गुरुग्राम में सामूहिक हत्याकांड , एक पूर्व सैनिक की भयावह साजिश – Gurugram Crime Hindi Crime Story

सुबह करीब 7:30 बजे, जब गुरुग्राम के रजेन पार्क इलाके में पुलिस की गाड़ियों के सायरन गूँजने लगे, तो लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की शुरुआत करते हुए चौंक उठे। कोई बाथरूम में फ्रेश हो रहा था, तो कोई बालकनी में खड़ा था। कोई अपने दाँत साफ कर रहा था, तो कोई फूलों के गमलों की देखभाल में व्यस्त था। रसोई से कुकर की सीटी की आवाजें आ रही थीं। कोई अपने पालतू कुत्ते के साथ टहलने निकला था, तो कुछ लोग पास के छोटे से पार्क में दौड़ते और व्यायाम कर रहे थे।

24 अगस्त की यह सुबह भी हर दिन की तरह साफ आसमान और चमकती धूप के साथ शुरू हुई थी। लेकिन सायरन की आवाज़ ने सबका ध्यान खींच लिया। गलियों में इधर-उधर आते-जाते लोग रुकने लगे और पुलिस की गाड़ियों को एक घर के सामने रुकते देख फुसफुसाने लगे। कुछ लोग तो अपनी छतों और बालकनियों पर पहुँच गए।

पुलिसकर्मियों को गाड़ी से उतरते और रबर के दस्ताने पहनते देख सबकी जिज्ञासा और बढ़ गई। जिस घर के सामने पुलिस का जमावड़ा था, वह रिटायर्ड फौजी राव राय सिंह का था। गुरुग्राम पुलिस स्टेशन के इंचार्ज इंस्पेक्टर सुरेंद्र भी अपनी गाड़ी से उतरे। उनके हाथों में दस्ताने थे और उनके साथ 10-12 पुलिसकर्मी थे।

पुलिस की टीम जैसे ही घर के अंदर गई, वे दो हिस्सों में बँट गए। एक टीम ऊपरी मंजिल पर चली गई, जबकि दूसरी टीम इंस्पेक्टर सुरेंद्र के साथ ग्राउंड फ्लोर पर ही रही। इस नाटकीय घटनाक्रम ने पूरे मोहल्ले में हलचल मचा दी, और हर कोई जानना चाहता था कि आखिर उस घर में ऐसा क्या हुआ है।

भयावह मंजर: रजेन पार्क में पुलिस की सनसनीखेज छानबीन

घर के अंदर कई कमरे थे। पुलिस ने अचानक हर दरवाजे पर दस्तक दी। ज्यादातर दरवाजे या तो बंद थे या बाहर से ताले लगे हुए थे। किसी भी कमरे में कुछ खास नहीं मिला। सिर्फ एक कमरे में एक बुजुर्ग महिला कुर्सी पर बैठी हुई दिखीं। पास के बिस्तर पर एक लड़की सो रही थी। पुलिस ने इशारे से बुजुर्ग महिला को बाहर आने को कहा। उन्होंने सोती हुई लड़की को जगाया।

कुछ ही मिनटों में कमरे से जो लड़की बाहर आई, उसने अपना परिचय राव राय सिंह की पत्नी विमलेश यादव के रूप में दिया। जानकारी के अनुसार, पुलिस की टीम ने ग्राउंड फ्लोर के साथ-साथ पहली मंजिल पर भी गहन जांच शुरू कर दी।

कुछ ही समय बाद, टीम के एक सदस्य ने स्टेशन इंचार्ज को आवाज लगाई। वह तुरंत सीढ़ियाँ उतरते हुए पहली मंजिल पर उस कमरे में पहुँचे, जहाँ से उन्हें बुलाया गया था। कमरे में दाखिल होते ही जो दृश्य उन्होंने देखा, वह भयावह था। कमरे के फर्श पर एक महिला की लाश पड़ी थी। पूरे फर्श पर खून फैला हुआ था। शव पर गहरे जख्म के निशान थे, और उससे खून रिस रहा था।

