डॉक्टर ओम प्रकाश और उनके बेटे की रहस्यमयी मौत
गोरखपुर जिले के शाहपुर इलाके में अशोक नगर कॉलोनी में एक यादव परिवार रहता था। यह परिवार काफी सफल माना जाता था क्योंकि घर के बड़े बेटे राजकुमार यादव पुलिस इंस्पेक्टर थे, और छोटे बेटे ओम प्रकाश यादव डॉक्टर थे। सभी भाइयों की शादी हो चुकी थी और परिवार खुशहाल था।
साल 2016 में ओम प्रकाश ने अपने घर में निर्माण कार्य शुरू करवाया। रोज़ सुबह 9 बजे मजदूर और मिस्त्री काम पर आते और शाम 6 बजे लौट जाते। लेकिन 21 जनवरी 2016 की सुबह जब मजदूर काम पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि ओम प्रकाश अभी तक सोकर नहीं उठे थे, जो उनके लिए असामान्य था क्योंकि वह डॉक्टर थे और सुबह जल्दी क्लिनिक चले जाते थे। मजदूरों ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जब दरवाजे को हल्का धक्का दिया, तो वह खुल गया।
जैसे ही मजदूर कमरे के अंदर गए, तो वहां का नज़ारा देखकर उनकी चीख निकल गई। वे घबराकर भागते हुए नीचे आ गए। उसी समय, पास के एक कमरे से किसी महिला के चिल्लाने की आवाज़ आई, लेकिन डर के कारण मजदूरों ने ध्यान नहीं दिया और नीचे आ गए। घरवालों और पड़ोसियों ने जब शोर सुना, तो वे भी इकट्ठा हो गए।
जब सभी लोग ऊपर पहुंचे और ओम प्रकाश के कमरे में गए, तो देखा कि वह बिस्तर पर मृत पड़े थे। उनके सिर से खून बहकर जम चुका था और फर्श पर भी खून फैला हुआ था। उनके बगल में उनका बेटा नितिन भी सो रहा था, लेकिन पास जाकर देखने पर पता चला कि उसकी भी मृत्यु हो चुकी थी।
इसी बीच, पास के कमरे से फिर दरवाजा पीटने की आवाज़ आई। दरवाजा बाहर से बंद था। जब उसे खोला गया, तो अंदर ओम प्रकाश की पत्नी अर्चना बदहवास हालत में खड़ी थी। वह बहुत डरी हुई थी और भागकर अपने बेडरूम में गई। लेकिन जैसे ही उसने पति और बेटे का शव देखा, वह बेहोश होकर गिर पड़ी। इस दृश्य ने मानो उसकी दुनिया ही उजाड़ दी थी।

मातम, पुलिस जांच और हाई-प्रोफाइल केस
घर और मोहल्ले में मातम पसर गया था। परिवार की महिलाएं रो रही थीं, माहौल गमगीन था। इसी बीच, किसी पड़ोसी ने पुलिस को सूचना दे दी। शाहपुर थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और तुरंत घटनास्थल को सील कर दिया। फिर उन्होंने ओम प्रकाश और उनके बेटे नितिन के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया।
ओम प्रकाश के बड़े भाई, पुलिस इंस्पेक्टर राजकुमार यादव, जो बलरामपुर जिले के उतरौला थाने में तैनात थे, को भी इस दुखद घटना की खबर दी गई। खबर मिलते ही वे तुरंत गोरखपुर के लिए रवाना हो गए।
उधर, ओम प्रकाश की मां बागेश्वरी देवी की शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और लूट की एफआईआर दर्ज कर ली। वहीं, अर्चना के पिता दीपचंद यादव, जो पीएसी में तैनात थे और उस समय लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास की ड्यूटी पर थे, को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, उन्होंने सीएम ऑफिस से ही गोरखपुर एसपी को फोन कर तुरंत हत्यारों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए।
सीएम ऑफिस से फोन आते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में एसएसपी आईपीएस लव कुमार समेत तमाम अधिकारी और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। मामला हाई-प्रोफाइल बन चुका था, जिससे मीडिया भी घटना स्थल पर पहुंचने लगी।
पुलिस की जांच और ओम प्रकाश का अतीत
पुलिस पर हर तरफ से दबाव बढ़ता जा रहा था। जब पुलिस ने वारदात वाले कमरे की अच्छी तरह से जांच की, तो देखा कि सारा सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। देखने से ऐसा लग रहा था जैसे लूटपाट हुई हो, क्योंकि अर्चना के गहने और मोबाइल जैसी कीमती चीजें गायब थीं। मामला साफ तौर पर लूट का लग रहा था, लेकिन पुलिस इस बात को समझ नहीं पा रही थी कि अगर बदमाश सिर्फ लूट के इरादे से आए थे, तो उन्होंने डॉक्टर को इतनी बेरहमी से क्यों मारा?
