जीजा और साली की खौ़फनाक कहानी – अभिषेक शर्मा की हत्या Real Life Hindi Crime Story

28 अगस्त 2019 का दिन, राजस्थान के बूंदी शहर में रहने वाले पुलिस कांस्टेबल अभिषेक शर्मा के परिवार के लिए एक साधारण सुबह की तरह शुरू हुआ। अभिषेक ने घर से निकलते हुए अपने माता-पिता को बताया कि वह ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए पुलिस लाइन जा रहा है। उसने आश्वासन दिया कि वह रात की ड्यूटी पूरी करके सुबह घर लौट आएगा। लेकिन वह सुबह कभी नहीं आई।

जैसे-जैसे रात गहराई और अगला दिन उगा, अभिषेक के वापस लौटने की उम्मीदें घरवालों की बेचैनी में बदलने लगीं। परिवार की नज़रें हर आहट पर दरवाजे की ओर टिक गईं, पर वह नहीं आया। सुबह से शाम हो गई, और परिवार का इंतजार बढ़ता गया। जब परेशान होकर घरवालों ने अभिषेक के मोबाइल पर कॉल किया, तो फोन लगातार बंद मिला।

अभिषेक के घरवाले और भी चिंतित हो गए। आखिर, वह पुलिस लाइन में ड्यूटी पर था, तो उसका फोन बंद होना असामान्य था। उन्होंने अभिषेक के दोस्तों और रिश्तेदारों से संपर्क करना शुरू किया, लेकिन कोई भी उसकी खबर नहीं दे सका।

इसी बीच, पुलिस लाइन से अभिषेक के एक दोस्त का फोन आया। उसने बताया कि अभिषेक उस रात ड्यूटी पर आया ही नहीं था। यह सुनकर परिवार के होश उड़ गए। अभिषेक तो यही कहकर गया था कि वह ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहा है।

अब परिवार ने हर संभव कोशिश शुरू कर दी। दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों से लेकर अनजान लोगों तक, हर किसी से मदद मांगी गई। लेकिन अभिषेक का कोई सुराग नहीं मिला। अंततः हारकर घरवालों ने बूंदी पुलिस स्टेशन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

अभिषेक खुद पुलिस डिपार्टमेंट में था, इसलिए उसका गायब होना न केवल परिवार बल्कि विभाग के लिए भी एक बड़ा झटका था। उसके साथी पुलिसकर्मी भी उसे खोजने में जुट गए। लेकिन एक हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका था, और अभिषेक का कोई पता नहीं चल पाया।

हर बीतता दिन परिवार के दिल पर एक नई चोट दे रहा था। वह इंतजार, वह बेचैनी और वह अनिश्चितता – सब कुछ उन्हें भीतर तक तोड़ रहा था। बूंदी पुलिस के लिए भी यह एक चुनौती बन चुका था। अभिषेक का अचानक इस तरह गायब हो जाना कई सवाल खड़े कर रहा था, लेकिन जवाब कोई नहीं था।

अभिषेक की तलाश जारी थी, लेकिन घरवालों के दिलों में जो दर्द और डर था, वह हर दिन और गहरा होता जा रहा था।

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क्या था अभिषेक और दिव्या के रिश्ते के पीछे का गहरा राज?”

जांच में जैसे-जैसे सुराग मिल रहे थे, कहानी और भी पेचीदी होती जा रही थी। एक तरफ अभिषेक का गायब होना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका था, वहीं दूसरी ओर पुलिस को एक नई दिशा में जांच करने का मौका मिला।

जब पुलिस ने अभिषेक के फोन की कॉल डिटेल्स खंगाली, तो एक और हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। 28 अगस्त की रात, जब अभिषेक को पुलिस लाइन जाना था, वह वहां नहीं पहुंचा था, लेकिन उसका फोन रात 12:30 बजे तक एक्टिव था। फिर अचानक उसका फोन स्विच ऑफ हो गया, और वो दोबारा कभी ऑन नहीं हुआ। पुलिस के लिए अब एक ही रास्ता था – अभिषेक की लास्ट लोकेशन का पता लगाना।

यह पता चला कि अभिषेक उस रात अपनी बाइक से बूंदी पुलिस लाइन जाने की बजाय 136 किमी दूर सवाई माधोपुर के विजयगढ़ किले तक पहुंच गया था। और ये जानकारी और भी चौंकाने वाली थी कि यह लास्ट लोकेशन किसी रिहायशी इलाके में नहीं, बल्कि किले के सुनसान इलाके में थी। जिस वक्त उसका फोन स्विच ऑफ हुआ, वह किले के आसपास था।

