बंद मकान से आती बदबू ने खोला राज, अंदर का नजारा देख पुलिस भी दंग
13 जून 2023 को देहरादून के क्लेमेंट टाउन इलाके में एक व्यक्ति ने पुलिस को फोन करके बताया कि उसके पड़ोस के एक घर से बहुत तेज बदबू आ रही है, और वह बदबू धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। उसने आगे बताया कि जब उन्होंने उस घर को जाकर देखा तो दरवाजे पर बाहर से ताला लगा हुआ था, और बदबू इतनी तेज थी कि वहां खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था।
जब उन्होंने दरवाजा खटखटाया, तो अंदर से अचानक एक बच्चे के रोने की आवाज आई। इससे उन्हें लगा कि घर के अंदर कोई मौजूद है। उन्होंने फिर से दरवाजा खटखटाया, लेकिन इस बार कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद उन्होंने पुलिस को बुलाने का फैसला किया और पुलिस से आकर जांच करने की गुजारिश की।
जानकारी मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। वहां पहले से कुछ पड़ोसी भी खड़े थे, और मकान मालिक सुहेल भी मौजूद थे। सुहेल ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे, लेकिन बदबू ऊपर की मंजिल से आ रही थी। पुलिस ने फर्स्ट फ्लोर पर जाकर देखा कि वहां दो दरवाजे थे—एक दरवाजा बाहर से ताले में बंद था और दूसरा अंदर से। हालांकि, एक दरवाजे पर जाली लगी हुई थी, जिससे बदबू बाहर आ रही थी।
पुलिस ने जाली काटकर घर के अंदर जाने का फैसला किया। कुछ पड़ोसी भी पुलिस के साथ अंदर गए, लेकिन जब वे बेडरूम में पहुंचे, तो वहां का नजारा इतना भयानक था कि पुलिस और पड़ोसी सब सन्न रह गए।

बंद कमरे में दो लाशें और पास में पड़ा जिंदा नवजात बच्चा
कमरे के अंदर फर्श पर दो लाशें पड़ी थीं। देखने से लग रहा था कि एक शव किसी पुरुष का और दूसरा किसी महिला का था। दोनों शव काफी खराब हालत में थे, ऐसा लग रहा था कि वे कई दिनों से वहां पड़े थे। उनके नाक और गले से खून निकला हुआ था, जो फर्श पर सूखकर काला पड़ चुका था। लाशों पर कीड़े भी रेंग रहे थे।
लेकिन तभी वहां मौजूद लोगों की नजर एक ऐसी चीज पर पड़ी, जिसने सबको हैरान कर दिया। उन दोनों लाशों के पास एक नवजात बच्चा पड़ा था। जब पुलिस ने उसे चेक किया, तो पता चला कि वह अभी जिंदा था। देखने से लगा कि उसे पैदा हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था, उसकी उम्र करीब एक हफ्ते की रही होगी। अंदाजा लगाया गया कि वह उन्हीं मरने वालों का बच्चा था।
इसका मतलब था कि जब से उसके माता-पिता की मौत हुई, तब से वह भूखा-प्यासा उसी बदबू भरे माहौल में पड़ा हुआ था। उसकी हालत बहुत खराब थी, शरीर पीला पड़ चुका था, और उस पर भी कीड़े रेंग रहे थे। यह देखते ही पुलिस ने बिना देर किए उसे तुरंत अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू कर दिया।
रहस्यमयी मौत: पुलिस को मिले कई सवाल, जवाब की तलाश जारी
इसके बाद फॉरेंसिक टीम को मौके पर बुलाया गया, जो सबूत इकट्ठा करने में लग गई। जब मकान मालिक से पूछताछ की गई, तो पता चला कि ऊपर का कमरा अनम और काशिफ नाम के कपल को किराये पर दिया गया था।
इसी दौरान, एक महिला कुछ लोगों के साथ क्लेमेंट टाउन पुलिस स्टेशन पहुंची और अपने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि उसका पति 10 जून से फोन नहीं उठा रहा था, जबकि वह लगातार कॉल कर रही थी। फिर 12 जून से उसका फोन पूरी तरह स्विच ऑफ हो गया। जब पति से कोई संपर्क नहीं हुआ, तो 13 जून को वह महिला परेशान होकर पुलिस स्टेशन आई। उसने बताया कि उसका घर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में था, लेकिन पति देहरादून में रहता था और वहीं काम करता था। इसलिए वह उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने देहरादून आई थी।
जहां तक काशिफ और अनम की बात है, तो उनके घर में किसी तीसरे व्यक्ति के आने के कोई निशान नहीं थे। घर में सारा सामान अपनी जगह पर सही सलामत रखा था, यानी चोरी जैसी कोई घटना नहीं हुई थी। एक दरवाजे पर बाहर से ताला लगा हुआ था और दूसरा दरवाजा अंदर से बंद था। इससे लग रहा था कि उन्होंने एक दरवाजे को हमेशा के लिए बाहर से बंद कर रखा होगा और दूसरे से आते-जाते होंगे। लेकिन सवाल यह था कि वे अपने ही घर के दरवाजे को बाहर से ताला क्यों लगाएंगे?
