साहू परिवार का परिचय
2018 में उड़ीसा के बोलांगीर जिले के पाटनगढ़ इलाके में साहू परिवार रहता था। परिवार में घर के मुखिया रविंद्र कुमार साहू, उनकी पत्नी संयुक्ता साहू, उनके दो बच्चे और उनकी बुजुर्ग मां जेमा मणि साहू शामिल थीं। रविंद्र कुमार जवाहरलाल नेहरू कॉलेज के प्रोफेसर थे, जबकि संयुक्ता ज्योति विकास कॉलेज की प्रिंसिपल थीं। उनका बेटा सौम्या शेखर बेंगलुरु की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, और उनकी बेटी कजाकिस्तान में पढ़ाई कर रही थी।
शादी के बाद का समय
18 फरवरी 2018 को सौम्या शेखर की शादी सोनपुर की रहने वाली रीमा से हुई। शादी के बाद सब कुछ सामान्य चल रहा था। लेकिन शादी के पांच दिन बाद, यानी 23 फरवरी 2018 को, सौम्या की बहन, जो शादी में शामिल होने के लिए कजाकिस्तान से आई थी, वापस लौट रही थी। उसके पिता रविंद्र कुमार उसे दिल्ली एयरपोर्ट तक छोड़ने गए। इस दौरान उनकी पत्नी संयुक्ता भी कॉलेज में थीं।
डिलीवरी बॉय और पार्सल
घर में उस समय सौम्या शेखर, उनकी पत्नी रीमा, और उनकी दादी जेमा मणि साहू ही थे। दोपहर लगभग 12:45 बजे, सौम्या और रीमा रसोई में खाना बनाने की योजना बना रहे थे। तभी गेट पर कुंडी बजने की आवाज आई। सौम्या ने दरवाजा खोला तो एक डिलीवरी बॉय हाथ में एक पार्सल लेकर खड़ा था। बॉक्स पर लिखा था कि यह एस.के. सिन्हा ने रायपुर से भेजा है। पार्सल हरे कागज में लिपटा हुआ था और उसमें से एक सफेद धागा बाहर निकल रहा था।
धमाके का खौफनाक मंजर
पार्सल को शादी का गिफ्ट समझते हुए सौम्या उसे खोलने लगे। जैसे ही उन्होंने धागा खींचा, जोरदार धमाका हुआ। धमाके से पूरा घर हिल गया। छत का प्लास्टर गिर गया, वाटर प्यूरीफायर और खिड़कियां टूटकर बिखर गईं। धमाके की चपेट में आने से सौम्या, रीमा और दादी गंभीर रूप से घायल हो गए।
दादी जेमा मणि आग की लपटों में घिर गईं। सौम्या ने कराहते हुए कहा, “मुझे बचाओ, मैं मर रहा हूं।” यह उनके आखिरी शब्द थे। रीमा के चेहरे और शरीर पर गंभीर जलन हुई, और वह भी बेहोश हो गईं। पड़ोसियों ने धमाके की आवाज सुनकर सोचा कि गैस सिलेंडर फटा है। जब वे घर पहुंचे, तो नजारा देखकर हैरान रह गए। उन्होंने तुरंत एंबुलेंस को बुलाया।
घायलों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। रास्ते में ही सौम्या शेखर और दादी जेमा मणि की मौत हो गई। रीमा 40% जल चुकी थीं, इसलिए उन्हें गवर्नमेंट हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया। उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी।
घटना स्थल पर जांच और शुरुआती निष्कर्ष
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और तुरंत जांच शुरू कर दी। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पाया कि यह विस्फोट गैस सिलेंडर के कारण नहीं हुआ था। इसके बाद बम स्क्वाड को बुलाया गया। बम स्क्वाड की टीम जब रसोई में पहुंची, तो उन्होंने तुरंत बारूद की गंध महसूस की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह एक बम विस्फोट था।
पुलिस के लिए सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिरकार बम उस घर में कैसे आया। इस बारे में जानकारी देने वाले तीन लोगों में से दो—सौम्या शेखर और उनकी दादी—की मौत हो चुकी थी। रीमा गंभीर रूप से घायल थीं और बात करने की स्थिति में नहीं थीं। पुलिस ने रीमा की हालत बेहतर होने का इंतजार किया, क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई और रास्ता नहीं था।
