अगर आप अपने घर से ऑफिस चलाते हैं या आपका कोई जानने वाला ऐसा करता है, तो यह कहानी जरूर पढ़ें। अगर किसी के घर पर ग्राहक आते हैं, वह ट्यूशन पढ़ाते हैं, या ऐसा कोई भी काम करते हैं जिसमें बाहरी लोग घर तक पहुंचते हैं, तो यह कहानी आपकी आंखें खोल देगी। यह एक छोटी-सी गलती की वजह से पूरे परिवार के लिए कैसे बड़ा खतरा बन सकती है, यह जानना जरूरी है।
यह कहानी मध्य प्रदेश के रतलाम की है। 25 नवंबर 2020 का दिन था। दिवाली का त्योहार बस खत्म हुआ था, लेकिन शहर में अभी भी रौनक थी। बच्चे बची हुई आतिशबाजी का मज़ा ले रहे थे, और लोग शालिग्राम और तुलसी विवाह का उत्सव मना रहे थे।
इन्हीं खुशियों से दूर, रतलाम के राजीव नगर इलाके में, कब्रिस्तान के पास चार युवक सड़क पर बार-बार चक्कर लगा रहे थे। उनकी नजरें एक खास मकान पर थीं। यह मकान गोविंद नाम के एक 50 वर्षीय नाई का था। गोविंद पेशे से नाई थे, लेकिन उनका मकान बहुत भव्य था। यह मकान उन्होंने अपनी पुश्तैनी संपत्ति बेचकर बनवाया था।
उनके घर में किराएदार भी रहते थे, क्योंकि मकान काफी बड़ा था। गोविंद की छोटी-सी फैमिली में उनकी पत्नी (45 वर्ष) और 21 साल की बेटी दिव्या शामिल थीं। मोहल्ले में उनके परिवार को लेकर कई बातें कही जाती थीं। लोग कहते थे कि गोविंद की पत्नी चोरी-छिपे अवैध शराब बेचती हैं, और उनकी बेटी दिव्या की भी समाज में बहुत अच्छी छवि नहीं थी।
यह कहानी आपको यह समझाने के लिए है कि घर पर बाहरी लोगों की आवाजाही से कैसे खतरे बढ़ सकते हैं। छोटी-सी गलती से बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इसे जानने के लिए पढ़िए, और सतर्क रहिए।
एक परिवार की कहानी: कैसे खुलापन और लापरवाही बना जान का खतरा
परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे, लेकिन यह कहानी सुनानी जरूरी है ताकि हम सभी इससे सबक ले सकें। यह कहानी 21 वर्षीय दिव्या के परिवार की है, जिसकी जिंदगी उनके फैसलों और परिस्थितियों से प्रभावित हुई।
दिव्या की छवि मोहल्ले में अच्छी नहीं मानी जाती थी। उन्होंने एक म्यूजिक वीडियो में काम किया था और खुले विचारों की मानी जाती थीं। उनके कई पुरुष मित्र थे, जो अक्सर उनके घर आते रहते थे। जब उनके पिता घर पर नहीं होते थे, तो उनकी मां से मिलने या उनसे मिलने लोग उनके घर पहुंच जाते थे। यह परिवार खुले विचारों और जीवनशैली के लिए जाना जाता था।
दिव्या के पिता, गोविंद, पहले एक सैलून चलाते थे। लेकिन लॉकडाउन के दौरान, जब गवर्नमेंट ने सैलून समेत कई दुकानें बंद करवा दीं, तो उन्होंने अपने घर से ही काम शुरू कर दिया। उन्होंने एक कमरे को सैलून में बदल दिया, जहां लोग बाल कटवाने आते थे। हालांकि, उस कमरे में प्राइवेसी की कमी थी क्योंकि वह घर के अन्य कमरों से सटा हुआ था।
पैसे की जरूरत और रोजी-रोटी चलाने के लिए गोविंद ने यह जोखिम उठाया। उनके घर पर वॉक-इन ग्राहक आते थे, जिनमें हर तरह के लोग शामिल होते थे—कुछ जानने वाले, कुछ अनजान, और शायद कुछ अपराधी भी।
यह कहानी इस बात को दिखाती है कि खुलापन और घर से काम करने के दौरान लापरवाही कैसे परिवार के लिए खतरा बन सकती है। सतर्क रहें, क्योंकि छोटी-सी गलती बड़े संकट में बदल सकती है।
दिवाली की रात: राजीव नगर में अनदेखी घटना ने बदल दी जिंदगी
25 नवंबर की रात, जब हर तरफ दिवाली की धूम थी, राजीव नगर की एक गली में चार युवक संदिग्ध गतिविधियों में लगे थे। करीब 7:30 बजे, ये युवक गोविंद के घर के सामने से गुजरे और सीधे सीढ़ियां चढ़कर ऊपर चले गए।
सामने के मकान से एक पड़ोसी ने इन्हें देखा, लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया। गोविंद के घर में बाहरी लोगों का आना-जाना आम बात थी। उनके घर पर किराएदार रहते थे, और उनके सैलून के ग्राहक या परिवार के परिचित भी अक्सर आते-जाते थे। इसलिए यह घटना किसी को खास अजीब नहीं लगी।
तीन युवक घर के अंदर चले गए, जबकि चौथा युवक गली में दूर खड़ा रहा। उसी समय, गोविंद घर पर नहीं थे। वह रात का दूध लेने बाहर गए थे, और घर पर उनकी पत्नी और बेटी अकेली थीं।