शुरुआत में पुलिस को लगा कि कपल ने खुदकुशी की है, लेकिन फिर लगा कि कोई भी इंसान खुद को इतनी दर्दनाक मौत क्यों देगा? आमतौर पर आत्महत्या फांसी लगाकर की जाती है, लेकिन यहां मामला अलग था। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि एक हफ्ते का नवजात बच्चा जिंदा मिला था। अगर उन्होंने खुद जान दी होती, तो अपने बच्चे को भूखा-प्यासा तड़पने के लिए क्यों छोड़ते?
अगर यह हत्या थी, तो फिर जरूर कोई घर में आया होगा। लेकिन जब हत्या हुई, तो जाहिर है, मरने वालों ने विरोध भी किया होगा, चीख-पुकार भी मचाई होगी। फिर पड़ोसियों ने कोई आवाज क्यों नहीं सुनी? किसी ने किसी को आते-जाते क्यों नहीं देखा?
पुलिस के मन में कई सवाल थे। इनका जवाब ढूंढने के लिए उन्होंने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया, ताकि उनकी मौत की असली वजह सामने आ सके।
चार महीने पहले आए थे किराए पर, पुलिस की जांच में खुला बड़ा राज
मकान मालिक से बात करने पर पता चला कि काशिफ और अनम करीब चार महीने पहले यहां रहने आए थे। उस समय अनम प्रेग्नेंट थी। 8 जून को दोनों एक प्राइवेट अस्पताल गए, जहां अनम ने एक बच्चे को जन्म दिया। 10 जून को वे घर लौट आए, और उसके बाद से उन्हें किसी ने घर से बाहर आते-जाते नहीं देखा।
पुलिस को समझ नहीं आ रहा था कि यह हत्या का मामला है या खुदकुशी का। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से भी कोई ठोस जानकारी नहीं मिली, क्योंकि शव बुरी तरह सड़ चुके थे, जिससे मौत की असली वजह पता लगाना मुश्किल हो रहा था।
इसके बाद पुलिस ने मरने वालों के परिवारवालों से पूछताछ करने का फैसला किया। जांच में पता चला कि काशिफ का घर सहारनपुर में था और वहां उसकी पहली पत्नी नुसरत भी रहती थी। यानी अनम उसकी दूसरी पत्नी थी। काशिफ और नुसरत का एक बेटा भी था।
जैसे ही पुलिस को यह जानकारी मिली, उन्हें शक हुआ कि शायद नुसरत अपने पति की दूसरी शादी से खुश नहीं थी और उसने हत्या करवाई हो। ऐसा पहले भी कई मामलों में हुआ था, तो पुलिस ने इस एंगल से जांच शुरू कर दी।
घटना के दो दिन बाद, पुलिस की एक टीम नुसरत से पूछताछ करने सहारनपुर पहुंची। नुसरत अपने ससुराल में ही थी। जब पुलिस ने उससे सवाल किए, तो उसने बताया कि उसका अपने पति से किसी तरह का झगड़ा नहीं था और दूसरी शादी के बाद भी दोनों के रिश्ते अच्छे थे।
नुसरत ने यह भी बताया कि 10 जून तक उसकी अपने पति से रोज बात होती थी, लेकिन फिर अचानक काशिफ ने फोन उठाना बंद कर दिया। 12 जून को उसका फोन स्विच ऑफ हो गया, जिससे परेशान होकर नुसरत 13 जून को देहरादून पहुंची और पुलिस स्टेशन में अपने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने थाने में रिकॉर्ड चेक किया तो यह बात सच निकली। उन्होंने नुसरत का फोन और कॉल डिटेल भी खंगाली। जांच में पाया गया कि नुसरत ने कई बार अपने पति को कॉल किया था, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया।
काशिफ के पिता मोहसिन ने भी पुलिस को बताया कि नुसरत अपने पति के साथ ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि दोनों का एक बेटा भी था और काशिफ ही घर चलाने वाला था। काशिफ देहरादून में जेसीबी और क्रेन ऑपरेटर का काम करता था।
पूछताछ और जांच के बाद पुलिस को नुसरत पर शक करने की कोई वजह नहीं मिली, इसलिए उसे क्लीन चिट दे दी गई।
कर्ज, संदेह और पुलिस की जांच – फिर भी सुराग न मिला