अगर मान लिया जाए कि ओम प्रकाश ने विरोध किया होगा, तो बदमाशों ने उन्हें मार दिया, लेकिन उनके 4 साल के बेटे को क्यों मारा गया? वह बच्चा तो उनका कोई विरोध भी नहीं कर सकता था। इससे एक ही बात समझ आ रही थी कि बच्चा शायद हमलावरों को पहचानता होगा।
पुलिस को घर में काम कर रहे मजदूरों पर शक होने लगा क्योंकि वही लोग रोज़ वहां मौजूद थे। पुलिस ने मजदूरों और ठेकेदारों से पूछताछ की, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने ओम प्रकाश के पुराने जीवन की जांच करने का फैसला किया और उसके लिए परिवारवालों से पूछताछ की।
उनकी मां बागेश्वरी देवी ने बताया कि साल 2007 में ओम प्रकाश की शादी सिंगापुर में रहने वाली एक लड़की से हुई थी। इस लड़की का परिवार पहले गोरखपुर में ही रहता था, लेकिन काम के सिलसिले में सिंगापुर चला गया और वहीं बस गया। लड़की बचपन से ही सिंगापुर में पली-बढ़ी थी और वहां एक बैंक में काम करती थी।
शादी के बाद अचानक उसे भारत आना पड़ा, जिससे उसकी पूरी जिंदगी बदल गई। उसका रहन-सहन, बोलचाल, कपड़े पहनने का तरीका और माहौल सबकुछ अलग था। जहां वह सिंगापुर में बैंक की नौकरी कर रही थी, वहीं अब उसे घर के काम करने पड़ रहे थे। उसे इस नए माहौल में घुटन महसूस होने लगी।
इस वजह से शादी ज्यादा दिन तक नहीं चली। सिर्फ 6 महीने बाद वह लड़की सिंगापुर लौट गई और दोबारा अपनी बैंक की नौकरी जॉइन कर ली। कुछ दिनों बाद उसने ओम प्रकाश को तलाक दे दिया। इस घटना से ओम प्रकाश और उसके परिवार को गहरा झटका लगा था।
दूसरी शादी और पारिवारिक मतभेद
पहली शादी टूटने से ओम प्रकाश को काफी दुख हुआ, लेकिन इसमें वह कुछ कर नहीं सकते थे। इधर, उनका क्लिनिक अच्छी तरह चल रहा था और उनकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी। वे युवा थे और कोई भी अपनी बेटी उनके साथ शादी के लिए खुशी-खुशी दे सकता था। इसलिए उनकी मां, बागेश्वरी देवी, फिर से उनके लिए रिश्ता देखने लगीं। हालांकि, उन्हें यह जरूर महसूस हो रहा था कि उनका बेटा तलाकशुदा है, लेकिन इसके अलावा कोई समस्या नहीं थी। वह एक डॉक्टर थे और अच्छी कमाई कर रहे थे।
धीरे-धीरे ओम प्रकाश की शादी की बात दीपचंद यादव तक पहुंची। उनकी बेटी अर्चना यादव शादी के लायक थी। दीपचंद यादव मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले थे, लेकिन नौकरी के कारण उनका परिवार लखनऊ में बस गया था। वह पीएसी में अधिकारी थे और लखनऊ में तैनात थे।
