आज की कहानी पंजाब से जुड़ी है, जो एक दिल दहला देने वाली घटना को उजागर करती है। यह कहानी विश्वासघात, प्रतिशोध, और अनियंत्रित भावनाओं के विनाशकारी प्रभावों की है। इस दुखद घटना का सबसे भयावह पहलू यह है कि इसमें शिकार बनी एक पूरी तरह निर्दोष लड़की—एक दुल्हन—जिसकी ज़िंदगी को बेवजह छीन लिया गया।
आपने अक्सर ऐसी कहानियां सुनी होंगी, जिनमें दुर्घटनाएं, हत्याएं या मौत की घटनाएं शामिल होती हैं। लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं, जो बेहद दर्दनाक होती हैं, खासकर जब मरने वाले की इसमें कोई गलती न हो। यह कहानी भी ऐसी ही है, जिसमें एक निर्दोष व्यक्ति की जान चली गई, और उसका कोई कसूर नहीं था।
इस तरह की घटनाएं न केवल पीड़ित के परिवार के लिए बल्कि पुलिस के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं। कातिल को ढूंढना, हत्या के पीछे की वजह का पता लगाना और न्याय तक पहुंचना आसान नहीं होता। आज की यह कहानी भी ऐसे ही जटिल रहस्यों से भरी है।
तो आइए, इस घटना की शुरुआत करते हैं , कहानी पंजाब के बर्नाला शहर से शुरू होती है। जसवंत सिंह, जो एक साधारण इंसान थे, अपनी पत्नी रविंदर कौर, दो बेटों, और बेटी हरप्रीत कौर के साथ बस्ती फतेह नगर में रहते थे। जसवंत सिंह की आजीविका का साधन उनका छोटा-सा सैलून था, जिससे उनका घर चलता था। उनकी बेटी हरप्रीत कौर परिवार की शान थी—पढ़ी-लिखी, होनहार, और अपने भविष्य को लेकर आशान्वित।
हरप्रीत कौर जब विवाह योग्य हुईं, तो जसवंत सिंह ने उनके लिए एक योग्य वर की तलाश शुरू की। इसी बीच, जसवंत सिंह की बहन भोली, जो लुधियाना में रहती थीं, ने कोलकाता के रहने वाले हरप्रीत सिंह (हनी) नाम के युवक से हरप्रीत कौर का रिश्ता सुझाया।
किस्मत की बात यह थी कि दुल्हन और दूल्हे दोनों का नाम हरप्रीत था। हरप्रीत सिंह कोलकाता में अपने पिता रणजीत सिंह के साथ रहते थे, जिनका होटल और रेस्टोरेंट का बहुत बड़ा कारोबार था। रणजीत सिंह मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले थे। उनकी संपत्ति और सामाजिक स्थिति के बावजूद, वह अपने बेटे के लिए एक साधारण, शिक्षित, और अच्छे संस्कारों वाली लड़की चाहते थे।

मार्च 2013 में दोनों परिवार मिले और रिश्ता पक्का हो गया। शादी की तारीख 7 दिसंबर 2013 तय की गई। जसवंत सिंह और रणजीत सिंह की आर्थिक स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क था। शादी तय होने के कुछ दिनों बाद ही जसवंत सिंह को फोन पर धमकियां मिलने लगीं, जिसमें कहा गया कि वह रिश्ता तोड़ दें, अन्यथा उन्हें परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
जब जसवंत सिंह ने यह बात रणजीत सिंह को बताई, तो उन्होंने कहा कि हमारी कुछ लोगों से रंजिश हो सकती है, और शायद वही लोग आपको धमकियां दे रहे हैं। हालांकि, रणजीत सिंह ने यह भी कहा कि आपको डरने की कोई बात नहीं है, हमारी तरफ से ऐसी कोई बात नहीं है, और आप शादी की तैयारी में लगें।
इसके बाद भी जसवंत सिंह को धमकी भरे फोन आते रहे, और कुछ अजनबी युवकों ने बरनाला स्थित उनके घर आकर शादी तोड़ने का दबाव डाला। बावजूद इसके, जसवंत सिंह ने इन धमकियों को नजरअंदाज करते हुए अपनी बेटी की शादी की तैयारियां जारी रखी।
शादी की तारीख करीब आने पर, जसवंत सिंह अपने परिवार के साथ लुधियाना के जनता नगर स्थित गली नंबर 16 में रहने वाले अपने रिश्तेदार रेंद्र सिंह बग्गा के घर आ गए। वहीं, रणजीत सिंह का परिवार भी बेटी की शादी के लिए कोलकाता से लुधियाना आ गया था। विवाह के लिए उन्होंने पक्खोवाल रोड स्थित शहर के सबसे महंगे स्टर्लिंग रिसॉर्ट को बुक किया था।
धमकियों के साए में शादी की तैयारियां और वो काली दोपहर
