तालाब के पास मिली कार और खून से सना रहस्य
11 सितंबर 2019 की सुबह राजस्थान के अजमेर जिले के तिलोनिया गांव में कुछ लोग जब गांव के बाहर तालाब के पास पहुंचे, तो उनकी नजर कीचड़ में फंसी एक कार पर पड़ी। यह नजारा चौंकाने वाला था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यह कार किसकी हो सकती है और यहां कैसे फंसी। जब वे पास पहुंचे, तो कार में ड्राइवर या मालिक का कोई निशान नहीं था। गांव वालों ने कार को कीचड़ से बाहर निकालने का फैसला किया, लेकिन यह काम आसान नहीं था। अंततः उन्होंने एक ट्रैक्टर की मदद से कार को बाहर निकाला। जैसे ही कार बाहर आई, उसके शीशे पर खून के धब्बे नजर आए, जिसे देख कर लोगों को किसी अनहोनी का शक हुआ।
जब गांव वालों ने कार के अंदर झांका, तो उन्होंने सीट पर एक व्यक्ति की लाश देखी। यह दृश्य देखकर वे घबरा गए और तुरंत पुलिस को सूचना दी। कार में शव मिलने की खबर पूरे इलाके में फैल गई, और आसपास के गांवों से लोग घटना स्थल पर जमा होने लगे। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव की पहचान करने की कोशिश की, लेकिन चेहरा बुरी तरह कुचला हुआ था, जिससे पहचान मुश्किल हो रही थी। शरीर पर भी चोटों के निशान थे।
थाना प्रभारी ने स्थानीय लोगों से पूछताछ की, तो तिलोनिया गांव के एक व्यक्ति ने शव को पहचान लिया। उसने बताया कि यह शव माला गांव के रहने वाले बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के जवान प्रधान गुर्जर का है, और कार भी उन्हीं की थी। इसके बाद पुलिस ने किसी तरह मृतक के परिवार का संपर्क नंबर हासिल कर उन्हें सूचना दी। खबर मिलते ही प्रधान गुर्जर के पिता, रूप गुर्जर, अपने परिवार के साथ मौके पर पहुंचे और अपने बेटे की पहचान की पुष्टि की।
प्रधान गुर्जर बीएसएफ में तैनात थे और उनकी पोस्टिंग उन दिनों सिक्किम में थी। कुछ दिन पहले ही वे छुट्टी लेकर गांव आए थे। उनके पिता ने बताया कि 10 सितंबर 2019 की सुबह करीब 8:30 बजे प्रधान गुर्जर अजमेर जाने की बात कहकर कार से घर से निकले थे।
फौजी प्रधान गुर्जर की हत्या और भतीजे की रहस्यमय गुमशुदगी
असल में प्रधान गुर्जर अजमेर के पास स्थित एक डिफेंस अकादमी में अपने दो छोटे भाइयों से मिलने गए थे, जो वहां पढ़ाई कर रहे थे। पुलिस को जानकारी मिली कि भाइयों से मिलने के बाद जब प्रधान गांव लौट रहे थे, तब उनके साथ रिश्ते का भतीजा जीतू गुर्जर और उसके दो दोस्त भी थे। यह सूचना डिफेंस अकादमी के डायरेक्टर ने दी, जिन्होंने बताया कि प्रधान और उसके साथी रात करीब 8:30 बजे अकादमी से अपनी कार में निकले थे, लेकिन वे गांव नहीं पहुंचे।
बीएसएफ जवान की हत्या की खबर से उनके घर में मातम पसर गया। परिवार का कहना था कि प्रधान के साथ उनका भतीजा जीतू भी था, जो अब लापता है। उन्हें अंदेशा था कि कहीं जीतू के साथ भी कुछ अनहोनी न हो गई हो। गांव वालों के बढ़ते गुस्से को देखकर थाना प्रभारी मूलचंद्र ने उन्हें भरोसा दिलाया कि कातिलों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। इस दौरान मृतक का छोटा भाई भी घटना स्थल पर पहुंचा, जहां परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था।
पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि प्रधान की कार में एक खून से सना डंडा पड़ा था। इसके अलावा, मृतक की पैंट भी उतरी हुई थी, जिससे यह स्पष्ट हो रहा था कि हत्यारों ने प्रधान को बुरी तरह पीटा था। ऐसा लग रहा था कि प्रधान के साथ दुश्मनी के कारण यह हत्या की गई थी। घटना स्थल की जांच के बाद पुलिस ने दोपहर करीब 12:15 बजे प्रधान के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए किशनगढ़ के नारायण हॉस्पिटल भेजा।