स्टेशन इंचार्ज अभी घटनास्थल की जांच कर ही रहे थे कि दूसरी मंजिल से एक पुलिसकर्मी की चिल्लाने जैसी आवाज आई। इंचार्ज तुरंत दौड़ते हुए दूसरी मंजिल पर उस कमरे में पहुँचे, जहाँ से आवाज आई थी। कमरे में पहुँचकर जो मंजर उन्होंने देखा, वह किसी भी इंसान को स्तब्ध कर देने वाला था। कमरे के फर्श पर एक-दो नहीं, बल्कि चार लाशें पड़ी थीं।

उस भयावह दृश्य ने सभी को झकझोर कर रख दिया। उन चार शवों में दो मासूम बच्चियां भी थीं। यह दिल दहला देने वाला मंजर देख पुलिसकर्मियों के हाथ-पैर कांपने लगे।

रक्तरंजित रहस्य: मकान मालिक और किरायेदार के रिश्तों की कड़वाहट ने लिखी खौफनाक कहानी

पुलिस ने सभी मृतकों की प्राथमिक जानकारी जुटाई। पहली मंजिल के कमरे से बरामद शव सुनीता यादव और राव राय सिंह के थे। वहीं, दूसरी मंजिल के कमरे में पाए गए शवों में एक किरायेदार कृष्णकांत तिवारी (40) का था, दूसरा उनकी पत्नी अनामिका तिवारी (32) का और बाकी दो शव उनकी बेटियों सुरभि तिवारी और विधि तिवारी के थे। सभी शवों पर गहरे जख्मों के निशान थे, जो इनकी निर्मम हत्या की गवाही दे रहे थे।

पुलिस टीम ने शवों को हटाने का काम शुरू किया। इसी दौरान यह पाया गया कि 6 वर्षीय विधि तिवारी में अभी भी सांसें चल रही थीं। पुलिस ने तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। राव राय सिंह के घर के बाहर शवों को देखकर लोग हैरान रह गए। हर कोई यह सोचने पर मजबूर था कि आखिर इतने शव यहां कैसे और क्यों थे।

मोहल्ले के लोगों को पता था कि पहली मंजिल पर राव राय सिंह की बहू सुनीता यादव रहती थीं, और दूसरी मंजिल पर किरायेदार कृष्णकांत तिवारी अपने परिवार के साथ रहते थे। इन शवों को देखकर यह साफ हो गया कि इनकी बेरहमी से हत्या की गई थी। लेकिन सवाल यह था कि इस भयानक हत्याकांड को किसने अंजाम दिया? और सबसे बड़ा सवाल यह था कि राव राय सिंह आखिर कहाँ हैं?

जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि इस दर्दनाक हत्याकांड की जड़ मकान मालिक और किरायेदार के आपसी रिश्तों की मिठास और कड़वाहट में छिपी है। इन्हीं रिश्तों में बढ़ती खटास ने इस भयावह हत्या का कारण बना दिया। इस दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को सन्न कर दिया और हर किसी के मन में अनगिनत सवाल छोड़ दिए।

कड़वाहट का अंत: राव राय सिंह ने खुद किया खौफनाक खुलासा

बिहार के सीवान निवासी कृष्णकांत तिवारी ने लगभग ढाई साल पहले गुरुग्राम के राव राय सिंह के घर की दूसरी मंजिल पर एक कमरा किराए पर लिया था। वे गुरुग्राम की एक कंपनी में काम करते थे और इससे पहले लक्ष्मण विहार में रहते थे। बिहार से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दिल्ली आए और शुरुआत से ही अपने परिवार के साथ गुरुग्राम में रहे।

जब कृष्णकांत राव राय सिंह के घर आए, तो उन्होंने जल्दी ही मकान मालिक के सभी सदस्यों का विश्वास जीत लिया। उनकी पत्नी अनामिका तिवारी का राव राय सिंह की बहू सुनीता यादव के साथ गहरा मेलजोल हो गया। सुनीता, जो स्वभाव से काफी अलग-थलग रहती थीं और अक्सर अपने मायके जाती थीं, अनामिका के साथ खुलकर बातें करती थीं। इसी क्रम में, कृष्णकांत और सुनीता के बीच भी बातचीत बढ़ने लगी।

