27 अगस्त 2022 की शाम को वैशाली बलसारा अपने पति हरेश से कहकर घर से निकली कि वह एक दोस्त से मिलने जा रही है और कुछ जरूरी काम भी है, इसलिए जल्दी वापस आ जाएगी। हरेश ने ज्यादा सवाल नहीं किए क्योंकि वैशाली एक सिंगर थी और उसे लोगों से मिलना पड़ता था।
शाम 6:45 बजे वैशाली अपनी कार से निकल गई, लेकिन कई घंटे बीतने के बाद भी वह घर नहीं लौटी। हरेश ने उसे फोन किया, लेकिन उसका मोबाइल स्विच ऑफ था। इसके बाद, हरेश ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को फोन किया, लेकिन किसी को भी वैशाली के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
अब हरेश को चिंता होने लगी। वह तुरंत अपनी गाड़ी लेकर वैशाली को ढूंढने निकल पड़ा, लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी ना तो वैशाली मिली और ना ही उसने फोन उठाया। हरेश ने सोचा कि शायद वह किसी जरूरी काम में फंसी हो और देर रात तक लौट आएगी। यही सोचकर वह घर आकर इंतजार करने लगा।
रात भर इंतजार के बाद भी वैशाली नहीं लौटी। अगले दिन सुबह होते ही हरेश पुलिस स्टेशन पहुंचा और अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उधर, वलसाड पुलिस भी तुरंत वैशाली की तलाश में जुट गई, लेकिन सुबह से शाम हो गई और पुलिस को भी वैशाली का कोई सुराग नहीं मिला।

नदी किनारे मिली लाश
28 अगस्त 2022 की शाम को वलसाड शहर के पर्डी इलाके में एक आदमी टहल रहा था। जब वह मेन रोड से हटकर दूसरी सड़क पर आया, तो उसने देखा कि नदी के किनारे एक गाड़ी लावारिस हालत में खड़ी थी। उसे शक हुआ, तो वह गाड़ी के पास गया और अंदर झांककर देखा। यह नजारा देखकर वह घबरा गया, क्योंकि कार के अंदर एक लड़की की लाश पड़ी थी। उसने तुरंत पुलिस को फोन कर दिया।
चूंकि यह इलाका पर्डी पुलिस के अंतर्गत आता था, इसलिए वलसाड पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। कार और लाश की हालत देखकर पुलिस को समझ आ गया कि यह मर्डर का मामला है। लड़की की गर्दन पर गला दबाने के निशान थे और उसका शव कार में ठूंसकर रखा गया था, जो किसी सामान्य मौत का मामला नहीं लग रहा था। इसके अलावा, कार की चाबी और लड़की का मोबाइल फोन भी गायब थे।
पुलिस को सबसे पहले यह पता लगाना था कि मरने वाली लड़की कौन है। उसी दिन सुबह हरेश बलसारा ने अपनी पत्नी वैशाली की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि उसकी पत्नी 27 अगस्त को किसी से मिलने की बात कहकर घर से निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी।
पुलिस ने तुरंत हरेश को फोन किया और कहा कि पर्डी इलाके में नदी के किनारे एक बलेनो कार में एक महिला की लाश मिली है, हो सकता है कि वह उसकी पत्नी हो। यह सुनते ही हरेश तुरंत मौके पर पहुंचा। जैसे ही उसने अपनी पत्नी की कार और उसकी लाश देखी, वह फूट-फूट कर रोने लगा। अब यह साफ हो गया था कि मरने वाली लड़की कोई और नहीं, बल्कि हरेश की पत्नी वैशाली बलसारा ही थी।
कत्ल की गुत्थी और बबीता कौशिक का नाम
अब तक पुलिस के साथ-साथ आसपास के लोग भी वैशाली और हरेश को पहचान चुके थे। दोनों इस इलाके में मशहूर थे—वैशाली एक गरबा सिंगर थी, और हरेश एक गिटारिस्ट। लेकिन अब बड़ा सवाल यह था कि आखिर वैशाली का कत्ल कैसे हुआ? सुनसान जगह पर, उसकी ही कार में उसकी जान किसने ली? क्या यह किसी रिश्ते की उलझन का नतीजा था, कोई प्रॉपर्टी विवाद था, या फिर कुछ और?
