9 साल का रौनक अचानक लापता: परिवार और पुलिस परेशान
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के पिनाहट कस्बे के नयापुरा मोहल्ले में करण सिंह का परिवार रहता था। करण सिंह सूरत में एक साड़ी फैक्ट्री में नौकरी करता था और अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा था। परिवार में उसकी पत्नी यशोदा और दो बच्चे थे, साथ ही उसका छोटा भाई भानू सिंह भी उनके साथ रहता था। सबकुछ सामान्य चल रहा था। 18 नवंबर को फैक्ट्री से छुट्टी लेकर करण अपने घर आया।
29 नवंबर 2024 की शाम करीब 4:00 बजे, जब करण बाजार में घर का सामान खरीदने गया था, उसी समय उसका 9 साल का बेटा रौनक, जो घर के बाहर खेल रहा था, अचानक लापता हो गया। घरवालों ने रौनक को आसपास ढूंढना शुरू किया, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। रौनक की मां यशोदा का रो-रोकर बुरा हाल था। उसने तुरंत करण को फोन कर बेटे के गायब होने की खबर दी। करण सामान छोड़कर भागता हुआ घर पहुंचा और रौनक की तलाश में जुट गया।
जब हर जगह तलाश करने के बाद भी कोई जानकारी नहीं मिली, तो करण ने पुलिस को सूचना दी। यशोदा ने पुलिस को बताया कि शाम 5:00 बजे तक रौनक घर के बाहर खेल रहा था, लेकिन फिर अचानक गायब हो गया। पुलिस ने बच्चे को ढूंढने के लिए गहन जांच शुरू की और गांव के कुओं और नालों तक में तलाशी ली। लेकिन दो-तीन दिन बीत जाने के बाद भी रौनक का कोई सुराग नहीं मिल सका।
बोरे में मिली रौनक की लाश: हत्या के बाद घरवालों पर गहराया शक
रौनक के लापता होने के चार दिन बाद, 2 दिसंबर की सुबह 6:30 बजे, करण सिंह के पड़ोसी दिनेश ने अपने घर के सामने गली में एक बोरा पड़ा देखा। जब दिनेश पास गए तो उनकी चीख निकल गई, क्योंकि बोरे में रौनक की लाश थी। बोरा खुला हुआ था, और रौनक का चेहरा बाहर निकला हुआ था। उसका सिर बुरी तरह से कुचला गया था, जिससे साफ था कि उसकी हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी।
रौनक की मौत की खबर सुनते ही परिवार और मोहल्ले में हड़कंप मच गया। वहां लोगों की भीड़ जुट गई और तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। इस बीच, रौनक की मां यशोदा का रो-रोकर बुरा हाल था। वह दहाड़े मारकर रो रही थी और अपना सीना पीट रही थी। उसकी यह हालत देखकर पड़ोसियों की आंखें भी नम हो गईं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने फॉरेंसिक टीम को मौके पर बुलाया। फॉरेंसिक जांच में पाया गया कि रौनक के सिर से बहा खून सूख चुका था, और उसके शरीर पर करब के पत्ते चिपके हुए थे। पुलिस को इन पत्तों पर शक हुआ क्योंकि गांव के लोग अक्सर झाड़ियों से करब के पत्ते काटकर छत पर सुखाते हैं और फिर ईंधन के रूप में उनका इस्तेमाल करते हैं।
पुलिस ने आसपास के घरों और छतों की तलाशी शुरू की, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। हालांकि, जब पुलिस ने गली की स्थिति देखी तो पाया कि यह गली रौनक के घर के ठीक पीछे थी। इससे पुलिस का शक गहरा गया।
जांच करते हुए पुलिस करण सिंह के घर पहुंची और उनकी छत पर वैसे ही करब के पत्तों का ढेर पाया, जैसे रौनक के शरीर पर थे। छत और सीढ़ियों पर खून के धब्बे भी मिले, जिन्हें साफ करने की कोशिश की गई थी। इन सबूतों ने पुलिस को यकीन दिलाया कि हत्या का तार घर से ही जुड़ा है। पुलिस को अब शक था कि इस हत्या में घर का ही कोई सदस्य शामिल हो सकता है।
चाचा और मां की साजिश: रौनक के कत्ल की खौफनाक वजह
पुलिस ने जब करण सिंह के घर के सभी कमरों की तलाशी ली, तो भानू के कमरे से उन्हें एक चौंकाने वाला सबूत मिला। वहां रौनक का खून से सना हुआ बनियान और दीवारों पर खून के निशान पाए गए। ये सबूत सीधे तौर पर भानू की ओर इशारा कर रहे थे। पुलिस ने तुरंत करण के छोटे भाई भानू को गिरफ्तार कर लिया और उससे पूछताछ शुरू की।
शुरुआत में भानू पुलिस के सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया, लेकिन सख्ती से पूछताछ करने पर वह टूट गया और सच उगल दिया। उसने कबूल किया कि उसने रौनक को उसकी मां यशोदा के साथ मिलकर मारा है। जब भानू ने यशोदा का नाम लिया, तो पुलिस भी हैरान रह गई। यह बात चौंकाने वाली थी कि एक मां अपने ही बेटे को मारने की साजिश में शामिल हो सकती है।