पुलिस ने काशिफ के पड़ोसियों से पूछताछ शुरू की ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसकी जिंदगी में कोई परेशानी थी या किसी से दुश्मनी थी। जब घरवालों और गांववालों से बात की गई, तो पता चला कि काशिफ ने काफी पैसे उधार ले रखे थे। उसके ऊपर करीब 1 लाख रुपये का कर्ज था, जिससे वह परेशान भी रहता था।
यह जानकर पुलिस को लगा कि हो सकता है कर्ज के दबाव में काशिफ ने पहले अपनी पत्नी को मारा हो और फिर खुद भी जान दे दी हो। यह भी संभव था कि उसने अपने बच्चे को मारने की हिम्मत नहीं जुटाई हो। एक और संभावना यह थी कि जिन लोगों से उसने कर्ज लिया था, उन्होंने ही हत्या कर दी हो। लेकिन फिर पुलिस को लगा कि कर्ज देने वाला ऐसा नहीं करेगा, क्योंकि अगर काशिफ मर जाता, तो उनका पैसा वापस मिलने की उम्मीद खत्म हो जाती।
जब सहारनपुर में भी कोई ठोस सुराग नहीं मिला, तो पुलिस खाली हाथ देहरादून लौट आई। इसके बाद पुलिस ने काशिफ और अनम के फोन की कॉल डिटेल (सीडीआर) निकलवाई, लेकिन वहां भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। उनके फोन में सिर्फ परिचित लोगों के नंबर थे, जिससे कोई नया सुराग नहीं मिला।
इसी बीच एक राहत की खबर आई – मृतकों का नवजात बच्चा अस्पताल में रिकवर कर गया और अब खतरे से बाहर था। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा समय पर जन्मा था और पूरी तरह स्वस्थ था, लेकिन अगर यह प्रीमेच्योर होता, तो शायद वह भी अपने माता-पिता की तरह बच नहीं पाता।
इधर, पुलिस भी अपनी जांच आगे बढ़ा रही थी। उन्होंने क्लेमेंट टाउन में वारदात वाले घर के आसपास के सभी सीसीटीवी कैमरों को खंगालना शुरू किया। उस घर के पास तो कोई कैमरा नहीं था, लेकिन मेन रोड पर एक कैमरा लगा हुआ था।
जांच से यह तो साफ हो गया कि हत्या 10 जून से 13 जून के बीच हुई थी, क्योंकि शवों की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। इसलिए पुलिस ने 10 जून से आगे की सभी फुटेज चेक करनी शुरू की।
दिन में वहां काफी चहल-पहल रहती थी, इसलिए किसी के दिन में हत्या करके भागने की संभावना कम थी। लेकिन जब पुलिस ने 10 जून की रात की फुटेज देखी, तो कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। फिर 11 जून की रिकॉर्डिंग देखी, लेकिन वहां भी कोई नहीं दिखाई दिया।
अब पुलिस के पास कोई सुराग नहीं था और उनकी जांच एक बार फिर अधर में लटक गई।
सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग, अनम का भाई निकला कातिल
पुलिस ने 10 जून से 13 जून तक की सभी सीसीटीवी फुटेज को ध्यान से देखा। इसी दौरान 13 जून की सुबह की एक फुटेज में एक कार नजर आई, जो पुलिस को संदिग्ध लगी। पुलिस ने जब उस गाड़ी को ध्यान से देखा, तो कैमरे में उसकी नंबर प्लेट भी साफ दिखाई दी। इस नंबर के जरिए पुलिस ने कार मालिक का पता लगाया, जिसका नाम अश्वद था।
काशिफ के घरवालों ने बताया कि अश्वद, काशिफ का दोस्त था। पुलिस तुरंत अश्वद के पास पहुंची और उससे कार के बारे में पूछा। अश्वद ने बताया कि 13 जून को उसकी कार शहबाज नाम के एक लड़के के पास थी, लेकिन वह उस रात कहां गया था, इसकी उसे कोई जानकारी नहीं थी।
जब पुलिस ने पूछा कि यह शहबाज कौन है, तो अश्वद ने बताया कि वह अनम का बड़ा भाई है। यह सुनकर पुलिस चौंक गई – आखिर अनम का भाई इस इलाके में इतनी रात को क्यों आया था? पुलिस के लिए यह भी हैरानी की बात थी कि जिस हत्यारे को वे ढूंढ रहे थे, कहीं वह अनम का भाई शहबाज ही तो नहीं?
