मक्के के खेत में मिला फकीर का शव – शाहजहांपुर का रहस्य
16 जून 2024 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के कलान थाने में कंट्रोल रूम को एक सनसनीखेज सूचना मिली। पृथ्वीपुर और ढाई गांव के बीच के रास्ते पर, शेरपुर कुआं गांव के पास, सड़क किनारे मक्के के खेत में एक नग्न शव पड़ा था। शव की हालत देखकर लग रहा था कि यह दो-तीन दिन पुराना है और सिर पर गंभीर चोट के निशान थे। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और पाया कि शव खेत में छिपाकर रखा गया था, क्योंकि सिर की गहरी चोटों के बावजूद वहां खून के कोई निशान नहीं थे।
गांव में हड़कंप मच गया, और बड़ी संख्या में लोग शव की पहचान के लिए जुट गए। करीब दो घंटे की कोशिशों के बाद पता चला कि यह शव पृथ्वीपुर और ढाई गांव के बीच स्थित जिंद बाबा की मजार पर काम करने वाले फकीर शेर खान का था। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
18 जून को आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ कि शेर खान की हत्या दो-तीन दिन पहले हुई थी। उनके चेहरे और सिर पर गंभीर चोटों के निशान थे, जिससे साफ था कि किसी भारी वस्तु से उन पर हमला किया गया था। अधिक खून बहने की वजह से उनकी मौत हो गई थी।
शेर खान मूल रूप से हरदोई जिले के काय स्थन गांव के रहने वाले थे। उनके परिवार को सूचना दी गई, और उनका बेटा शहंशाह खान थाने पहुंचा। पुलिस ने उससे पूछताछ की कि क्या उनके पिता की किसी से दुश्मनी थी या किसी ने उन्हें धमकी दी थी। शहंशाह ने बताया कि उसके पिता पिछले पांच-छह साल से उसी मजार पर रह रहे थे और घर से दूर थे। उनका किसी से कोई झगड़ा या दुश्मनी नहीं थी। वे लोगों का इलाज करते थे और झाड़-फूंक में माहिर थे। अगर किसी से कोई विवाद था भी, तो परिवार को उसकी कोई जानकारी नहीं थी।
अब पुलिस इस रहस्यमयी हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुट गई है, लेकिन सवाल अब भी बना हुआ है—आखिर फकीर शेर खान की हत्या क्यों और किसने की?
फकीर की हत्या की गुत्थी – पुलिस की जांच और पहला संदिग्ध
शाहजहांपुर के पृथ्वीपुर और ढाई गांव में रहने वाले लोग अक्सर जिंद बाबा की मजार पर जाते थे, जहां फकीर शेर खान झाड़-फूंक करता था। पुलिस ने दोनों गांवों के कई लोगों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने भी कोई दुश्मनी या रंजिश की बात नहीं बताई। हर कोई यही कहता कि वे वहां किसी बीमारी, भूत-प्रेत की समस्या या किसी अदृश्य साये से छुटकारा पाने के लिए जाते थे, और शेर खान उनकी मदद करता था। इस वजह से पुलिस को जांच में कोई खास सुराग नहीं मिला।
फिर पुलिस ने डॉग स्क्वाड टीम को बुलाया। जब डॉग्स को घटनास्थल पर छोड़ा गया, तो वे सड़क पार करने की कोशिश करते ही फेल हो गए। ऐसा अक्सर होता है क्योंकि सड़कों पर चलते वाहनों से निकलने वाले डीजल और पेट्रोल की गंध हवा में मिल जाती है, जिससे डॉग्स असली गंध को पहचान नहीं पाते। हर बार जब डॉग स्क्वाड आगे बढ़ने की कोशिश करता, वे सड़क पर आकर रुक जाते। इससे पुलिस को कोई नई जानकारी नहीं मिल पाई कि शव कहां से लाया गया या हत्या कहां हुई।
अब पुलिस के पास आखिरी विकल्प बचा—डंप कॉल रिकॉर्ड की जांच। पुलिस ने एक निश्चित स्थान और समय के आसपास एक्टिव मोबाइल नंबरों की सूची निकाली। गांव का इलाका होने की वजह से रात के समय केवल 100-150 कॉल्स ही ट्रेस हुईं, जो पुलिस के लिए राहत की बात थी। अगर यह घटना किसी शहर में हुई होती, तो लाखों कॉल्स मिलतीं, जिससे छानबीन और मुश्किल हो जाती।
