दिल्ली में खौफनाक मर्डर: सीमापुरी में स्कूल के गार्ड की बेरहमी से हत्या
दिल्ली के सीमापुरी इलाके में 2018 की एक सुबह ने सभी को झकझोर कर रख दिया। 5 मार्च की सुबह, बाल कॉन्वेंट स्कूल के मालिक संजीव शर्मा को उनके पड़ोसी नदीम ने यह चौंकाने वाली खबर दी कि स्कूल का गेट खुला हुआ है और गार्ड देवीलाल की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही।
यह सुनते ही संजीव शर्मा नदीम के साथ फौरन स्कूल पहुंचे। जब वे गार्ड देवीलाल के कमरे में दाखिल हुए, तो वहां का नजारा खौफनाक था। देवीलाल की खून से सनी लाश पलंग पर पड़ी थी। उसके सिर पर गहरी चोटें थीं और दोनों कलाईयों पर कट के गहरे निशान थे। कमरे की दीवारों और फर्श पर खून के छींटे साफ इस बात की गवाही दे रहे थे कि यह हत्या बेहद हिंसक तरीके से की गई थी।
कमरे में लूटपाट के भी संकेत मिले। अलमारियां खुली पड़ी थीं, सामान बिखरा हुआ था, और पास की मेज पर शराब की बोतल, दो गिलास, और अधूरा खाना रखा था। यह दृश्य साफ कर रहा था कि हत्या से पहले अपराधी और गार्ड के बीच कोई बातचीत या झगड़ा हुआ होगा।
संजीव शर्मा और नदीम, इस खौफनाक दृश्य को देखकर सन्न रह गए। उन्होंने तुरंत 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। सीमापुरी थाना क्षेत्र के एसआई आनंद कुमार और एसआई सौरभ कुछ ही समय में मौके पर पहुंच गए।
घटनास्थल पर धीरे-धीरे आसपास के लोग भी जमा होने लगे। पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया और पाया कि किसी भारी वस्तु से गार्ड के सिर पर वार किया गया था। वहीं, कलाई पर गहरे कट इस बात की ओर इशारा कर रहे थे कि उसे प्रताड़ित भी किया गया हो सकता है।
सीमापुरी की इस घटना ने इलाके में सनसनी फैला दी। स्थानीय लोग भय और असमंजस में थे, वहीं पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। क्या यह सिर्फ एक लूटपाट थी, या इसके पीछे कोई और साजिश छिपी थी? इस सवाल ने हर किसी के मन में हलचल मचा दी।
स्कूल गार्ड हत्याकांड: पुलिस की जांच में मिले चौंकाने वाले सुराग
सीमापुरी में स्कूल गार्ड देवीलाल की हत्या की खबर मिलने के बाद एसआई सौरभ ने तुरंत थाना प्रभारी संजीव गौतम को सूचित किया। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। प्रारंभिक जांच में यह साफ हुआ कि हत्यारा स्कूल में मित्रवत तरीके से दाखिल हुआ था। उसने देवीलाल के साथ बैठकर शराब पी और फिर मौका पाकर उसकी हत्या कर दी।
अलमारियों के खुले होने और सामान के बिखरे होने से यह संकेत मिला कि हत्यारा लूट के इरादे से आया था। पुलिस को शक था कि हत्या में देवीलाल का कोई जानकार शामिल हो सकता है।
स्कूल के मालिक संजीव शर्मा ने बताया कि देवीलाल, जिनका असली नाम दीनदयाल था, जम्मू के गुड़िया गांव का रहने वाला था। वह दो साल से स्कूल में रात के समय सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम कर रहा था। संजीव ने ही उसे यह नौकरी और रहने के लिए स्कूल में कमरा दिया था।
थाना प्रभारी संजीव गौतम ने मौके पर क्राइम इन्वेस्टिगेशन टीम को बुलाया, जिसने शराब की बोतल और गिलास से फिंगरप्रिंट्स उठाए। इसके बाद देवीलाल की लाश को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा गया।
डीसीपी नूपुर प्रसाद और एसीपी राम सिंह को मामले की जानकारी दी गई। डीसीपी ने इसे गंभीरता से लेते हुए एसीपी राम सिंह के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम का गठन किया। पुलिस ने स्कूल के मालिक से गार्ड की दिनचर्या और जीवनशैली के बारे में जानकारी ली।
संजीव शर्मा ने बताया कि देवीलाल पहले सीमापुरी की एक ट्रैवल एजेंसी में 20 साल तक गार्ड की नौकरी कर चुका था। उसकी पत्नी और बच्चे जम्मू में रहते थे। स्कूल में सीसीटीवी कैमरे केवल दिन में चालू रहते थे, इसलिए रात की फुटेज उपलब्ध नहीं थी।
