दिल दहलाने वाली वारदात: एक रात, चार हत्याएं
10 नवंबर 2022 की सुबह करीब 10 बजे, मुकेश अपनी स्कूटी लेकर घर से निकला। सबसे पहले, वह अपने जान-पहचान वाले तीन मेडिकल स्टोर्स पर गया और वहां से नींद की 15 गोलियां खरीदीं। घर लौटने से पहले, उसने इन गोलियों को पीसकर चार पुड़िया बना लीं। वापस आकर, वह शाम तक अपनी पत्नी और बच्चों के साथ हंसी-मजाक करता रहा। किसी को उसके इरादों की भनक तक नहीं थी।
रात 10 बजे, मुकेश ने चार पिज्जा ऑर्डर किए और चालाकी से उनमें पिसी हुई नींद की गोलियां मिला दीं। उस समय पत्नी रेखा और बच्चे टीवी पर फिल्म देख रहे थे। आधी रात तक फिल्म खत्म हुई, और सबने पिज्जा खाया। बच्चों को इसका स्वाद थोड़ा अजीब लगा, इसलिए उन्होंने आधा पिज्जा खाकर बाकी फ्रिज में रख दिया।
पिज्जा खाने के बाद, सभी सोने चले गए। पत्नी रेखा, बेटी भव्या और बेटा अभीष्ट ग्राउंड फ्लोर पर सो गए, जबकि दूसरी बेटी काव्या फर्स्ट फ्लोर पर अपने कमरे में सोने चली गई। कुछ ही समय में नींद की गोलियां असर दिखाने लगीं, और सभी गहरी नींद में डूब गए।
लेकिन मुकेश की आंखों से नींद कोसों दूर थी। रात 2 बजे उसने अपनी प्रेमिका स्वाति को फोन किया और अपनी योजना की पूरी जानकारी दी। स्वाति उससे सुबह तक संपर्क में रही।
सुबह करीब 4 बजे, मुकेश ग्राउंड फ्लोर पर गया। उसने पत्नी रेखा (44 वर्ष), बेटी भव्या (19 वर्ष) और बेटे अभीष्ट (13 वर्ष) को एक-एक कर देखा। पहले उसने पत्नी रेखा की गर्दन में पहले से तैयार रस्सी लपेटी और कस दी। गहरी नींद में डूबी रेखा चीख भी नहीं पाई और दम तोड़ दिया। इसके बाद उसने बेटी भव्या और बेटे अभीष्ट का गला भी उसी रस्सी से दबाकर उनकी जान ले ली।
इसके बाद, मुकेश फर्स्ट फ्लोर पर पहुंचा, जहां छोटी बेटी काव्या (17 वर्ष) सो रही थी। उसने काव्या का भी गला दबाकर उसे मौत की नींद सुला दिया। पत्नी और बच्चों की हत्या करने के बाद, उसने फिर स्वाति को फोन किया और उसे बताया कि उसने अपने परिवार की हत्या कर दी है।
साजिश का अंत: लाशों के बीच, गहनों की लूट और एक भागने का प्लान
सुबह मुकेश इटावा रेलवे स्टेशन पहुंचा और अपनी प्रेमिका स्वाति से संपर्क में रहा। घर पर, वह तीन घंटे तक लाशों के बीच बैठा रहा। इस दौरान, उसने बच्चों के गले से सोने की चेन, पत्नी के गले से मंगलसूत्र और दोनों हाथों की अंगूठियां निकालकर सुरक्षित रख लीं। इसके बाद तिजोरी का लॉकर खोला और उसमें रखी ज्वेलरी भी निकाल ली।
सुबह 8 बजे, मुकेश ने दोनों कमरों का ताला लगाया, कीमती सामान एक थैले में रखा और प्लान के अनुसार रेलवे स्टेशन पहुंचा। स्वाति रेलवे स्टेशन के बाहर पहले से इंतजार कर रही थी। वह चंद मिनट पहले कानपुर से इटावा ट्रेन द्वारा आई थी। मुकेश ने कुछ देर स्वाति से बात की और फिर उसे कीमती सामान वाला थैला थमा दिया। इसके बाद दोनों बस स्टॉप पहुंचे, जहां मुकेश ने स्वाति को कानपुर जाने वाली बस में बैठा दिया। बस में बैठते ही स्वाति ने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिया।