तीन मार्च 2018 को रीमा की हालत में सुधार होने पर पुलिस ने उनसे पूछताछ की। रीमा ने बताया कि 23 फरवरी को दोपहर करीब 12 बजे उनके घर पर स्काई किंग कोरियर सर्विस से एक पार्सल आया था। इस जानकारी के आधार पर पुलिस तुरंत स्काई किंग कोरियर ऑफिस पहुंची और पार्सल डिलीवरी करने वाले व्यक्ति और भेजने वाले के बारे में जानकारी जुटाने लगी।
फर्जी नाम और पता
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि पार्सल एस.के. सिन्हा नाम के व्यक्ति द्वारा रायपुर से भेजा गया था। हालांकि, छानबीन में यह नाम और पता फर्जी निकला। इसी दौरान पुलिस ने एक गलती कर दी। मीडिया को जानकारी देते समय पुलिस ने गलती से पार्सल भेजने वाले का नाम एस.के. सिन्हा की जगह आर.के. शर्मा बता दिया।
पुलिस की यह गलती आगे चलकर इस केस को सुलझाने में बड़ा सुराग साबित हुई। क्योंकि यह नाम असली कातिल का था, यह मीडिया के जरिए पूरे उड़ीसा में फैल गया। इस गलती पर पुलिस ने शुरुआत में ध्यान नहीं दिया और अपनी जांच जारी रखी।
स्काई किंग कोरियर ब्रांच के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने पर पुलिस को एक और झटका लगा। ब्रांच में कोई सीसीटीवी कैमरा मौजूद नहीं था, जिससे जांच और जटिल हो गई।
परिवार से पूछताछ और नए सुराग
पुलिस ने घटना की गहराई तक जाने के लिए शेखर साहू के परिवार और दोस्तों से पूछताछ शुरू की। जब पुलिस ने शेखर के माता-पिता से पूछा कि क्या किसी पर शक है या किसी से रंजिश हो सकती है, तो शेखर की मां ने साफ इनकार कर दिया। हालांकि, शेखर की मां संयुक्ता साहू ने बताया कि उनके कॉलेज में एक अंग्रेजी के प्रोफेसर, पुंजी लाल मेहर, के साथ उनकी कुछ कहासुनी हुई थी।
पुंजी लाल, जो पहले कॉलेज के प्रिंसिपल थे, को संयुक्ता के पदभार संभालने के पांच महीने पहले हटाया गया था। हालांकि, संयुक्ता का कहना था कि यह रंजिश इतनी बड़ी नहीं थी कि कोई उन्हें जान से मारने की साजिश रचता। पुलिस ने इसे हल्के में नहीं लिया और पुंजी लाल से पूछताछ की, लेकिन उससे कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई, जिससे पुलिस को उसे छोड़ना पड़ा।
पुरानी धमकी से जुड़ा एक और सिरा
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि कुछ महीने पहले शेखर को एक धमकी भरा कॉल आया था। कॉल करने वाले ने शेखर को रीमा से शादी करने से मना किया था और धमकी दी थी कि अगर उसने ऐसा किया, तो यह उसके लिए अच्छा नहीं होगा। शेखर ने यह बात रीमा को भी बताई थी, लेकिन दोनों ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया।
पुलिस ने तुरंत उस नंबर का पता लगाया और कॉल करने वाले को खोज निकाला। पूछताछ में उसने बताया कि वह रीमा से एकतरफा प्यार करता था और शादी रोकने के लिए धमकी दी थी। उसने कहा कि वह न तो बम धमाके की योजना बना सकता है और न ही हत्या कर सकता है।
पुलिस ने उसकी बातों पर भरोसा नहीं किया और उसे सख्ती से पूछताछ के लिए रखा। यहां तक कि उसका पॉलीग्राफ टेस्ट (लाइ डिटेक्टर टेस्ट) भी कराया गया। टेस्ट में पता चला कि वह सच बोल रहा था। इसके बाद पुलिस ने उसे रिहा कर दिया।
संदिग्धों से पूछताछ और नई जानकारी के बावजूद पुलिस के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं लग पाया। हर नई जानकारी केस को हल करने के बजाय और जटिल बना रही थी। अब पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर यह घातक पार्सल भेजने वाला असली गुनहगार कौन है, और वह इसे क्यों अंजाम देना चाहता था?