राव राय सिंह, जिन्हें इलाके में शांत और सौम्य व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद प्रॉपर्टी का काम करते थे। उन्होंने अपने घर के नीचे एक ऑफिस बनाया हुआ था। लेकिन 24 अगस्त की सुबह उनके घर से एक के बाद एक पाँच शव निकलने से इलाके में सनसनी फैल गई। लोग हैरान थे कि इतना कुछ होने के बावजूद राव राय सिंह अचानक कहाँ गायब हो गए थे, जबकि पिछली शाम और उसी सुबह उन्हें लोगों ने पार्क में टहलते हुए देखा था।

दूसरी ओर, गुरुग्राम पुलिस स्टेशन में 24 अगस्त की सुबह आम दिनों की तरह शांत थी। स्टेशन इंचार्ज अपनी चाय मँगवाकर तरोताजा होने गए थे। लेकिन कुछ देर बाद थाने में अचानक हलचल मच गई। एक व्यक्ति खून से सने गँड़ासे के साथ थाने में दाखिल हुआ और बड़बड़ाने लगा, “मैंने सबको मार डाला, सब खत्म कर दिया। न बाँस रहेगा, न बाँसुरी बजेगी।”

थाने के तीन कांस्टेबल उसे घेरकर सवाल पूछने लगे, “किसे मारा? क्यों मारा? यह गँड़ासा कहाँ से लाए?” लेकिन वह बार-बार वही बात दोहरा रहा था। स्टेशन इंचार्ज ने उसे शांत कराने के लिए कुर्सी पर बैठाया और अपनी चाय पीने के लिए दी, लेकिन उसने मना कर दिया। उसने गँड़ासा टेबल पर रखा, जो खून से सना हुआ था।

स्टेशन इंचार्ज ने उससे पूछा, “तुम कौन हो? और यह गँड़ासा किसका है?” उस व्यक्ति ने जवाब दिया, “साहब, मैं पूर्व सैनिक राव राय सिंह हूँ। मैं इसी थाना क्षेत्र के रजेंद्र पार्क में रहता हूँ।”

स्टेशन इंचार्ज ने पूछा, “यह खून किसका है?”

राव राय सिंह ने ठंडी साँस भरते हुए कहा, “यह मेरा गँड़ासा है। मैंने पाँच लोगों को मारा है।”

स्टेशन इंचार्ज चौंक गए और पूछा, “किसे मारा? क्यों मारा?”

राव राय सिंह ने धीरे-धीरे कहा, “मैंने अपने ही घर में पाँच लोगों को मारा है। सभी लाशें वहीं पड़ी हैं। पहले उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ले जाइए, फिर मुझे जो सज़ा देनी हो, दे दीजिए।”

उनकी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने सिर झुका लिया। उन्होंने कहा, “मेरी बहू भी उनमें से एक है। मैंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन जब वह नहीं मानी, तो मुझे यह कदम उठाना पड़ा। वे सब मरने लायक थे।”

उनकी बात सुनकर स्टेशन इंचार्ज समेत वहाँ मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए। यह घटना राव राय सिंह और उनके किरायेदार के रिश्तों की खटास का भयानक अंत बनकर सामने आई।

रिश्तों की कड़वाहट का खौफनाक अंत: राव राय सिंह की चौंकाने वाली कहानी

राव राय सिंह की बात सुनने के बाद पुलिस स्टेशन इंचार्ज ने तुरंत उन्हें हिरासत में ले लिया और इस सनसनीखेज हत्याकांड की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसके बाद, पुलिस टीम रजेंद्र पार्क स्थित राव राय सिंह के घर की ओर रवाना हो गई। सुबह 7:30 बजे जब पुलिस टीम वहाँ पहुँची, तो ऐसा लग रहा था मानो उन्हें पहले से सबकुछ पता था। राव राय सिंह द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर शव बरामद किए गए। संयोग से, एक छोटी बच्ची की साँसें चल रही थीं, जिसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पुलिस ने शवों का पंचनामा कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और आगे की कार्रवाई के लिए कागजी काम में जुट गई। हालांकि, स्टेशन इंचार्ज के दिमाग में अभी भी यह सवाल था कि इतने जघन्य हत्याकांड के पीछे कौन सा अपराधी हो सकता है। उन्होंने रजेंद्र पार्क इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की जाँच के आदेश दिए और फुटेज जुटाने का निर्देश दिया। इसके बाद, उन्होंने राव राय सिंह से फिर से पूछताछ की।