इधर, मुकेश के पुश्तैनी मकान में रहने वाले भाइयों ने सुबह दोनों कमरों का ताला देखा, लेकिन ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उन्हें लगा कि मुकेश परिवार के साथ कहीं घूमने गया होगा और एक-दो दिन में लौट आएगा।
मुकेश ने पुलिस से बचने का पूरा प्लान पहले ही बना लिया था। वह सिविल लाइंस कोतवाली पहुंचा और वहां टंगे बोर्ड से सीओ सिटी अमित कुमार सिंह का फोन नंबर नोट किया। इसके बाद, दोपहर में गल्ला मंडी के एक होटल में भरपेट खाना खाया और वहीं एक सुसाइड नोट तैयार किया।
सुसाइड नोट में मुकेश ने अपने भाई अखिलेश वर्मा और सीलमपुर, दिल्ली में रहने वाले फुफेरे भाई मनोज कुमार वर्मा पर आरोप लगाया कि उन्होंने लाखों रुपये हड़प लिए और मांगने पर उसे ताने मारकर जलील किया। उसने दोनों पर हत्या और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप भी लगाया।
नोट लिखने के बाद, मुकेश गल्ला मंडी में ही एक ज्वेलर्स की दुकान पर गया और अपनी सोने की अंगूठी बेच दी। अंगूठी बेचने से मिले पैसों में से कुछ उसने एक सैलून वाले और सोनू नाम के व्यक्ति को उधारी के रूप में दिए।
हत्याकांड के बाद भी बेखौफ: मुकेश की चालाकी और पुलिस की हलचल
चार हत्याओं को अंजाम देने के बावजूद, मुकेश में कोई पछतावा या डर नहीं था। वह इत्मीनान से इटावा शहर की गलियों में घूमता रहा। शाम 6 बजे के बाद, उसने भोपाल में रहने वाले साढू आशीष वर्मा और भिंड निवासी साले रविंद्र व सत्येंद्र से फोन पर हालचाल पूछा। इसके अलावा, उसने अपने भाइयों से भी बात की, लेकिन किसी को यह आभास तक नहीं होने दिया कि उसने अपने परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी है।
रात करीब 7:10 बजे, मुकेश ने अपने सुसाइड नोट की फोटो खींचकर सीओ सिटी अमित कुमार सिंह को व्हाट्सएप पर भेजी। उसने सूचना दी कि उसकी पत्नी और बच्चों ने सुसाइड कर लिया है और वह भी रेलवे स्टेशन जाकर आत्महत्या करने वाला है। इसके बाद, उसने बेटी काव्या और पत्नी रेखा के मोबाइल से मृतकों की तस्वीरें लगाकर स्टेटस डाला और कैप्शन में लिखा, “यह सब लोग खत्म।” स्टेटस डालने के बाद, उसने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिया।
मुकेश का यह स्टेटस देखकर उसके रिश्तेदार और परिचित सन्न रह गए। पड़ोसी भी हैरान होकर मुकेश के घर पहुंचे, लेकिन वहां ताला बंद पाया। उन्होंने तुरंत मुकेश के बड़े भाइयों, रत्नेश वर्मा और अवधेश वर्मा को सूचना दी। दोनों भाई मौके पर पहुंचे और पड़ोसियों की मदद से घर के कमरों का ताला तोड़ा।
घर के अंदर का मंजर बेहद खौफनाक था। चारों तरफ खून और लाशें देखकर सभी का कलेजा कांप उठा। रत्नेश वर्मा ने तुरंत थाना सिविल लाइंस पुलिस को सूचना दी। खबर मिलते ही एसएचओ विक्रम सिंह चौहान अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
घटना की गंभीरता को देखते हुए, उन्होंने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। थोड़ी ही देर में एसएसपी संजय कुमार वर्मा, एसपी अभय नाथ त्रिपाठी और सीओ सिटी अमित कुमार सिंह भी मौके पर पहुंच गए। पूरे इलाके में हड़कंप मच गया, और पुलिस ने जांच शुरू कर दी।
