17 साल बाद खुला हत्या का राज़: जनार्दन नायर की गिरफ्तारी Hindi Crime Story

यह कहानी आज से 17 साल पुरानी है, साल 2006 की। केरल का एक जिला है पथरम माथ, और इस जिले में एक गाँव है पोलाड। इसी गाँव में जनार्दन नायर और उनकी पत्नी रमा का परिवार रहता था। उनके परिवार में केवल दो ही सदस्य थे—जनार्दन नायर और रमा। उनकी कोई संतान नहीं थी। जनार्दन नायर डाक विभाग में वरिष्ठ लेखापाल के पद पर कार्यरत थे। दोनों का जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण चल रहा था।

जनार्दन नायर 26 मई 2006 को सेवानिवृत्त होने वाले थे। उस दिन की शाम, जब वे दफ्तर से लौटकर अपने घर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि घर का दरवाजा अंदर से बंद था। यह बात उन्हें अजीब लगी, क्योंकि आमतौर पर अगर दरवाजा बाहर से बंद होता तो वे सोचते कि उनकी पत्नी कहीं बाहर गई होंगी। लेकिन अंदर से बंद दरवाजा देखकर उन्हें यकीन हो गया कि उनकी पत्नी घर के अंदर ही होंगी।

दरवाजे पर लगे जाली के छेद से उन्होंने कई बार अपनी पत्नी को आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने दरवाजा खटखटाया, पुकारा, लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। उनकी आवाज घर के अंदर तक गूंज रही थी, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे उनकी पत्नी किसी काम में इतनी व्यस्त थीं कि उन्होंने दरवाजा खोलने की परवाह ही नहीं की।

जनार्दन नायर परेशान हो गए। उन्होंने कई बार जोर से दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार, उन्होंने दरवाजे पर लगी जाली से हाथ अंदर डालकर कुंडी खोली और दरवाजा खुद ही खोल लिया।

अब सवाल यह था—अंदर ऐसा क्या हो रहा था कि रमा ने दरवाजा क्यों नहीं खोला? कहानी यहीं से रोमांचक मोड़ लेती है।

रहस्यमयी हत्या की दहला देने वाली घटना

जैसे ही जनार्दन नायर ने दरवाजा खोलकर घर के अंदर कदम रखा, वह तुरंत चीखते हुए बाहर आ गए। उनके घर के अंदर, उनकी 50 वर्षीय पत्नी रमा देवी का खून से लथपथ शव पड़ा था। अपनी पत्नी की हालत देखकर जनार्दन नायर जोर-जोर से चीखने लगे। उनकी चीख-पुकार सुनकर पड़ोसी तुरंत इकट्ठा हो गए।

पड़ोसियों को जब रमा देवी की हत्या की बात पता चली, तो वे भी सन्न रह गए। दिनदहाड़े किसी के घर में घुसकर इस तरह से हत्या कर देना बेहद चौंकाने वाला था। यह घटना हर किसी के लिए डरावनी थी। महिलाओं में तो खासकर डर का माहौल बन गया क्योंकि दिन के समय वे अक्सर घर पर अकेली रहती थीं।

पड़ोसियों ने तुरंत पुलिस को इस घटना की जानकारी दी। पुलिस की टीम फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ घटनास्थल पर पहुंची और औपचारिक जांच शुरू की। पुलिस ने रमा देवी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। जांच में यह सामने आया कि रमा देवी की हत्या चाकू से वार करके की गई थी।

फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सभी सबूत इकट्ठा किए, जिन्हें जांच के लिए भेजा गया। इसके बाद पुलिस ने पूछताछ शुरू की। रहस्य गहराता जा रहा था—आखिर किसने और क्यों की रमा देवी की हत्या?