इसी बीच पुलिस को अनम के मोबाइल से एक वीडियो मिला, जिसमें अनम रोते हुए कह रही थी कि उसका भाई शहबाज उसे और उसके पति काशिफ को जान से मारने की धमकियां दे रहा है और उनके खिलाफ कोई साजिश रच रहा है। इस वीडियो ने सारी कहानी साफ कर दी – इस वारदात के पीछे शहबाज का ही हाथ था।
इसके बाद पुलिस ने शहबाज के मोबाइल की कॉल डिटेल (सीडीआर) निकाली। जांच में पता चला कि 10 जून की रात को शहबाज ने अपना फोन बंद कर दिया था और 11 जून की सुबह ही उसे ऑन किया। भले ही लोग कभी-कभी फोन बंद कर देते हैं, लेकिन शहबाज ने सिर्फ 10 जून की रात को ही ऐसा किया था, न उससे पहले और न उसके बाद। यही बात उसे शक के घेरे में ले आई।
इसके अलावा, जांच से यह भी साफ हुआ कि 13 जून को शहबाज की लोकेशन क्लेमेंट टाउन में थी और 10 जून को फोन बंद करने से पहले वह अपनी बहन अनम के किराए वाले घर पर था। लेकिन जब उसका फोन दोबारा ऑन हुआ, तो वह किसी और जगह था।
जैसे ही इस हत्या में शहबाज का नाम सामने आया, काशिफ के पिता ने क्लेमेंट टाउन पुलिस थाने जाकर उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। उन्होंने साफ कहा कि उनके बेटे और बहू की हत्या शहबाज ने ही की है।
क्योंकि अनम का मायका और ससुराल दोनों सहारनपुर में थे और उनका गांव भी एक ही था, पुलिस तुरंत वहां पहुंची और शहबाज को गिरफ्तार कर लिया।
शहबाज का कबूलनामा: बहन और जीजा की बेरहमी से हत्या
पुलिस ने शहबाज को देहरादून लाकर उससे पूछताछ की, लेकिन उसने सभी आरोपों को नकार दिया। वह बार-बार यही कहता रहा कि वह अपनी बहन और जीजा की हत्या क्यों करेगा? लेकिन पुलिस के पास उसके खिलाफ कई सबूत थे—सीसीटीवी फुटेज, उसकी लोकेशन, फोन स्विच ऑफ होने की बात और अश्वद का बयान। जब पुलिस ने इन सबूतों के साथ सख्ती से पूछताछ की, तो शहबाज टूट गया और अपना जुर्म कबूल कर लिया।
शहबाज ने बताया कि उसने ही अपनी बहन अनम और जीजा काशिफ की हत्या की थी। उसने उनके नवजात बच्चे को इसलिए नहीं मारा क्योंकि उसे लगा कि बच्चा भूखा रहकर खुद ही मर जाएगा। हत्या करने के लिए उसने किचन से एक छोटा तेज धार वाला चाकू लिया और 10 जून की रात जब सब सो रहे थे, तो अपने जीजा काशिफ का गला रेत दिया। काशिफ ने खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन शहबाज ने ताबड़तोड़ चाकू से वार कर दिए, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
इस बीच, उसकी बहन अनम की नींद खुल गई। उसने अपने भाई को अपने पति की हत्या करते हुए देखा और उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह कमजोर थी क्योंकि एक दिन पहले ही उसने बच्चे को जन्म दिया था। शहबाज ने उसे आसानी से काबू कर लिया और गला दबाकर मार डाला। दोनों पति-पत्नी फर्श पर गिर गए, और कमरे में खून ही खून फैल गया।
इसके बाद शहबाज ने खुद को साफ किया, एक दरवाजे की कुंडी अंदर से लगा दी और बाहर के दरवाजे पर ताला डालकर वहां से चुपचाप निकल गया। घटना की रात वह किसी भी कैमरे में कैद नहीं हुआ। फिर 13 जून की सुबह, वह अपने दोस्त अश्वद की कार लेकर दोबारा अपनी बहन के घर पहुंचा। उसी दौरान उसकी कार कैमरे में कैद हो गई।