जब उन्होंने सुना कि ओम प्रकाश की पहली शादी हो चुकी है, तो उन्हें थोड़ी झिझक हुई। लेकिन जब उन्हें पता चला कि वह शादी हालात की वजह से टूटी थी और इसमें ओम प्रकाश की कोई गलती नहीं थी, तो उन्होंने इस रिश्ते को लेकर गंभीरता से सोचा। दोनों परिवार मिले और बातचीत के बाद 2009 में अर्चना और ओम प्रकाश की शादी हो गई।
शादी के बाद अर्चना अपने ससुराल आ गई। ओम प्रकाश का संयुक्त परिवार था, जिसमें कई सदस्य थे। इस वजह से अर्चना को घर के बहुत सारे काम संभालने पड़ते थे। फिर, शादी के तीन साल बाद, 2012 में उनके बेटे नितिन का जन्म हुआ। बेटे के जन्म के बाद अर्चना की जिम्मेदारियां और बढ़ गईं।
धीरे-धीरे वह घर के कामों से परेशान होने लगी। एक दिन उसने गुस्से में ओम प्रकाश से कहा कि वह इतने बड़े परिवार के साथ नहीं रह सकती और अब वे अलग घर लेकर रहेंगे। यह सुनकर ओम प्रकाश को गुस्सा आ गया। उसने कहा कि जिन भाइयों और मां ने उसे पाला, पढ़ाया और डॉक्टर बनाया, वह उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जाएगा।
जब यह बात ओम प्रकाश के परिवार को पता चली, तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है अगर वे अलग रहना चाहते हैं। लेकिन ओम प्रकाश अपने परिवार से दूर नहीं होना चाहता था। इस पर घरवालों ने सुझाव दिया कि वह अपने परिवार के साथ रहकर भी स्वतंत्रता चाहता है तो फर्स्ट फ्लोर पर अलग रह सकता है और अपना खाना अलग बना सकता है।
अर्चना इस बात के लिए मान गई, और दोनों फर्स्ट फ्लोर पर रहने लगे। इसके बाद अर्चना ने ससुराल के अन्य लोगों से दूरी बना ली और सिर्फ अपने काम से मतलब रखने लगी। अब उसे ज्यादा घर के काम भी नहीं करने पड़ते थे। समय बीतता रहा, और दोनों अपने ढंग से जीवन बिताने लगे।
जांच में सामने आए अहम सुराग
21 जनवरी 2016 को ओम प्रकाश और उनके बेटे नितिन की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस सनसनीखेज वारदात के बाद डीआईजी और एसएसपी लव कुमार जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। साथ ही, फॉरेंसिक टीम को भी घर की जांच के लिए बुला लिया गया। इस मामले पर मुख्यमंत्री की भी नजर थी, इसलिए पुलिस पर जल्द से जल्द केस सुलझाने का दबाव था।
जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि घर के पीछे वाले मुख्य दरवाजे और फर्स्ट फ्लोर के गेट की कुंडी अंदर से टूटी हुई थी। यह बात संदिग्ध थी क्योंकि आमतौर पर लुटेरे बाहर से दरवाजा तोड़ते हैं, न कि अंदर से। फर्स्ट फ्लोर के दरवाजे पर ज्यादा तोड़फोड़ के निशान थे, जिससे साफ था कि जबरदस्ती दरवाजा तोड़ा गया होगा और इस दौरान घर में काफी शोर हुआ होगा। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि घरवालों को यह शोर सुनाई क्यों नहीं दिया?