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हत्या का रहस्य: पुलिस की जांच और संदिग्ध की तलाश

सबसे पहले जनार्दन नायर का बयान लिया गया, क्योंकि वही सबसे पहले हत्या के बारे में जानने वाले व्यक्ति थे। नायर साहब ने विस्तार से बताया कि कैसे ऑफिस से लौटने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी की हत्या के बारे में जाना। इसके बाद पड़ोसियों से पूछताछ की गई। घटना शाम के समय की थी, इसलिए ज्यादातर लोग उस वक्त अपने घरों के अंदर थे।

नायर साहब के घर के बगल में रहने वाली एक महिला ने पुलिस को अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब यह घटना हुई, यानी नायर साहब के घर पहुंचने से थोड़ी देर पहले, उन्होंने एक आदमी को नायर साहब के घर के सामने चलते हुए देखा था। वह आदमी चलते-चलते इधर-उधर देख रहा था और थोड़ा बेचैन भी लग रहा था। महिला ने आगे बताया कि वह उससे पूछना चाहती थीं कि वह इस तरह यहां क्यों घूम रहा है, लेकिन उससे पहले ही वह वहां से चला गया।

जब पुलिस ने पूछा कि वह आदमी कौन था, तो महिला ने बताया कि शायद वह सामने बन रही इमारत में काम करता था। महिला के बयान के आधार पर वह आदमी संदिग्ध लगने लगा। पुलिस ने तुरंत उस निर्माण स्थल का रुख किया जहां वह आदमी काम करता था। महिला को भी साथ ले जाया गया ताकि वह आदमी की पहचान कर सके। लेकिन जब पुलिस वहां पहुंची, तो वह आदमी वहां नहीं था।

पुलिस ने वहां काम कर रहे मजदूरों से उसकी पहचान के बारे में पूछा। मजदूरों ने बताया कि वह आदमी वहीं काम करता था, लेकिन उसी सुबह बिना कुछ बताए चला गया। इस जानकारी से पुलिस का शक और गहरा गया। खासकर इस वजह से कि घटना के अगले ही दिन वह आदमी अचानक गायब हो गया।

पुलिस ने मजदूरों और ठेकेदार से उस आदमी का पता जानने की कोशिश की, लेकिन कोई पक्का पता नहीं बता पाया। सभी ने यही कहा कि वह कहीं बाहर से यहां काम करने आया था। उसका नाम जरूर पता चला—चुट्टल मुत्थु।

इसके साथ ही पुलिस को उसकी पत्नी का पता मिला। अचानक गायब हो जाने और उसके ऊपर उठे शक के बाद पुलिस को लगने लगा कि शायद वही हत्या का असली गुनहगार है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, मामला और भी पेचीदा होता गया। क्या चुट्टल मुत्थु ही इस रहस्यमयी हत्या का जिम्मेदार था? पुलिस को अब इस गुत्थी को सुलझाने की जल्दी थी।

हत्या का गुनहगार: जनता का आक्रोश और पुलिस की नई उम्मीद

अब पुलिस ने चुट्टल मुत्थु की तलाश तेज कर दी। वे उस पते पर पहुंचे, जहां उसकी पत्नी रहती थी। लेकिन उसकी पत्नी ने बताया कि अब उसका चुट्टल मुत्थु से कोई संबंध नहीं है। दोनों के बीच आपसी तालमेल नहीं था, इसलिए वह उससे अलग रहने लगी। उसने यह भी कहा कि उसे नहीं पता कि वह इस समय कहां है। हालांकि, महिला ने यह जरूर बताया कि चुट्टल मुत्थु बुरे इंसान नहीं हैं।

पुलिस दिन-रात उसकी तलाश में जुटी रही, लेकिन चुट्टल मुत्थु का कोई सुराग नहीं मिला। धीरे-धीरे एक साल बीत गया। अब जनार्दन नायर और लोगों का सब्र टूटने लगा था। एक साल बीत चुका था और हत्यारा अब भी पकड़ा नहीं गया था। केरल के लोग शिक्षित हैं और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी। उन्हें लगने लगा कि पुलिस इस मामले में लापरवाही बरत रही है, तभी हत्यारा अब तक आज़ाद घूम रहा है।

लोगों ने पुलिस की कार्रवाई में तेजी लाने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। उन्होंने रमा देवी के हत्यारे को गिरफ्तार करने की मांग करते हुए एक बड़ी रैली निकाली। यही नहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री और अधिकारियों को लिखित शिकायतें भी भेजी गईं, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।