कॉल डिटेल्स ने खोला राज
कोई ठोस सुराग न मिलने पर पुलिस ने देवीलाल के मोबाइल की कॉल डिटेल्स खंगालने का फैसला किया। जांच में पता चला कि 3 मार्च 2018 की रात 10:30 बजे, देवीलाल के फोन पर आखिरी कॉल सीमापुरी की रहने वाली महिला अंजलि के नंबर से की गई थी।
जब अंजलि के फोन नंबर की कॉल डिटेल्स की जांच हुई, तो एक और संदिग्ध नंबर सामने आया, जिसकी लोकेशन उसी रात अंजलि के साथ घटनास्थल पर थी। पुलिस ने अंजलि के घर पहुंचकर पूछताछ शुरू की।
अंजलि पुलिस को देखकर घबरा गई। इंस्पेक्टर जेके सिंह के पूछने पर उसने बताया, “मेरा बेटा उसी स्कूल में पढ़ता है जहां देवीलाल गार्ड था। कभी-कभी उससे मिलना होता था, लेकिन इससे ज्यादा मैं उसे नहीं जानती।”
अंजलि के जवाब और कॉल डिटेल्स से मिले दूसरे नंबर ने पुलिस को केस सुलझाने के लिए नई दिशा दी। क्या यह हत्या सिर्फ लूट के इरादे से की गई थी, या इसके पीछे कोई और बड़ी साजिश थी? यह रहस्य जल्द खुलने वाला था।
पैसे, मोहब्बत और खून: अंजलि की कहानी ने खोले हत्या के राज
इंस्पेक्टर जेके सिंह ने अंजलि को सख्ती से पूछताछ के लिए थाने बुलाया। जब उससे पूछा गया कि 3 मार्च की रात 10:30 बजे वह देवीलाल के कमरे में क्या कर रही थी, तो अंजलि पहले चुप रही। लेकिन दबाव बढ़ने पर उसने एक ऐसा सच उगला जिसने मामले की गुत्थी सुलझा दी। अंजलि ने माना कि उसने अपने प्रेमी साजिद उर्फ शेरू के साथ मिलकर देवीलाल की हत्या की थी।
40 वर्षीय देवीलाल सीमापुरी की एक ट्रैवल एजेंसी में पिछले 20 सालों से काम कर रहा था। दिन की नौकरी से उसकी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं, इसलिए उसने बाल कॉन्वेंट स्कूल में रात की गार्ड की नौकरी शुरू की। स्कूल के मालिक ने उसे रहने के लिए स्कूल में ही एक कमरा दिया था।
देवीलाल अपनी पत्नी प्रमिला और बच्चों से दूर दिल्ली में अकेले रहता था। खाली समय में वह बाजारू महिलाओं के संपर्क में रहता और दो नौकरियों के कारण जल्द ही उसने पैसे जमा कर लिए। वह अपने पैसे बेहद गुप्त रूप से अपने अंडरवियर की जेब में रखता था।
अंजलि, जिसने पति की मौत के बाद अपने बेटे कपिल के साथ सीमापुरी में जीवन शुरू किया, देवीलाल से स्कूल के गेट पर मिली। शुरुआत में यह रिश्ता बेटे कपिल के प्रति गार्ड की सहानुभूति से शुरू हुआ। धीरे-धीरे देवीलाल और अंजलि के बीच एक निजी रिश्ता बन गया।
देवीलाल ने अंजलि की हर संभव मदद की। वह उसे महंगी शराब पिलाता और पैसों से उसकी सहायता करता। दोनों का यह रिश्ता इतना गहरा हो गया कि आसपास के लोगों को उनके संबंधों के बारे में पता चल गया, लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं थी।
अंजलि का दूसरा प्रेमी साजिद, जो उसकी मौसी मधु का पति था, इस रिश्ते से नाराज था। साजिद ने अंजलि के पति की मौत के बाद उसे सहारा दिया था और उनके बीच शारीरिक संबंध भी थे। लेकिन जब साजिद को अंजलि और देवीलाल के रिश्ते के बारे में पता चला, तो उसने अंजलि पर देवीलाल से रिश्ता तोड़ने का दबाव डाला।
अंजलि, जो देवीलाल के पैसों और समर्थन के कारण उससे अलग नहीं होना चाहती थी, दोनों के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश करती रही। लेकिन साजिद की नाराजगी बढ़ती गई।
साजिद और अंजलि ने मिलकर देवीलाल को रास्ते से हटाने की साजिश रची। 3 मार्च की रात अंजलि ने साजिद को अपने साथ देवीलाल के कमरे में बुलाया। दोनों ने देवीलाल को शराब पीने के लिए राजी किया और मौका देखकर उसकी हत्या कर दी। साजिद ने लूटपाट का नाटक किया ताकि इसे एक सामान्य अपराध के रूप में दिखाया जा सके।