7 दिसंबर 2013, शादी का दिन था। हरप्रीत कौर, अपनी मां, पिता और दो सहेलियों के साथ सुबह 7 बजे कार में बैठकर सरावा नगर स्थित लैक में ब्यूटी सैलून पहुंची। जबकि उसके माता-पिता कार में इंतजार कर रहे थे, हरप्रीत कौर सहेलियों के साथ सैलून के अंदर चली गई। चूंकि सैलून पहले से बुक था, जैसे ही वह अंदर पहुंची, उसका मेकअप शुरू कर दिया गया।
तभी, ठीक 7:30 बजे, एक युवक हाथ में प्लास्टिक का बैग लिए सैलून में दाखिल हुआ। उसका चेहरा ढका हुआ था। सैलून में कदम रखते ही उसने हरप्रीत कौर को इस तरह पुकारा जैसे वह उसका कोई जानकार हो। हरप्रीत कौर ने जैसे ही उसकी आवाज सुनी, वह युवक उसकी तरफ बढ़ा और उसके मेकअप करने वाले कर्मचारियों ने उसे देखा, लेकिन किसी ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की। युवक जिस आत्मविश्वास से अंदर आया था, सबने सोचा कि यह हरप्रीत का कोई रिश्तेदार है, जो दुल्हन के पास आकर उसे देखने आया है।
हरप्रीत कौर के पास पहुंचकर, युवक ने थोड़ी ऊंची आवाज में कहा, “मैंने तुझसे ही नहीं, तेरे घर वालों से भी कहा था कि यह शादी नहीं होने दूंगा।” इसके बाद, उसने प्लास्टिक बैग में रखा तेजाब निकाल लिया और हरप्रीत कौर पर बिना देर किए उसे उड़ेल दिया। साथ ही, उसने एक कागज फेंका और जैसे आया था, वैसे ही तेज़ी से सैलून से बाहर निकलकर कार में सवार हो गया।
तेज़ाब पड़ते ही, हरप्रीत कौर दर्द से चीखने लगी। उसकी चीखें सुनकर सैलून में काम कर रहे कर्मचारियों को घटना का अहसास हुआ, और वे भी डर के मारे चिल्लाने लगे। शोर-शराबे को सुनकर, सैलून के मालिक और मैनेजर संजीव गयल तुरंत पहुंचे और युवक का पीछा किया, लेकिन वह तब तक कार में बैठकर फरार हो चुका था। उस कार में शायद कुछ और लोग भी थे।
इस हमले का असर केवल हरप्रीत कौर पर नहीं पड़ा। उसके पास बैठी अमृतपाल कौर और सैलून के बगल की सीट पर बैठी दो और महिलाएं भी इस हमले का शिकार हुईं, जिनपर तेजाब पड़ा था।
पुलिस की कार्रवाई
हरप्रीत कौर की हालत बेहद गंभीर थी। जैसे ही मैनेजर संजीव गोयल ने इस भयानक घटना की सूचना थाना सराभा नगर पुलिस को दी, उन्होंने हरप्रीत कौर और बाकी घायलों को डीएमसी अस्पताल भेज दिया। डीएमसी अस्पताल लुधियाना का एक बड़ा और प्रसिद्ध अस्पताल था, जहां प्राथमिक उपचार के बाद सभी घायलों को छुट्टी दे दी गई। लेकिन हरप्रीत कौर का चेहरा और छाती गंभीर रूप से जल चुके थे, इसलिए उसे अस्पताल में भर्ती किया गया।
मेकअप करवाने वाली अमृतपाल कौर और दो अन्य महिलाएं भी इस हमले का शिकार हुईं, लेकिन हरप्रीत कौर की हालत सबसे ज्यादा खराब थी। घटना के चश्मदीद गवाह उसके माता-पिता और संजीव गोयल थे, जिन्होंने पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी। हरप्रीत कौर के पिता, जसवंत सिंह, की शिकायत पर थाना सराभा नगर में तेजाब हमले का मामला दर्ज हुआ।
घटनास्थल पर इंस्पेक्टर हरपाल सिंह गरेवाल ने जांच की और सैलून में मिले एक कागज को कब्जे में लिया, जो युवक द्वारा फेंका गया था। वह कागज एक प्रेम पत्र था। पुलिस ने सैलून के अंदर और बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी कब्जे में ली। जांच में यह सामने आया कि प्रेम पत्र पुलिस को गुमराह करने के लिए फेंका गया था, क्योंकि हरप्रीत कौर का किसी से कोई प्रेम संबंध नहीं था।

