देहरादून से पानीपत तक: राशिद के अपराध की पूरी कहानी – Hindi Crime Story

यह कहानी शुरू होती है उत्तराखंड की खूबसूरत राजधानी, देहरादून से। शहर के पटेल नगर के करीब बसी संस्कृति विहार कॉलोनी में एक लड़की रहा करती थी। नाम था शहन जहां, उम्र थी करीब 24 साल। हालाँकि, उसका मूल घर हरिद्वार जिले के जमालपुर कला गाँव में था, लेकिन उसने अपने करियर की तलाश में देहरादून का रुख किया था। यहाँ, संस्कृति विहार के पास एक ब्यूटी पार्लर में वह काम करती थी।

शहन को देहरादून में आए हुए करीब चार-पाँच साल हो चुके थे। वह एक छोटे से किराए के मकान में अकेले रहती थी। उसके परिवार का कोई अन्य सदस्य देहरादून में नहीं रहता था। उसके माता-पिता और बाकी रिश्तेदार हरिद्वार में ही थे। लेकिन यह ऐसा नहीं था कि उसने परिवार से झगड़कर घर छोड़ा हो। दरअसल, शहन की ख्वाहिश थी कि वह अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करे और अपने परिवार को आर्थिक मदद पहुंचाए।

शहन का अपने परिवार से गहरा जुड़ाव था। वह अपने घरवालों से नियमित रूप से फोन पर बात करती थी, खासकर अपनी मां, शहरो जहां से। मां-बेटी के बीच हर रोज बातचीत होती थी। जो भी शहन कमाती थी, उसमें से कुछ पैसे हर महीने घर भी भेजा करती थी। जिंदगी अपनी पटरी पर चल रही थी। शहन अपने काम में खुश थी, माता-पिता भी अपने जीवन में संतुष्ट थे। परिवार साधारण जरूर था, लेकिन खुशहाल था।

फिर, एक दिन, इस नॉर्मल जिंदगी में अचानक एक अनहोनी घट जाती है। यह घटना 2023 के आखिरी महीने, दिसंबर की है। 25-26 दिसंबर के बाद, शहन ने अपनी मां से बात करना बंद कर दिया। 27 दिसंबर को जब मां ने हमेशा की तरह बेटी का हालचाल जानने के लिए फोन किया, तो फोन स्विच ऑफ बता रहा था।

शुरुआत में, मां ने सोचा कि शहन अपने काम में व्यस्त होगी। ब्यूटी पार्लर का काम अनियमित होता है—कभी शादी में जाना पड़ता है, कभी किसी फंक्शन में। मां ने यह मान लिया कि शायद शहन फोन चार्ज करना भूल गई होगी। लेकिन घंटों बाद भी जब फोन स्विच ऑफ ही बताने लगा, तो उनकी चिंता बढ़ने लगी।

मां ने शहन के कुछ दोस्तों से संपर्क किया। किसी के पास कोई जानकारी नहीं थी। किसी ने कहा कि ब्यूटी पार्लर के काम के सिलसिले में शहन दूर गई हो सकती है। लेकिन किसी को पक्की जानकारी नहीं थी। वक्त गुजरता रहा, और मां की बेचैनी बढ़ती गई।

मां ने अपने परिवार और रिश्तेदारों से भी बात की। उन सभी से पूछा, जो शहन के करीब थे। लेकिन किसी को नहीं पता था कि शहन कहाँ है। आखिरी बार जब मां ने शहन से बात की थी, तो बातचीत सामान्य थी। उसने अपने काम का हालचाल बताया था, लेकिन कहीं जाने का जिक्र नहीं किया था।

अगर उसे कहीं जाना होता, तो वह अपनी मां को जरूर बताती। लेकिन अब, सबके मन में एक ही सवाल था—शहन आखिर कहाँ गायब हो गई?