पुलिस की जांच और मुकेश की गिरफ्तारी
घटनास्थल देखकर पुलिस अफसर सहम गए। दो कमरों में चार लाशें पड़ी थीं, लेकिन खून की एक बूंद भी नहीं थी। फॉरेंसिक टीम जांच में जुट गई थी। घर का मुखिया, मुकेश वर्मा, लापता था। उसने डायल 112 पर पत्नी और बच्चों के सुसाइड की सूचना दी थी, लेकिन अपनी स्थिति का कोई पता नहीं दिया और फोन बंद कर लिया।
घटना की जानकारी मीडिया तक पहुंचने से भीड़ जुट गई, लेकिन पुलिस हत्या या आत्महत्या की पुष्टि नहीं कर सकी। सवालों से बचने के लिए चारों शवों को पोस्टमार्टम के लिए इटावा सदर अस्पताल भेज दिया गया।
मुकेश के फोन को सर्विलांस पर लिया गया, जिससे पता चला कि रात 8:02 पर उसकी लोकेशन इटावा रेलवे स्टेशन के पास थी। वहां से फोन बंद हो गया। पुलिस टीम ने पता लगाया कि मुकेश रेल से कटकर आत्महत्या करने की कोशिश में था, लेकिन नाकाम रहा और जीआरपी पुलिस की हिरासत में था।
पुलिस ने मुकेश को कस्टडी में लेकर थाना सिविल लाइंस पहुंचाया। पूछताछ में उसने पहले से बनाई गई पूरी कहानी पुलिस को बताई।
आत्महत्या या सोची-समझी साजिश? मुकेश का चौंकाने वाला बयान
पुलिस अधिकारियों के सामने मुकेश ने बताया कि वह पिछले कई सालों से मानसिक तनाव झेल रहा था। उसने रिश्तेदारों को लाखों रुपये उधार दिए थे, जो वापस नहीं मिले। पैसे मांगने पर रिश्तेदार उसे ताने मारते और जलील करते थे। इस वजह से उसके व्यापार में दिक्कतें आईं, आमदनी घट गई, और घर खर्च बढ़ने लगा। तनाव से तंग आकर उसने आत्महत्या करने का मन बनाया।
जब उसने अपनी पत्नी रेखा से आत्महत्या की बात की, तो रेखा ने सवाल उठाया कि उसके बाद बच्चों और उनका क्या होगा। तब, रेखा की सहमति से उसने सभी को मारने के बाद आत्महत्या करने की योजना बनाई। करवा चौथ के दिन उसने योजना को अंजाम देना चाहा, लेकिन रेखा ने मना कर दिया, जिससे वह दिन टल गया। इसके बाद, दीपावली के बाद का दिन चुना गया।
मुकेश ने बताया कि 11 नवंबर 2024 को उसकी बड़ी बेटी भव्य दिल्ली पढ़ाई के लिए लौटने वाली थी। इसलिए उसने 10 नवंबर को अपने परिवार को मारने का फैसला किया। प्लान के मुताबिक, वह मेडिकल स्टोर से नींद की 15 गोलियां लाया। पांच गोलियां पीसकर रेखा के पिज्जा में मिलाई और बाकी बच्चों को खिला दी। जब गला घोंटने का वक्त आया, तो बच्चों ने बेहोशी की हालत में कहा, “पापा, यह क्या कर रहे हो?” मुकेश ने जवाब दिया, “मेरे मरने के बाद तुम लोग नहीं रह पाओगे, इसलिए यह बेहतर है।” इसके बाद, उसने पत्नी और तीनों बच्चों का गला घोंटकर मार डाला।
घटना को अंजाम देने के बाद, मुकेश दिनभर शहर की गलियों में भटकता रहा। रात 8:30 बजे वह इटावा रेलवे स्टेशन पहुंचा और आत्महत्या करने के लिए पूर्वी छोर पर पटरियों के बीच लेट गया। मरुधर एक्सप्रेस उसके ऊपर से गुजर गई, लेकिन वह बच गया। जीआरपी ने उसे हिरासत में ले लिया और जामा तलाशी के दौरान उससे दो मोबाइल फोन बरामद किए, जिन्हें पुलिस ने सुरक्षित कर लिया।
