कनाडा की रहस्यमयी गुमशुदगी: पूनम लिट का अनसुलझा मामला
ब्रैम्पटन, कनाडा की एक 7 साल की बच्ची के परिवार में कई सदस्य रहते हैं। परिवार के बुजुर्ग सदस्यों की उम्र 55 वर्ष है, जबकि मनजिंदर सिंह की पत्नी महज 27 साल की हैं। पूनम लिट, जो कि मनजिंदर सिंह की पत्नी हैं, उनकी दो साल की बेटी भी यहीं रहती थी। इसके अलावा, परिवार में मनजिंदर की बहन मनदीप पुनिया, उनके पति सिकंदर पुनिया, और माता-पिता कुलवंत सिंह व सुपिंदर कौर भी शामिल थे।
मनजिंदर सिंह और पूनम लिट ने 2004 में प्रेम विवाह किया था, और समय बीतते-बीतते फरवरी 2009 आ गया। इसी साल 5 फरवरी को मनजिंदर अपनी मां सुपिंदर कौर के साथ शादी में शामिल होने के लिए भारत आए थे। लेकिन इसी दौरान एक चौंकाने वाली घटना घटी—पूनम लिट अचानक लापता हो गईं!
रहस्यमयी गुमशुदगी और शुरुआती खोजबीन
पूनम लिट एक डेंटल प्रैक्टिस में काम करती थीं, लेकिन 5 फरवरी को जब वह अपने काम पर नहीं पहुंचीं, तो चिंता बढ़ गई। उनकी तलाश शुरू हुई और जल्द ही पुलिस को इसकी सूचना दी गई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तेजी से जांच शुरू की।
गुमशुदगी के मामलों में शुरुआती 48 घंटे बेहद अहम होते हैं, लेकिन पूनम लिट का मामला इन 48 घंटों से आगे बढ़कर दिनों, हफ्तों और महीनों तक खिंचता चला गया। खासकर, इस मामले की संवेदनशीलता इसलिए भी बढ़ गई थी क्योंकि पूनम उस समय गर्भवती थीं—यह अब सिर्फ एक नहीं, बल्कि दो जिंदगियों का सवाल था।
समय बीतता गया, लेकिन सुराग नहीं मिला
48 घंटे 48 दिनों में बदले, और फिर यह मामला 36 महीनों तक खिंच गया, लेकिन पूनम लिट का कोई निशान नहीं मिला। हर गुजरते दिन के साथ उम्मीदें धुंधली होती गईं। आखिर पूनम लिट कहां गईं? क्या उनके साथ कोई अनहोनी हुई, या कोई राज़ था जो अब तक दबा हुआ था?
पूनम को गायब हुए तीन साल हो चुके थे, लेकिन उनकी पांच साल की बेटी अब भी अपनी मां को लेकर सवाल पूछ रही थी—”मां कहां गई?” लेकिन उसके पिता मनजिंदर सिंह के पास कोई जवाब नहीं था। पिछले तीन सालों से वह इसी सवाल में उलझे हुए थे
मनजिंदर ने अपनी पत्नी को ढूंढने की पूरी कोशिश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। फिर एक दिन कनाडा से भारत किए गए एक फोन कॉल ने इस राज़ से पर्दा हटाया। यह वही कॉल था, जिसने मनजिंदर के सामने सारे जवाब रख दिए
कैलेडन का खौफनाक सच: पूनम लिट की गुमशुदगी का रहस्य
5 फरवरी 2012 को टोरंटो स्टार अखबार में एक चौंकाने वाला लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें ब्रैम्पटन और उसके पास स्थित गांव कैलेडन का जिक्र था। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि यह इलाका धीरे-धीरे अपराधों का अड्डा बनता जा रहा था—हत्याएं बढ़ रही थीं, और शवों को यहां फेंकने की घटनाएं आम हो चुकी थीं। पहले ही इस इलाके में तीन शव बरामद हो चुके थे, लेकिन जो सबसे सनसनीखेज खुलासा हुआ, वह डेढ़ साल बाद सामने आया—कैलेडन में ही पूनम लिट का कंकाल मिला। तब तक, उसकी गुमशुदगी को पूरे तीन साल बीत चुके थे, और यह मामला एक रहस्य बनकर रह गया था।
4 फरवरी 2009: पूनम लिट की आखिरी झलक