Hindi Crime Story
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गुमशुदगी की गुत्थी और मां की जद्दोजहद

अपनी बेटी की गुमशुदगी से परेशान मां, शहरो जहां, कुछ रिश्तेदारों के साथ देहरादून पहुंचीं। उन्होंने सबसे पहले शहन के किराए के मकान का रुख किया। लेकिन वहां पहुंचने पर देखा कि मकान पर ताला लगा हुआ था। मां ने मकान मालिक और पड़ोसियों से पूछताछ की। पता चला कि शहन को आखिरी बार 26 दिसंबर 2023 को देखा गया था। उसके बाद से वह दिखाई नहीं दी।

मां ने बेटी के काम की जगह, ब्यूटी पार्लर, में भी जाकर जानकारी जुटाई। वहाँ भी यही मालूम हुआ कि शहन ने आखिरी बार 26 दिसंबर को काम पर हाज़िरी दी थी और फिर अचानक आना बंद कर दिया। हर तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद, मां वापस हरिद्वार लौट आईं।

दिन बीतते गए, और शहन की कोई खबर नहीं मिली। 26 दिसंबर 2023 से लापता बेटी की तलाश में एक महीना गुजर गया। अब तो जनवरी 2024 का अंत भी करीब था। मां की चिंता बढ़ती जा रही थी। आखिरकार, 27 जनवरी 2024 को उन्होंने पुलिस की मदद लेने का फैसला किया।

मां ने हरिद्वार के अपने नजदीकी थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज करानी चाही। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी, जो देहरादून में रहती और काम करती है, पिछले एक महीने से लापता है। पुलिस ने जब सुना कि मामला देहरादून से जुड़ा है, तो उन्होंने सलाह दी कि रिपोर्ट देहरादून के थाने में दर्ज करानी होगी।

29 जनवरी 2024 को मां कुछ रिश्तेदारों के साथ देहरादून के पटेल नगर थाने पहुंचीं। वहां उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी 24 साल की बेटी, शहन, 26 दिसंबर से गायब है। उन्होंने यह भी बताया कि शहन के पास एक स्कूटी थी, जो उसके किराए के मकान पर नहीं मिली। हो सकता है, वह स्कूटी लेकर ही कहीं गई हो।

पुलिस ने मां से कई सवाल पूछे—शहन का काम क्या था? वह कहां-कहां जा सकती थी? उसके दोस्त कौन थे? आखिरी बार उसने मां से क्या बात की थी? मां ने हर सवाल का जवाब दिया। उन्होंने यह भी बताया कि जब शहन के पास काम नहीं होता था, तो वह अपनी दोस्तों और सहकर्मियों के साथ घूमने निकल जाती थी।

पुलिस ने मां की बात सुनी और कहा कि शहन समझदार लड़की है, शायद कहीं घूमने गई हो और वापस आ जाएगी। शुरू में पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन घरवालों के बार-बार आग्रह पर शहन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली। हालांकि, शुरुआती जांच में पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह मामला कुछ समय तक ठंडा पड़ा रहा, लेकिन मां के लिए हर दिन एक नई परीक्षा थी।

गुमशुदगी की जांच और छिपे राज़ का खुलासा

शहन की मां और घरवालों ने बेटी को खोजने की हर संभव कोशिश जारी रखी। वे हर दिन पुलिस स्टेशन जाकर अपडेट लेने लगे। उनका यह प्रयास पुलिस पर दबाव डालने में सफल रहा। इसके बाद पुलिस ने भी अपनी जांच तेज कर दी।

सबसे पहले, पुलिस ने उस इलाके की छानबीन शुरू की, जहां शहन रहती थी। पूछताछ के दौरान पता चला कि शहन ने वहां दो अलग-अलग जगहों पर किराए के मकान में रहकर काम किया था। पहले मकान मालिक ने बताया कि शहन लगभग दो-तीन सालों तक उनके मकान में रही, लेकिन सितंबर 2023 में उसने मकान खाली कर दिया।

पुलिस ने दूसरी जगह के मकान मालिक से बात की, जहां शहन सितंबर 2023 से रह रही थी। उसी मकान में रहते हुए वह 26 दिसंबर को लापता हो गई। पड़ोसियों ने भी इस बात की पुष्टि की कि 26 दिसंबर के बाद से उन्होंने शहन को नहीं देखा था। पुलिस ने शहन के ब्यूटी पार्लर में भी जांच की, लेकिन वहां से भी कोई ठोस जानकारी नहीं मिली।