इन सवालों के जवाब के लिए पुलिस ने सबसे पहले वैशाली की लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और हरेश से पूछताछ शुरू की। लेकिन हरेश ने सिर्फ यही बताया कि वैशाली 27 अगस्त को किसी से मिलने की बात कहकर घर से निकली थी, मगर उसने यह नहीं बताया था कि वह किससे मिलने जा रही है। हरेश के बयान और उसके रवैये से पुलिस को लगने लगा कि वह कुछ नहीं छुपा रहा है। इसलिए शुरुआती पूछताछ के बाद ही पुलिस ने उसे शक से बाहर कर दिया।
अब पुलिस के सामने चुनौती थी कि वैशाली के कातिल तक कैसे पहुंचा जाए। जांच को आगे बढ़ाने के लिए वलसाड पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस और आठ अलग-अलग पुलिस टीमों को काम पर लगाया। सबसे पहले, पुलिस ने वैशाली के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकाली और उस रास्ते के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जहां से वह गुजरी थी। इस जांच में दो अहम सुराग मिले।
पहला सुराग यह था कि वैशाली ने घर से निकलने से पहले और उसके बाद भी किसी बबीता कौशिक नाम की महिला से बात की थी। दूसरा सुराग यह था कि 27 अगस्त की शाम को मौका-ए-वारदात के आसपास के सीसीटीवी कैमरों में बबीता कौशिक कई जगह दिखी थी। यह दोनों बातें एक-दूसरे से मेल खा रही थीं। इसके अलावा, पुलिस को यह भी पता चला कि बबीता कौशिक वैशाली की बहुत अच्छी दोस्त थी।
पुलिस ने बिना देरी किए बबीता को पूछताछ के लिए बुलाने का फैसला किया। लेकिन एक समस्या थी—बबीता नौ महीने की गर्भवती थी और कभी भी बच्चे को जन्म दे सकती थी। ऐसे में उससे सख्ती से पूछताछ करना सही नहीं था, क्योंकि इससे उसकी और उसके बच्चे की जान को खतरा हो सकता था। इसलिए पुलिस ने एक मेडिकल ऑफिसर की मौजूदगी में उससे सवाल-जवाब शुरू किए।
पुलिस को पहले ही मिले सबूतों और बबीता की बॉडी लैंग्वेज से शक हो रहा था कि वह इस कत्ल में किसी न किसी तरह शामिल है। लेकिन अभी सारी कड़ियां जोड़नी बाकी थीं। जैसे ही पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की, इस हत्या से जुड़े कई राज एक के बाद एक सामने आने लगे।
बबीता का झूठ और सच्चाई का खुलासा
पूछताछ के दौरान बबीता ने पहले तो यह मानने से इनकार कर दिया कि वह 27 अगस्त को पर्डी इलाके में गई थी। लेकिन जब पुलिस ने बताया कि उनके पास कई सीसीटीवी फुटेज हैं, तो बबीता को सच कबूल करना पड़ा। उसने माना कि वह शाम को पर्डी इलाके में गई थी और वहां अपनी दोस्त वैशाली से मिली थी।
इसके बाद, पुलिस ने बबीता को उसकी ही बातों में फंसाने के लिए एक चाल चली। उन्होंने उससे पूछा कि क्या उसने वैशाली को किसी और के साथ देखा था। बबीता ने तुरंत जवाब दिया कि हां, उस दिन वैशाली अपनी कार में दो लोगों के साथ थी।
यहीं पर पुलिस ने बबीता की सच्चाई परखने के लिए एक और तरीका अपनाया। उन्होंने जानबूझकर उसे एक ऐसे व्यक्ति की फोटो दिखाई, जिसका इस मामले से कोई संबंध नहीं था। बबीता पहले से ही इस मामले से बचना चाहती थी, इसलिए उसने झूठ बोलते हुए कह दिया कि हां, उसने उस व्यक्ति को वैशाली के साथ देखा था। बस, यहीं से पुलिस को यकीन हो गया कि बबीता झूठ बोल रही है।
इसके बाद पुलिस ने उसे सच्चाई से सामना करवाया और बताया कि जिस व्यक्ति को वह वैशाली के साथ देखे जाने की बात कह रही थी, वह तो वैशाली को जानता तक नहीं था। अब बबीता के पास कोई रास्ता नहीं बचा और थोड़ी सख्ती के बाद उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
लेकिन सवाल यह था कि नौ महीने की गर्भवती बबीता, जो किसी भी दिन मां बनने वाली थी, आखिर क्यों अपनी ही दोस्त वैशाली की हत्या की साजिश रचने लगी? और अगर बबीता ने कत्ल की योजना बनाई थी, तो वह इसे अकेले अंजाम नहीं दे सकती थी। यानी इस हत्या में कोई और भी शामिल था।
अब पुलिस के सामने अगली चुनौती यह थी कि वह दूसरा व्यक्ति कौन था? पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी और जल्द ही इस सवाल का जवाब भी मिल गया।
दोस्ती, कर्ज और हत्या की साजिश
इस घटना से करीब एक साल पहले वैशाली और बबीता की मुलाकात एक फंक्शन में हुई थी। दोनों ने नंबर एक्सचेंज किए और फिर फोन पर बातें करने लगीं। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी हो गई। बबीता को जब भी पैसों की जरूरत पड़ती, वह वैशाली से मांग लेती, और वैशाली बिना कोई सवाल किए उसे पैसे दे देती थी।
