रहस्यमयी कार हादसा: आग में जलती कार और कंकाल
16 मई 2018 की रात करीब 8 बजे हल्द्वानी-भीमताल मार्ग पर सलबी गांव के पास सड़क किनारे खड़ी एक कार से अचानक आग की तेज लपटें उठने लगीं। यह देख वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई, और देखते ही देखते घटना स्थल पर भीड़ जमा हो गई। लेकिन वहां मौजूद सभी लोग हैरान थे क्योंकि न तो उस कार का कोई एक्सीडेंट हुआ था और न ही जलती हुई कार से किसी के रोने-चिल्लाने की आवाज आ रही थी।
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए किसी ने तुरंत पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। लेकिन जब तक फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, कार पूरी तरह जल चुकी थी और उसमें से धुआं उठ रहा था। आग बुझाने के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने जांच शुरू की तो पाया कि ड्राइवर की सीट के पास एक व्यक्ति का जला हुआ शव पड़ा था, जो पूरी तरह से कंकाल में बदल चुका था। शव इतनी बुरी तरह जल चुका था कि यह पहचानना भी मुश्किल हो गया कि वह किसी महिला का था या पुरुष का।
पुलिस ने घटना स्थल के आसपास रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों से पूछताछ की। उन्होंने भी यही बताया कि न तो कार से किसी के चीखने की आवाज सुनाई दी थी और न ही वहां किसी दुर्घटना के संकेत मिले। यह रहस्यमयी घटना आज भी कई सवाल खड़े करती है।
बर्निंग कार का रहस्य: लापता अवतार सिंह की तलाश
पुलिस को जलती कार में मिली लाश के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल रही थी, इसलिए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। पोस्टमॉर्टम के दौरान डॉक्टरों ने डीएनए सैंपल सुरक्षित रख लिया। अगली सुबह पुलिस ने कार और लाश के बारे में सुराग जुटाने की कोशिशें तेज कर दीं। सभी थानों को सूचित करते हुए यह पूछा गया कि क्या किसी व्यक्ति के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई है, लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली।
घटना स्थल पर जांच के दौरान पुलिस को कार से एक छोटा सा सुराग मिला—मृतक के पहने हुए जूते का सोल। जूते का ऊपरी हिस्सा जल चुका था, लेकिन सोल कार से चिपका हुआ था। जांच से पता चला कि मृतक सात नंबर का जूता पहनता था, लेकिन इससे भी यह साफ नहीं हो सका कि वह जूता किसी महिला का था या पुरुष का।
पुलिस जांच में व्यस्त थी कि 17 मई को सामिया लेक सिटी रुद्रपुर निवासी नीलम सुबह रुद्रपुर कोतवाली पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उनका पति अवतार सिंह कल शाम से लापता है और उनका मोबाइल भी बंद आ रहा है। नीलम ने बताया कि वे अपने परिजनों के साथ रातभर अवतार सिंह को ढूंढते रहे, लेकिन कोई खबर नहीं मिली।
नीलम ने आगे बताया कि वह और उनके पति अवतार सिंह कल शाम इलाज के लिए रुद्रपुर से हल्द्वानी गए थे। डॉक्टर से समय न मिलने पर अवतार सिंह ने कहा कि उन्हें पहाड़ पर कुछ काम है और उन्होंने नीलम को कालसंद्र के पास छोड़कर चले गए। नीलम देर रात अपनी दवाइयां लेकर रुद्रपुर लौट आईं और जब उन्होंने अपने पति को कॉल किया, तो उनका फोन स्विच ऑफ मिला।