हालांकि, गांव वाले वहां भी पहुंच गए और उनका गुस्सा बढ़ता गया। वे जीतू गुर्जर की गुमशुदगी को लेकर चिंतित थे और पुलिस से उसे जल्द खोजने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों को शक था कि जीतू के साथ भी कुछ गलत हुआ है। परिवार और गांव वालों ने साफ कह दिया कि जब तक जीतू का पता नहीं चलता, वे पोस्टमॉर्टम नहीं होने देंगे। लेकिन पुलिस ने किसी तरह मृतक के परिजनों को समझाया और पोस्टमॉर्टम कराया।
इसके बाद प्रधान गुर्जर का शव उनके परिवार को सौंप दिया गया। चूंकि यह मामला बीएसएफ जवान की हत्या का था, एसीपी ने जल्द से जल्द मामले को सुलझाने के लिए एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया।
बीएसएफ जवान प्रधान गुर्जर की हत्या का खुलासा: संदिग्धों की कहानी
पूछताछ के दौरान मृतक प्रधान गुर्जर के परिवार ने बताया कि वह अजमेर जाने और शाम तक लौटने की बात कहकर घर से निकला था। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने टोल प्लाजा के सीसीटीवी कैमरों की जांच शुरू की और मृतक की कॉल डिटेल खंगालकर यह पता लगाने की कोशिश की कि उसने आखिरी बार किससे बात की थी। 11 सितंबर 2019 को प्रधान गुर्जर अजमेर स्थित जिंद डिफेंस अकादमी में पढ़ रहे अपने भाइयों से मिलने गया था। पुलिस ने अकादमी के संरक्षक शंकर ठाकुर से भी पूछताछ की, जिन्होंने बताया कि रात 8 बजे प्रधान गुर्जर अपने भतीजे जीतू और दो अन्य लोगों के साथ कार में वहां आया था।
शंकर ठाकुर ने बताया कि जीतू अकेडमी में आया, जबकि कार में बैठे दोनों लड़के नीचे नहीं उतरे। प्रधान ने शंकर को जीतू से परिचय कराया और उनके साथ चाय पी। कार में बैठे दोनों लड़कों के लिए चाय वहीं भेजी गई, लेकिन वे अकादमी में नहीं आए। चाय पीते वक्त प्रधान के मोबाइल पर एक कॉल आया, जिसमें उसने फोन करने वाले से कहा कि वह जल्द ही मिलने आ रहा है। इसके बाद, रात 8:30 बजे, प्रधान और जीतू अकेडमी से निकल गए। जांच में पता चला कि वह कॉल प्रधान के पिता रूप गुर्जर का था, जिन्होंने घर लौटने के बारे में पूछा था। प्रधान ने बताया कि वह अजमेर से निकल चुका है और थोड़ी देर में घर पहुंच जाएगा। हालांकि, वह घर नहीं पहुंचा, और उसका फोन भी बंद हो गया।
पुलिस को शक हुआ कि उस रात प्रधान गुर्जर के साथ कार में मौजूद दो लोगों ने ही उसकी हत्या की। पुलिस ने आगे की जांच में पाया कि प्रधान 10 सितंबर 2019 को अपने भतीजे जीतू और दो दोस्तों, राम अवतार और हनुमान, के साथ पुष्कर घूमने गया था। जब पुलिस इन तीनों के घर पहुंची, तो वे फरार मिलें। लेकिन फोन लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। जीतू को जयपुर से और राम अवतार व हनुमान को किशनगढ़ से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उनसे कड़ाई से पूछताछ की। पहले तो वे गुमराह करने की कोशिश करते रहे, लेकिन सख्ती के आगे टूट गए और अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उनके बयान से पुलिस के सामने एक भयावह कहानी सामने आई, जिसने इस हत्याकांड को और भी दिल दहलाने वाला बना दिया।
दुश्मनी और शक से उपजा बीएसएफ जवान प्रधान गुर्जर का खौफनाक अंत
अजमेर जिले के किशनगढ़ में स्थित माला गांव में रहने वाले रूप गुर्जर अपने परिवार के साथ खेतीबाड़ी करते थे। उनका बड़ा बेटा, प्रधान गुर्जर, हंसमुख और गबरू जवान था। पढ़ाई के दौरान ही वह बीएसएफ में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हो गया, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई। इसके बाद रूप गुर्जर ने प्रधान की शादी रूपा नाम की लड़की से कर दी, और परिवार खुशी-खुशी अपनी जिंदगी जी रहा था। प्रधान जब भी आर्मी से छुट्टी पर आता, तो घर के माहौल में रौनक बढ़ जाती।