इस बीच, रमा देवी हत्याकांड को पूरे एक साल हो चुके थे। पुलिस अभी तक हत्यारे का कोई सुराग नहीं ढूंढ पाई थी। समाजसेवियों ने भी इस मामले में प्रदर्शन किए और हत्यारे को पकड़ने की मांग की। लेकिन पुलिस के हाथ खाली ही रहे। जिस मजदूर पर शक था, न केवल जनता बल्कि पुलिस को भी उस पर संदेह था, वह अब भी फरार था और उसका कोई अता-पता नहीं था।

इसी दौरान, पुलिस को एक नई सूचना मिली। पता चला कि चुट्टल मुत्थु जैसे दिखने वाले एक मजदूर को कानपुर में देखा गया है। अब पुलिस के सामने एक नई उम्मीद जागी थी—क्या यह वही मजदूर था? क्या यह सूचना इस पेचीदा मामले को सुलझाने में मदद कर सकती थी?

असफलता और निराशा: हत्या की गुत्थी सुलझने का इंतजार

केरल पुलिस कानपुर पहुंची, लेकिन वहां भी वह मजदूर नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने जानकारी के आधार पर बिहार का रुख किया, क्योंकि कुछ लोगों का कहना था कि वह मजदूर बिहार से आया था। लेकिन उसका नाम ही यह संकेत देता था कि वह बिहार का रहने वाला नहीं हो सकता, क्योंकि बिहार में ऐसे नाम आम नहीं होते। फिर भी, केरल पुलिस ने बिहार जाकर जांच की लेकिन खाली हाथ लौट आई।

इसके बाद, चुट्टल मुत्थु की तलाश में पुलिस तमिलनाडु भी गई, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। पुलिस अपना काम कर रही थी, लेकिन हर बार की असफलता से लोगों को लगने लगा कि पुलिस कुछ नहीं कर रही है। वहीं, पुलिस अधिकारी इस मामले को सुलझाने और किसी भी तरह से हत्यारे को पकड़ने के लिए नई टीमें बना रहे थे और नए जांच अधिकारियों को नियुक्त कर रहे थे। फिर भी, हत्यारे तक कोई नहीं पहुंच सका।

इस बीच, जनार्दन नायर ने अधिकारियों से मांग की कि जब स्थानीय पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है, तो इस मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी को सौंपी जाए। उनकी मांग के बाद यह मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया। क्राइम ब्रांच ने अपनी दृष्टि से मामले की जांच शुरू की, लेकिन उन्हें भी कोई सफलता नहीं मिली।

हर कोई इसी एक मजदूर को हत्यारा मानकर चल रहा था, लेकिन उसके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं थी। जो भी नया जांच अधिकारी इस केस को देखता, वह दो-चार दिन फाइल के साथ काम करता और फिर रमा देवी हत्या कांड की फाइल एक बार फिर कहीं दबकर रह जाती।

इस तरह समय बीतता गया। गांव वालों के विरोध प्रदर्शन और पुलिस थाने की घेराबंदी भी कोई नतीजा नहीं दे पाई। हत्या की यह रहस्यमयी गुत्थी सुलझने के इंतजार में, सब निराशा के गर्त में चले गए। क्या कभी सच्चाई सामने आ पाएगी?

17 साल का इंतजार: हत्या की गुत्थी और नए सवाल

साल दर साल बीतते गए, और धीरे-धीरे कुछ लोगों ने यह शक जताना शुरू कर दिया कि रमा देवी की हत्या शायद उनके पति जनार्दन नायर ने ही की हो। लोग इसे लेकर धीमी आवाज़ में बातें करने लगे। यह बात नायर साहब के लिए बेहद तकलीफदेह और अपमानजनक थी।

2007 में इस मामले ने नया मोड़ लिया। रमा देवी के पति जनार्दन नायर, जिनकी पत्नी की हत्या हुई थी, केरल हाईकोर्ट पहुंचे। उन्होंने हाईकोर्ट से गुहार लगाई कि उनकी पत्नी के हत्यारे को पकड़ने के लिए जांच का आदेश दिया जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशन तो छोड़िए, यहां तक कि विशेष क्राइम ब्रांच भी इस मामले में नाकाम रही है। एक साल बीत चुका था, लेकिन न तो कोई सुराग मिला और न ही हत्यारे का कोई पता चला।

हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच को इस मामले में फटकार लगाई और जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया। क्राइम ब्रांच ने फिर से जांच तेज की, लेकिन मामला वहीं आकर अटक गया—वही संदिग्ध मजदूर। उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।

जब भी कोई नया अधिकारी आता, पुराने अनसुलझे मामलों की फाइलें मंगाई जातीं और रमा देवी हत्या कांड की फाइल भी बाहर निकाली जाती। अधिकारी फाइल को पढ़ते, कुछ दिन इधर-उधर जांच करवाते और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता।

इसी तरह, 17 साल बीत गए। इन 17 वर्षों में क्राइम ब्रांच की 15 अलग-अलग टीमों ने रमा देवी हत्या कांड की जांच की। सभी टीमों का मानना था कि हत्या का जिम्मेदार वही मजदूर है, और वे लगातार उसकी तलाश करती रहीं। तमिलनाडु, बिहार, और उत्तर प्रदेश तक खोजबीन की गई, लेकिन मजदूर का कोई सुराग नहीं मिला।

सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि जब ये सभी टीमें अलग-अलग जगह उसकी तलाश कर रही थीं, तब वह मजदूर वहीं उसी इलाके में रह रहा था। इतने सालों में भी उसे पकड़ना संभव नहीं हुआ। क्या इस गुत्थी का कभी समाधान होगा?

नया दृष्टिकोण: इंस्पेक्टर सुनील राज की नई जांच

रमा देवी हत्या कांड की फाइल कभी खुलती, तो कभी धूल में दबी रह जाती। कोई पुलिस अधिकारी इसे थोड़ा देखता और फिर वहीं छोड़ देता। इस तरह समय बीतता गया। यह फाइल 17 साल तक इधर-उधर धकेली जाती रही। लेकिन इस साल जुलाई में, क्राइम ब्रांच में एक नए अधिकारी की नियुक्ति हुई।

इंस्पेक्टर सुनील राज ने पदभार संभालने के बाद पुराने मामलों की फाइलें देखनी शुरू कीं। रमा देवी हत्या कांड की फाइल ने उनका ध्यान खींचा। उन्होंने पूरी फाइल को ध्यान से पढ़ा और देखा कि इस पर हाईकोर्ट का आदेश था, लेकिन इतने सालों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने उन सभी अधिकारियों की टिप्पणियां पढ़ीं, जिन्होंने इस केस की जांच की थी। हर अधिकारी ने वही कहा—मजदूर चुट्टल मुत्थु ही हत्यारा है और उसकी तलाश करनी होगी। लेकिन वह मजदूर कभी नहीं मिला।

इंस्पेक्टर सुनील राज ने ठान लिया कि वे इस मामले की जांच करेंगे, लेकिन अपने तरीके से। उन्होंने इस हत्या कांड को नए नजरिए से देखना शुरू किया और जांच की शुरुआत से ही इसे दोबारा खंगालने का फैसला किया।

सुनील राज को यह महसूस हुआ कि रमा देवी का हत्यारा वह मजदूर नहीं हो सकता। उन्होंने इस बात पर ध्यान दिया कि हत्या के बाद घर का दरवाजा अंदर से बंद था। अगर मजदूर ने हत्या की होती, तो वह अंदर से दरवाजा बंद करके कैसे बाहर निकला? हत्या के बाद, कोई भी व्यक्ति जल्द से जल्द मौके से भागने की कोशिश करेगा, न कि दरवाजा अंदर से बंद करने की।

इंस्पेक्टर सुनील राज का यह तर्क इस मामले को एक नई दिशा में ले गया। उन्होंने यह तय कर लिया कि पुराने शक और धारणाओं को किनारे रखकर, इस केस की गहराई से दोबारा जांच की जाएगी। क्या उनका नया दृष्टिकोण इस 17 साल पुराने मामले की गुत्थी सुलझा पाएगा?