जांच आगे बढ़ी, तो पुलिस को शहन के पहले मकान मालिक से एक चौंकाने वाली जानकारी मिली। मकान मालिक ने बताया कि शहन के पास अक्सर एक दोस्त आया करता था। उनका कहना था कि इस लड़के के लगातार आने के कारण ही शहन ने वह मकान खाली किया और उसी इलाके में दूसरी जगह रहने चली गई।

यह जानकर पुलिस ने तुरंत शहन के दूसरे मकान मालिक से दोबारा पूछताछ की। मकान मालिक ने माना कि शहन के साथ एक लड़का भी रहता था, लेकिन मकान का रेंट एग्रीमेंट केवल शहन के नाम पर था। आस-पड़ोस के लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की कि शहन के साथ कोई लड़का अक्सर देखा जाता था।

हैरानी की बात यह थी कि शहन के लापता होने के बाद से वह लड़का भी गायब हो गया था। पुलिस को शक हुआ कि शायद दोनों साथ में कहीं चले गए हों।

जब पुलिस ने शहन की मां से इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी अकेले रहती थी और उसने कभी इस तरह की बात घरवालों से साझा नहीं की। शहन के दोस्त और सहेलियां तो थीं, लेकिन किसी लड़के का नाम उन्होंने कभी नहीं सुना था।

पुलिस ने शहन के दूसरे किराए के मकान की गहन तलाशी ली। यह एक छोटा सा अपार्टमेंट था। वहां पुलिस को शहन के कपड़े, रोजमर्रा की चीजें, मेकअप का सामान और अन्य कई चीजें मिलीं। पुलिस ने देखा कि शहन का पूरा सामान वहीं था। अगर वह कहीं गई होती, तो वह यह सब साथ ले जाती।

तलाशी से यह भी साफ हुआ कि शहन के साथ सच में कोई और रहता था। घर में कुछ ऐसे संकेत मिले, जो किसी पुरुष के वहां रहने की पुष्टि करते थे। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ था—क्या दोनों ने साथ में भागने का फैसला किया, या फिर मामला कुछ और था?

गुमशुदगी की तहकीकात और रहस्यमयी राशिद का सुराग

जांच के अगले चरण में, पुलिस ने शहन के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और लोकेशन की जानकारी निकालनी शुरू की। घर में सारा सामान वैसे का वैसे था, लेकिन शहन और वह लड़का, जिसके साथ वह रहती थी, आखिर कहां जा सकते थे?

शहन के घरवालों ने किसी प्रेम संबंध या भागने के एंगल को खारिज कर दिया था, लेकिन घर के हालात ऐसे थे, जो दो लोगों के साथ रहने की ओर इशारा कर रहे थे। पुलिस ने यह भी सोचा कि अगर दोनों ने शादी करने के लिए भागने का फैसला किया होता, तो अपना सामान लेकर जरूर गए होते।

सारी परिस्थितियां विरोधाभासी लग रही थीं। पुलिस को शक था कि अगर वे कहीं गए हैं, तो अपने सामान के लिए लौट सकते हैं। इस आधार पर, पुलिस ने अपने मुखबिरों और खबरी नेटवर्क को सतर्क किया और मकान पर नजर रखने का आदेश दिया।

राशिद का नाम सामने आया

पुलिस की टेक्निकल टीम ने शहन के कॉल डिटेल्स की जांच की, जिसमें एक लड़के का नाम सामने आया—राशिद। क्या शहन राशिद के साथ उसी घर में लिव-इन में रह रही थी? क्या वह अपने परिवार के डर से इस रिश्ते को छिपा रही थी?

पुलिस ने राशिद के बारे में और जानकारी जुटाई। पता चला कि राशिद उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के “बागो वाली” नामक गांव का रहने वाला है। इस सुराग के आधार पर देहरादून पुलिस ने मुजफ्फरनगर पुलिस से संपर्क किया और राशिद की तलाश शुरू की।

पुलिस राशिद के घर पहुंची और उसके परिवार से पूछताछ की। परिवार ने बताया कि राशिद नए साल की शुरुआत के बाद से घर से कहीं चला गया है। पुलिस ने राशिद की तस्वीर लेकर संस्कृति विहार में तैनात मुखबिरों को भेज दी और निर्देश दिया कि अगर यह व्यक्ति दिखाई दे, तो तुरंत खबर दें।