राव राय सिंह ने खुलासा किया कि इस हत्याकांड के पीछे एक अवैध संबंध का मामला था। उन्होंने बताया कि उनकी बहू सुनीता अक्सर अपने मायके जाया करती थी और वहाँ लंबा समय बिताती थी। यह घटना जनवरी 2021 की है। एक दिन, जब सुनीता अपने मायके से ससुराल लौटी, तो पूरे दिन घर के कामकाज के बाद, शाम को वह दूसरी मंजिल पर रहने वाली अनामिका से मिलने गई। उस समय, राव राय सिंह अपनी छत पर पानी की टंकी साफ कर रहे थे।

जब सुनीता अनामिका को कमरे में नहीं पाकर लौटने लगी, तभी किचन से कृष्णकांत की आवाज आई। उन्होंने पूछा, “कैसी हो? मायके में सब ठीक है? अनामिका दिल्ली में अपने रिश्तेदार के घर गई है। बच्चे भी साथ गए हैं। वह एक-दो दिन में लौट आएगी।” कृष्णकांत ने चाय बनाने का प्रस्ताव दिया और सुनीता से बात करने लगा।

उसी दौरान, छत से उतरते हुए राव राय सिंह ने सुनीता की हँसी सुनी। उन्हें यह बात अजीब लगी क्योंकि उन्हें पता था कि कृष्णकांत की पत्नी और बच्चे घर पर नहीं थे। उन्होंने वहाँ कुछ समय रुककर कृष्णकांत के कमरे की ओर देखा। कमरे के दरवाजे पर पर्दा लगा था, लेकिन उसके किनारे से अंदर की हल्की झलक मिल रही थी। उन्होंने देखा कि सुनीता बिस्तर पर बैठी हुई थी और कृष्णकांत उसके लिए चाय लेकर आया।

सुनीता के चेहरे की खुशी और उसकी हँसी ने राव राय सिंह को अंदर तक झकझोर दिया। उनके मन में शक और गुस्से की आग भड़क उठी। इस घटना ने उनके भीतर गहरे द्वंद्व को जन्म दिया, जिसने अंततः इस खौफनाक हत्याकांड का रूप ले लिया।

यह कहानी रिश्तों की कड़वाहट और गलतफहमियों का वह पहलू उजागर करती है, जिसने पाँच लोगों की जान ले ली और इलाके में सन्नाटा फैला दिया।

संदेह, नाराजगी और त्रासदी: राव राय सिंह की कहानी का नया मोड़

सुनीता चाय का कप लेकर रसोई में चली गई। कृष्णकांत भी उसके पीछे-पीछे चला गया। राव राय सिंह समझ गए कि दोनों अंदर वाले कमरे में गए होंगे। अपनी बहू की इस हरकत को देखकर उनका गुस्सा उबल रहा था, परंतु वह शांत बने रहे। इसी दौरान, उनकी पत्नी ने नीचे से आवाज लगाई, “क्या पानी की मोटर चालू कर दूँ?” सिंह का ध्यान भंग हुआ। उन्होंने सीढ़ियाँ चढ़ते हुए कहा, “हाँ, चला दो।”

कुछ समय बाद, राय सिंह फिर से सीढ़ियाँ उतर रहे थे, तभी उन्होंने सुनीता को कृष्णकांत के कमरे से बाहर आते देखा। वह घबराई हुई दौड़कर निकली और राय सिंह से टकराने से बाल-बाल बची। सुनीता बिना कुछ कहे फर्स्ट फ्लोर पर अपने कमरे में चली गई। राय सिंह को अब इस बात का पक्का यकीन हो गया था कि सुनीता और कृष्णकांत के बीच कोई अनुचित रिश्ता है। उनका शक विश्वास में बदल गया, लेकिन उन्होंने खुद को शांत बनाए रखा।