मुकेश की निशानदेही पर पुलिस ने उसके घर से वह रस्सी बरामद की जिससे उसने अपने परिवार का गला घोंटा था। पूछताछ के दौरान पुलिस ने उसकी बातों को सच मानते हुए बयान दर्ज किया। हालांकि, एक सवाल पुलिस के मन में अटका रहा—अगर मुकेश को आत्महत्या करनी ही थी, तो उसने यह अपने घर पर क्यों नहीं की? घटना के 16 घंटे बाद वह रेलवे स्टेशन क्यों गया, और फिर कैसे बिना खरोंच बच गया?
12 नवंबर 2024 को इस हत्या-आत्महत्या प्रकरण की खबर प्रमुख अखबारों में छपी। शहर और मुकेश के रिश्तेदार सन्न रह गए। मुकेश के घर पर लोगों की भीड़ जुट गई। सहमति से आत्महत्या की बात न तो शहरवासियों को समझ आ रही थी और न ही उसके रिश्तेदारों को। इस साजिश के पीछे छिपे असली कारणों पर अब भी सवाल खड़े हो रहे थे।
पुलिस की जांच और मुकेश पर हत्या का आरोप
पुलिस ने मामले की तह तक जाने के लिए मुकेश के बड़े भाई एडवोकेट रत्नेश वर्मा, अवधेश वर्मा और मां चंद्रकला से पूछताछ की। उन्होंने बताया कि जब रिश्तेदारों और पड़ोसियों के फोन आए, तो वे मुकेश के घर पहुंचे और वहां लाशें पड़ी देखी। रत्नेश ने बताया कि मुकेश के घर में तनाव जैसी कोई बात नहीं थी। उसने कभी भी अपने तनाव या आर्थिक समस्या का जिक्र नहीं किया था। मुकेश सोने-चांदी के व्यापार से अच्छा पैसा कमा रहा था। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर मुकेश ने यह कदम क्यों उठाया।
इस बीच, मृतका रेखा का भाई, भिंड निवासी सत्येंद्र सोनी भी अपनी बहन के घर पहुंचा। सत्येंद्र ने पुलिस को बताया कि उसने भांजी काव्या का व्हाट्सऐप स्टेटस देखा था, जिसमें लिखा था, “यह सब खत्म,” और उसके साथ बहन और बच्चों की फोटो लगी थी। इसके बाद सत्येंद्र ने कई बार फोन किया, लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका। जब वह घर पहुंचा, तो उसे बहन और बच्चों की हत्या का पता चला।
सत्येंद्र ने पुलिस को बताया कि मुकेश शराब पीता था और औरतें उसकी कमजोरी थीं। उसने आरोप लगाया कि मुकेश ने सोची-समझी साजिश के तहत रेखा और बच्चों की हत्या की है। सत्येंद्र ने सहमति से हत्या-आत्महत्या की बात को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि दीपावली से दो दिन पहले रेखा और बच्चे भिंड आए थे। तब रेखा ने न तो तनाव का जिक्र किया था और न ही किसी आर्थिक परेशानी की बात कही थी। वह बच्चों के लिए पटाखे खरीदकर खुश नजर आ रही थी।
पूछताछ के बाद, एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने दोपहर 2 बजे पुलिस सभागार में प्रेस वार्ता की और मुकेश वर्मा को मीडिया के सामने पेश किया। पत्रकारों के सवालों के दौरान मुकेश पर न तो कोई पछतावा दिखा और न ही उसके चेहरे पर शिकन थी।
सत्येंद्र ने अपनी बहन और बच्चों की हत्या का आरोप दोहराया। इसी आधार पर, सिविल लाइंस थाने के एसएचओ विक्रम सिंह ने सत्येंद्र सोनी की तहरीर पर मुकेश वर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 201 के तहत रिपोर्ट दर्ज की और उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार कर लिया।