प्रधान का भतीजा जीतू गुर्जर, जो रिश्ते में प्रधान का भतीजा था, उससे सालों से परिवारिक अनबन के कारण बात नहीं करता था। लेकिन इसके बावजूद जीतू का प्रधान के घर आना-जाना था। प्रधान का मानना था कि भाइयों में अनबन हो सकती है, पर दुश्मनी नहीं होनी चाहिए। जीतू की शादी के बाद जब प्रधान गांव आया, तो उसने पहली बार अपनी भतीजे की पत्नी को देखा। जीतू की पत्नी खूबसूरत और पढ़ी-लिखी थी, और उसकी पहली ही झलक प्रधान के दिल में जगह बना गई। वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय थी, जिससे दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया।
धीरे-धीरे प्रधान और जीतू की पत्नी की नजदीकियां बढ़ने लगीं, जो जीतू के लिए असहनीय थी। उसने अपनी पत्नी को प्रधान से दूरी बनाने के लिए कहा, लेकिन उसकी पत्नी ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि बात करना गलत नहीं है, गलत तो सोच होती है। उसकी पत्नी ने प्रधान की तारीफ भी की, जिससे जीतू का शक गहराता गया। उसे लगने लगा कि उसकी पत्नी का प्रधान के साथ अफेयर है।
शक और जलन से भरे जीतू ने दो साल तक अपनी पत्नी से बात करना बंद कर दी। हाल ही में दोनों के बीच रिश्ते में सुधार हुआ था, और पत्नी ने वादा किया कि वह प्रधान से कोई संबंध नहीं रखेगी। लेकिन, यह वादा केवल दिखावा साबित हुआ, क्योंकि चोरी-छिपे वह अब भी प्रधान से बातचीत करती थी। यह बात जीतू से छिप नहीं सकी, और उसका शक यकीन में बदल गया।
आखिरकार, जीतू ने तंग आकर एक खतरनाक फैसला कर लिया। उसने सोचा कि अपनी पत्नी को प्रधान से अलग करने का एकमात्र तरीका यही है कि वह अपने चाचा प्रधान गुर्जर को हमेशा के लिए खत्म कर दे। शक, जलन और गुस्से ने जीतू को उस अंजाम तक पहुंचा दिया, जिसने एक परिवार की खुशियां छीन लीं और एक भयानक त्रासदी को जन्म दिया।
शातिर साजिश: बीएसएफ जवान प्रधान गुर्जर का बेरहम अंत
सितंबर 2019 की शुरुआत में बीएसएफ जवान प्रधान गुर्जर छुट्टी लेकर अपने गांव आया हुआ था। उन दिनों उसकी ड्यूटी शिलॉन्ग में थी। गांव लौटने पर प्रधान, जीतू की पत्नी से भी मिला। जीतू की पत्नी कोचिंग के लिए अजमेर जाया करती थी, और जल्द ही प्रधान उसे अपनी गाड़ी में अजमेर से गांव लाने लगा। हंसी-मजाक करते हुए दोनों का यह सफर जीतू को असहनीय था। इस व्यवहार ने जीतू को गुस्से और जलन से भर दिया। उसने तय कर लिया कि प्रधान को मारने की ऐसी योजना बनाएगा, जिससे किसी को भी उस पर शक न हो।
अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए जीतू ने अपने दो दोस्तों, राम अवतार और हनुमान को इस योजना में शामिल कर लिया। उन्होंने फौजी को खत्म करने के लिए 10 सितंबर 2019 का दिन चुना। उस दिन प्रधान अकेले अजमेर दरगाह जाने के लिए घर से निकला, लेकिन किशनगढ़ में जीतू उससे मिला और दरगाह व पुष्कर दर्शन के बहाने उसके साथ हो लिया। योजना के अनुसार, जीतू ने पहले ही अपने दोस्तों राम अवतार और हनुमान को अजमेर बुला लिया था। अजमेर पहुंचने पर जीतू ने प्रधान से कहा कि ये दोनों उसके दोस्त हैं और उनके साथ दर्शन करने की बात कही। प्रधान ने उनकी बात मानकर दोनों को अपनी कार में बैठा लिया।
चारों अजमेर दरगाह पहुंचे और फिर पुष्कर जाकर पूजा-अर्चना की। वहां से लौटते समय उन्होंने शराब पी और एक होटल में खाना खाया। इसके बाद प्रधान अपने छोटे भाइयों से मिलने डिफेंस अकेडमी गया। जीतू भी प्रधान के साथ अकेडमी के अंदर चला गया, जबकि राम अवतार और हनुमान गाड़ी में ही बैठे रहे। उन्हें डर था कि कोई उन्हें पहचान न ले, इसलिए वे गाड़ी से नीचे नहीं उतरे। उनकी योजना के अनुसार सब कुछ सही चल रहा था।
डिफेंस अकेडमी से लौटते समय रास्ते में उन्होंने फिर से शराब पी। मंडावरिया के पास एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक दी गई। शराब के नशे में चारों ने गाड़ी के पास तेज आवाज में गाने बजाकर डांस करना शुरू कर दिया। लेकिन इस मस्ती के बीच जीतू ने अचानक अपने चाचा प्रधान गुर्जर पर पीछे से हमला कर दिया। प्रधान बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। इसके बाद जीतू और उसके दोस्तों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने प्रधान की पैंट खोलकर उसके साथ गलत काम किया और उसे बेरहमी से पीटा।