जब शहबाज घर के अंदर गया, तो वहां का दृश्य देखकर डर गया। पूरे कमरे में खून फैला हुआ था, जो अब सूख चुका था। शवों से भयानक बदबू आ रही थी। उसने सोचा था कि वह दोनों शवों को कार में डालकर कहीं ठिकाने लगा देगा, लेकिन बदबू इतनी ज्यादा थी कि वह उनके पास भी नहीं जा पाया। सबसे दर्दनाक बात यह थी कि वह मासूम बच्चा उसी कमरे में पड़ा था, दो दिन से बिना किसी देखभाल के।
अंत में, शहबाज ने शवों को हटाने का प्लान छोड़ दिया, ताला लगाकर वहां से निकल गया और घर लौट गया। उसने पुलिस के सामने यह तो कबूल कर लिया कि उसने दोनों की हत्या की, लेकिन सवाल यह था कि आखिर उसने अपनी बहन और जीजा को इतनी बेरहमी से क्यों मारा? और अपने नवजात भांजे को मरने के लिए अकेला क्यों छोड़ दिया?
बदले की आग: शहबाज ने क्यों की हत्या?
पूछताछ में शहबाज ने बताया कि 8 साल पहले उसके पिता की मौत एक हाइड्रा मशीन के नीचे दबकर हुई थी, जिसे काशिफ का भाई चला रहा था। उसे लगा कि यह हत्या जानबूझकर की गई थी, लेकिन तब वह छोटा था, इसलिए कुछ नहीं कर सका।
इसके बाद, एक साल पहले शहबाज जेल चला गया क्योंकि उस पर एक लड़की से दुष्कर्म का आरोप लगा था। उसी दौरान काशिफ और उसकी बहन अनम ने घर से भागकर शादी कर ली। जब शहबाज जेल से बाहर आया, तो गांव के लोग उसका मजाक उड़ाने लगे। उसे लगा कि उसकी बेइज्जती के पीछे काशिफ ही जिम्मेदार है, इसलिए वह बदला लेने के लिए मौके की तलाश करने लगा।
पहले उसने काशिफ और अनम को धमकियां दीं, जिससे अनम ने वह वीडियो बनाया था। फिर उसने काशिफ से दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी। 10 जून को काशिफ ने उसे उत्तरकाशी घूमने के लिए बुलाया। वहां तीनों ने मैगी खाई और सो गए, लेकिन शहबाज जागता रहा। आधी रात को उसने किचन से चाकू उठाया और सोते हुए काशिफ का गला रेत दिया। खून दीवारों तक उछल गया। अनम की नींद खुल गई, उसने बचने की कोशिश की, लेकिन शहबाज ने उसका भी गला दबाकर मार डाला।
हत्या के बाद शहबाज वहां से भाग गया। वह खून के धब्बे साफ कर गया, लेकिन चाकू अपने साथ ले गया और उसे आशारोड़ी के जंगल में फेंक दिया। अकेले होने की वजह से वह शवों को ठिकाने नहीं लगा सका। उसे लगा कि अगर किसी ने बच्चे के रोने की आवाज सुन ली, तो मामला खुल जाएगा और वह पकड़ा जाएगा। लेकिन जब कई दिन बीत गए और कोई खबर नहीं आई, तो वह 12 जून की रात अपने दोस्त की कार लेकर फिर से काशिफ के घर गया। उसने शवों को हटाने की कोशिश की, लेकिन बदबू और हालत देखकर वह पीछे हट गया।
इधर, अनम और काशिफ का बच्चा अस्पताल में पूरी तरह स्वस्थ हो गया था। 23 जून को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की देखरेख में उसे काशिफ के माता-पिता को सौंप दिया गया।
पुलिस ने शहबाज के बयान और सबूतों के आधार पर चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में पेश कर दी। उसे जेल भेज दिया गया, और अभी भी यह केस सेशन कोर्ट में चल रहा है।
इस घटना को बताने का मकसद किसी को डराना नहीं, बल्कि आपको जागरूक करना है। ऐसे मामलों से सतर्क रहना जरूरी है। इस घटना पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में जरूर बताएं।
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