राशिद से मां की बातचीत

इस बीच, शहन की मां ने पुलिस को बताया कि वे राशिद को पहले से जानती थीं। उन्हें केवल इतना पता था कि राशिद उनकी बेटी का दोस्त है। जब शहन से संपर्क टूट गया था, तो मां ने राशिद को भी कॉल किया था। राशिद ने तब यही कहा था कि शहन शायद अपने काम, यानी ब्यूटी पार्लर की वजह से व्यस्त होगी। लेकिन कुछ दिन बाद, राशिद का फोन भी स्विच ऑफ हो गया।

जांच का ठहराव

जांच के दिन महीने में बदलने लगे। जनवरी खत्म हुआ, फिर फरवरी, और अब मार्च भी आ गया, लेकिन न शहन का कोई सुराग मिला, न राशिद का। मामला उलझता जा रहा था। पुलिस और परिवार दोनों असमंजस में थे कि यह रहस्यमय गुमशुदगी आखिर किस दिशा में जा रही है।

राशिद की गिरफ्तारी और सच का पर्दाफाश

शहन की मां को जब पुलिस ने राशिद का नाम बताया, तो उनके जेहन में वह लड़का तुरंत आ गया। यह वही नाम था जिससे उन्होंने बेटी के गायब होने पर बात की थी। मामला नया मोड़ तब लेता है, जब 30 मार्च 2024 को एक मुखबिर से सूचना मिलती है कि शहन के किराए के मकान में एक संदिग्ध व्यक्ति आया हुआ है।

पुलिस ने बिना समय गंवाए उस मकान पर छापा मारा। वहां पर एक लड़का घर के अंदर कुछ सामान पैक कर रहा था। पुलिस ने उसे मौके पर ही गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने अपना नाम राशिद बताया। राशिद को तुरंत थाने लाकर कड़ी पूछताछ शुरू हुई।

राशिद ने स्वीकार किया कि शहन उसकी दोस्त थी और वे दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहते थे। लेकिन उसने दावा किया कि बाद में दोनों अलग हो गए, और उसी के बाद उसने देहरादून छोड़ दिया। जब पुलिस ने शहन की आखिरी लोकेशन और राशिद की लोकेशन का मिलान किया, तो चौंकाने वाला सच सामने आया। शहन के फोन की आखिरी लोकेशन उसी किराए के मकान में दिखी थी, और उस समय राशिद भी वहीं मौजूद था।

इस जानकारी ने पुलिस का शक गहरा दिया। पुलिस को पहले से कई ऐसे मामलों का अनुभव था, जहां बिना शादी के लिव-इन में रहने वाले कपल्स के रिश्ते खराब होने के बाद हत्या की वारदातें हुई थीं।

राशिद पर दबाव बढ़ाया गया और उसे पुलिसिया तरीके से ‘खातिरदारी’ की गई। आखिरकार, सख्ती के बाद उसने सच उगलना शुरू कर दिया। इस कबूलनामे से पुलिस के सामने शहन के गुमशुदगी के पीछे का रहस्य उजागर होने की उम्मीद जागी।

एक गलती से शुरू हुई प्रेम कहानी और उसका खौफनाक अंजाम

यह कहानी 2017-18 के आसपास शुरू हुई, जब शहन देहरादून में ब्यूटी पार्लर का काम सीख रही थी और राशिद मुजफ्फरनगर में बाइक मैकेनिक के तौर पर काम कर रहा था। एक दिन राशिद ने गलती से एक गलत नंबर डायल किया, जो शहन का नंबर निकला। शहन के अच्छे अंदाज और मधुर आवाज से प्रभावित होकर राशिद ने फिर से कॉल की और बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया।

फोन पर हुई यह दोस्ती धीरे-धीरे गहराने लगी। दोनों ने मिलने-जुलने और साथ समय बिताने की शुरुआत की। राशिद अक्सर शहन से मिलने देहरादून आता, और उनकी लव स्टोरी परवान चढ़ने लगी। सितंबर 2023 में शहन ने अपना पुराना मकान खाली कर दिया और उसी इलाके में नए मकान में शिफ्ट हो गई। यहीं से दोनों ने लिव-इन में रहना शुरू किया।