समय के साथ बबीता ने अलग-अलग मौकों पर वैशाली से बड़ी रकम उधार ली। सिर्फ एक साल में वैशाली ने उसे कुल ₹ 10 लाख उधार दे दिए। लेकिन अब वैशाली अपने पैसे वापस मांग रही थी, जबकि बबीता उन्हें लौटाना नहीं चाहती थी। बबीता की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, इसलिए वह टेंशन में थी। उसने वैशाली से कह दिया कि वह पूरी रकम एक साथ नहीं दे सकती, मगर धीरे-धीरे चुका देगी। वैशाली मान भी गई, लेकिन बबीता का इरादा पैसे लौटाने का था ही नहीं।
जैसे-जैसे कर्ज बढ़ता गया, दोनों की दोस्ती में कड़वाहट आनी शुरू हो गई। वैशाली ने जब बबीता पर पैसे लौटाने का दबाव बढ़ाया, तो बबीता ने एक खतरनाक फैसला लिया—उसने सोचा कि वैशाली को ही रास्ते से हटा दिया जाए।
बबीता सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती थी और वहीं उसकी बात सुखविंद्र सिंह नाम के शख्स से हुई। उसने वैशाली को मारने के लिए सुखविंद्र को तैयार कर लिया। लेकिन सुखविंद्र ने इसके बदले ₹10 लाख मांगे। बबीता ने मोलभाव किया और सौदा ₹ 8 लाख में तय हो गया।
सुखविंद्र अकेले इस काम को अंजाम नहीं दे सकता था, इसलिए उसने अपने दोस्त त्रिलोक सिंह को भी इस साजिश में शामिल कर लिया। अब तीन लोग मिलकर वैशाली की हत्या की योजना बना चुके थे।
दोस्ती, विश्वास और खतरनाक साजिश
वैशाली बबीता को अपनी अच्छी दोस्त मानती थी और उस पर पूरा भरोसा करती थी। जब भी बबीता उसे बुलाती, वह बिना कोई शक किए चली जाती थी। 27 अगस्त की शाम को भी बबीता ने वैशाली को फोन किया और उधार दिए गए पैसे वापस करने का बहाना बनाया।
प्लान के मुताबिक, बबीता और दो सुपारी किलर वलसाड के पर्डी इलाके में एक बंद डायमंड फैक्ट्री में पहुंचे। बबीता स्कूटी से आई थी, लेकिन वारदात से करीब 1 किलोमीटर पहले ही उसने स्कूटी पार्क कर दी और ऑटो लेकर फैक्ट्री तक गई। उसने वैशाली को भी वहीं बुला लिया। वैशाली पैसे लेने के लिए जैसे ही वहां पहुंची, बबीता पहले से उसका इंतजार कर रही थी।
बबीता वैशाली की कार में बैठी और उससे बातें करने लगी। वह अपने साथ ₹ लाख भी लेकर आई थी। उसने पैसे वैशाली को दिए और कहा कि इन्हें गिन लो। जैसे ही वैशाली पैसे गिनने लगी, तभी दोनों सुपारी किलर वहां आ गए। बबीता ने उन्हें अपना कजिन बताकर कार में बैठा लिया। लेकिन कार में बैठते ही उन्होंने वैशाली को क्लोरोफॉर्म सुंघाकर बेहोश कर दिया और फिर उसका गला घोंट दिया।
इसके बाद उन्होंने वैशाली की लाश को कार की पिछली सीट पर डाल दिया। फिर सबूत मिटाने के लिए उसकी कार और लाश को नदी किनारे लावारिस हालत में छोड़कर फरार हो गए। बबीता जो ₹ लाख अपने दोस्त को लौटाने के बहाने लाई थी, उसने वही रकम इन सुपारी किलर्स को दे दी।
पुलिस ने इस बयान के आधार पर बबीता को गिरफ्तार कर लिया और पंजाब से सुपारी किलर सुखविंद्र को भी पकड़ लिया। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि वैशाली ने इतनी बड़ी रकम उधार देने की बात अपने पति हरेश से भी छुपा रखी थी। हरेश को यह भी नहीं पता था कि वैशाली के पास इतना पैसा आया कहां से था। वारदात के दिन भी जब बबीता ने उसे पैसे लौटाने के बहाने बुलाया, तब भी उसने अपने पति को कुछ नहीं बताया। इसी वजह से जब हरेश ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई, तो उसने उधार के पैसों का जिक्र तक नहीं किया।
अगर पुलिस को वैशाली के कॉल रिकॉर्ड से बबीता के साथ हुई आखिरी बातचीत और सीसीटीवी फुटेज का सबूत नहीं मिलता, तो शायद यह सच कभी सामने नहीं आता। गर्भवती बबीता की इतनी भयानक साजिश और अपनी ही दोस्त के साथ गद्दारी की यह कहानी सुनकर पूरा गुजरात हैरान रह गया था।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी और उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। फिलहाल इस केस में सभी आरोपियों पर हत्या, साजिश रचने और सबूत मिटाने के आरोपों में कानूनी कार्रवाई जारी है।
यह कहानी सुनाने का मकसद किसी को डराना नहीं, बल्कि आपको सतर्क करना है। दोस्ती और भरोसे के नाम पर कभी भी आंख मूंदकर किसी पर विश्वास न करें। इस घटना पर आपकी क्या राय है? कमेंट में जरूर बताएं।
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