अब पुलिस ने घरवालों से और जानकारी ली कि क्या अभिषेक का इस इलाके से कोई संबंध था। अभिषेक की मां से पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि अभिषेक की शादी सवाई माधोपुर के जरवा गांव की रहने वाली दिव्या से हुई थी। अब पुलिस के दिमाग में सवाल खड़ा हुआ: क्या वह रात अभिषेक अपनी पत्नी दिव्या से मिलने गया था?

जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ी, यह बात भी सामने आई कि अभिषेक और दिव्या के बीच इन दिनों रिश्ते अच्छे नहीं थे। उनका झगड़ा इतना बढ़ चुका था कि मामला तलाक तक पहुंच चुका था, और तलाक की एप्लीकेशन कोर्ट में दी जा चुकी थी।

अब पुलिस के सामने एक और बड़ा सवाल था: अभिषेक और दिव्या का रिश्ता आखिर क्यों तलाक तक पहुंचा? क्या वहां कुछ और तो नहीं था जो अब तक छिपा हुआ था?

अभिषेक के गायब होने के बाद का हर एक कदम और हर एक जानकारी पुलिस को एक नए मोड़ पर लेकर जा रही थी। क्या इस तलाक के कारण ही अभिषेक गायब हुआ था, या फिर इसका कुछ और गहरा कारण था? पुलिस की जांच अब इस मोड़ पर थी, जहां हर सवाल और हर उत्तर केवल और केवल और रहस्यमय बनता जा रहा था।

वो राज जो एक परिवार की बर्बादी का कारण बने”

पुलिस की जांच अब एक और खतरनाक मोड़ पर थी। जब पुलिस को अभिषेक की आखिरी लोकेशन के बारे में जानकारी मिली, तो यह जगह दिव्या के मायके के पास थी। इस सुराग ने पुलिस को और भी संदेह में डाल दिया, और अब दिव्या पर शक की सुई घूमने लगी। पुलिस ने तुरंत दिव्या के घर जाने का निर्णय लिया, और उससे पूछताछ करने की कोशिश की।

शुरुआत में, दिव्या ने पुलिस से इस मामले को न छेड़ने की गुजारिश की। वह अपनी पर्सनल लाइफ में किसी भी तरह की दखलअंदाजी नहीं चाहती थी। वह बार-बार यह कह रही थी कि वह इन सब चीजों से दूर रहना चाहती है। लेकिन पुलिस की नजर अब पूरी तरह उस पर टिक गई थी, क्योंकि अभिषेक की आखिरी लोकेशन दिव्या के मायके के पास पाई गई थी।

जैसे-जैसे पुलिस ने दबाव डाला, दिव्या ने आखिरकार सच उगल दिया। उसने बताया कि इस घटना से एक साल पहले, यानी 2018 में, जब उसकी ममेरी बहन श्यामा शर्मा अपनी छुट्टियां बिताने के लिए उसके ससुराल आई थी, तब एक घिनौनी सच्चाई सामने आई थी। श्यामा, जो उस वक्त केवल 16 साल की थी, ने उसके पति अभिषेक से प्यार करना शुरू कर दिया था।

यह रिश्ता गुपचुप चलता रहा, और दोनों एक-दूसरे से मिलने लगे। लेकिन एक दिन, दिव्या ने अपनी बहन श्यामा और अपने पति अभिषेक को एक-दूसरे के साथ अवैध संबंध बनाते हुए देख लिया। इस पल ने दिव्या की दुनिया को ही तोड़ डाला। उसे पहली बार यह एहसास हुआ कि उसकी बहन, जो उसके घर पर छुट्टियां बिताने आई थी, असल में उसके पति के साथ रिश्ते में थी।

यह घटना दिव्या के लिए किसी औरत के लिए सबसे बड़ा धक्का थी। गहरे सदमे और गुस्से से भरी हुई दिव्या ने उस दिन अपने पति अभिषेक को छोड़ दिया और अपने मायके चली गई। उसने तलाक के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन भी लगा दी। यह न केवल परिवार के रिश्तों में खटास का कारण बना, बल्कि एक ऐसी दरार डाल दी, जिसे भर पाना शायद अब मुमकिन नहीं था।