यह घटना राय सिंह के दिमाग में बार-बार घूम रही थी। उनके मन में उठते सवाल उन्हें रातों की नींद नहीं लेने देते थे। वह परेशान रहने लगे और यह चिंता बढ़ने लगी कि कहीं सुनीता उनके बेटे को धोखा न दे। हालांकि, सच यह था कि सुनीता और कृष्णकांत के बीच कोई अनैतिक रिश्ता नहीं था।

राय सिंह ने किसी से इस बारे में बात नहीं की, न ही अपनी पत्नी को बताया। लेकिन उनके भीतर का गुस्सा और शक धीरे-धीरे बढ़ता रहा। वह सुनीता के स्वभाव को भली-भाँति जानते थे और समझते थे कि उस पर दबाव डालना बेकार होगा। सुनीता पर कुछ कहने का मतलब था खुद अपमानित होना।

कोरोना की दूसरी लहर और तनाव का बढ़ना
फरवरी 2021 में सुनीता फिर से अपने मायके चली गई। इसके बाद मार्च में कोरोना की दूसरी लहर आई। लॉकडाउन और कर्फ्यू ने लोगों की आवाजाही मुश्किल कर दी। मई 2021 में कृष्णकांत को अपने गाँव से खबर मिली कि उनके पिता बीमार हैं। वह अपने परिवार के साथ गाँव चले गए। गाँव से लौटकर जब वह गुरुग्राम आए, तो उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी।

एक ओर कृष्णकांत ने अपनी नौकरी खो दी थी, वहीं दूसरी ओर सात महीने का किराया बाकी था। किराए को लेकर कृष्णकांत और राय सिंह के बीच कई बार बहस हो चुकी थी। अगस्त 2021 में रक्षाबंधन से पाँच दिन पहले राय सिंह गाँव से लौटे। उन्होंने कृष्णकांत को न केवल किराया न देने के लिए डांटा, बल्कि उसकी स्थिति पर भी सवाल खड़े किए।

तनाव, शक और रिश्तों का टूटना
राय सिंह के मन में शक और नाराजगी दोनों बढ़ रही थीं। उनका गुस्सा सुनीता और कृष्णकांत पर बार-बार उभरता, लेकिन वह उसे बाहर नहीं निकाल पा रहे थे। यह दबाव और तनाव अंततः एक खौफनाक त्रासदी में बदल गया, जो किसी के लिए भी अप्रत्याशित थी।

हत्या का खौफनाक प्लान: राय सिंह की अंतहीन नफरत की दास्तान

राय सिंह पहले से ही अपनी बहू सुनीता के व्यवहार को लेकर चिंतित थे। उन्होंने सोचा कि किराए के बहाने कृष्णकांत को घर से निकाल देंगे, जिससे सुनीता का ध्यान वहां से हट जाएगा और उनके बीच का रिश्ता खत्म हो जाएगा। लेकिन जब उन्होंने कृष्णकांत से किराया मांगा, तो उसने कुछ समय की मोहलत मांगी। इसी दौरान, 19 अगस्त को सुनीता भी अपने मायके से गुरुग्राम लौट आई।

जब राय सिंह ने फिर से किराए की बात की, तो सुनीता ने कृष्णकांत और उसके परिवार का पक्ष लिया। उसने कहा कि ऐसे कठिन समय में वह कहां जाएंगे। सुनीता की इस बात से राय सिंह को गहरी चोट लगी, क्योंकि यह बात उन्होंने कृष्णकांत के सामने कही थी। राय सिंह ने इसे अपना अपमान समझा।

शक का बढ़ना और गंडासा तैयार करना
सुनीता के कृष्णकांत का पक्ष लेने से राय सिंह का शक गहराने लगा। उन्होंने सुनीता और कृष्णकांत के बीच किसी अनैतिक संबंध की कल्पना कर ली। उनका शक उन्हें रातों को सोने नहीं देता था। एक रात, अचानक उन्होंने उठकर गंडासा तेज करना शुरू कर दिया। उनकी पत्नी विमलेश ने यह देखकर पूछा तो उन्होंने पेड़ों की छंटाई का बहाना बना दिया।