पुलिस ने इन कॉल्स को जांचना शुरू किया और पांच नंबरों को शॉर्टलिस्ट किया। इन नंबरों को चुनने का कारण यह था कि ये घटनास्थल के पास एक ही समय में कई बार एक्टिव पाए गए थे। अब पुलिस ने इन नंबरों पर कॉल करनी शुरू की, और पहला शक तसव्वुर खान नाम के व्यक्ति पर गया। जब पुलिस ने उसका कॉल रिकॉर्ड खंगाला, तो पता चला कि उसका नंबर घटना स्थल पर करीब आधे घंटे तक एक्टिव था।
हालांकि पुलिस को हत्या का सटीक समय नहीं पता था, लेकिन वे अंदाजे के आधार पर काम कर रहे थे। सबसे पहले पुलिस ने तसव्वुर खान के नंबर पर कॉल किया, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। पुलिस ने कई बार ट्राई किया, लेकिन हर बार सिर्फ घंटी बजती रही, जवाब नहीं मिला। इससे पुलिस का शक और गहरा हो गया।
अब पुलिस ने उस नंबर को ट्रैक किया और जल्दी ही लोकेशन निकाल ली। टीम तुरंत उस स्थान पर पहुंची और दरवाजा खटखटाया। कुछ ही पलों में एक महिला बाहर आई। पुलिस ने तसव्वुर खान के बारे में पूछा, तो महिला ने बताया कि उसका पति खेतों पर गया हुआ है। जब पुलिस ने उस नंबर के बारे में पूछा जिससे वे वहां तक पहुंचे थे, तो महिला ने साफ इनकार कर दिया कि वह नंबर उसका या उसके पति का नहीं है।
अब पुलिस के सामने नया सवाल खड़ा हो गया—क्या महिला सच बोल रही थी, या तसव्वुर खान इस हत्या में किसी तरह से शामिल था? पुलिस ने जांच और तेज कर दी…
पुलिस की पूछताछ और तसव्वुर खान का राज़
जल्दी ही तसव्वुर खान पुलिस के सामने आ जाता है। पुलिस उससे वही सवाल दोहराती है, लेकिन वह साफ इंकार कर देता है कि वह उस नंबर को नहीं जानता। हालांकि, पुलिस के पास पुख्ता सबूत थे। उन्होंने तुरंत उसे बताया कि जिस नंबर की वे जांच कर रहे थे, वह सिम कार्ड उसी के नाम पर जारी किया गया था और उसकी आखिरी लोकेशन भी उसके घर की ही थी। यह सुनते ही तसव्वुर खान के चेहरे का रंग बदल गया।
अब पुलिस ने उसे थाने चलने के लिए कहा, और इस बार वह कोई बहाना नहीं बना सका। वह मान गया कि नंबर उसका ही था। पुलिस उसे थाने ले गई और सख्ती से पूछताछ शुरू कर दी।
सबसे पहले पुलिस ने उससे पूछा कि वह उस रात खेतों में क्या कर रहा था। उसने जवाब दिया कि वह एक किसान है और कभी-कभी उसे कपास के खेतों की देखभाल करनी पड़ती है। उस दिन खेतों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसकी थी, क्योंकि खेतों को जानवरों से बचाना जरूरी था।
लेकिन पुलिस ने तुरंत एक और सवाल दाग दिया—अगर वह खेतों की रखवाली कर रहा था, तो उसी खेत में एक शव कैसे मिला? यही नहीं, उसकी आखिरी लोकेशन भी उसी जगह की थी। यह सुनते ही तसव्वुर खान घबरा गया।
अभी तक वह यही सोच रहा था कि पुलिस किसी छोटे-मोटे मामले में पूछताछ कर रही है। लेकिन जैसे ही उसे कत्ल और लाश का ज़िक्र सुनने को मिला, वह डर गया और हकीकत बयां कर दी। उसने बताया कि उसका इस हत्या से कोई लेना-देना नहीं है। असल में, उस रात वह खेतों में अकेला नहीं था—वह एक महिला के साथ था, जो जिस्मफरोशी का काम करती थी। उसने उसे गांव के बाहरी इलाके से बुलाया था, और वे अक्सर महीने में एक-दो बार उन्हीं खेतों में मिलते थे।
तसव्वुर खान ने यह भी कबूल किया कि उसकी पत्नी को उसकी इस हरकत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। न ही उसे इस सीक्रेट फोन नंबर के बारे में कुछ पता था। यह नंबर उसने सिर्फ अपने कुछ दोस्तों और महिला मित्रों के लिए रखा था, इसलिए वह इस नंबर पर कभी कॉल नहीं उठाता था।
पुलिस ने उसकी बात ध्यान से सुनी और अपने अनुभव के आधार पर उन्हें लगा कि वह सच बोल रहा है। हालांकि, पूरी तरह संतुष्ट होने से पहले पुलिस ने उसे चेतावनी दी कि वह दोबारा ऐसी हरकत न करे। साथ ही, उसे हिदायत दी गई कि जब भी जरूरत पड़े, वह पुलिस स्टेशन में हाजिर होना होगा।
अब पुलिस के सामने नया सवाल था—अगर तसव्वुर खान बेगुनाह था, तो असली कातिल कौन था?
