सवाल यही था कि यह लाश किसकी है। जब पुलिस ने जांच की, तो पता चला कि लड़की की उम्र करीब 30 से 32 साल के बीच थी। देखने से ही साफ था कि यह कत्ल का मामला है और कातिल ने शव को छिपाने के लिए उसे प्लास्टिक की बोरी में डालकर तालाब में फेंक दिया था। लेकिन असली परेशानी यह थी कि लड़की की पहचान कैसे की जाए।
हालांकि लाश बुरी हालत में थी, लेकिन उसके कपड़े देखकर लग रहा था कि वह किसी ठीक-ठाक परिवार से थी। पुलिस ने सबसे पहले आसपास के थानों और फिर पूरे जिले में जानकारी भेजी, ताकि पता चल सके कि हाल ही में किसी लड़की की गुमशुदगी दर्ज कराई गई है या नहीं। लेकिन जमशेदपुर में ऐसी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई थी।
इससे शक हुआ कि लड़की किसी और जगह की हो सकती है और कत्ल के बाद उसका शव यहां फेंका गया हो। यही वजह थी कि मामला और उलझता जा रहा था। अब पुलिस के लिए इस केस से जुड़े सुराग और सबूत जुटाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था।
गुमशुदगी की रिपोर्ट नहीं लिखवाने पर पुलिस को हुआ शक
इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर से जानकारी मिली कि जमशेदपुर के साउथ पार्क इलाके की 30 साल की एक लड़की पिछले पांच दिनों से लापता है। हैरानी की बात यह थी कि उसके परिवारवालों ने उसकी गुमशुदगी की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी। हालांकि यह जानकारी पूरी नहीं थी, लेकिन पुलिस के लिए जांच को आगे बढ़ाने के लिए काफी थी।
टेल्को पुलिस तुरंत साउथ पार्क इलाके पहुंची और पूछताछ शुरू की। पता चला कि 12 नवंबर की रात लड़की यह कहकर घर से निकली थी कि वह अपने किसी दोस्त से मिलने जा रही है, लेकिन फिर वापस नहीं आई। आमतौर पर जब कोई लड़की घर से गायब हो जाती है, तो उसके परिवारवाले चिंतित हो जाते हैं और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराते हैं, लेकिन वर्षा पटेल के परिवार ने ऐसा नहीं किया था।
जब पुलिस ने शव की पहचान के लिए परिवार को एमजीएम हॉस्पिटल बुलाया, तो उन्होंने कपड़े और गहनों से लड़की को पहचान लिया। परिवार ने बताया कि मृतका का नाम वर्षा पटेल था, जो फैशन मॉडल के तौर पर काम करती थी। फैशन इंडस्ट्री से जुड़े होने के कारण वह अक्सर रात को बाहर रहती थी और कई बार बिना बताए कई दिनों तक घर नहीं आती थी। इस वजह से परिवारवाले परेशान रहते थे और इसको लेकर घर में कई बार झगड़े भी हुए थे, लेकिन वर्षा को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था।
पुलिस को यह बात खटक रही थी कि अगर परिवार की बेटी पांच दिनों से लापता थी, तो उन्होंने रिपोर्ट क्यों नहीं लिखवाई? यह मामला और संदिग्ध लगने लगा, जिससे पुलिस को शक हुआ कि परिवार वाले कुछ छिपा रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने घर के सभी सदस्यों से पूछताछ शुरू की, और जो वजह सामने आई, वह भी कम चौंकाने वाली नहीं थी।
वर्षा के फोन रिकॉर्ड से खुला बड़ा राज