पुलिस के लिए अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर क्यों एक चाचा और एक मां ने मिलकर 9 साल के मासूम रौनक को मौत के घाट उतार दिया। मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने भानू का फोन जब्त कर उसकी जांच की। फोन की गैलरी में जो मिला, उसने इस हत्या की खौफनाक वजह को उजागर कर दिया।
भानू के फोन में रौनक की मां यशोदा और उसके चाचा भानू की कुछ आपत्तिजनक फोटो और वीडियो मिले। इससे साफ हो गया कि यशोदा और भानू के बीच अवैध संबंध थे। इस घिनौने रिश्ते को छुपाने और किसी बात के उजागर होने के डर से दोनों ने मिलकर रौनक का कत्ल किया।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ था, जिसने यशोदा को अपने बेटे को मरवाने पर मजबूर कर दिया? इस घटना ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया, और एक मां के इस अमानवीय कृत्य ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया।
अवैध संबंधों का खौफनाक अंजाम: रौनक की बेरहमी से हत्या
जब पुलिस ने भानू और यशोदा से सख्ती से पूछताछ की, तो भानू ने रिश्तों की मर्यादा को तार-तार कर देने वाली सच्चाई उजागर की। उसने बताया कि उसका बड़ा भाई करण सूरत में साड़ी के कारखाने में काम करता था और ज्यादातर समय सूरत में ही रहता था। इसी दौरान भानू और उसकी भाभी यशोदा के बीच अवैध संबंध बन गए। दोनों ने सारी सीमाएं लांघ दी थीं और पति-पत्नी की तरह रहने लगे थे। हालांकि करण के घर आने पर दोनों दूरी बनाए रखते थे, लेकिन उनके बीच का रिश्ता अब छिपा नहीं रहा।
घटना वाले दिन, 29 नवंबर को, जब करण घर का सामान लेने बाजार गया था, भानू और यशोदा ने फिर से अपने संबंधों को जीने का मौका देखा। भानू अपनी भाभी के कमरे में गया, और दोनों मर्यादा तोड़ते हुए संबंध बना रहे थे। तभी अचानक 9 साल का रौनक कमरे में आ गया और अपनी मां को चाचा के साथ देखकर हैरान रह गया।
रौनक को देखकर दोनों घबरा गए। यशोदा को डर था कि अगर रौनक ने यह बात करण को बता दी, तो उनका रिश्ता उजागर हो जाएगा और वे बदनामी का सामना करेंगे। पहले यशोदा ने रौनक को बहलाने की कोशिश की। उसने उसे 10 रुपये देकर कुरकुरे खरीदने को कहा और वादा लिया कि वह किसी को कुछ नहीं बताएगा। लेकिन रौनक, जो सबकुछ समझ चुका था, मां की बात मानने को तैयार नहीं हुआ। उसने साफ कहा कि वह पापा को सब बताएगा।
रौनक की इस जिद ने यशोदा और भानू को भयभीत कर दिया। उन्हें लगा कि अगर रौनक जिंदा रहा, तो वह उनकी जिंदगी बर्बाद कर देगा। इसी डर से दोनों ने मिलकर रौनक को खत्म करने का फैसला किया।
भानू रौनक को कुरकुरे दिलाने के बहाने दुकान पर ले गया और फिर उसे अपने कमरे में लेकर आया। वहां एक बार फिर दोनों ने बच्चे को समझाने की कोशिश की, लेकिन रौनक अपनी बात पर अड़ा रहा। आखिरकार, भानू ने यशोदा से पूछा कि अब क्या करना है। यशोदा ने ठंडे दिल से जवाब दिया, “इसे मार डालो, वरना हम दोनों फंस जाएंगे।”
यशोदा कमरे से बाहर चली गई, और भानू ने कपड़े धोने वाली थापी उठाई। जैसे ही रौनक ने कुरकुरे का पैकेट खत्म किया, भानू ने उसके सिर पर जोरदार वार कर दिया। रौनक दर्द से चिल्लाते हुए कहता रहा, “चाचा, आप मुझे क्यों मार रहे हो?” लेकिन भानू के दिल में जरा भी दया नहीं थी। उसने बेरहमी से बच्चे पर ताबड़तोड़ वार किए। आखिरकार, 9 साल के मासूम रौनक ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।
यह खौफनाक घटना रिश्तों और मानवता पर एक गहरी चोट है, जहां अवैध संबंधों और बदनामी के डर ने एक मासूम की जान ले ली।
मां और चाचा की साजिश: रौनक की हत्या और लाश को ठिकाने लगाने की खौफनाक कहानी
इस दर्दनाक घटना का कारण यह था कि रौनक ने अपनी मां यशोदा और चाचा भानू के अवैध संबंधों को देख लिया था। यशोदा और भानू को डर था कि रौनक यह बात सबको बता देगा, जिससे उनकी बदनामी होगी। इसी डर ने उन्हें मासूम रौनक की हत्या करने पर मजबूर कर दिया।