सनोज की घबराहट और पुलिस की पैनी नजर
अब पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाया और बाकी नंबरों पर फोकस करना शुरू किया। इस प्रक्रिया में एक और संदिग्ध सामने आया—सनोज। पुलिस का ध्यान अब पूरी तरह से सनोज पर केंद्रित हो गया, क्योंकि उसकी लोकेशन भी घटना स्थल के पास पाई गई थी, और वह लगभग 15 से 20 मिनट तक वहीं मौजूद था।
जैसे ही पुलिस ने सनोज को फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए थाने बुलाया, वह बिना किसी झिझक के वहां पहुंच गया। उसे लगा कि पुलिस के हाथ कोई ठोस सबूत लग गया होगा, इसलिए उसे बुलाया गया है। चूंकि वह उसी गांव का रहने वाला था, उसे अच्छी तरह पता था कि गांव में एक हत्या हुई है और पुलिस लगातार लोगों से पूछताछ कर रही है। इसी कारण वह पूरी आत्मविश्वास के साथ थाने पहुंचा, यह सोचकर कि यह महज एक रूटीन जांच होगी।
लेकिन पुलिस ने उससे सीधा और सटीक सवाल करने शुरू कर दिए—उस रात वह कहां था? किसके साथ था? किस रास्ते से आया और किस रास्ते से गया? क्या घटना स्थल उसके रास्ते में पड़ता था?
एक के बाद एक सवालों की बौछार से सनोज घबरा गया। वह अटकने लगा और जवाब देने में हिचकिचाने लगा। पुलिस तुरंत समझ गई कि वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है। उनका अनुभव कहता था कि यह आदमी पूरी तरह बेगुनाह नहीं हो सकता।
अब पुलिस ने अपने तरीके से उससे कड़ाई से पूछताछ शुरू की। थोड़ी ही देर में सनोज की घबराहट बढ़ने लगी, और उसने खुद ही सच उगलना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे सारा मामला साफ होने लगा, और पुलिस को अब अपने असली कातिल के करीब पहुंचने की उम्मीद दिखने लगी।
बाबा का काला सच और सनोज का प्रतिशोध
सनोज ने पुलिस के सामने जो खुलासा किया, उसने सबको हैरान कर दिया। उसने बताया कि उसकी कुछ परिचित महिलाएँ, जो उसकी रिश्तेदारी में आती थीं, अक्सर इस बाबा के पास झाड़-फूंक के लिए जाती थीं। शुरू में बाबा उनके साथ शराफत से पेश आता था, लेकिन धीरे-धीरे उसका असली रंग सामने आने लगा। वह जिन भगाने और तंत्र-मंत्र करने के बहाने उन्हें छूने लगा और फिर धीरे-धीरे उनकी सीमाएँ लांघने लगा। जब उसने देखा कि महिलाएँ विरोध नहीं कर रही थीं, तो उसने हर हफ्ते उन्हें बुलाना शुरू कर दिया।
एक दिन उसने एक महिला को खेतों में बुलाया और तंत्र-मंत्र का ढोंग करने के बाद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। कुछ ही दिनों बाद, उसने दूसरी महिला को भी बुलाया और वही हरकत दोहराई। यह सिलसिला बढ़ता गया, और बाबा अपनी मर्जी से किसी भी महिला को बुलाकर खेतों में ले जाने लगा। धीरे-धीरे उसने शारीरिक शोषण के साथ-साथ आर्थिक शोषण भी शुरू कर दिया। वह हर कुछ दिनों में फोन करके किसी न किसी बहाने से इन महिलाओं को बुला लेता और उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाता।
जब सनोज को इस बारे में पता चला, तो उसे यकीन नहीं हुआ कि बाबा इस तरह की गंदी हरकत कर सकता है। लेकिन जब महिलाओं ने उसे यह सब बताया, तो उसने उनसे कहा कि अगली बार जब भी वे बाबा के पास जाएँगी, तो उसे भी अपने साथ ले जाएँ।