परिवारवालों ने बताया कि उन्होंने पुलिस को वर्षा की तस्वीरें देने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि मामला सार्वजनिक होने से उनकी बेटी की बदनामी होगी। दरअसल, वर्षा शादीशुदा थी। उसकी शादी विशाल मेहता नाम के शख्स से हुई थी, लेकिन कुछ ही समय बाद उनके बीच झगड़े शुरू हो गए और दोनों अलग हो गए। विशाल अब किसी और से प्यार करता था और वर्षा से तलाक लेना चाहता था, लेकिन उनका तलाक अभी तक हुआ नहीं था।
घटना से कुछ दिन पहले वर्षा को पता चला कि उसके पति विशाल ने बिना तलाक लिए ही दूसरी शादी कर ली, जो गैरकानूनी था। इससे पुलिस को शक होने लगा कि कत्ल के पीछे विशाल का हाथ हो सकता है। जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि विशाल से अलग रहने के बाद वर्षा की कई नई दोस्तियां हुई थीं। इनमें से एक दोस्त जिम्मी था, जिससे वह पिछले कुछ दिनों में काफी करीब आ गई थी।
अब पुलिस को शक था कि कत्ल में या तो विशाल का हाथ हो सकता है या जिम्मी का। लेकिन पुलिस को यह समझ नहीं आ रहा था कि अगर विशाल के पास हत्या की कोई वजह थी, तो जिम्मी के पास क्या कारण हो सकता था। यही वजह थी कि पुलिस ने वर्षा के फोन का कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) निकलवाने का फैसला किया।
जब वर्षा की कॉल डिटेल सामने आई, तो पुलिस की जांच नई दिशा में चली गई। पुलिस को अब तक शक था कि हत्या में वर्षा के पति विशाल या उसके परिवार का हाथ हो सकता है, लेकिन कॉल रिकॉर्ड देखकर यह शक गलत साबित हुआ।
वर्षा की कॉल डिटेल में एक ऐसा नाम सामने आया, जिसने पुलिस को चौंका दिया। यह नाम था इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह, जो जमशेदपुर के साक्षी थाने में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के पद पर तैनात था। जांच में पता चला कि पिछले कुछ महीनों में वर्षा जिन दो लोगों से सबसे ज्यादा बात कर रही थी, वे जिम्मी और धर्मेंद्र ही थे।
अब सवाल यह था कि वर्षा एक पुलिस अधिकारी से इतनी बार क्यों बात कर रही थी? क्या वह किसी परेशानी में थी? जब पुलिस ने जिम्मी और इंस्पेक्टर धर्मेंद्र से पूछताछ की, तो दोनों ने इस मामले से अनजान होने की बात कही। पुलिस ने जिम्मी को थाने बुलाकर पूछताछ की, लेकिन इंस्पेक्टर धर्मेंद्र उस वक्त ड्यूटी पर नहीं था, इसलिए उससे फोन पर ही पूछताछ की गई।
पहले से रची गई थी हत्या की साजिश
धर्मेंद्र उस समय बिहार के अररिया में छुट्टी मनाने गया हुआ था, लेकिन जब मामला गंभीर हुआ, तो उसे तुरंत जमशेदपुर बुला लिया गया। इस बीच, पुलिस ने जिम्मी और धर्मेंद्र दोनों के फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) निकलवाने का फैसला किया। जब इन रिकॉर्ड्स की जांच की गई, तो पुलिस हैरान रह गई।
12 नवंबर की रात, जिस दिन वर्षा गायब हुई थी, उस दिन न सिर्फ धर्मेंद्र और वर्षा के बीच कई बार फोन पर बातचीत हुई थी, बल्कि दोनों के मोबाइल की लोकेशन भी एक ही जगह थी। इसका मतलब था कि वर्षा अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त में धर्मेंद्र के साथ ही थी।
जब पुलिस ने धर्मेंद्र से सख्ती से पूछताछ की, तो उसने न सिर्फ वर्षा की हत्या करने की बात कबूल ली, बल्कि उसने पूरा सच बताया कि यह सब कैसे हुआ। उसकी कहानी सुनकर खुद पुलिसवाले भी हैरान रह गए।