4 फरवरी 2009 वह दिन था जब पूनम लिट को आखिरी बार जीवित देखा गया था। पुलिस ने इस तारीख की पुष्टि की और घटनाओं को क्रम से समझना शुरू किया। उस दिन पूनम अपने घर पर थी, जहां उसकी दादी, मनदीप पुनिया, उनके पति सिकंदर पुनिया, ससुर कुलवंत सिंह और उसकी दो साल की बच्ची मौजूद थे। उसके पति मनजिंदर सिंह और सास सुपिंदर कौर भारत जा चुके थे।
पूनम का ऑफिस घर से थोड़ी दूर था, और वह आमतौर पर पैदल ही जाती थी। दोपहर में वह पड़ोसियों के घर गई थी। जब वह काम पर जाने के लिए निकली, तो सीसीटीवी कैमरे में उसकी झलक कैद हुई। दोपहर 2:39 बजे उसके फोन पर आखिरी बार कोई हलचल देखी गई। इसके बाद न तो उसने किसी को कॉल किया और न ही किसी का फोन आया। उस दिन ठंड बहुत ज्यादा थी, लेकिन फिर भी वह पैदल निकली।
शाम को उसे देरी से घर लौटना था, लेकिन उसके ससुर कुलवंत सिंह ने अपनी लाल होंडा कार में उसे ऑफिस छोड़ दिया। सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि उसी कार ने 4 फरवरी की रात 6 बजे घर वापसी की, और माना गया कि पूनम उसमें थी।
इसके बाद 5 फरवरी की रात 1 बजे, पड़ोसियों के सीसीटीवी कैमरे में एक हरी वैन नजर आई, जो पूनम के घर से बाहर जाती दिखी और तीन घंटे बाद, सुबह 4 बजे वापस लौटी। अंधेरा होने के कारण यह पता नहीं चल सका कि वैन में कौन था। इसके बाद घर से किसी के आने-जाने की कोई रिकॉर्डिंग नहीं मिली।
5 फरवरी को दोपहर में, डॉक्टर शर्मा, जिनके लिए पूनम काम करती थी, ने उसे फोन किया ताकि यह पता चल सके कि वह काम पर क्यों नहीं आई। जैसे-जैसे दिन बीता, चिंता बढ़ती गई। 6 फरवरी को पुलिस ने जांच शुरू की। जासूस मैककेन और कांस्टेबल औजला पूनम के घर पहुंचे और वहां मौजूद मनदीप पुनिया, सिकंदर पुनिया और कुलवंत सिंह से अलग-अलग बयान लिए, जिनमें मतभेद पाए गए।
7 फरवरी को आखिरकार पूनम के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। जैसे ही यह खबर मिली, उनके पति मनजिंदर और सास सुपिंदर कौर भारत से तुरंत वापस लौट आए। भारत से लौटने के बाद मनजिंदर सिंह पूनम की तस्वीरें लेकर घूमे और लोगों से जानकारी जुटाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली।
पूनम लिट की गुमशुदगी: छह दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली
अब 11 अप्रैल आ गई थी , और पूनम लिट को लापता हुए छह दिन हो चुके हैं, लेकिन पुलिस को अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। मामले की जांच के लिए पुलिस ने घर के सभी सदस्यों को थाने बुलाया और उनके बयान दर्ज किए। इन बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। इससे पहले, 24 फरवरी को पुलिस इन लोगों से उनके घरों पर मिली थी और तब दिए गए बयानों और अब के बयानों में कुछ अंतर पाया गया।
इसके अलावा, पुलिस ने पड़ोसियों से भी पूछताछ की और उनके सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। इन फुटेज से यह साफ हो गया कि पूनम 4 फरवरी की रात को घर लौटी थी और उसके बाद वह बाहर नहीं गई। लेकिन पूनम के रिश्तेदार—मनदीप पुनिया, सिकंदर पुनिया और कुलवंत सिंह का कहना था कि 5 फरवरी की सुबह पूनम मॉर्निंग वॉक के लिए गई थी और फिर वापस नहीं लौटी।
घर से बाहर जाने के केवल दो रास्ते थे—मुख्य दरवाजा और गैरेज का दरवाजा। लेकिन पड़ोसियों के सीसीटीवी कैमरों में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि पूनम 5 फरवरी की सुबह बाहर गई हो। हालांकि, फुटेज में एक संदिग्ध वैन जरूर नजर आई, जो सुबह घर के पास आई और तीन घंटे बाद वापस चली गई।