शुरुआत में सब कुछ ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे दोनों के बीच खटास आने लगी। शहन के ब्यूटी पार्लर के काम के कारण देर रात घर आना, और उसके काम के बारे में कुछ बातें छिपाना, राशिद के मन में शक पैदा करने लगा। राशिद को लगने लगा कि शहन किसी गलत काम में शामिल है।

26 दिसंबर 2023 की रात, जो उनके रिश्ते की आखिरी रात साबित हुई, शहन रात 2:30 बजे घर लौटी। राशिद ने गुस्से में उससे सवाल किया, लेकिन शहन ने अपने काम का हवाला देकर राशिद को शांत करने की कोशिश की। इसी दौरान बहस ने हिंसक रूप ले लिया। गुस्से में राशिद ने शहन का गला दबा दिया और तब तक दबाए रखा जब तक उसकी मौत नहीं हो गई।

इस हादसे के बाद राशिद को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसकी एक गलती ने प्यार से शुरू हुई इस कहानी को एक खौफनाक अंत तक पहुंचा दिया।

एक गलती से शुरू हुई प्रेम कहानी का खौफनाक अंत और अपराध की साजिश

शहनूर की हत्या के बाद राशिद खुद को बचाने की योजना बनाने लगा। वह क्राइम शो और खबरें देखकर अपराध छुपाने के तरीके सोचता था। सुबह 10 बजे, उसने शहनूर का एटीएम कार्ड लिया, स्कूटी उठाई, और निकल पड़ा। पहले एटीएम से पैसे निकाले, फिर पटेल नगर के विशाल मेगा मार्ट से एक लाल रंग का सूटकेस खरीदा, जिसमें वह शहनूर का शव फिट कर सके। इसके बाद, उसने मुस्कान चौक के पास से रस्सी खरीदी और वापस घर लौट आया।

शव को सूटकेस में डालने में मुश्किल हुई, लेकिन उसने जबरदस्ती शव को उसमें ठूंस दिया। रात में सूटकेस ले जाने का विचार उसे खतरनाक लगा, क्योंकि पुलिस की चेकिंग से शक हो सकता था। इसलिए, उसने दिन में सूटकेस ठिकाने लगाने का फैसला किया। सूटकेस को स्कूटी के पीछे रस्सी से बांधकर, वह सहारनपुर रोड के रास्ते घने जंगल में गया। वहां, उसने सूटकेस को एक खाई में फेंक दिया, जहां वह झाड़ियों में छिप गया।

राशिद वापस घर लौटा और शहनूर का फोन और एटीएम कार्ड अपने पास रख लिया। फिर स्कूटी से मुजफ्फरनगर होते हुए पानीपत पहुंचा, जहां उसकी बहन रहती थी। वहां उसने एक पिकअप गाड़ी के हेल्पर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान, वह न्यूज़ और अखबारों पर नजर रखता रहा कि कहीं शहनूर के बारे में कोई खबर तो नहीं आई। तीन महीने तक मामला शांत रहा, जिससे राशिद को लगा कि उसका राज कभी बाहर नहीं आएगा।

लेकिन देहरादून पुलिस ने जांच जारी रखी। शहनूर के किराए के मकान के आसपास मुखबिर तैनात थे। राशिद के कुछ सामान वहीं रह गए थे, जिन्हें लेने वह 30 मार्च को देहरादून के संस्कृति विहार पहुंचा। मुखबिरों ने उसे पहचानकर पुलिस को सूचना दी, और राशिद को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस ने राशिद की निशानदेही पर जंगल में सूटकेस बरामद किया। सूटकेस के अंदर से सड़ा-गला शव मिला, जो कंकाल बन चुका था। चेहरा पहचानने लायक नहीं था, लेकिन कपड़े और गहनों के जरिए शहनूर की पहचान की गई। डीएनए टेस्ट से पुष्टि हुई। राशिद के पानीपत स्थित बहन के घर से शहनूर का मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड, और स्कूटी भी बरामद की गई।

इस तरह, प्यार और शक के बीच फंसी यह कहानी हत्या और गिरफ्तारी पर खत्म हुई। कोर्ट ने राशिद को जुडिशियल कस्टडी में भेज दिया। अब उसकी पूरी जिंदगी जेल में ही बीतेगी।

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