19 अगस्त से 23 अगस्त तक राय सिंह गंडासा तेज करते रहे। आखिरकार, 30 अगस्त की रात को उन्होंने अपना खतरनाक प्लान लागू करने का मन बना लिया। उनके बेटे आनंद यादव दोस्तों के साथ खाटू श्याम मंदिर गए हुए थे। आधी रात के बाद, राय सिंह उठे, गंडासा निकाला और छत की ओर बढ़ने लगे। उनकी पत्नी विमलेश जाग गईं, लेकिन उन्होंने सोचा कि शायद यह पेड़ों की छंटाई का काम होगा।

पहला हमला: सुनीता पर
राय सिंह पहले फ्लोर पर सुनीता के कमरे के दरवाजे पर गए। गहरी नींद में सुनीता ने दरवाजा खोला। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, राय सिंह ने गंडासा उसके सिर पर दे मारा। सुनीता चीखकर जमीन पर गिर पड़ी। राय सिंह ने उसके शरीर पर कई वार किए, जिससे खून बहने लगा।

दूसरा हमला: कृष्णकांत और परिवार पर
इसके बाद, राय सिंह सीधे दूसरी मंजिल पर कृष्णकांत के कमरे में गए। कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। उन्होंने सबसे पहले कृष्णकांत के सिर पर गंडासा से वार किया। पहला ही वार इतना गहरा था कि कृष्णकांत बेहोश हो गया। राय सिंह ने गुस्से में सात और वार किए, जिससे कृष्णकांत की मौके पर ही मौत हो गई।

कृष्णकांत की पत्नी, अनामिका, चीख-पुकार सुनकर उठी। उसने अपने घायल पति को देखा और उसकी ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन राय सिंह ने उस पर भी गंडासा से हमला किया। इस बीच, बच्चों ने अपने माता-पिता को खून से लथपथ देखा और राय सिंह से मिन्नतें करने लगे, “चाचा, हमें माफ कर दो, मत मारो।”

लेकिन राय सिंह ने अपना आपा खो दिया था। उन्होंने अनामिका और बच्चों पर भी बेरहमी से गंडासा चलाया।

हत्या के बाद: अजीब शांति
इस भयानक हत्याकांड को अंजाम देने के बाद राय सिंह अपने कमरे में गए। उन्होंने बाथरूम में जाकर स्नान किया, साफ कपड़े पहने और पंखे के नीचे बैठ गए। सुबह 4:30 बजे उन्होंने अपने दैनिक कार्य शुरू कर दिए।

6:30 बजे पार्क से लौटने के बाद, राय सिंह ने फिर से लाशों को देखा। गंडासा हाथ में लेकर वह सीधे थाने चले गए। वहां उन्होंने अपराध स्वीकार करते हुए कहा, “मैंने सबको मार डाला, सब खत्म कर दिया।”

हत्या की पुष्टि और जांच का निष्कर्ष

घटना की पुष्टि इलाके में लगे तीन सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से हुई। राय सिंह के कपड़ों पर लगे खून के धब्बे और गंडासा पर खून के निशानों की जांच से यह साफ हो गया कि वही हत्यारा था।

सुनीता के भाई अशोक यादव ने इस हत्या के खिलाफ राजेंद्र पार्क थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में सुनीता के ससुराल वालों पर पैसे की मांग का आरोप लगाया गया। बताया गया कि इसी कारण से सुनीता का अक्सर अपने ससुराल में झगड़ा होता और वह मायके चली जाती।

गुरुग्राम के राजेंद्र पार्क पुलिस थाने ने हर पहलू को ध्यान में रखते हुए परिवार के सभी सदस्यों के बयान लिए। सभी सबूतों और गवाही के आधार पर आरोपी राव राय सिंह को न्यायिक हिरासत में लिया गया।

मासूम की जिंदगी की जंग
इस पूरे हत्याकांड की एकमात्र जीवित गवाह और पीड़ित, छह साल की विधि तिवारी, गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद बच गई। उसे तुरंत दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था।

यह घटना न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे इलाके के लिए एक भयानक त्रासदी के रूप में सामने आई, जिसमें शक, अविश्वास, और हिंसा ने एक साथ मिलकर एक परिवार को तबाह कर दिया।

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