यह खुलासा पुलिस के लिए एक बड़ा मोड़ था, क्योंकि अब यह साफ हो गया था कि अभिषेक और दिव्या के रिश्ते की तंगी और तलाक की दिशा में यही अवैध संबंधों की घटना मुख्य कारण थी। अब सवाल यह था कि क्या यही सब कुछ अभिषेक के गायब होने की वजह बन चुका था? क्या वह अपनी पत्नी और बहन के बीच के इस राज को लेकर कुछ छुपाना चाहता था? या फिर मामला कुछ और था? पुलिस की जांच अब इस उलझे हुए कुप्रसंग को सुलझाने में जुटी थी।

एक खतरनाक साजिश का खुलासा: जीजा-साली और एक रहस्यमय नंबर”

जांच में नया मोड़ तब आया जब पुलिस ने श्यामा की कुंडली को खंगालना शुरू किया। पता चला कि श्यामा, जो अभिषेक की साली थी, उसी बावली क्षेत्र की रहने वाली थी, और उसका घर भी विजयगढ़ किले के पास था—वहीं, जहां अभिषेक की आखिरी लोकेशन मिली थी। अब पुलिस का शक पूरी तरह से इस नाजायज रिश्ते पर केंद्रित हो गया था, क्योंकि यह न केवल अभिषेक के गायब होने से जुड़ा हुआ था, बल्कि इस रहस्यमय किले के आसपास के इलाके से भी जुड़ा था।

चार महीने हो चुके थे, और पुलिस अभी भी अभिषेक के गायब होने के रहस्य को सुलझाने में असफल थी। लेकिन अब उनकी जांच सही दिशा में बढ़ रही थी। अभिषेक का फोन सवाई माधोपुर में स्विच ऑफ हुआ था, और इस सवाई माधोपुर में श्यामा और उसके ससुराल वालों का घर भी था। यह रहस्यमय कनेक्शन पुलिस को अब एक केंद्र पर ले आया था।

पुलिस ने अब अभिषेक की पत्नी दिव्या और श्यामा की कॉल डिटेल्स और लोकेशन रिकॉर्ड्स खंगालने का फैसला किया, ताकि यह पता चल सके कि उस रात अभिषेक की आखिरी लोकेशन के पास कौन था—क्या वह श्यामा थी, या फिर दिव्या?

जब दोनों की कॉल डिटेल्स सामने आई, तो एक और चौंकाने वाली सच्चाई उजागर हुई। श्यामा और अभिषेक की पत्नी से ज्यादा बात नहीं होती थी, लेकिन श्यामा का एक और नंबर था, जिस पर वह अभिषेक से भी ज्यादा बात करती थी। और वह नंबर सवाई माधोपुर के एक व्यक्ति, नावेद रंगरेज का था।

अब पुलिस ने नावेद की लोकेशन भी जांची, और यह हैरान करने वाला था—वह भी विजयगढ़ किले के आसपास था, ठीक उसी वक्त जब अभिषेक और श्यामा की लोकेशन वहां थी। यह संयोग नहीं हो सकता था। नावेद का नाम भी अब इस मामले में अहम हो चुका था, और पुलिस को यकीन होने लगा कि अभिषेक की गुमशुदगी में श्यामा और नावेद का हाथ था।

लेकिन चार महीने की लंबी जांच के बाद, अब पुलिस पर मामले को सुलझाने का दबाव बढ़ चुका था। समय की कमी और बढ़ते तनाव के बावजूद, यह मामला अब बेहद जटिल हो चुका था। एक रहस्यमय नंबर, एक नाजायज रिश्ता, और एक किले की लास्ट लोकेशन ने पुलिस को यह एहसास दिला दिया कि अब उन्हें जल्दी से जल्दी इस रहस्य का पर्दाफाश करना होगा।

“एक खौफनाक सच्चाई: जीजा और साली के रिश्ते की काली परछाई”

पुलिस ने बिना कोई समय गंवाए श्यामा और नावेद को गिरफ्तार कर लिया। दोनों से कड़ी पूछताछ शुरू की गई। शुरुआत में, दोनों ने पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन तीनों की मोबाइल लोकेशन का रिकॉर्ड सामने रखते हुए उन पर दबाव डाला। जैसे ही पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया, श्यामा और नावेद के पास सच्चाई को स्वीकार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा।

और फिर, दोनों ने स्वीकार किया कि 28 अगस्त 2019 की रात को ही उन दोनों ने मिलकर अभिषेक को बेरहमी से कत्ल कर दिया था। लेकिन अब सवाल यह था कि क्यों श्यामा और नावेद ने ऐसा किया?