पुलिस को पूछताछ में पता चला कि 20 जनवरी की रात उनके घर से थोड़ी दूरी पर एक जानने वाले के यहां वेडिंग एनिवर्सरी की पार्टी थी। इस पार्टी में ओम प्रकाश के परिवार के सभी लोग गए हुए थे। लेकिन उस दिन अर्चना की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वह घर पर ही रुक गई थी। बाद में ओम प्रकाश अपने बेटे नितिन को लेकर जल्दी ही घर लौट आए थे क्योंकि उनका बेटा अपनी मां के पास जाने की जिद कर रहा था। यानी वारदात के समय घर पर केवल ओम प्रकाश, उनकी पत्नी अर्चना और उनका 4 साल का बेटा नितिन मौजूद थे।
घटना के बाद अर्चना का रो-रोकर बुरा हाल था, लेकिन फिर भी पुलिस ने उससे पूछताछ की। अर्चना ने बताया कि जब वह घर में अकेली थी, तब कुछ बदमाश दरवाजे की कुंडी तोड़कर अंदर घुस आए। चूंकि वह दूसरे कमरे में सो रही थी, इसलिए बदमाशों ने उसे कमरे में बंद कर दिया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि ओम प्रकाश के सिर के पिछले हिस्से पर किसी भारी चीज से हमला किया गया था। लेकिन उसके शरीर पर कहीं और चोट के निशान नहीं थे, जिससे यह साफ हो गया कि उसके और हमलावरों के बीच कोई संघर्ष नहीं हुआ था। यानी उसकी हत्या सोते समय की गई थी।
अब सवाल यह उठ रहा था कि बदमाशों ने 4 साल के मासूम बच्चे को भी मार डाला, लेकिन अर्चना को क्यों छोड़ दिया? अर्चना के शरीर पर किसी भी तरह की चोट के निशान नहीं थे, जिससे पुलिस को इस मामले में और भी संदेह होने लगा।
जांच का नया मोड़
अर्चना से पूछताछ के बाद पुलिस ने ओम प्रकाश की मां बागेश्वरी देवी से भी सवाल-जवाब किए। उनकी बातों से पुलिस की जांच का पूरा एंगल ही बदल गया।
बागेश्वरी देवी ने बताया कि जब अर्चना अपने ससुरालवालों से अलग हुई, तो उसे ज्यादा काम नहीं करना पड़ता था, जिससे उसकी दिनचर्या आरामदायक हो गई थी। इसी वजह से वह दिनभर फोन में व्यस्त रहने लगी। शुरुआत में ओम प्रकाश ने सोचा कि वह घर में अकेली होने के कारण बोरियत मिटाने के लिए फोन चला रही है। लेकिन धीरे-धीरे अर्चना का फोन पर वक्त बिताना बढ़ता गया। अब वह न सिर्फ घर के कामों से बल्कि अपने पति और बेटे से भी दूरी बनाने लगी थी।
जब ओम प्रकाश ने अर्चना से फोन दिखाने को कहा, तो वह देने से मना कर देती। इसी वजह से दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए। हालात इतने बिगड़ गए कि दिसंबर 2015 में अर्चना ने अपना बेडरूम छोड़ दिया और पास वाले कमरे में अकेले रहने लगी। अब ओम प्रकाश और उनका बेटा नितिन बेडरूम में सोते थे, जबकि अर्चना अलग रहती थी।
बागेश्वरी देवी की इन बातों से पुलिस को समझ आ गया कि पति-पत्नी के रिश्ते खराब हो चुके थे। अब पुलिस को शक हुआ कि कहीं अर्चना ने ही ओम प्रकाश की हत्या की साजिश तो नहीं रची? लेकिन यह शक तब कमजोर पड़ गया जब पुलिस ने सोचा कि अगर अर्चना ने पति के झगड़ों से तंग आकर उसकी हत्या करवाई होती, तो उसके बेटे नितिन का कत्ल क्यों किया जाता? कोई भी मां अपने 4 साल के मासूम बेटे की हत्या करवाने के बारे में नहीं सोच सकती।
फिर भी पुलिस ने इस दिशा में जांच जारी रखने का फैसला किया। अगर अर्चना की संलिप्तता थी, तो इसे साबित करने के लिए ठोस सबूत चाहिए थे। इसलिए पुलिस ने अर्चना का मोबाइल कब्जे में ले लिया और उसकी कॉल डिटेल्स निकलवाने का फैसला किया। पुलिस को उम्मीद थी कि मोबाइल डिटेल्स से कोई न कोई अहम सुराग जरूर मिलेगा।
अर्चना और अजय का रिश्ता – पुलिस की जांच में बड़ा खुलासा