शाम 4 बजे, मुकेश को इटावा कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। हालांकि, पुलिस ने मुकेश को जेल भेज दिया था, लेकिन सामूहिक हत्या-आत्महत्या का मामला अब भी सवालों के घेरे में है और पूरी तरह सुलझा नहीं है।
मुकेश की आत्महत्या का नाटक और चौंकाने वाले खुलासे
जांच के दौरान पुलिस टीम को मुकेश के एक और झूठ का पता चला। मुकेश ने दावा किया था कि उसने मरुधर एक्सप्रेस के नीचे आकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन यह बात झूठी निकली। असल में, वह प्लेटफॉर्म नंबर चार पर खड़ी मरुधर एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन के आगे लेट गया था। गाड़ी के चलने से पहले ही ड्राइवर ने उसे देख लिया और उसे जीआरपी पुलिस को सौंप दिया।
इस खुलासे के बाद, पुलिस ने जांच को और गहराई से खंगालना शुरू किया। मृतका रेखा की बहन राखी और उसके पति आशीष वर्मा, जो भोपाल से इटावा पहुंचे थे, ने पुलिस को चौंकाने वाली जानकारी दी। राखी ने बताया कि उसके बहनोई मुकेश वर्मा का कानपुर बर्रा निवासी तलाकशुदा महिला स्वाति सोनी के साथ नाजायज रिश्ता था। यह महिला मुकेश की पहली पत्नी नीतू की रिश्तेदार थी और रिश्ते में मुकेश की साली लगती थी।
राखी ने खुलासा किया कि रेखा को मुकेश और स्वाति के इस संबंध की जानकारी हो गई थी। वह इसका कड़ा विरोध करती थी, जिससे घर में अक्सर झगड़े होते थे। रेखा ने कई बार फोन पर राखी को इस बारे में बताया था। करवा चौथ के दिन रेखा ने मुकेश के मोबाइल में स्वाति की तस्वीर देखी थी, जिसके बाद दोनों के बीच बड़ा झगड़ा हुआ था। राखी का आरोप था कि मुकेश ने इन अवैध संबंधों के कारण प्री-प्लान के तहत रेखा और बच्चों की हत्या की। उन्होंने यह भी कहा कि इस हत्या के प्लान में स्वाति भी शामिल थी और उसने मुकेश को अपने प्रेम जाल में फंसा रखा था।
यह खुलासा होते ही पुलिस अधिकारियों ने जांच तेज कर दी। मुकेश से बरामद दो मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स खंगाली गईं। जांच में पता चला कि घटना वाली रात 2 बजे से 5 बजे के बीच मुकेश ने कई बार एक फोन नंबर पर बात की थी। यह नंबर पहले भी मुकेश से जुड़ा हुआ था। जब पुलिस ने उस नंबर की जानकारी जुटाई, तो पता चला कि यह नंबर स्वाति सोनी, निवासी विश्व बैंक कॉलोनी, बर्रा, कानपुर के नाम पर दर्ज था।
पुलिस ने स्वाति की गिरफ्तारी के लिए टीम भेजी, लेकिन उसके घर पर ताला लगा मिला। पुलिस टीम खाली हाथ लौट आई और उसकी तलाश में खबरियों को लगा दिया गया।
इस बीच, सीओ सिटी अमित कुमार सिंह ने मुकेश के हाथ से लिखे सुसाइड नोट की भी जांच की। यह नोट मुकेश ने उन्हें व्हाट्सऐप पर भेजा था। जांच में यह बात सही पाई गई कि मुकेश के फुफेरे भाई मनोज वर्मा ने उसका लाखों रुपया हड़प लिया था। मनोज उसे ताने मारता था और झूठे मामले में फंसाने की धमकी देता था। इसके अलावा, मुकेश के भाई अखिलेश ने भी उसके पैसे हड़प रखे थे।
पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद मनोज वर्मा और अखिलेश की गिरफ्तारी का जाल बिछा दिया। वहीं, स्वाति सोनी की तलाश अभी भी जारी थी, ताकि सामूहिक हत्या और अवैध संबंधों से जुड़े इस रहस्य से पूरी तरह पर्दा उठाया जा सके।