नई जांच की शुरुआत: सुनील राज का गहराई से विश्लेषण

इंस्पेक्टर सुनील राज ने सबसे पहले मजदूर को संभावित हत्यारे के रूप में देखने के विचार को किनारे रखा। उन्होंने महसूस किया कि घटना के बाद मजदूर गायब हो गया था, लेकिन ऐसा कोई और मामला सामने नहीं आया था, जिससे वह मजदूर संदेह के घेरे में बने रहे। उन्होंने यह मान लिया कि अगर मजदूर हत्यारा नहीं है, तो हत्यारा कोई और हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले सबूत इकट्ठा करना जरूरी था।

इस सोच के साथ उन्होंने घटना के दिन से मामले की जांच शुरू की। उन्होंने सबसे पहले जनार्दन नायर और उनके पड़ोसियों के पहले दिन दिए गए बयानों को ध्यान से पढ़ा। फिर उस मुखबिर की जानकारी को भी खंगाला, जो शुरू में इस मामले से जुड़ा था।

सभी बयानों को पढ़ने के बाद सुनील राज का ध्यान जनार्दन नायर के बयान पर गया। नायर ने कहा था कि वह उस दिन पूरे समय ऑफिस में थे और जब शाम को घर लौटे, तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था। कई बार पुकारने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो उन्होंने सोचा कि उनकी पत्नी के साथ कुछ अनहोनी हुई है। इसके बाद उन्होंने दरवाजे को खटखटाया और ऊपर लगी ग्रिल के जरिए हाथ डालकर अंदर से कुंडी खोल दी। दरवाजा खोलते ही उन्होंने अपनी पत्नी का शव देखा।

सुनील राज को इस बयान में कुछ गड़बड़ी नजर आई। उनके मन में सवाल उठा कि क्या वाकई ग्रिल के जरिए हाथ डालकर दरवाजे की कुंडी खोली जा सकती थी। उन्होंने इस परखने का फैसला किया। वे पोलाड गांव में जनार्दन नायर के घर पहुंचे। लेकिन वहां पहुंचकर पता चला कि वह घर पूरी तरह से तोड़कर नया घर बना दिया गया था।

यह उनके लिए बड़ा झटका था, क्योंकि जब दरवाजा और ग्रिल अब मौजूद ही नहीं थे, तो वे यह सत्यापित कैसे करते कि दरवाजा वाकई हाथ डालकर खोला जा सकता था या नहीं। निराश होकर वे वापस लौटे और मामले की फाइल से घटना स्थल की सभी तस्वीरें निकाल लीं।

सुनील राज ने हर तस्वीर को अलग-अलग कोण से बेहद ध्यान से देखना शुरू किया। उन्होंने खासतौर पर दरवाजे और ग्रिल की तस्वीरों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने तुरंत दरवाजे की ऊंचाई और उस पर लगी ग्रिल की स्थिति का बारीकी से निरीक्षण किया।

यह गहराई से किया गया निरीक्षण उन्हें इस हत्या की गुत्थी को सुलझाने के एक नए रास्ते पर ले जा सकता था।

सच का सामना: दरवाजा, ग्रिल और जनार्दन नायर का बयान

इंस्पेक्टर सुनील राज ने मामले को और स्पष्ट करने के लिए जनार्दन नायर के पड़ोसियों को बुलाया और घर के दरवाजे और ग्रिल के बारे में विस्तार से चर्चा की। पड़ोसियों ने बताया कि उस समय घर में एक बड़ा लकड़ी का दरवाजा और उस पर ग्रिल लगी हुई थी। इस जानकारी के आधार पर, इंस्पेक्टर सुनील राज ने आदेश दिया कि वैसा ही एक दरवाजा, ग्रिल और दीवार बनाई जाए, जो जनार्दन नायर के घर के दरवाजे और ग्रिल के आकार, ऊंचाई और चौड़ाई के समान हो।