करीब 9:15 बजे, गोविंद दूध की थैली लेकर लौटे। उस पड़ोसी ने उन्हें भी आते देखा और मन ही मन सोचा कि जब गोविंद घर पहुंचेंगे और तीनों युवकों को रंगे हाथों पकड़ेंगे, तो जरूर हंगामा होगा। उसकी सोच ने पड़ोसी की मानसिकता को उजागर किया—समाज में लोग दूसरों की मुश्किलों में दिलचस्पी तो लेते हैं, लेकिन सही समय पर मदद के बारे में नहीं सोचते।
थोड़ी ही देर में, तीनों युवक तेजी से नीचे भागते हुए आए। उन्होंने दिव्या की एक्टिवा स्कूटर से भागने की कोशिश की। पहले चाबी फिट नहीं हुई, तो उनमें से एक युवक फिर ऊपर गया और सही चाबी लेकर आया। इस बार स्कूटर स्टार्ट हो गई, और तीनों युवक चले गए। दूर खड़ा चौथा युवक भी अपनी स्कूटर पर निकल गया।
इस घटना में न केवल लापरवाही दिखी, बल्कि यह भी कि कैसे लोग गंभीर परिस्थितियों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जब तक कि कुछ बड़ा न हो जाए। यह कहानी सतर्कता और सही समय पर कदम उठाने की सीख देती है।
26 नवंबर की सुबह: जब सन्नाटे ने खौफनाक सच्चाई का खुलासा किया
26 नवंबर की सुबह, रतलाम के बिजी इलाकों में हलचल शुरू हो चुकी थी, लेकिन गोविंद के घर में अब भी सन्नाटा पसरा हुआ था। आमतौर पर उनका परिवार सुबह 7-7:30 बजे तक जाग जाता था, लेकिन आज 8 बजे तक कोई नहीं उठा था।
उनके मकान में किराए पर रहने वाली एक युवती, जो दिव्या की दोस्त थी, उनके घर एक्टिवा की चाबी लेने आई। दोनों दोस्त अक्सर एक्टिवा शेयर करती थीं। युवती ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उसने देखा कि दरवाजा पहले से खुला हुआ है, और वह अंदर चली गई।
घर के अंदर पहुंचते ही जो नजारा उसने देखा, उससे वह चीखते हुए बाहर भागी। अंदर तीन लाशें थीं—गोविंद, उनकी पत्नी, और बेटी दिव्या की। तुरंत पुलिस को बुलाया गया, और मोहल्ले के लोग भी इकट्ठा हो गए।
पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने जांच शुरू की। सबसे पहले गोविंद की पत्नी की लाश मिली, जो बेड पर पड़ी थी और उनके हाथ नीचे झूल रहे थे। इससे अंदाजा लगा कि उनका कत्ल सबसे पहले किया गया।
दिव्या की लाश दरवाजे और किचन के बीच मिली। उसके हाथों पर आटा लगा हुआ था, जिससे स्पष्ट हुआ कि वह आटा गूंथ रही थी और मां की चीख सुनकर किचन से बाहर आई होगी। तभी उसे भी गोली मार दी गई।
गोविंद की लाश मुख्य दरवाजे के पास मिली। उनके हाथ में दूध की थैलियां थीं, जो वहीं गिर गई थीं। जांच में सामने आया कि जब गोविंद घर लौटे और अंदर घुसे, तब उन्होंने कातिल को देखा होगा। इसके बाद कातिल ने उन पर भी गोलियां चला दीं।
इस हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। यह घटना याद दिलाती है कि लापरवाही और आसपास के माहौल को नजरअंदाज करना कभी-कभी कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
राजीव नगर की तीन हत्याएं: सनसनीखेज मामला जिसने पुलिस को चुनौती दी
एक साथ तीन हत्याओं की यह घटना न केवल खौफनाक थी, बल्कि इसे ऐसे समय अंजाम दिया गया जब लोग अभी जाग रहे थे। 25 नवंबर की रात करीब 9 बजे, गोविंद, उनकी पत्नी शारदा, और बेटी दिव्या की हत्या कर दी गई।
पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने तीन संदिग्ध युवकों को गोविंद के घर जाते और बाद में वहां से भागते देखा था। उनके साथ एक चौथा युवक भी था, जो थोड़ी दूरी पर खड़ा रहा। ये युवक दिव्या की एक्टिवा चुराकर फरार हो गए।
पुलिस ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और तुरंत हत्यारों की जानकारी देने वालों के लिए ₹1 लाख इनाम की घोषणा की। फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया और इलाके के सभी सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए, लेकिन शुरू में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला।
जांच के दौरान पुलिस ने यह भी पाया कि गोविंद ने कुछ समय पहले अपनी जमीन बेचकर लाखों रुपये कमाए थे। घटना वाले दिन शारदा और दिव्या ने लाखों की ज्वेलरी खरीदी थी, जो अब घर से गायब थी। इससे पुलिस को शक हुआ कि यह लूटपाट का मामला हो सकता है।