पूछताछ के दौरान श्यामा ने पुलिस को बताया कि जब वह अभिषेक की जिंदगी में आई थी, यानी 2018 में, तब से ही अभिषेक की जिंदगी में अराजकता और उथल-पुथल का माहौल बन गया था। सब कुछ उस दिन से बदल गया जब अभिषेक की पत्नी दिव्या ने अपनी बहन श्यामा और पति अभिषेक को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। यह घटना दिव्या के ससुराल में एक बड़ी लड़ाई का कारण बनी, और घर में हंगामा मच गया। माहौल बिगड़ता देख श्यामा अपने घर सवाई माधोपुर लौट आई, लेकिन उस दिन के बाद, अभिषेक और दिव्या के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हो पाए। बात तलाक तक पहुँच गई थी।

जब पुलिस ने श्यामा से यह सवाल किया कि अगर वह अपने जीजा से इतना प्यार करती थी, तो फिर उसने उसका कत्ल क्यों किया, तो श्यामा की आँखों में एक और अजीब सी चुप्पी थी। उसके चेहरे पर जरा भी पछतावा या अफसोस नहीं था।

उसने धीरे से कहा, “जीजा से प्यार था, लेकिन अब वह मुझे नहीं चाहता था। वह मेरे लिए एक सपना था, लेकिन उस सपना का टूटना मुझे सहन नहीं हुआ। मेरा प्यार, मेरी उम्मीदें और मेरी इच्छाएँ सब खत्म हो गईं।”

यह जवाब सुनकर पुलिस के माथे पर बल पड़ गए। श्यामा की बातों में गुस्सा और निराशा थी, लेकिन कत्ल की वजह अब भी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई थी। यह एक और घातक मोड़ था, जहां रिश्तों की उलझन और भावनाओं का गहरा खेल था। क्या यह सिर्फ एक गलत फैसले का परिणाम था, या फिर कुछ और काले राज इस रिश्ते के बीच छिपे थे?

धोखे और साजिश का खौफनाक चेहरा: एक जीजा की हत्या की कहानी”

श्यामा एक आज़ाद ख्याल लड़की थी, जिसने अपनी इच्छाओं और रिश्तों की खातिर ना सिर्फ अपने जीजा अभिषेक का घर बर्बाद किया, बल्कि उसे मौत की नींद सुला दिया। श्यामा ने पुलिस को बताया कि जब वह अभिषेक के साथ अवैध संबंधों में थी, तब उसकी मुलाकात नावेद से भी हुई। श्यामा और नावेद के बीच गहरी दोस्ती हो गई, और दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे। श्यामा अब चाहती थी कि वह अभिषेक को छोड़कर नावेद के साथ अपना जीवन बिताए, असल में वह नावेद से शादी करने का सपना देख रही थी।

लेकिन अभिषेक खुद भी इस घातक जाल में फंस चुका था। एक तरफ श्यामा ने उसे छोड़ने का मन बना लिया था, वहीं दूसरी तरफ उसकी पत्नी दिव्या भी उसे छोड़ चुकी थी। अभिषेक अपने जीवन की सबसे कठिन घड़ी से गुजर रहा था, लेकिन उसने श्यामा से अपनी जिंदगी को फिर से जोड़ने की कोशिश की। परंतु, श्यामा ने उसे अपनी जिंदगी से बाहर कर दिया था।

अभी श्यामा के पास केवल एक रास्ता था—अगर वह नावेद के साथ रहना चाहती थी, तो अभिषेक को रास्ते से हटाना होगा। इसके लिए उसने और नावेद ने मिलकर एक खौ़फनाक साजिश रची।

28 अगस्त 2019 को, श्यामा ने अपने जन्मदिन पर अभिषेक को फोन किया और उसे मिलने के लिए बुलाया। अभिषेक को लगा कि शायद श्यामा उसकी मदद करना चाहती है और उसका टूटता हुआ रिश्ता फिर से बिखरने से बचने की कोशिश कर रही है। वह अपनी ड्यूटी से घर वालों को कहकर सवाई माधोपुर पहुंच गया, जहां श्यामा ने उसे इंतजार किया।