इस वारदात को हुए तीन सप्ताह बीत चुके थे, लेकिन पुलिस के पास अब तक कोई ठोस सुराग नहीं था। शेखर के दोस्तों, परिवार, पड़ोसियों, और स्काई किंग कोरियर ऑफिस के डिलीवरी बॉय सहित 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई, लेकिन हर बार जांच वहीं की वहीं अटक जाती। जनता और मीडिया में उठ रहे सवालों के चलते उड़ीसा सरकार ने यह केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया।
क्राइम ब्रांच का आक्रामक रुख
क्राइम ब्रांच ने केस की जांच नए सिरे से शुरू की। चूंकि कोरियर ऑफिस के आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था, टीम ने इलाके के लगभग 250 कैमरों की फुटेज खंगाली। लेकिन कई दिनों की मेहनत के बाद भी उन्हें कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
तभी, 4 अप्रैल 2018 को बोलांगीर पुलिस को एक गुमनाम पत्र मिला। पत्र में लिखा था:
“पार्सल एस.के. सिन्हा के नाम से नहीं, बल्कि आर.के. शर्मा के नाम से भेजा गया था। इस प्रोजेक्ट में तीन लोग शामिल थे। विस्फोट का कारण सौम्या शेखर का विश्वासघात है, जिसने जान और करोड़ों रुपये लिए हैं। कृपया निर्दोष लोगों को परेशान न करें।”
पत्र ने खड़े किए सवाल
यह पत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। पुलिस को यकीन हो गया कि इसे भेजने वाला ही असली अपराधी हो सकता है, क्योंकि उसने पुलिस की उस गलती का जिक्र किया था, जो केवल पुलिस और गुनहगार को ही पता हो सकती थी—मीडिया में गलती से एस.के. सिन्हा की जगह आर.के. शर्मा का नाम सामने आना।
क्राइम ब्रांच ने पत्र को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा, लेकिन यह पत्र 250 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए कई हाथों से गुजर चुका था। इस वजह से फॉरेंसिक टीम को कोई उपयोगी फिंगरप्रिंट नहीं मिल सका।
संकेत जिसने शक को पुख्ता किया
क्राइम ब्रांच ने पत्र शेखर के परिवार को दिखाने का फैसला किया, ताकि वे हैंडराइटिंग पहचान सकें। पहले तो परिवार ने इसे पहचानने से इनकार कर दिया। लेकिन तभी शेखर की मां, संयुक्ता साहू, पत्र को बार-बार पढ़ने लगीं। अचानक, एक वाक्य पर उनकी नजर टिक गई: “अंडरटेकिंग द प्रोजेक्ट”।
संयुक्ता साहू को प्रोफेसर पुंजी लाल मेहर पर शक हुआ, जो पहले ही संदिग्धों की सूची में आ चुके थे लेकिन सबूतों के अभाव में रिहा कर दिए गए थे। संयुक्ता ने पुलिस को बताया कि उन्होंने अपने कॉलेज में पुंजी लाल को अक्सर “कंप्लीट द प्रोजेक्ट” जैसे शब्द कहते सुना है। हालांकि पत्र में “अंडरटेकिंग द प्रोजेक्ट” लिखा था, लेकिन यह वाक्य उनके बोलने की शैली से मेल खाता था।
संयुक्ता साहू के इस नए बयान ने पुलिस का ध्यान एक बार फिर पुंजी लाल मेहर की ओर खींचा। अब क्राइम ब्रांच को यह तय करना था कि क्या यह समानता मात्र एक संयोग है, या फिर प्रोफेसर पुंजी लाल मेहर वाकई इस साजिश के पीछे था
पुंजी लाल मेहर: एक खौफनाक साजिश की दास्तान
क्राइम ब्रांच की सख्ती के सामने आखिरकार प्रोफेसर पुंजी लाल मेहर टूट गया। उसने जो खुलासे किए, वे चौंकाने वाले थे और उसके अंदर की नफरत और बदले की भावना को उजागर करते थे।