यह स्पष्ट होने के बाद कि यह मामला एकतरफा प्रेम का नहीं था, पुलिस उलझन में पड़ गई। सवाल यह था कि आखिर दुल्हन पर तेजाब क्यों फेंका गया, और वह भी शादी के फेरों से मात्र एक घंटे पहले? मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर हरपाल सिंह गरेवाल के लिए यह सवाल अब भी अनसुलझा था। हरप्रीत कौर बयान देने की स्थिति में नहीं थी, क्योंकि तेजाब पड़ने के बाद वह बेहोश हो गई थी और फिर कभी होश में नहीं आई। उसकी हालत लगातार नाजुक होती जा रही थी। जब टीएमसी अस्पताल ने इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए, तो लुधियाना के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर निर्मल सिंह ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच में तेजी लाने का आदेश दिया।
हत्या के पीछे की साजिश
इंस्पेक्टर हरपाल सिंह ने जब रणजीत सिंह के बेटे और हरप्रीत सिंह से पूछताछ की, तो उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में और गहराई से जानकारी जुटाई। धीरे-धीरे पूरी कहानी सामने आने लगी। इसके बाद, उन्होंने अपने अधिकारियों से सलाह लेकर, इंस्पेक्टर मनजीत सिंह के साथ मिलकर एक पुलिस टीम बनाई और पटियाला के रजीत नगर स्थित एक कोठी पर छापा मारा। जैसे ही पुलिस टीम वहां पहुंची, एक युवक कोठी की छत से कूद पड़ा और उसकी एक टांग टूट गई। लेकिन फिर भी वह पकड़ा गया। उसका नाम पलविंदर सिंह उर्फ पवन था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, और इसके साथ ही 30-32 साल की एक महिला, अमृतपाल कौर, को भी गिरफ्तार किया।
पूछताछ में ये खुलासा हुआ कि तेजाब कांड की मुख्य आरोपी अमृतपाल कौर थी, जो हरप्रीत सिंह की भाभी थी। जी हां, वही भाभी जिसने अपने ससुर रणजीत सिंह और उनके परिवार से बदला लेने के लिए हरप्रीत कौर पर तेजाब फिंकवाया था। अमृतपाल कौर की कहानी और भी चौंकाने वाली थी। उसके चार नाम थे—डिंपी, हनी, परी और अमृतपाल। लुधियाना के दुगी इलाके की रहने वाली अमृतपाल कौर एक आधुनिक सोच रखने वाली महिला थी, जो अपनी मर्जी से जीवन जीना चाहती थी। उसकी कई लड़कों से दोस्ती थी और उसका स्वभाव काफी जिद्दी और झगड़ालू था, जिससे उसके माता-पिता भी परेशान थे।
2003 में उसका विवाह रणजीत सिंह के बड़े बेटे, तरनजीत सिंह, से हुआ। लेकिन जब उसे पता चला कि उसका पति नपुंसक है, तो उसकी जिंदगी की उम्मीदें टूट गईं। इसके बाद घर में क्लेश बढ़ता गया और अमृतपाल ने परिवार वालों को ताने देने शुरू कर दिए। इसके बाद, तरनजीत सिंह और अमृतपाल कौर विदेश चले गए, जहां उनके जुड़वां बेटे, अनंत और मीर, पैदा हुए। लेकिन घर लौटने के बाद भी समस्याएं बढ़ती गईं, और अंततः अमृतपाल कौर ने तलाक ले लिया, जिसमें उसे एक बड़ी रकम और लुधियाना में फ्लैट मिला। तलाक के बाद, वह पूरी तरह से आजाद हो गई थी और अब वह अपनी मर्जी की मालिक बन चुकी थी।
इसके बाद, अमृतपाल कौर की मुलाकात एक अपराधिक प्रवृत्ति के युवक, पलविंदर सिंह उर्फ पवन से हुई, जो अपने परिवार से बेदखल था। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और पलविंदर ने अमृतपाल कौर के इशारों पर नाचना शुरू कर दिया। लेकिन असली मुसीबत तब आई, जब अमृतपाल को पता चला कि उसके पति तरनजीत सिंह के छोटे भाई, हरप्रीत सिंह, की शादी हरप्रीत कौर से हो रही है। यह बात सुनते ही अमृतपाल कौर का पारा चढ़ गया और उसने अपने ससुर, रणजीत सिंह, को फोन करके धमकी दी कि अब वह उनके घर में कभी शहनाई नहीं बजने देगी।
हालांकि, रणजीत सिंह ने उसकी धमकी को गंभीरता से नहीं लिया और शादी की तैयारियां जारी रखीं। अमृतपाल कौर की सनक बढ़ती गई, और उसने पलविंदर के साथ मिलकर एक खौफनाक योजना बनाई। उसने तय किया कि अगर हरप्रीत कौर की सुंदरता बिगाड़ दी जाए, तो शादी अपने आप रुक जाएगी। पलविंदर ने अमृतपाल कौर की इस योजना को सही समझा और उसने इसे अंजाम देने के लिए अपनी चचेरे भाई, संप्रीत सिंह उर्फ सनी, और कुछ दोस्तों को भी शामिल कर लिया।