वहां पहुंचने के बाद दोनों ने एक साथ डिनर किया, और अचानक नावेद भी वहां आ गया। श्यामा ने बड़ी मासूमियत से अभिषेक का नावेद से परिचय कराया, और फिर तीनों ने मिलकर यह तय किया कि वे रात के अंधेरे में विजयगढ़ के किले की ओर जाएंगे। लेकिन अभिषेक को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह अपने ही परिवार के लोगों द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा बन चुका है।

श्यामा का एक खेल और नावेद का संग, अब अभिषेक के जीवन की आखिरी रात में बदल चुका था। तीनों की यह मुलाकात एक घातक मोड़ ले चुकी थी, और अभिषेक के लिए वह रात अब कभी खत्म नहीं होने वाली थी।

मौत का खेल: एक हत्या की साजिश का अंधेरा सच”

वे लोग दो अलग-अलग बाइकों पर सवार होकर विजयगढ़ के किले तक पहुंचे। किले के भीतर घुसते ही, नावेद ने अपने प्लान के अनुसार अभिषेक के सिर पर लोहे की रॉड से पीछे से हमला किया। अभिषेक गिरकर बेहोश हो गया। लेकिन यह दर्दनाक शुरुआत केवल एक कुख्यात अंत का संकेत था। नावेद और श्यामा ने उस बेहोश पड़े अभिषेक पर कई और वार किए, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मौत हो गई।

अब सवाल यह था कि अभिषेक की लाश कहां थी? पूछताछ में श्यामा और नावेद ने पुलिस को बताया कि उन्होंने अभिषेक को मारने के बाद सबसे पहले उसका फोन स्विच ऑफ किया। फिर विजयगढ़ किले में एक गड्ढा खोदकर उन्होंने उसके शव को दफना दिया, लेकिन उसे दफनाने से पहले उनके दरिंदे दिल ने अभिषेक के कपड़े उतार दिए और उन कपड़ों को एक सुनसान जगह पर फेंक दिया। यहां तक कि अभिषेक की बाइक, जो सवाई माधोपुर से लेकर श्यामा से मिलने आई थी, उस बाइक को भी काफी दूर ले जाकर कुएं में फेंक दिया था।

कुछ समय बाद, श्यामा और नावेद की निशानदेही पर पुलिस ने विजयगढ़ के किले से खुदाई की और अभिषेक के शव को निकाला। लेकिन 110 दिन बाद मिली यह लाश अब कंकाल में तब्दील हो चुकी थी। उस कंकाल से यह कहना भी मुश्किल था कि यह अभिषेक का शव था, लेकिन पोस्टमॉर्टम के बाद यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई और नहीं बल्कि राजस्थान पुलिस का कांस्टेबल अभिषेक शर्मा था। साथ ही पुलिस ने उसके कपड़े और बाइक भी कुएं से बरामद कर ली थी।

हालांकि, श्यामा और नावेद ने कत्ल के सारे सबूत मिटाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन कातिल चाहे जितना शातिर क्यों न हो, कोई न कोई निशान छोड़ ही जाता है। श्यामा और नावेद के मोबाइल की लोकेशन ने उनकी साजिश का पर्दाफाश कर दिया।

कुछ महीनों बाद, श्यामा और नावेद दोनों जमानत पर जेल से बाहर आ गए। लेकिन मामला अदालत में चला और 19 दिसंबर 2024 को 5 साल बाद, श्यामा शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही उस पर 1,08,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। श्यामा को फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, लेकिन यह सवाल अब भी बाकी था—क्या कभी भी इंसाफ मिलने में समय से पहले कोई तीर खत्म हो सकता है?

एक खौ़फनाक कहानी: इंसाफ की राह में लंबा सफर”

हालांकि, नावेद के मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। उसकी सुनवाई अभी भी कोर्ट में जारी है और फैसला आना अभी बाकी है। इस जघन्य घटना को सुनाने का उद्देश्य किसी का दिल दुखाना नहीं था, न ही किसी को परेशान करना था, बल्कि हमारा मकसद आपको जागरूक करना था। यह कहानी हमें यह बताती है कि कभी भी हम अपने रिश्तों और जिंदगियों में अंधेरे और धोखे की सच्चाई से अनजान नहीं रह सकते।

इस घटना के बारे में आपकी क्या राय है? क्या आप मानते हैं कि हमें ऐसी साजिशों से निपटने के लिए और अधिक सचेत रहना चाहिए? हमें अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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