नीलम की शिकायत के बाद रुद्रपुर थाना प्रभारी ने इस जानकारी को हल्द्वानी के एसएसपी तक पहुंचाया। इसके बाद एसपी और सीओ के निर्देशन में छह पुलिस टीमें गठित की गईं। नीलम को घटना स्थल की पहचान के लिए भीमताल भेजा गया। भीमताल पहुंचकर नीलम ने पुलिस को बताया कि उनके पति अवतार सिंह सिडकुल कंपनी में लेबर सप्लाई का काम करते थे। पहले वह पार्टनरशिप में काम करते थे, लेकिन एक साल पहले उन्होंने अपना अलग ऑफिस शुरू कर लिया था।
नीलम ने बताया कि अवतार सिंह मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले थे, लेकिन 10 साल पहले रुद्रपुर आकर बस गए थे। इस बयान के बाद पुलिस जांच और तेज कर दी गई।
जलती कार और कंकाल का रहस्य: नीलम, डीएनए रिपोर्ट और चौंकाने वाले खुलासे
नीलम की बातों से पुलिस को उम्मीद थी कि बर्निंग कार का रहस्य अब सुलझ सकता है। वह नीलम को घटना स्थल पर लेकर पहुंची, लेकिन नीलम ने जली हुई कार और उसमें मिली लाश को पहचानने से साफ इनकार कर दिया। नीलम ने कहा कि उसके पति अवतार सिंह तो हल्द्वानी तक उसके साथ ही थे और वह खुद कार चला रहे थे, जबकि इस कार में लाश ड्राइवर के पास वाली सीट पर मिली थी। अब पुलिस उलझन में थी कि आखिर ड्राइवर के पास वाली सीट पर वह कंकाल किसका हो सकता है।
उसी दौरान पुलिस ने जली हुई कार की दोबारा जांच की, जिसमें उन्हें एक अहम सुराग मिला। कार के बोनट वाली डिग्गी में इंश्योरेंस का एक जला हुआ कागज पाया गया। इस इंश्योरेंस के आधार पर जब कार की जानकारी जुटाई गई, तो पता चला कि वह कार अवतार सिंह के नाम से ही रजिस्टर्ड थी। लेकिन यह जानकारी मिलने के बाद भी मामला उलझा रहा, क्योंकि नीलम ने कार और कंकाल को पहचानने से इनकार कर दिया था। साथ ही उसने यह भी कहा कि जब उसके पति ने उसे वहां छोड़ा था, तो वह कार में अकेले थे। नीलम का मानना था कि अगर लाश ड्राइवर की सीट पर होती, तो वह मान सकती थी कि यह उसके पति की हो सकती है।
अब पुलिस के पास इस रहस्य को सुलझाने का केवल एक ही तरीका बचा था—लाश की डीएनए रिपोर्ट। मामला गंभीर था, और यह खबर अखबारों में प्रमुखता से छपी। इस खबर को पढ़ने के बाद, 18 मई 2019 को अंबाला से अवतार सिंह के पिता गुलजार सिंह, मां नक्षत्रो देवी और भाई जगतार सिंह हल्द्वानी पहुंचे। गुलजार सिंह ने पुलिस के सामने अपने बेटे अवतार सिंह की हत्या की आशंका जाहिर की और उसकी पत्नी नीलम पर आरोप लगाए।
इसके बाद इंस्पेक्टर विक्रम राठौर ने गुलजार सिंह और उनके बेटे जगतार सिंह से लगभग आधे घंटे तक पूछताछ की। इस पूछताछ में पुलिस के सामने कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, जो इस केस को एक नया मोड़ देने वाले थे।
प्लानिंग से की गई हत्या: नीलम, मनीष और सीसीटीवी सुराग
गुलजार सिंह की शिकायत पर पुलिस ने उसी रात नीलम और उसके करीबी दोस्त मनीष मिश्रा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया। मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस ने अवतार सिंह के परिजनों से विस्तृत पूछताछ शुरू की। उनके बयानों से पुलिस को यकीन हो गया कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश के तहत की गई हत्या है।