पुलिस को लगने लगा कि घर में मौजूद लोगों को कुछ पता है, लेकिन वे सच्चाई छिपा रहे हैं।
पुलिस की लापरवाही और पूनम लिट केस का अधूरा सच
पूनम के ससुराल वालों में से कुलवंत सिंह का पहला पॉलीग्राफ टेस्ट जुलाई 2009 में हुआ और दूसरा मार्च 2010 में किया गया। तब तक पूनम को गायब हुए एक साल हो चुका था। पुलिस ने उनके घर की तलाशी ली और वहां खून के निशान मिले। खून इतना ज्यादा था कि लग रहा था किसी को गंभीर चोट लगी थी और वह कुछ समय तक वहीं पड़ा रहा।
यहीं पुलिस की बड़ी गलती सामने आई। पूनम के लापता होने के बाद पूरे एक साल तक पुलिस ने घर की ठीक से तलाशी ही नहीं ली! जब उन्होंने जांच शुरू की, तब तक सबूत मिट चुके थे। फिर भी, जो थोड़ा-बहुत सुराग मिला, उसी के आधार पर मई 2010 में मनदीप पुनिया, सिकंदर पुनिया और कुलवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
लेकिन जब मामला कोर्ट में गया, तो पता चला कि पुलिस के पास ठोस सबूत नहीं हैं। कानून के तहत पहले यह जांच होती है कि क्या मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं या नहीं। इस प्रक्रिया में साफ हो गया कि पुलिस ने लापरवाही से काम किया था।
सबूत गायब हो चुके थे, गवाहों से सही तरीके से पूछताछ नहीं हुई थी, और पुलिस ने बयान दर्ज करने से पहले यह तक नहीं बताया था कि झूठ बोलने पर सजा हो सकती है। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि तब तक पूनम का शव भी नहीं मिला था, जिससे अपराध साबित करना मुश्किल हो गया। इन कमजोरियों के कारण 2010 में कोर्ट ने तीनों आरोपियों को छोड़ दिया, और पूनम लिट केस आज भी अनसुलझा रह गया।
परिवार में बढ़ता तनाव और चौंकाने वाला फोन कॉल
2010 से 2011 के बीच पूनम के लापता होने की वजह से परिवार में तनाव बढ़ने लगा। मनजिंदर सिंह को अपनी ही फैमिली पर शक होने लगा। इसी दौरान, 2011 में उसने अपना घर बेच दिया और अपनी मां सुपिंदर कौर और बेटी के साथ किराए के बेसमेंट में रहने लगा। उसकी बहन मनदीप पुनिया और उनके पति सिकंदर पुनिया भी वहीं रहते थे।
पुलिस की नजर अब कुलवंत सिंह पर भी थी, और धीरे-धीरे परिवार में दूरियां बढ़ती गईं। फिर, फरवरी 2012 में कैलेडन में पूनम लिट का शव मिला। दांतों के रिकॉर्ड से उसकी पहचान की गई।
इसके बाद, कुलवंत सिंह ने भारत में अपने रिश्तेदार मोहन सिंह थिंड को एक फोन कॉल किया। इस कॉल में उसने पूनम की गुमशुदगी से जुड़ी ऐसी बातें कहीं, जिससे मोहन सिंह को शक हुआ और उसने बातचीत रिकॉर्ड कर ली। कुलवंत सिंह ने 4 फरवरी 2009 की रात को पूनम के साथ क्या हुआ, यह भी बताया।
मोहन सिंह ने यह रिकॉर्डिंग तुरंत मनजिंदर सिंह को भेजी। पहली बार, मनजिंदर को एहसास हुआ कि पूनम की गुमशुदगी में उसके अपने परिवार के लोग शामिल हो सकते हैं। यह कॉल केस में बड़ा मोड़ साबित होने वाला था।
मनजिंदर सिंह की चाल और कुलवंत सिंह के रहस्यमय बयान
मनजिंदर सिंह, अब पुलिस के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने कुलवंत सिंह से बातचीत रिकॉर्ड की और पुलिस को भेज दी। इस रिकॉर्डिंग में कुलवंत सिंह के बयान थे, जो साफ़ नहीं थे, लेकिन फिर भी पुलिस को यह एक अहम सबूत के तौर पर मिला। इसके बाद, मनजिंदर सिंह ने पुलिस से जुड़ा अपना काम शुरू किया और कुलवंत सिंह पर निगरानी रखी।