जब भानू रौनक को मार रहा था, तब उसकी मां यशोदा वहीं थी। रौनक दर्द से चीखते हुए अपनी मां को पुकारता रहा, “मां, मुझे बचा लो,” लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी मां अब मां नहीं, बल्कि अपने अवैध संबंधों को बचाने के लिए एक निर्दयी बन चुकी थी।
रौनक की हत्या के बाद, दोनों ने लाश को ठिकाने लगाने की साजिश रची। पहले, रौनक की लाश को कमरे में रखा गया। फिर, उसे सीढ़ियों के पास एक ड्रम पर रखा और ऊपर से बोरा डाल दिया ताकि कोई देख न सके। ड्रम पर लाश रखने के दौरान सीढ़ियों पर खून गिर गया था। भानू ने इसे साफ करने की कोशिश की, लेकिन घंटों मेहनत के बाद भी खून के निशान पूरी तरह नहीं हटे।
इस दौरान यशोदा दरवाजे पर खड़ी होकर निगरानी कर रही थी, ताकि कोई घर के अंदर न आ सके। अंधेरा होने पर, दोनों ने रौनक की लाश को एक बोरे में भरा और घर की छत पर ले जाकर करब की गठरियों के नीचे छिपा दिया।
शाम करीब 7:30 बजे, यशोदा ने रोने-धोने का नाटक शुरू कर दिया, जैसे कि उसे रौनक की अचानक गुमशुदगी से गहरा सदमा लगा हो। यह सब दोनों की सोची-समझी साजिश का हिस्सा था।
जांच में सामने आया कि रौनक के सिर पर भानू ने जोरदार प्रहार किया था, जिससे उसकी तुरंत मौत हो गई। इसके बाद लाश को तीन दिनों तक छत पर छिपाकर रखा गया। करब की गठरियों के नीचे मासूम की लाश को छुपाने की इस घिनौनी साजिश ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।
मां की ममता और चाचा के रिश्तों का शर्मनाक अंत: रौनक की हत्या का खुलासा
पूछताछ में भानू ने चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि जब उसने रौनक के सिर पर थापी से वार किया, तो खून की धार कमरे की दीवार पर जा लगी। भानू और यशोदा ने उस दीवार को साफ करने की कोशिश की, लेकिन धब्बे पूरी तरह साफ नहीं हो पाए। धब्बों को छिपाने के लिए उन्होंने वहां एक ड्रम रख दिया।
रौनक की लाश को छत पर छिपाने के बाद, दोनों ने एक साजिश रची। उन्होंने सोचा कि मौका मिलते ही लाश को पड़ोस में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार के घर फेंक देंगे। उन रिश्तेदारों से उनकी पहले से रंजिश थी। योजना यह थी कि शव वहां मिलने से शक रिश्तेदारों पर जाएगा, क्योंकि पड़ोसी उनकी दुश्मनी के बारे में जानते थे। उन्होंने अपहरण की कहानी भी गढ़ ली थी, लेकिन लाश को रिश्तेदार के घर फेंकने का मौका नहीं मिल पाया।
तीन दिनों तक लाश छत पर रखी रही। जब रौनक के पिता करण ने अपनी पत्नी यशोदा से कहा कि वह 2 दिसंबर को आगरा में पुलिस कमिश्नर से मिलने जाएगा और डॉग स्क्वाड बुलाएगा, तो यशोदा घबरा गई। उसने यह बात भानू को बताई। यह सुनकर दोनों डर गए कि अगर पुलिस ने लाश घर से बरामद की, तो उन पर सीधा शक जाएगा।
1 दिसंबर को सुबह 4 बजे, उन्होंने लाश को ठिकाने लगाने का नया प्लान बनाया। यशोदा मोबाइल चार्जिंग के बहाने घर से बाहर निकली और छत पर पहुंच गई। भानू मकान के पीछे गली में खड़ा हो गया। यशोदा ने रौनक की लाश को रस्सी से बांधकर नीचे उतारा, जिसे भानू ने पकड़ लिया। फिर यशोदा भी गली में आ गई। उन्होंने बोरे का मुंह खोल दिया और लाश गली में छोड़कर घर लौट आए।
सुबह जब पड़ोसियों ने लाश देखी, तो हड़कंप मच गया। अपने बेटे का शव देखकर यशोदा और भानू ने रोने का नाटक किया। दोनों दहाड़ें मार-मारकर रो रहे थे। पड़ोसियों ने कहा कि रौनक यशोदा का लाडला था। वह अपनी मां के बिना कहीं नहीं जाता था। स्कूल से लौटकर मां से लिपट जाता, और खाना भी मां के हाथों से ही खाता। लेकिन उसी मां ने अपने बेटे के साथ ऐसा किया, जो हर रिश्ते को शर्मसार कर गया।
यशोदा ने पहले मां के रिश्ते को कलंकित किया और फिर अपने बेटे की हत्या में शामिल होकर ममता को कलंकित कर दिया। फिलहाल पुलिस ने भानू के बयान और सबूतों के आधार पर चार्जशीट तैयार कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया है।
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