सामूहिक हत्याकांड में अखिलेश, मनोज, और स्वाति की गिरफ्तारी
15 नवंबर 2024 को सीओ अमित कुमार सिंह की टीम ने इटावा बस स्टैंड से अखिलेश और मनोज वर्मा को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान दोनों ने आरोप लगाया कि उन्हें गलत फंसाया जा रहा है। हालांकि, पुलिस ने उनकी कोई बात नहीं सुनी और उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में जेल भेज दिया।
इसके बाद, 20 नवंबर 2024 को दोपहर करीब 12 बजे, एसएचओ विक्रम सिंह चौहान को मुखबिर से सूचना मिली कि मुकेश वर्मा की प्रेमिका स्वाति सोनी अंबेडकर चौराहे के पास निर्माणाधीन रामनगर ओवरब्रिज के नीचे मौजूद है। स्वाति वहां किसी वकील का इंतजार कर रही थी, क्योंकि वह कोर्ट में सरेंडर करना चाहती थी। इस जानकारी को गंभीरता से लेते हुए, पुलिस टीम ने तुरंत कार्रवाई की।
रामनगर ओवरब्रिज के नीचे पहुंचकर पुलिस ने इलाके की घेराबंदी की और स्वाति को गिरफ्तार कर लिया। उसे तुरंत सिविल लाइंस थाने ले जाया गया। स्वाति की गिरफ्तारी की खबर सुनकर पुलिस अधिकारी भी थाने पहुंचे।
थाने में पूछताछ के दौरान स्वाति ने स्वीकार किया कि उसके मुकेश वर्मा के साथ अवैध संबंध थे। उसके बयान के आधार पर, इंस्पेक्टर विक्रम सिंह चौहान ने भारतीय दंड संहिता की धारा 1031 और 612 के तहत स्वाति सोनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे गिरफ्तार कर लिया।
सामूहिक हत्याकांड की चौंकाने वाली कहानी
पुलिस जांच में मुकेश और स्वाति के बयानों के साथ अन्य सबूतों को जोड़ा गया। इन बयानों और जांच के सूत्रों ने इस सामूहिक हत्याकांड की चौंकाने वाली कहानी को उजागर किया। स्वाति और मुकेश के अवैध संबंधों ने ही इस पूरे मामले को जन्म दिया। रेखा और उसके बच्चों की हत्या एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा थी, जिसे मुकेश और स्वाति ने अंजाम दिया।
इस खुलासे के साथ पुलिस ने इस जघन्य अपराध की पूरी तस्वीर को जनता और मीडिया के सामने लाने की तैयारी शुरू कर दी।
इटावा का प्रतिष्ठित परिवार और मुकेश वर्मा की जिंदगी का मोड़
उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के सिविल लाइंस थाने के अंतर्गत स्थित लालपुरा मोहल्ले में खुशीराम वर्मा अपने परिवार के साथ रहते थे। खुशीराम वर्मा सर्राफा व्यापार में एक बड़ा नाम थे और उन्होंने अपने हुनर से न केवल अपने छह बेटों—रत्नेश, राकेश, अवधेश, मुकेश, अखिलेश और रघुवेश—को प्रशिक्षित किया, बल्कि रिश्तेदारों को भी व्यापार का ज्ञान दिया। बड़े बेटे रत्नेश वर्मा, जो नोटरी वकील थे, नव विकसित कॉलोनी में रहते थे, जबकि राकेश वर्मा गाड़ी आपुरा मोहल्ले में सपरिवार रहते हुए अपनी चारा मार्केट और कपड़ों की दुकान संभालते थे। अन्य चार बेटे अवधेश, मुकेश, अखिलेश और रघुवेश अपने पुश्तैनी तीन मंजिला घर में परिवारों के साथ रहते थे। खुशीराम वर्मा का चौथा बेटा मुकेश, सर्राफा व्यवसाय में बेहद निपुण था। उसकी पहली शादी नीतू से हुई, जिनसे एक बेटी भव्या