हत्यारों ने दिवाली के दिन को चुना था, क्योंकि आतिशबाजी के शोर में गोलियों की आवाज आसानी से दब सकती थी। पुलिस को यह भी लगा कि हत्यारे परिवार के परिचित हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें घर की अंदरूनी जानकारियां थीं, जैसे एक्टिवा की चाबी कहां रखी जाती है।
जांच तेज करते हुए, पुलिस ने 70,000 मोबाइल नंबरों की छानबीन शुरू की, जो घटना के समय राजीव नगर के मोबाइल टावर के दायरे में सक्रिय थे। इसके साथ ही इलाके के सभी संभावित सुरागों को खंगाला गया।
यह केस न केवल लूट और हत्या का था, बल्कि इसमें अपराधियों की चतुराई और योजना ने इसे और जटिल बना दिया। यह घटना समाज के उस अंधेरे पहलू को उजागर करती है, जहां परिचित लोग ही विश्वासघात का कारण बन जाते हैं।
दिव्या की हत्या और पुलिस की जांच का अहम मोड़
दिव्या, जिसे एक बोल्ड और बेबाक लड़की के रूप में जाना जाता था, का कई लड़कों से दोस्ती का जिक्र था। उसने एक म्यूजिक वीडियो “मेनू छोड़ के” में सिंगर अभिजीत बैरागी के साथ काम किया था। घटना के बाद पुलिस ने इस सिंगर और दिव्या से जुड़े सभी संदिग्धों से पूछताछ की, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
गोविंद की एक्टिवा देवनारायण नगर इलाके में लावारिस हालत में मिली। पुलिस ने वहां और उसके आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, लेकिन कोई स्पष्ट सुराग नहीं मिला। एक्टिवा मिलने की जगह और गोविंद के घर के बीच के सभी रास्तों पर लगे कैमरों की भी जांच की गई।
सीसीटीवी फुटेज में एक चप्पल पहने युवक को पैदल घूमते देखा गया, जिसे पुलिस ने संदिग्ध माना। वही युवक एक स्कूटर पर भी नजर आया, जो तीन अन्य युवकों को गोविंद के घर छोड़कर थोड़ी दूरी पर खड़ा रहा था। पुलिस ने इसे अहम सुराग मानते हुए युवक की पहचान और तलाश शुरू की।
पुलिस को अंदेशा था कि अपराधी स्थानीय हो सकता है, क्योंकि वह इलाके में सहजता से पैदल घूमता दिखाई दिया। जांच के दौरान, पुलिस ने अपराधियों की रणनीति को ध्यान में रखते हुए सभी सबूतों को गोपनीय रखा। न तो मीडिया से जानकारी साझा की गई और न ही किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर फुटेज दिखाए गए।
यह मामला पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्हें यकीन था कि यह सुराग उन्हें अपराधियों तक पहुंचाने में मदद करेगा।
पुलिस की मुस्तैदी से 7 दिन में सुलझा सनसनीखेज हत्याकांड
पुलिस के सूझबूझ और सावधानीपूर्वक कार्रवाई से यह मामला महज सात दिनों में सुलझ गया। सीसीटीवी फुटेज और खबरी की मदद से पुलिस ने मुख्य संदिग्ध अनुराग परमार उर्फ बोबी को विनोबा नगर से गिरफ्तार किया। पूछताछ में अनुराग ने खुलासा किया कि इस घटना का मास्टरमाइंड दिलीप देवली था, जो अपने साथी सुनीत उर्फ सुमित चौहान और हिम्मत सिंह देवली के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दे रहा था।
यह गैंग पहले भी कई हत्याएं और लूटपाट की वारदातों में शामिल रही थी। दिलीप और उसके साथी रतलाम के एक किराए के मकान में छिपे हुए थे। पुलिस ने लगातार निगरानी रखी और 2 दिसंबर 2020 को उस मकान पर छापा मारा। गिरफ्तारी के दौरान दिलीप ने पुलिस पर गोलियां चलाईं, लेकिन पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।
गिरफ्तार आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने गोविंद के घर पर ₹30 लाख होने की बात सुनी थी, जो उनके अपराध का मुख्य कारण बना। हालांकि, उन्हें घर से केवल ₹12,000 ही मिले। पुलिस की इस तेजी और मुस्तैदी ने न केवल अपराधियों को पकड़ने में सफलता दिलाई, बल्कि यह भी साबित किया कि सावधानी और गोपनीयता के साथ की गई जांच कितनी कारगर हो सकती है।
यह घटना एक सीख भी देती है कि अपनी व्यक्तिगत और आर्थिक जानकारी अजनबियों या गैर-जरूरी लोगों के साथ साझा करने से बचना चाहिए, क्योंकि छोटी-सी लापरवाही बड़े अपराध का कारण बन सकती है।