पुलिस ने तुरंत काम शुरू किया। एक खाली जगह पर एक दीवार बनाई गई, जिसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई वैसी ही थी जैसी नायर साहब के घर में थी। दीवार पर एक ऊंचा और चौड़ा लकड़ी का दरवाजा लगाया गया, जो फोटो में नायर साहब के घर के दरवाजे जैसा दिखता था। ठीक उसी ऊंचाई पर एक ग्रिल लगाई गई, और फोटो में दिखाए गए स्थान पर दरवाजे पर एक कुंडी लगाई गई।

इसके बाद, जनार्दन नायर को बुलाया गया और उनसे 26 मई 2006 को दिए गए उनके बयान को फिर से दोहराने को कहा गया। नायर साहब को इस पर कोई आपत्ति नहीं थी और उन्होंने अपना पूरा बयान दोबारा दोहराया।

बयान के बाद, उन्हें उस दरवाजे के पास ले जाया गया, जिसे सुनील राज ने तैयार करवाया था। दरवाजे को देखकर नायर साहब हैरान रह गए। सुनील राज ने कहा, “यह दरवाजा बिल्कुल वैसा ही है जैसा आपके घर में था। इस पर लगी ग्रिल भी उतनी ही ऊंचाई पर है और अंदर लगी कुंडी भी उसी स्थान पर है, जैसा कि आपकी घर की तस्वीरों में दिखाई दे रहा है। जिस दिन आपकी पत्नी की हत्या हुई थी, आपने कहा था कि आपने इस ग्रिल के जरिए हाथ डालकर कुंडी खोली थी। ठीक वैसे ही, आज इस ग्रिल से हाथ डालकर कुंडी खोलकर दिखाइए।”

जनार्दन नायर ने ग्रिल के जरिए हाथ डालकर कुंडी खोलने की कोशिश की। उन्होंने बहुत कोशिश की, लेकिन उनका हाथ कुंडी तक नहीं पहुंचा। पुलिस ने देखा कि जब उन्होंने ग्रिल के जरिए हाथ डाला, तो उनका हाथ और कुंडी के बीच लगभग 1 फुट का अंतर रह गया। नायर साहब के लिए कुंडी खोलना संभव ही नहीं था।

यह घटनाक्रम पुलिस के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। नायर साहब का बयान इस तकनीकी परीक्षण में गलत साबित हो रहा था। अब सवाल यह था कि अगर नायर साहब का बयान सही नहीं है, तो असल सच्चाई क्या है?

रहस्य का खुलासा: डीएनए रिपोर्ट और असली हत्यारा

इंस्पेक्टर सुनील राज ने यह समझ लिया कि उस ऊंचाई से दरवाजा खोला ही नहीं जा सकता। इसका मतलब था कि जनार्दन नायर झूठ बोल रहे थे। अब शक की सुई उनके ही ऊपर घूम गई। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें घर भेज दिया गया।

इसके बाद, इंस्पेक्टर सुनील राज ने फॉरेंसिक रिपोर्ट की गहन जांच की और चौंकाने वाली जानकारी हासिल की। दरअसल, जब रमा देवी की लाश मिली थी, तो उनके हाथों में एक आदमी के बाल फंसे हुए पाए गए थे। पुलिस ने इन बालों को जांच के लिए अपने कब्जे में ले लिया था। लेकिन उनकी डीएनए रिपोर्ट 4 साल बाद आई।

क्योंकि पुलिस को शुरू से विश्वास था कि हत्या उसी मजदूर चुटाला मुथु ने की है, इसलिए वे यह सोचकर बैठे रहे कि जब मजदूर मिलेगा, तब उसका डीएनए रिपोर्ट से मिलान किया जाएगा।

सुनील राज ने उस डीएनए रिपोर्ट को मंगवाया और क्योंकि अब जनार्दन नायर खुद शक के दायरे में आ गए थे, उन्होंने उनका डीएनए सैंपल लिया और जांच के लिए भेजा। इसके बाद जो डीएनए रिपोर्ट आई, उसने रमा देवी की हत्या का रहस्य सुलझा दिया।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि रमा देवी के हाथों में जो बाल फंसे थे, वे किसी मजदूर के नहीं, बल्कि उनके अपने पति जनार्दन नायर के थे। इसका मतलब था कि हत्या के समय रमा देवी ने मजदूर चुटाला मुथु को नहीं, बल्कि अपने पति के बाल पकड़े थे।