28 फरवरी 2012 को पूनम का शव मिलने के बाद, कुलवंत सिंह भारत लौट गए। 6 महीने में लौटने का उनका कोई प्लान नहीं था। लेकिन मनजिंदर सिंह ने उन्हें कनाडा वापस लाने के लिए राजी किया।
9 अप्रैल 2012 को कुलवंत सिंह कनाडा लौटे, और मनजिंदर सिंह हवाई अड्डे पर उनका इंतजार कर रहे थे। इससे पहले, पुलिस अधिकारियों ने मनजिंदर की कार में रिकॉर्डिंग डिवाइस लगा दिया था। जैसे ही कुलवंत सिंह हवाई अड्डे पर पहुंचे, मनजिंदर सिंह ने उनसे पूछा कि वह उस जगह का पता बताए, जहां पूनम का शव मिला था।
कुलवंत सिंह थोड़ा चौंके, लेकिन फिर कार उस स्थान की ओर चल पड़ी। मनजिंदर सिंह ने कुलवंत से 4 फरवरी 2009 की रात की घटना के बारे में पूछा, जब वह पूनम को कार देने गए थे। उन्होंने बताया कि उस रात, सिकंदर पुनिया और मनदीप पुनिया के साथ उनकी बहस हुई थी। घर पर पूनम को हमेशा वह प्राथमिकता मिलती थी, जो मनदीप को पसंद नहीं आता था।
कुलवंत सिंह का बयान और परिवार की बहस
कुलवंत सिंह ने बताया कि 4 फरवरी 2009 को जब पूनम घर लौटी, मनदीप पुनिया और पूनम के बीच बहस शुरू हो गई। पूनम ने मनदीप के भारत में अफेयर के बारे में बात की, जिससे मनदीप ने गुस्से में आकर पास पड़ी चाकू से पूनम पर हमला कर दिया। कुलवंत सिंह के अनुसार, पूनम पर गला काटने वाला वार हुआ, जिससे वह गिर गई और सारा खून बह गया।
इसके बाद, कुलवंत सिंह ने कहा कि पूनम की मौत के बाद, सिकंदर पुनिया और वह मिलकर पूनम के शव को गद्दे में लपेट कर 5 फरवरी को एक निर्जन स्थान पर ले गए। उन्होंने शव को जलाने की कोशिश की, लेकिन तापमान बहुत कम था, जिससे शव जम गया। यह सारी जानकारी कुलवंत सिंह ने पुलिस को दी।
हालांकि, इस बयान को अदालत में अफवाह बताकर खारिज किया गया, क्योंकि कुलवंत सिंह और मनजिंदर सिंह के रिश्ते खराब थे। इसके बावजूद, पुलिस ने कुलवंत सिंह को गिरफ्तार किया और मनदीप पुनिया को 13 अप्रैल 2012 को द्वितीय डिग्री हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया।
मनदीप पुनिया ने हत्या के आरोप को नकारा, लेकिन उसने हत्या के बाद शव का निपटान करने और सबूत नष्ट करने की बात मानी। जांचकर्ताओं के पास कुछ ठोस सबूत थे, जिनमें सीसीटीवी फुटेज भी शामिल था, जो कुलवंत सिंह के बयान से मेल खाते थे।
अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि मनदीप पुनिया ने पूनम पर हमला किया, लेकिन हत्या का इरादा नहीं था। उसे गंभीर हत्या के आरोप में दोषी पाया गया और 12 साल की सजा सुनाई गई। सिकंदर पुनिया को भी गिरफ्तार किया गया और उसकी भूमिका की जांच की गई।
कुलवंत सिंह के फोन कॉल और रिकॉर्डिंग से मामले में नया मोड़ आया। इसके बाद, पूनम की सास सुपिंदर कौर ने अदालत में गवाही दी, जिसमें उसने बताया कि घर में खून से लथपथ पूनम को देखा था और कुलवंत सिंह से इस बारे में जानकारी ली थी।
अंत में, मनजिंदर सिंह ने पूरी सच्चाई जानने में सफलता पाई और यह मामला समाप्त हुआ। इसने एक परिवार को अपने प्रिय सदस्य के बारे में पूरी सच्चाई जानने का मौका दिया, जिससे उसकी बेटी को भी यह पता चला कि उसकी माँ कहां है।
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