इस रहस्य को सुलझाने के लिए पुलिस ने हल्द्वानी-रुद्रपुर हाईवे पर लगे करीब 200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और 30-35 अलग-अलग लोगों से पूछताछ की। सीसीटीवी से मिले सुरागों ने पुलिस का ध्यान और गहराई से कैमरों पर केंद्रित कर दिया। फुटेज में कार की आगे वाली दोनों सीटों पर दो लोग बैठे दिखाई दिए, लेकिन तस्वीरें धुंधली होने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो सका कि कार कौन चला रहा था और उसके पास कौन बैठा था। फिर भी, पुलिस को यकीन हो गया कि कार में बैठे दो लोगों में से एक हत्यारा जरूर था।
इसके बाद पुलिस ने दूसरे व्यक्ति की तलाश शुरू की, जो कार जलने से पहले ही वहां से गायब हो गया था। साथ ही, नीलम की सच्चाई उजागर करने के लिए उसके मोबाइल को सर्विलांस पर लगा दिया गया। जांच के दौरान पुलिस ने अवतार सिंह के घर से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए और उनकी गहराई से जांच की। इसमें पता चला कि अवतार सिंह ने घटना से 15 दिन पहले 50 लाख का टर्म इंश्योरेंस लिया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी नीलम को नॉमिनी बनाया था। यह बात पुलिस के संदेह को और गहरा कर गई कि शायद नीलम ने इन 50 लाख रुपयों को हड़पने के लिए अपने पति की हत्या करवाई हो।
इसके अलावा, पुलिस को यह भी पता चला कि सामिया लेक सिटी में स्थित अवतार सिंह का फ्लैट भी नीलम के नाम पर था। उधर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को चौंका दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक की मौत जलने से पहले ही हो चुकी थी। साथ ही, मृतक की सांस की नली में धुएं या कार्बन के अंश नहीं मिले, जो आग में जलकर मरने वाले व्यक्ति की सामान्य विशेषता होती है।
यह तथ्य स्पष्ट कर रहा था कि अवतार सिंह की हत्या पहले की गई और फिर उसकी लाश को कार में जलाकर इसे हादसे का रूप देने की कोशिश की गई। जांच में मिले ये सारे सुराग एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा कर रहे थे।
नीलम और मनीष का प्रेम प्रसंग: जुर्म कबूला, वजह ने चौंकाया
नीलम का मोबाइल सर्विलांस पर लगने के बाद पुलिस को उसकी कॉल डिटेल्स से अहम सुराग मिला। पता चला कि नीलम एक नंबर पर दिनभर सबसे ज्यादा बातचीत करती थी। जब पुलिस ने इस नंबर की जांच की, तो मालूम हुआ कि यह नंबर मनीष नाम के व्यक्ति का है, जो नीलम के पड़ोस में ही रहता है। चूंकि मृतक अवतार सिंह के पिता ने पहले ही नीलम और मनीष के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा रखी थी, पुलिस का शक मनीष पर और गहरा गया।
इसके बाद पुलिस ने रुद्रपुर जाकर मृतक अवतार सिंह के पड़ोसियों से पूछताछ की। पड़ोसियों ने पुख्ता जानकारी दी कि नीलम और मनीष के बीच लंबे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था। इस वजह से अवतार और नीलम के बीच अक्सर झगड़े होते थे। इन नए सुरागों के आधार पर पुलिस ने नीलम को गिरफ्तार कर लिया और उससे पूछताछ शुरू की।
शुरुआत में नीलम ने पुलिस को गुमराह करने की हरसंभव कोशिश की। लेकिन जब पुलिस ने सख्ती से सवाल किए, तो नीलम ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। हालांकि, उसने इस हत्याकांड की जो वजह बताई, उसे सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई। नीलम के कबूलनामे ने इस मामले को और भी पेचीदा बना दिया, जिससे यह साफ हुआ कि इस हत्या के पीछे गहरी साजिश और व्यक्तिगत स्वार्थ छिपे हुए थे।