इस खुलासे के बाद, पुलिस ने 75 वर्षीय जनार्दन नायर को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया। इस प्रकार, 17 साल बाद रमा देवी के असली हत्यारे का पर्दाफाश हुआ।

चौंकाने वाली बात यह थी कि यही जनार्दन नायर वह व्यक्ति थे, जिन्होंने हाई कोर्ट में अपील की थी कि उनकी पत्नी के हत्यारे को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।

जनार्दन नायर का सच्चा चेहरा: पत्नी की हत्या की वजह और गिरफ्तारी

जनार्दन नायर को अपनी पत्नी रमा देवी के चरित्र पर शक था। उन्हें लगता था कि जब वह ऑफिस जाते हैं, तो कुछ लड़के उनके घर आते हैं, जिनसे उनकी पत्नी के अवैध संबंध हैं। इस शक की वजह से पति-पत्नी के बीच अक्सर लड़ाई होती थी। घटना वाले दिन, यानी 26 मई 2006 को, दोनों के बीच इसी मुद्दे पर तगड़ी बहस हुई।

पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ, जिसमें दोनों एक-दूसरे को पीट रहे थे। इस लड़ाई के दौरान, रमा देवी ने जनार्दन नायर के बाल पकड़कर उन्हें खींच लिया। इस गुस्से में नायर साहब ने घर में रखे चाकू से रमा देवी पर हमला कर दिया और उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद, नायर साहब चुपचाप घर से बाहर निकल गए, लेकिन रमा देवी के हाथों में उनके बाल उसी तरह फंसे रहे जैसे कि वह खींचते वक्त थे।

जब जनार्दन नायर हत्या के कई घंटों बाद घर लौटे, तो उन्होंने दावा किया कि दरवाजा अंदर से बंद था। दरअसल, उन्होंने झूठ बोला था कि दरवाजा बाहर से खोला गया था। नायर साहब ने घर में प्रवेश किया और फिर शोर मचाया कि उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई है। पुलिस से बचने के लिए, उन्होंने एक कहानी गढ़ी कि दरवाजा बाहर से खोला गया था।

इसी बीच, पड़ोस की एक महिला ने मजदूर के बारे में जो कहानी सुनाई, वह पुलिस का ध्यान पूरी तरह से उसी मजदूर पर केंद्रित करवा दिया। पुलिस ने जनार्दन नायर से पूछा कि जब वह खुद ही हत्या के जिम्मेदार थे, तो उन्होंने क्यों हत्या का केस बनाने की कोशिश की। इसका जवाब देते हुए नायर साहब ने कहा कि उन्होंने इसलिए विरोध किया, क्योंकि उन्होंने अपने पड़ोसियों से कहा था कि यह हत्या उनकी पत्नी के कहने पर की थी। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता, तो पड़ोसी उन पर शक करने लगते।

इंस्पेक्टर सुनील राज ने पूछा, “तुमने हाई कोर्ट में क्यों अपील की?” तो नायर साहब ने बताया कि यह विचार उन्हें क्राइम थ्रिलर फिल्म्स से आया था। दरअसल, कुछ लोग यह शक करने लगे थे कि पत्नी की हत्या उनके पति ने की है। इसलिए उन्हें यह महसूस हुआ कि अगर उन्होंने कुछ नहीं किया तो लोग यह मान लेंगे कि मजदूर ने हत्या की है। उन्होंने कोर्ट में अपील करने का कदम उठाया, ताकि लोग यही सोचें कि हत्या मजदूर ने की है। लेकिन यही कदम उन्हें गिरफ्तार करवा गया।

आखिरकार, जनार्दन नायर ने यह माना कि वह जानते थे कि न एक दिन न दूसरे दिन, वह पकड़े जाएंगे, लेकिन उन्हें नहीं लगा था कि उन्हें पकड़े जाने में इतना समय लगेगा। पूछताछ के बाद, पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। यही वह जगह थी, जहां उन्हें पहले ही भेजा जाना चाहिए था।

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