साजिश की शुरुआत: कुर्सी का विवाद
2009 में, पुंजी लाल मेहर ज्योति विकास कॉलेज के प्रिंसिपल बने। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 2014 में संयुक्ता साहू का ट्रांसफर उसी कॉलेज में हुआ। वह मेहर से सीनियर थीं, और इस वजह से प्रिंसिपल की कुर्सी उन्हीं को मिलनी चाहिए थी। यह बात पुंजी लाल को रास नहीं आई। उनके बीच विवाद बढ़ने लगा।
2017 में, संयुक्ता साहू को कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया गया। अपनी कुर्सी छिनने के कारण पुंजी लाल के मन में बदले की आग भड़क उठी। वह संयुक्ता से इतना नफरत करने लगा कि उसने उनके पूरे परिवार को खत्म करने की साजिश रच डाली।
मेहर ने खुद पार्सल बम बनाने की योजना तैयार की। उसने इंटरनेट पर वीडियो देखकर बम बनाने की तकनीक सीखी। कॉलेज की लैब से रसायन चुराए और बाजार से विस्फोटक सामग्री खरीदी। बम बनाने के बाद, उसने बचा हुआ विस्फोटक जमीन में गाड़ दिया।
संयुक्ता साहू के बेटे सौम्या शेखर की शादी के अवसर ने उसे मौका दिया। उसने एक गिफ्ट के तौर पर बम भेजने की योजना बनाई। 15 फरवरी 2018 को वह अपने घर से रायपुर के लिए निकला। ध्यान भटकाने के लिए उसने अपना फोन घर पर छोड़ दिया।
रायपुर पहुंचकर, वह बिना टिकट लिए ट्रेन से उतरा। पहले कोरियर ऑफिस में पार्सल भेजने की कोशिश की, लेकिन वहां पूछताछ के कारण नाकाम रहा। फिर, स्काई किंग कोरियर ऑफिस पहुंचा। उसने झूठ बोला कि पार्सल में मिठाई है। बिना शक किए, कोरियर वालों ने पार्सल बुक कर लिया।
20 फरवरी 2018 को पार्सल सौम्या के घर पहुंचा, लेकिन रिसेप्शन के कारण उसे लौटा दिया गया। तीन दिन बाद, 23 फरवरी को, जब रीमा किचन में खाना बना रही थीं, पार्सल डिलीवर हुआ। जैसे ही पार्सल खोला गया, बम फट गया, जिससे सौम्या और उनकी दादी की मौत हो गई।
घटना के बाद भी, मेहर ने खुद को सामान्य दिखाने की पूरी कोशिश की। वह अंतिम संस्कार में शामिल हुआ और परिवार के प्रति सहानुभूति जताने का नाटक किया।
पुंजी लाल की गिरफ़्तारी और सबूत
कड़ी पूछताछ में मेहर ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। जांच के दौरान, पुलिस को कोरियर बिल, लैपटॉप में बम बनाने के तरीके, और उस गुमनाम पत्र के रूप में ठोस सबूत मिले। इन सबके आधार पर, 24 अप्रैल 2018 को उड़ीसा क्राइम ब्रांच ने पुंजी लाल मेहर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
इस हादसे में सौम्या की पत्नी रीमा ने अपने पति को खो दिया, लेकिन उसने अपने ससुराल में रहकर परिवार का सहारा बनने का फैसला किया। उसने कहा, “सौम्या मेरा पहला और आखिरी प्यार था। मैं कभी दूसरी शादी नहीं करूंगी।”
सीख और सतर्कता
यह घटना न केवल एक पारिवारिक त्रासदी थी, बल्कि एक सबक भी है। यह हमें सिखाती है कि व्यक्तिगत ईर्ष्या और नफरत कैसे किसी को जानवर बना सकती है। दोस्तों, इस कहानी का उद्देश्य केवल आपको सतर्क और जागरूक करना है। आपकी इस घटना पर क्या राय है? कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।