नीलम और मनीष का गहरा रिश्ता: दोस्ती, धोखा और बदले की आग
मृतक अवतार सिंह हरियाणा के अंबाला कैंट थाना क्षेत्र के गांव घसीटपुर का रहने वाला था। वह गुलजार सिंह का बेटा था और एक समय अपने भाई जगतार सिंह के साथ केमिकल फैक्ट्री में काम करता था। वहीं उसकी मुलाकात नीलम से हुई, जो भागेश्वर जिले के कारोली गांव की रहने वाली थी। नीलम की खूबसूरती ने अवतार को इतना आकर्षित किया कि उनकी बातचीत दोस्ती से प्यार में बदल गई। परिवार के विरोध के बावजूद, दोनों ने अपनी मर्जी से शादी कर ली। शादी के एक साल बाद नीलम ने एक बेटी को जन्म दिया।
करीब 10 साल पहले अवतार सिंह काम की तलाश में रुद्रपुर आया और वहां एक दोस्त के साथ मिलकर लेबर सप्लाई का काम शुरू किया। धीरे-धीरे काम जमने लगा, और दो साल पहले उसने अपना अलग ऑफिस और मकान भी बना लिया। उसके घर के सामने मनीष मिश्रा का मकान था। मनीष उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के नंदोद फूलपुर का निवासी था। वह शादीशुदा था और उसके दो बच्चे थे, लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे प्रयागराज में रहते थे। रुद्रपुर में वह अकेला रहता था और सिक्योरिटी एजेंसी का काम करता था, जिससे वह फैक्ट्रियों में सुरक्षा गार्ड लगाकर अच्छा कमीशन कमा लेता था।
मनीष और अवतार का एक-दूसरे के घर आना-जाना था, और इसी दौरान नीलम और मनीष के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हो गया। उनके रिश्ते इतने गहरे हो गए कि वे अवतार की गैरमौजूदगी में एक-दूसरे के साथ समय बिताने लगे। मनीष, जो अवतार का दोस्त था, उसकी गैरमौजूदगी में उसकी पत्नी के साथ अवैध संबंध बनाने लगा।
एक दिन, जब अवतार काम के बहाने बाहर गया हुआ था, नीलम ने मनीष को घर बुला लिया। लेकिन अचानक अवतार घर लौट आया और मनीष को नीलम के साथ देखकर उसका गुस्सा फूट पड़ा। दोनों के बीच झगड़ा हुआ, और अवतार ने मनीष को डराने के लिए पिस्टल की नाल उसके मुंह में डाल दी। इसके बाद उसने पुलिस को बुलाया। पुलिस ने दोनों के बीच सुलह करवाई, और मनीष ने वादा किया कि वह नीलम के घर नहीं जाएगा।
हालांकि, इस अपमान ने मनीष के मन में गहरी नफरत भर दी। उसने ठान लिया था कि वह किसी भी तरह से अवतार से इस अपमान का बदला जरूर लेगा। इस कड़वाहट और नफरत ने धीरे-धीरे एक साजिश का रूप ले लिया, जिसने बाद में एक भयानक अपराध को जन्म दिया।
करोड़ों की संपत्ति और साजिश का खेल: मनीष, नीलम और अजय की खतरनाक योजना
मनीष मिश्रा को पता था कि अवतार सिंह की अपनी पत्नी नीलम के साथ अनबन रहती थी, और वह करोड़ों की संपत्ति का मालिक था। हालांकि नीलम ने अवतार सिंह के साथ लव मैरिज की थी, लेकिन उसकी संपत्ति देखकर वह भी लालच में आ गई थी। नीलम, अवतार के प्यार और उसके आलीशान घर के बावजूद, उससे अच्छे से बात नहीं करती थी। हरियाणा में भी अवतार के नाम पर काफी संपत्ति थी, जिससे मनीष के मन में लालच और बढ़ गया।