पैदा हुई। लेकिन जब भव्या केवल दो साल की थी, नीतू का कैंसर से निधन हो गया। पत्नी की मृत्यु के बाद, मुकेश ने 2006 में रेखा से दूसरी शादी की, जो भिंड शहर की रहने वाली थी। रेखा ने न केवल भव्या को मां का प्यार दिया, बल्कि अपनी दो संतानें—बेटी काव्या और बेटा अभीष्ट—को भी संभाला। तीनों बच्चे ज्ञान स्थली स्कूल में पढ़ते थे। मुकेश का व्यापार दिल्ली से सोना-चांदी लाकर इटावा, औरैया, मैनपुरी और कानपुर जैसे शहरों में सप्लाई करने तक फैला था, जिससे उसे अच्छी कमाई होती थी।
वर्ष 2019 में, मुकेश अपनी पत्नी रेखा के साथ मथुरा-वृंदावन घूमने गया, जहां एक होटल में उसकी मुलाकात स्वाति सोनी से हुई। स्वाति अपने पति अर्पण के साथ उसी होटल में ठहरी थी। बातचीत के दौरान पता चला कि स्वाति, मुकेश की पहली पत्नी नीतू की मौसी की बेटी थी, और दोनों के बीच जीजा-साली का रिश्ता था। स्वाति, जो बर्रा कानपुर की रहने वाली थी, अपने पति अर्पण के साथ खुश नहीं थी। अर्पण शराब का लती था और आर्थिक स्थिति भी खराब थी, जिससे उनके बीच अक्सर झगड़े होते थे। मथुरा में हुई पहली मुलाकात के बाद मुकेश और स्वाति के बीच फोन पर बातचीत शुरू हुई, और यह रिश्ता जल्द ही अवैध संबंधों में बदल गया। मुकेश ने स्वाति के पति अर्पण से दोस्ती कर ली, लेकिन एक दिन अर्पण ने दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया। इसके बाद अर्पण ने स्वाति को पीटा, जिससे नाराज होकर स्वाति मायके, बर्रा कानपुर, आ गई और बाद में अर्पण से तलाक ले लिया।
तलाक के बाद, मुकेश स्वाति के जीवन में एक महत्वपूर्ण सहारा बन गया। उसने स्वाति को ब्यूटी पार्लर खोलने के लिए आर्थिक मदद की, जो असफल रहा। इसके बाद मुकेश ने बर्रा की विश्व बैंक कॉलोनी में स्वाति के लिए एक मकान खरीदा और खाड़ेपुर में एक सर्राफा की दुकान भी खुलवाई। इस दुकान पर मुकेश खुद भी बैठता था, और स्वाति लोगों को मुकेश को अपना पति बताती थी। मुकेश अब कई दिनों तक बर्रा में रुकने लगा और स्वाति के साथ समय बिताने लगा। स्वाति, जो बेहद चालाक थी, मुकेश के धन-दौलत पर कब्जा जमाने की कोशिश में लगी रही। उसने मुकेश को शादी के लिए प्रस्ताव दिया, जिसे मुकेश ने स्वीकार कर लिया। इस मोह में फंसा मुकेश यह तक भूल गया कि वह पहले से शादीशुदा और चार बच्चों का पिता है। स्वाति के साथ शादी का सपना देखते हुए, उसने रेखा और अपने परिवार की जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया।
मुकेश वर्मा और स्वाति सोनी का खतरनाक प्लान और हत्या का काण्ड
मुकेश वर्मा के स्वाति से विवाह के बाद, दोनों ने गोवा में कुछ समय बिताया और वहां की मौज-मस्ती के बाद लौटे। एक दिन रेखा ने पति मुकेश के मोबाइल फोन में स्वाति की फोटो देखी, जिससे उसे शक हुआ। गुप्त रूप से जानकारी जुटाने पर उसे पता चला कि मुकेश और स्वाति के बीच नाजायज संबंध थे। इस बात से दुखी होकर, रेखा ने इसका विरोध किया, लेकिन मुकेश ने उसकी बातों को नजरअंदाज किया और दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए। विरोध के बावजूद, मुकेश