दो दिन बाद, शेर खान ने फिर से उनमें से एक महिला को फोन किया और कहा कि जिन बहुत नाराज है और अगर वह तुरंत कुछ सामान लेकर नहीं आई, तो उसे भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। महिला ने यह बात सनोज को बताई, और वह भी उनके साथ चल पड़ा। हालांकि, वह थोड़ा पीछे रहा ताकि बाबा को उसके आने की भनक न लगे। बाबा हमेशा की तरह महिलाओं को अकेले आता देख तंत्र-मंत्र करने का नाटक करने लगा—दीप जलाना, नींबू काटना, और कई अन्य क्रियाएँ करता रहा। फिर आधे घंटे बाद, उसने एक महिला को वहीं बैठने के लिए कहा और दूसरी महिला का हाथ पकड़कर खेतों की ओर बढ़ गया।
लेकिन इस बार बाबा को नहीं पता था कि कोई उसका पीछा कर रहा है। सनोज चुपचाप खेतों में पहले ही जाकर छुप गया था। जैसे ही बाबा ने अपनी गंदी हरकतें शुरू कीं और अपने कपड़े उतारने लगा, सनोज ने पीछे से लाठी उठाकर उसके सिर पर जोरदार वार कर दिया। बाबा तुरंत बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। महिला घबराकर वहाँ से मजार की ओर भागी, जबकि सनोज ने बाबा पर लगातार वार करने शुरू कर दिए। कुछ ही पलों में बाबा लहूलुहान हो गया और तड़प-तड़प कर वहीं दम तोड़ दिया।
अब बाबा की लाश खेत में पड़ी थी, चारों तरफ खून फैला हुआ था। थोड़ी देर बाद, दोनों महिलाएँ भी वहाँ आ गईं, और तीनों ने मिलकर लाश को दूसरे खेत में छुपाने का फैसला किया ताकि पुलिस को इसे ढूंढने में देर हो और वे आसानी से बच सकें। फिर वे लाश को घसीटते हुए एक दूसरे खेत में ले गए और वहाँ फेंककर चुपचाप अपने-अपने घर लौट गए।
लेकिन अपराध छुपाने की कोशिश कितनी भी की जाए, सच सामने आ ही जाता है—और यही सनोज और उन महिलाओं के साथ भी हुआ।
अंधविश्वास का शिकार और न्याय की कार्रवाई
पुलिस ने सनोज और महिलाओं के बयान दर्ज करने के बाद तुरंत उन महिलाओं को थाने बुलाया। जब वे आईं, तो रोते-रोते अपना गुनाह कबूल कर लिया। उन्होंने स्वीकार किया कि किस तरह वे अपने गलत विश्वास और अंधविश्वास के कारण मजबूर हो गई थीं। उनके घर के बर्तन और जेवर तक बिक चुके थे, और वे अपना शरीर तक उस बाबा को सौंप चुकी थीं।
जांच के दौरान, पुलिस ने धीरे-धीरे सारे सबूत इकट्ठा किए। हत्या में इस्तेमाल की गई लाठी भी बरामद कर ली गई। बयान दर्ज करने के बाद, सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
यह पूरी घटना दिखाती है कि कैसे एक छोटी-सी चीज़—अंधविश्वास—लोगों की ज़िंदगी तबाह कर सकती है। आज भी कई कथित ‘बाबा’ इस अंधविश्वास का फायदा उठाकर मजबूर और बेबस महिलाओं को अपना शिकार बनाते हैं। खासतौर पर उन महिलाओं को, जिनके पति या परिवार के अन्य पुरुष उनके साथ इन जगहों पर नहीं जाते। ऐसे ठग उनके विश्वास का गलत फायदा उठाकर उन्हें किसी भी तरह से छूते हैं, उनका शोषण करते हैं और वे समझ भी नहीं पातीं कि उनके साथ क्या हो रहा है।
यह केवल गांव-देहात की बात नहीं है। आजकल शहरों में भी कई धार्मिक मिशनरियाँ और तथाकथित आध्यात्मिक गुरु इसी तरह से भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो मौजूद हैं, जहाँ इलाज या आस्था के नाम पर लोगों के साथ गलत हरकतें की जाती हैं। दुख की बात यह है कि कई बार शोषण किए गए लोगों को खुद भी एहसास नहीं होता कि उनके साथ अन्याय हो रहा है।
यह घटना एक कड़वी सच्चाई को उजागर करती है—अंधविश्वास और अज्ञानता, जिनका फायदा उठाकर ठग और ढोंगी बाबा मासूम लोगों का शोषण करते रहते हैं।
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