पुलिस ने जब अर्चना के मोबाइल की कॉल डिटेल्स निकाली, तो पता चला कि वह किसी एक नंबर पर घंटों बात करती थी। जब पुलिस ने उस नंबर की लोकेशन ट्रेस की, तो पता चला कि 20 जनवरी की रात को वह व्यक्ति गोरखपुर में ही मौजूद था। फोन नंबर की जांच के बाद पुलिस को पता चला कि उस व्यक्ति का नाम अजय यादव है। वह जिला पंचायत का सदस्य होने के साथ-साथ एक प्राइमरी स्कूल में टीचर भी था।
पुलिस को शक हो गया कि अजय और अर्चना के बीच अफेयर चल रहा है। लेकिन उस समय हालात ऐसे नहीं थे कि अर्चना को पुलिस स्टेशन बुलाकर सख्ती से पूछताछ की जाए। इसलिए पुलिस ने अजय से ही पूछताछ करने का फैसला किया।
जल्द ही अजय के पते का पता लगाया गया। वह फिरोजाबाद के स्वामीनगर में रहता था। बिना देरी किए पुलिस की एक टीम फिरोजाबाद पहुंची और अजय को हिरासत में लेकर गोरखपुर ले आई। जब पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ की, तो उसने जो कहानी बताई, उसे सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई।
अजय ने कबूल किया कि उसकी और अर्चना की दोस्ती करीब एक साल पहले, 2015 में हुई थी। उस समय अर्चना और ओम प्रकाश के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े होते रहते थे। इसी दौरान अर्चना और अजय फोन पर बातें करने लगे, और धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं।
जब ओम प्रकाश ने अर्चना से पूछा कि वह फोन पर किससे इतनी बातें करती है, तो अर्चना ने उसे झूठ बोल दिया। उसने कहा कि अजय उसका दूर का रिश्तेदार है। धीरे-धीरे दोनों पति-पत्नी के बीच दूरी इतनी बढ़ गई कि अर्चना ने अपना बेडरूम छोड़ दिया और अलग कमरे में रहने लगी।
इसी दौरान अजय ने अर्चना को लखनऊ बुलाने की योजना बनाई। संयोग से अर्चना का मायका भी लखनऊ में था, जिससे उसे वहां जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। अजय ने लखनऊ में एक कमरा बुक कर लिया और अर्चना उससे मिलने के बहाने मायके जाने लगी। दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए थे।
जब ओम प्रकाश अपने क्लिनिक या किसी काम से घर पर नहीं होता था, तो अर्चना अजय को अपने ससुराल बुला लेती थी। किसी को शक न हो, इसलिए उसने घरवालों को पहले ही बता रखा था कि अजय उसका दूर का रिश्तेदार है। चूंकि ओम प्रकाश और उनका बेटा अलग बेडरूम में सोते थे, इसलिए अर्चना और अजय को मिलने में कोई परेशानी नहीं होती थी।
लेकिन जब ओम प्रकाश को इन दोनों पर शक हुआ, तो उसने एक दिन अर्चना से साफ-साफ कह दिया कि अब से वह अजय को घर पर नहीं बुलाएगी और न ही उससे कोई बात करेगी। इस टकराव ने हालात को और तनावपूर्ण बना दिया।
अर्चना और अजय का खौफनाक प्लान – पति और बेटे की बेरहमी से हत्या
अर्चना के इरादे खतरनाक थे। जब ओम प्रकाश ने उसे अजय से बात करने से मना किया, तो उसने एक नया सिम खरीद लिया और उसी नंबर से अजय से बात करने लगी। धीरे-धीरे दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। अजय को पता था कि अर्चना शादीशुदा है और उसका एक बेटा भी है, लेकिन फिर भी वह शादी के लिए तैयार हो गया।
अब उनकी राह में सबसे बड़ी रुकावट ओम प्रकाश था। उसे हटाने के लिए दोनों ने 20 जनवरी 2016 का दिन चुना, क्योंकि उस दिन परिवार के बाकी लोग घर से थोड़ी दूर एक वेडिंग एनिवर्सरी में गए थे। पूरा घर खाली था, और यह उनके लिए सही मौका था।
अजय अवध एक्सप्रेस ट्रेन से गोरखपुर पहुंचा। उसने अपने साथ एक हथौड़ा भी लाया था। वहां से वह सीधा अर्चना के ससुराल पहुंचा। पहले दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए, फिर रात करीब 10 बजे ओम प्रकाश अपने बेटे नितिन को लेकर पार्टी से घर लौट आया। अर्चना ने पहले ही अजय को अपने कमरे में छुपा दिया था।