लालच, धोखा, और हत्या: देवीलाल के कत्ल की साजिश
अंजलि और साजिद की जिंदगी में लालच और नफरत ने खतरनाक मोड़ ले लिया। साजिद की इनोवा कार खराब थी, और उसकी मरम्मत के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में अंजलि ने उसे एक क्रूर योजना सुझाई। उसने बताया कि देवीलाल के पास काफी पैसे हैं और अगर वे उसे मार दें, तो वे आसानी से इस धन को हासिल कर सकते हैं। साजिद, जो पहले से ही देवीलाल से नफरत करता था, लालच के चलते इस योजना में शामिल हो गया।
3 मार्च 2018 की रात देवीलाल का मूड अच्छा था। उसने अंजलि को फोन किया और मिलने के लिए बुलाया। उसने पहले ही विस्की की बोतल और खाना तैयार कर लिया था। यह सुनकर अंजलि और साजिद की आंखों में खतरनाक खुशी झलक उठी।
रात 10 बजे, अंजलि साजिद की बुलेट मोटरसाइकिल पर बैठकर स्कूल के पास पहुंची। जैसे ही अंजलि स्कूल में दाखिल हुई, देवीलाल की नजरें उस पर टिक गईं। वह उसे देखकर मोहित हो गया।
अंजलि को कमरे में बुलाकर देवीलाल ने उसे बाहों में भर लिया और अपने कमरे में ले गया। लेकिन अंजलि के इरादे कुछ और थे। उसने देवीलाल से कोल्ड ड्रिंक लाने की फरमाइश की। देवीलाल के कमरे से बाहर जाते ही, अंजलि ने साजिद को फोन किया और उसे अंदर बुला लिया। साजिद कमरे में छिप गया, और दोनों ने अपने अगले कदम की तैयारी शुरू कर दी।
देवीलाल को कोल्ड ड्रिंक में विस्की मिलाकर पिलाया गया। अंजलि ने खुद कम शराब पी, लेकिन देवीलाल को बेहोशी की हालत में पहुंचा दिया। मदहोश देवीलाल को देखकर अंजलि ने साजिद को इशारे से बुलाया।
अंजलि ने साजिद से कहा, “अब इसे खत्म कर दो।” साजिद ने बिना देर किए लोहे की रड उठाई और देवीलाल के सिर पर जोरदार हमला किया। एक ही वार ने देवीलाल की जिंदगी का अंत कर दिया।
दोनों ने योजना के अनुसार देवीलाल की हत्या को अंजाम दिया। लेकिन यह हत्या उनकी लालच और नफरत की एक कहानी बनकर रह गई, जो उन्हें कानून के शिकंजे में फंसा सकती थी।
अपराध और पश्चाताप: लालच ने कैसे बर्बाद की मासूम की दुनिया
देवीलाल की हत्या के बाद, साजिद और अंजलि ने उसकी जेब और अंडरवियर से छुपाकर रखे गए नकद और उसका मोबाइल फोन चुरा लिया। लेकिन अपराध का सिलसिला यहीं नहीं रुका।
जब वे वहां से निकलने लगे, अंजलि के मन में डर पैदा हुआ। उसे लगा कि अगर देवीलाल किसी तरह बच गया, तो वह पुलिस को सब कुछ बता देगा। इस आशंका में, उसने साजिद से कहा, “देवीलाल की कलाई की नसें काट दो।” साजिद ने अपने साथ लाए पेपर कटर से देवीलाल के दोनों हाथों की नसें काट दीं, जिससे उसका खून तेजी से बहने लगा और मौत सुनिश्चित हो गई।
हत्या के बाद, दोनों अपराधी शांतिपूर्वक अपने-अपने घर लौट गए। लेकिन कानून से बचना उनके लिए नामुमकिन था। अंजलि की निशानदेही पर पुलिस ने साजिद को गिरफ्तार कर लिया। दोनों की जानकारी के आधार पर पुलिस ने देवीलाल से लूटे गए ₹00,000 नकद, तीन मोबाइल फोन, मोटरसाइकिल, और हत्या में इस्तेमाल की गई लोहे की रॉड व पेपर कटर बरामद कर लिया।
7 मार्च को, पुलिस ने अंजलि और साजिद को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। कानून ने अपना काम किया, लेकिन इस अपराध ने कई जिंदगियों पर गहरा असर डाला।
अंजलि के लालच और गलत कदमों की सजा सबसे अधिक उसके मासूम बेटे कपिल को भुगतनी पड़ी। जिस मां ने उसे अपनी दुनिया का सबसे बड़ा खजाना माना था, उसी की हरकतों ने उसे अपराध और अपराधियों की काली छाया में ला खड़ा किया।
यह मामला हमें एक गहरी सीख देता है कि लालच और अपराध न केवल अपराधी को, बल्कि उसके परिवार और प्रियजनों को भी तबाह कर देता है। अंजलि का कदम न सिर्फ उसकी जिंदगी बल्कि उसके बेटे के भविष्य के लिए भी एक त्रासदी बन गया।