स्वाति के साथ अपने रिश्ते को बढ़ाने में लगा रहा। वर्ष 2021 में मुकेश के छोटे भाई रघुवेश की बीमारी के कारण मौत हो गई, और बाद में मुकेश ने गल्ला मंडी वाली दुकान को 16 लाख रुपये में बेच दी। दुकान बेचने के बाद, रेखा ने इसका विरोध किया, लेकिन मुकेश नहीं माना। स्वाति ने इस रकम में से ₹6 लाख ले लिए, और ₹10 लाख मुकेश ने अपने फुफेरे भाई मनोज कुमार वर्मा को दे दिए, जो दिल्ली में चांदी रिफाइनरी का काम कर रहा था और आधा लाभ देने का वादा किया था, लेकिन वह बाद में मुकर गया। इस समय तक मुकेश के बच्चे भी बड़े हो गए थे। उसकी बेटी भव्या 18 साल की हो चुकी थी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज में बीकॉम के पहले वर्ष में पढ़ाई कर रही थी, जबकि काव्या 17 वर्ष की थी और 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी। अभीष्ट, 13 वर्ष का था और 9वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा था। रेखा की छोटी बहन राखी भोपाल में आशीष वर्मा को ब्याही थी। जब रेखा परेशान होती, तो वह राखी से फोन पर बात करती थी और अपनी समस्याओं के बारे में बताती थी। उसने राखी से यह भी कहा था कि उसके पति मुकेश के कानपुर की एक तलाकशुदा महिला, स्वाति सोनी से नाजायज संबंध थे, और इसके कारण घर में कलह हो रही थी। दुकान बेचने की जानकारी भी राखी को दी थी।
मुकेश की उलझनें और परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। वह न तो व्यापार में मन लगा पा रहा था, न ही उसे रात की नींद मिल रही थी। एक दिन वह पूरी तरह से उलझन में था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना चाहिए। 7 नवंबर को मुकेश ने स्वाति से मिलने का निर्णय लिया और दोनों ने मिलकर पूरी योजना बनाई। मुकेश ने तय किया कि वह अपनी पत्नी रेखा और बच्चों की हत्या कर देगा और फिर आत्महत्या करने का नाटक करेगा। इस योजना के तहत, मुकेश ने 10 नवंबर 2024 की रात को अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या कर दी। उसने खुद को भी मरा हुआ दिखाने का प्रयास किया और आत्महत्या का नाटक रचने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने इस मामले की गहन जांच की और 21 नवंबर 2024 को स्वाति सोनी को इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया। मुकेश को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था।
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- राम पूनिया परिवार हत्याकांड: जब एक ही घर में खत्म हो गया पूरा परिवार – Hindi Crime Storyहरियाणा के हिसार जिले में 23 अगस्त 2001 की सुबह एक ऐसा खौफनाक मंजर सामने आया, जिसने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। एक बड़े घर का नौकर रोज की तरह बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए आया था। उसने बाहर से आवाज लगाई, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। उसे लगा कि… Read more: राम पूनिया परिवार हत्याकांड: जब एक ही घर में खत्म हो गया पूरा परिवार – Hindi Crime Story