थोड़ी देर बाद अर्चना अपने पति और बेटे के साथ बेडरूम में चली गई। उसने अपने बेटे को सुलाया और ओम प्रकाश भी टीवी देखकर सो गए। जब अर्चना को यकीन हो गया कि ओम प्रकाश गहरी नींद में है, तो वह चुपके से अपने कमरे में आई और अजय को जगाया। रात करीब 12 बजे दोनों ओम प्रकाश के कमरे में पहुंचे।
अजय ने अपने साथ लाए हथौड़े से ओम प्रकाश के सिर पर वार करना शुरू कर दिया। अचानक हुई इस वारदात से पास में सो रहा 4 साल का नितिन जाग गया। उसने अपने पिता के सिर से खून बहता देखा और डरकर अपनी मां की गोद में छुप गया।
लेकिन अर्चना ने कोई दया नहीं दिखाई। उसने अजय से कहा कि नितिन को भी मारना पड़ेगा, क्योंकि उसने सब देख लिया है और सुबह होते ही दादी को सब बता देगा। अजय ने ऐसा करने से मना कर दिया, लेकिन अर्चना ने खुद अपने मासूम बेटे का गला दबा दिया और तब तक दबाए रखा जब तक उसकी जान नहीं चली गई।
हत्या के बाद अजय और अर्चना कुछ देर तक साथ रहे और एक बार फिर संबंध बनाए। इसके बाद दोनों ने मिलकर घर का सामान बिखेर दिया ताकि मामला लूटपाट का लगे। अर्चना ने घर में रखा कैश और गहने भी चुरा लिए। फिर वह अपने कमरे में चली गई, और अजय ने बाहर से कुंडी लगा दी।
इसके बाद अजय गोरखपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा और ट्रेन पकड़कर फिरोजाबाद चला गया। हालांकि, पुलिस ने जल्द ही इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया। अजय के पास से कत्ल में इस्तेमाल किया गया हथौड़ा, चोरी किए गए गहने, मोबाइल फोन और कई अहम सबूत बरामद हुए।
आखिरकार, 22 जनवरी 2016 को गोरखपुर पुलिस ने इस पूरे मामले का खुलासा कर दिया और अर्चना और अजय का खूनी खेल सबके सामने आ गया।
अदालत का फैसला और अर्चना की बेरहमी
पुलिस ने अर्चना और अजय के बयानों और सबूतों के आधार पर चार्जशीट तैयार की और उन्हें कोर्ट में पेश किया। इसके बाद मुकदमा शुरू हुआ। 17 अक्टूबर 2020 को गोरखपुर सेशन कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए उन पर जुर्माना लगाया और उम्रकैद की सजा सुनाई। फिलहाल, अर्चना और अजय दोनों जेल में सजा काट रहे हैं।
अर्चना को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था। जब जेल में महिला कैदियों ने उससे उसके बेटे की हत्या को लेकर सवाल किया, तो उसने बेपरवाही से जवाब दिया – “मैंने ही उसे पैदा किया था और मैंने ही उसे मार डाला, इससे तुम्हें क्या लेना-देना?” यह सुनकर महिला कैदी गुस्से में आ गईं और उसकी पिटाई कर दी। पुलिस को बीच-बचाव करके अर्चना को छुड़ाना पड़ा और उसे अलग बैरक में भेज दिया गया।
इसके अलावा, अर्चना ने जेल प्रशासन से कई बार अजय से मिलने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी कानूनी तौर पर शादी न होने की वजह से जेल प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी।
फिलहाल, यह मामला अभी भी हाई कोर्ट में चल रहा है और अंतिम फैसला आना बाकी है।
इस घटना से क्या सीख मिलती है?
इस कहानी का मकसद सिर्फ इसे सुनाना नहीं, बल्कि आपको सचेत करना है। रिश्तों में विश्वास, ईमानदारी और सही फैसलों का कितना महत्व होता है, यह घटना हमें सिखाती है। इस पूरी घटना पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में जरूर बताएं!
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