आखिरकार, उन्होंने प्रधान का गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। प्रधान को मारने के बाद उन्होंने उसका शव गाड़ी में डाला और उसकी जेब और कार की तलाशी ली ताकि कोई सबूत न बचे। योजना के अनुसार, वे प्रधान का चेहरा कुचलकर उसके शव को किसी सुनसान जगह पर फेंकना चाहते थे, ताकि उसकी पहचान न हो सके।
शव को ठिकाने लगाने के इरादे से वे तिलोनिया की ओर बढ़े। वहां पहुंचकर उन्होंने किसी सुनसान जंगल में शव फेंकने की सोची। लेकिन उनकी यह शातिर योजना जल्द ही पुलिस की सतर्कता और गांव वालों की मदद से नाकाम हो गई। इस दर्दनाक और घिनौनी घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया।
घिनौनी साजिश की नाकामी: कीचड़ में फंसी गाड़ी ने खोला हत्या का राज
प्रधान गुर्जर की हत्या के बाद जीतू, राम अवतार, और हनुमान ने शव और गाड़ी को ठिकाने लगाने की पूरी योजना बना रखी थी। तिलोनिया के पास, एक सुनसान इलाके में पहुंचकर उन्होंने गाड़ी और शव को छोड़ने की कोशिश की, लेकिन उनकी योजना पर पानी फिर गया। एक तालाब के पास गाड़ी अचानक कीचड़ में फंस गई। उन्होंने गाड़ी को निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह और गहराई में फंसती चली गई।
गाड़ी के फंसने से उनका सारा प्लान फेल हो गया। घबराकर तीनों ने प्रधान के शव और गाड़ी को वहीं छोड़ दिया और मौके से फरार हो गए। जाते-जाते वे गाड़ी की चाबी और प्रधान का मोबाइल फोन अपने साथ ले गए। भागते समय उन्होंने गाड़ी की चाबी और मोबाइल को तोड़कर रास्ते में फेंक दिया, ताकि कोई सबूत न बचे।
रात के अंधेरे में तीनों पैदल ही चलने लगे। लगभग 4-5 किलोमीटर साथ चलने के बाद उन्होंने अलग-अलग रास्ते पकड़ लिए। जीतू जयपुर की ओर निकल गया, जबकि राम अवतार और हनुमान किशनगढ़ की तरफ चले गए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन पर कोई शक न जाए, वे तीनों अपने घर नहीं गए।
हत्या का कारण और पुलिस का खुलासा
जीतू ने पुलिस को बताया कि उसने प्रधान को क्यों मारा। उसने आरोप लगाया कि प्रधान के उसकी पत्नी के साथ अवैध संबंध थे। प्रधान उसकी पत्नी से सोशल मीडिया पर अश्लील चैट करता था और वीडियो भेजता था। जब जीतू को यह पता चला, तो उसने इस बारे में प्रधान की पत्नी, रूपा गुर्जर, को भी बताया। लेकिन इसके बाद भी प्रधान का व्यवहार नहीं बदला। इस वजह से हारकर जीतू ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर प्रधान की हत्या करने का फैसला किया।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्यवाही
पुलिस ने हत्या के आरोपी जीतू गुर्जर, राम अवतार, और हनुमान को 14 सितंबर 2019 को अजमेर कोर्ट में पेश किया। अदालत ने उन्हें तीन दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया। रिमांड के दौरान पुलिस ने आरोपियों से गहन पूछताछ की और हत्या से जुड़े कई सबूत जुटाए।
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने प्रधान गुर्जर के शव और गाड़ी को ठिकाने लगाने की योजना बनाई थी। लेकिन गाड़ी के कीचड़ में फंसने से उनका प्लान असफल हो गया।
17 सितंबर 2019 को पुलिस ने तीनों आरोपियों को फिर से कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
घटना से सीख
इस घटना को बयान करने का उद्देश्य किसी का दिल दुखाना या किसी को परेशान करना नहीं है। यह कहानी समाज को सचेत और जागरूक करने के लिए साझा की गई है। ऐसी घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि कैसे व्यक्तिगत रिश्तों और मानसिक तनावों को सुलझाने के बजाय हिंसा का रास्ता चुना जाता है।
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