धर्मेंद्र ने बताया कि 12 नवंबर की रात को उसने ही वर्षा को फोन कर टेल्को इलाके में अपने घर बुलाया था। रात करीब 9 बजे वर्षा वहां पहुंची। बातचीत के दौरान किसी बात पर झगड़ा हो गया, जिसके बाद धर्मेंद्र ने पहले उसका सिर दीवार पर मारा, जिससे वह बेहोश हो गई, और फिर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
लेकिन पुलिस को यकीन था कि यह हत्या अचानक हुए झगड़े का नतीजा नहीं थी। जांच में पता चला कि धर्मेंद्र ने पहले से ही दो प्लास्टिक की बड़ी बोरियां खरीद रखी थीं, ताकि हत्या के बाद लाश को उसमें डालकर ठिकाने लगाया जा सके।
हत्या के बाद धर्मेंद्र ने लाश को बोरी में डाला, उसका मुंह सिल दिया और फिर पुलिस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए टेल्को इलाके में ड्यूटी पर तैनात पुलिसवालों से बातचीत की। चूंकि वह खुद भी पुलिस में था, इसलिए किसी को शक नहीं हुआ।
12 नवंबर की रात करीब 1:30 बजे, जब उसे यकीन हो गया कि इलाके में कोई नहीं है, तो उसने बोरी को अपनी बाइक पर रखा और उसे तार कंपनी के तालाब में फेंक दिया। किसी को शक न हो, इसलिए अगले दिन वह सामान्य तरीके से ड्यूटी पर गया और फिर 14 नवंबर को पहले से ली गई छुट्टी पर अररिया चला गया।
इससे साफ हो गया कि यह हत्या अचानक नहीं हुई थी, बल्कि इसकी पूरी साजिश पहले से ही रची गई थी। लेकिन अब सवाल था—आखिर धर्मेंद्र ने वर्षा की हत्या क्यों की? इसके पीछे की असली वजह क्या थी?
ब्लैकमेलिंग से शुरू हुआ मामला हत्या तक पहुंचा
पूछताछ के दौरान धर्मेंद्र ने खुलासा किया कि वर्षा उसे कई दिनों से ब्लैकमेल कर रही थी और उससे जबरन पैसे वसूल रही थी। अब तक धर्मेंद्र उसे लाखों रुपये दे चुका था, लेकिन वर्षा की मांग बढ़ती जा रही थी। सवाल यह था कि वर्षा के पास ऐसा कौन सा राज था, जिससे वह एक पुलिसवाले को ब्लैकमेल कर रही थी?
जांच में पता चला कि वर्षा की तरह ही धर्मेंद्र भी शादीशुदा था, लेकिन दोनों के बीच गहरे संबंध थे। इसी नजदीकी का फायदा उठाकर वर्षा ने धर्मेंद्र की कुछ आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए थे। वह इन्हें सोशल मीडिया पर डालने और धर्मेंद्र के परिवार को भेजने की धमकी देकर उससे लगातार पैसे मांग रही थी।
धर्मेंद्र ने यह कहानी पुलिस को सुनाई, जिस पर पुलिस ने यकीन कर लिया, लेकिन वर्षा के परिवारवालों को इस पर भरोसा नहीं हुआ। हालांकि, पुलिस ने इस मामले को सुलझा लिया था, लेकिन एक पुलिसवाले की साजिश ने सबको चौंका दिया। क्योंकि कानून के रखवाले को तो यह पता ही होता है कि अपराधी चाहे जितनी कोशिश कर ले, लेकिन एक न एक दिन पकड़ा ही जाता है।
पुलिस ने जांच के दौरान वर्षा पटेल का मोबाइल फोन और हत्या में इस्तेमाल की गई बाइक भी बरामद कर ली। इसके बाद मामला सेशन कोर्ट में पहुंचा, जहां नौ गवाहों को पेश किया गया। आखिरकार, 28 फरवरी 2023 को, यानी इस घटना के 14 महीने बाद, कोर्ट ने धर्मेंद्र को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही, उस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
फिलहाल, धर्मेंद्र जेल में अपनी सजा काट रहा है। इस घटना का मकसद आपको डराना नहीं, बल्कि सचेत करना है। आप इस मामले पर क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।
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