तीन बार उन्होंने हरप्रीत कौर पर तेजाब फेंकने की कोशिश की, लेकिन हर बार मौके से हाथ धो बैठे। अंततः, 5 दिसंबर को उन्हें पता चला कि हरप्रीत कौर और उसका परिवार लुधियाना आ रहे हैं। 6 दिसंबर 2013 को पलविंदर सिंह ने अपने साथियों के साथ लुधियाना पहुंचकर तेजाब पटियाला के एक मोटर मैकेनिक से खरीदा। उसने रेकी की थी और जानता था कि हरप्रीत कौर ब्यूटी सैलून जाएगी। यही मौका था जब उन्होंने अपनी योजना को अंजाम देने का मन बना लिया।
सबक और संदेश
अमृतपाल कौर से गहन पूछताछ के बाद इंस्पेक्टर हरपाल सिंह ने तेजाब कांड में शामिल अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। 9 दिसंबर 2013 को, उन्हें ड्यूटी मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से पुलिस को तीन दिनों के रिमांड पर भेजा गया ताकि सबूत जुटाए जा सकें। पुलिस ने इन आरोपियों से रिमांड में सारी जरूरी जानकारी हासिल की और फिर सभी को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया।
मुंबई के नेशनल बर्न हॉस्पिटल में इलाज करा रही हरप्रीत कौर, जिनकी हालत लगातार बिगड़ रही थी, 27 दिसंबर को सुबह 5:00 बजे दम तोड़ गई। इसके बाद, पुलिस ने शव को मुंबई से दिल्ली और फिर सड़क मार्ग से बरनाला भेजा। इस मामले में मुख्य आरोपी अमृतपाल कौर, पलविंदर सिंह, सनप्रीत सिंह, राकेश कुमार, गुरु सेवक सिंह, अश्विनी कुमार, और जसप्रीत सिंह थे। लखमी ब्यूटी सैलून के मालिक और मैनेजर संजीव गोयल सहित 38 लोगों को इस केस में आरोपी बनाया गया था। घटना स्थल से मिले सीसीटीवी फुटेज को अदालत में पेश किया गया, जिससे इस मामले की सच्चाई और भी स्पष्ट हो गई।
अभियोजन पक्ष की ओर से सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एस. एम. हैदर ने प्रभावी ढंग से दलीलें पेश कीं, जबकि बचाव पक्ष के वकील ने सजा में नरमी की अपील की। लंबी सुनवाई और बहस के बाद अदालत ने 20 दिसंबर 2016 को अपना फैसला सुनाया। माननीय न्यायाधीश ने अमृतपाल कौर और पलविंदर सिंह को उम्रभर की सजा सुनाई और साथ ही एक शर्त रखी कि दोनों 25 साल तक जेल में रहेंगे। इसके अलावा, उन पर 9,50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जिसमें से 2 लाख रुपये हरप्रीत कौर के परिवार को और बाकी का हिस्सा घायल अमृतपाल कौर और ब्यूटी सैलून के कर्मचारियों को दिया जाएगा।
इसके अलावा, बाकी आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया और उन्हें उम्रभर की सजा के साथ-साथ 1,25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जबकि अश्विनी कुमार को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। इन अपराधियों की वजह से एक निर्दोष लड़की अपनी जिंदगी की सबसे खुशहाल घड़ी में मौत के मुंह में समा गई।
यह कहानी दिखाती है कि कभी-कभी बदले की भावना कितनी खतरनाक हो सकती है, और यह घटना एक चेतावनी देती है कि हम अपने आक्रोश को संयमित रखें। ऐसे मामलों में प्यार और प्रतिशोध का मिश्रण भी हो सकता है, जैसा कि हमने इस कांड में देखा। शायद ये कोई एकतरफा प्यार, या कुछ और हो सकता है, जो इस पूरी घटना के पीछे था।
हम हमेशा आपकी राय का स्वागत करते हैं, और अगर आप इस तरह की घटनाओं और कहानियों के शौकीन हैं, तो कृपया हमें अपने विचार कमेंट करके बताएं। क्या आपको लगता है कि एक साधारण बदला इस तरह के खौफनाक परिणाम का कारण बन सकता है, या इसके पीछे कोई और कारण भी हो सकता है?
यह कहानी न केवल एक निर्दोष लड़की की दर्दनाक मौत की है, बल्कि यह बताती है कि कैसे नफरत और बदले की आग में निर्दोष ज़िंदगियां खत्म हो जाती हैं। यह हमें सतर्क रहने और दूसरों के प्रति संवेदनशील होने का सबक भी देती है।
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