पुलिस चौकी में हुए सुलह के बाद मनीष ने कुछ समय के लिए नीलम से मिलना-जुलना बंद कर दिया, लेकिन उनके बीच फोन पर बातें जारी रहीं। इसी दौरान मनीष ने नीलम के साथ मिलकर अवतार को अपने रास्ते से हटाने की साजिश रची। नीलम भी इस साजिश में शामिल होने के लिए तैयार हो गई। इसके बाद दोनों ने अवतार सिंह की हत्या की योजना बनानी शुरू कर दी।
मार्च 2019 में उन्होंने इस खौफनाक योजना को अंजाम देने का फैसला कर लिया, लेकिन कई दिनों तक वे इसे अंजाम नहीं दे पाए। मनीष के मन में यह लालच था कि अवतार को रास्ते से हटाने के बाद वह नीलम के साथ मिलकर करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन सकता है।
इस साजिश को और मजबूत बनाने के लिए मनीष ने अपने दोस्त अजय यादव को भी इस खतरनाक योजना में शामिल कर लिया। अजय यादव जौनपुर जिले के दौलतिया गांव का रहने वाला था। जब मनीष ने उसे अपने प्लान के बारे में बताया, तो अजय भी उसका साथ देने के लिए तैयार हो गया।
इसके बाद मनीष, नीलम और अजय ने मिलकर अवतार सिंह की हत्या की एक गहरी और सुनियोजित साजिश रचनी शुरू कर दी। इस लालच और बदले की भावना ने उन्हें अपराध की राह पर धकेल दिया।
सुनियोजित हत्या: लालच और धोखे की खौफनाक दास्तान
प्लान के अनुसार, 15 मई 2019 को अजय यादव मनीष मिश्रा के पास पहुंचा। अगले दिन, मनीष ने नीलम को नींद की गोलियां लाकर दीं। 16 मई 2019 को नीलम ने ग्लूकोज में नींद की 10 गोलियां मिलाई और इसे पानी में घोलकर अवतार सिंह को पिला दिया। कुछ ही देर में गोलियों का असर शुरू हो गया, और अवतार सिंह पूरी तरह से बेहोश हो गया।
जैसे ही नीलम को यकीन हुआ कि अवतार सिंह बेहोश हो चुका है, उसने तुरंत मनीष को फोन कर घर बुला लिया। इसके बाद नीलम ने किसी तरह बेहोश अवतार को अपनी कार की अगली सीट पर बैठाया और खुद कार चलाकर हल्द्वानी के मुखानी चौराहे पर स्थित एक क्लिनिक के पास पहुंची। योजना के मुताबिक, मनीष और अजय बाइक से नीलम के पीछे-पीछे चल रहे थे और रास्ते में पेट्रोल भी खरीद लिया था।
हल्द्वानी पहुंचने के बाद, नीलम ने कार मनीष को सौंप दी। मनीष कार लेकर सलबी गांव की ओर निकल गया, और अजय यादव बाइक से उसके पीछे-पीछे चल रहा था। सलबी गांव के पास एक सुनसान जगह देखकर, मनीष और अजय ने अवतार सिंह का गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद, उन्होंने अवतार के गले से सोने की चेन और उंगली से सोने की अंगूठी उतार ली।
इसके बाद, मनीष ने कार में पेट्रोल छिड़का और उसे आग के हवाले कर दिया। अपराध को अंजाम देने के बाद, मनीष और अजय बाइक से हल्द्वानी लौट आए। उधर, नीलम भी सिटी बस से रुद्रपुर अपने घर पहुंच गई।
अगले दिन, 17 मई 2019 को, नीलम ने रुद्रपुर पुलिस स्टेशन में जाकर अपने पति अवतार सिंह की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। मनीष और नीलम ने हत्या को हादसे का रूप देने और सबूत मिटाने की पूरी कोशिश की थी। उनकी योजना काफी हद तक सफल भी हो गई थी, लेकिन पुलिस की जांच ने उनके इस षड्यंत्र को बेनकाब कर दिया।
पुलिस ने मनीष मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों से विस्तृत पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
सीखने की बात
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