नीरज ग्रोवर हत्याकांड: प्यार और शक की खौफनाक कहानी
7 मई 2008 को मुंबई में नीरज ग्रोवर की हत्या ने पूरे देश को हिला दिया था। नीरज एक प्रोडक्शन हाउस में काम करता था। उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई और फिर शव के 300 टुकड़े कर दिए गए। कहा जाता है कि यह हत्या प्यार में उलझे रिश्तों की वजह से हुई थी। इस मामले में कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसैराज, उसके बॉयफ्रेंड नेवी ऑफिसर लेफ्टिनेंट जेरोम मैथ्यू और नीरज ग्रोवर के बीच प्यार का एक पेचीदा मामला जुड़ा था। लेकिन बड़ा सवाल यह था कि नीरज की हत्या किसने की और उसके शव के साथ इतनी निर्दयता क्यों बरती गई?
मारिया सुसाइराज: एक्टिंग में करियर बनाने की चाह
मारिया सुसाइराज केरल के कोची की रहने वाली थी। उसे बचपन से ही गाने और डांस का शौक था। उसने कुछ साउथ इंडियन फिल्मों में छोटे-मोटे रोल भी किए थे। कोची में ही उसे नेवी ऑफिसर जेरोम मैथ्यू से प्यार हो गया। जेरोम और मारिया बचपन के दोस्त थे। उन्होंने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई भी साथ में की थी। दोनों ने तय कर लिया था कि वे जल्द ही शादी करेंगे।
मारिया एक्टिंग में बड़ा नाम कमाना चाहती थी। उसे लगा कि हिंदी टीवी सीरियल्स और बॉलीवुड फिल्मों में ज्यादा शोहरत और पैसा मिल सकता है। इसलिए, वह 2007 में मुंबई आ गई।
मुंबई आने के बाद उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि उसकी हिंदी अच्छी नहीं थी, जबकि हिंदी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में काम करने के लिए भाषा पर अच्छी पकड़ जरूरी थी। वह प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगा रही थी और स्ट्रगल कर रही थी। इसी दौरान, जब वह एक ऑडिशन देने गई, तो उसकी पहली मुलाकात नीरज ग्रोवर से हुई।
नीरज ग्रोवर: छोटे शहर से बड़े सपनों तक
नीरज ग्रोवर कानपुर के एक साधारण परिवार से थे। 25 साल के नीरज से उनके परिवार को बड़ी उम्मीदें थीं। उनके पिता, अमरनाथ ग्रोवर, एक छोटे व्यापारी थे, लेकिन परिवार को भरोसा था कि नीरज एक दिन उनका नाम रोशन करेगा। और वह सही दिशा में बढ़ भी रहा था।
साल 2008 में स्टार प्लस पर शाहरुख खान का शो “क्या आप पांचवी पास से तेज हैं?“ आता था, और नीरज उसकी प्रोडक्शन टीम का हिस्सा थे। एक दिन, जब वह एक टीवी सीरियल के लिए ऑडिशन ले रहे थे, तो मारिया सुसाइराज भी ऑडिशन देने पहुंची।
नीरज ने मारिया से हिंदी में कुछ सवाल पूछे, लेकिन वह सही से जवाब नहीं दे पाई क्योंकि उसकी हिंदी कमजोर थी। नीरज ने कहा कि उन्हें हिंदी बोलने वाले कलाकारों की जरूरत है, और अगर उसके लायक कोई काम होगा, तो उसे जरूर बताया जाएगा। इतना कहकर नीरज वहां से चला गया।
इसके बाद, मारिया ने नीरज के ऑफिस के एक शख्स से उसका नंबर ले लिया। कुछ दिनों बाद, उसने नीरज को फोन किया और पहली मुलाकात की याद दिलाई। नीरज ने उसे पहचान लिया, फिर दोनों में बातचीत होने लगी। धीरे-धीरे उनकी बातें बढ़ती गईं और वे मिलने भी लगे। कुछ समय बाद, मारिया कुछ दिनों के लिए नीरज के अपार्टमेंट में भी रही।
जेरोम मैथ्यू का शक और गुस्सा
मारिया ने अपने कोची के बॉयफ्रेंड जेरोम मैथ्यू को नीरज ग्रोवर के बारे में बताया। उसने कहा कि नीरज मुंबई में उसे काम दिलाने में मदद कर रहा है। साथ ही, मारिया ने यह भी कहा कि नीरज को उस पर क्रश है, लेकिन उसकी तरफ से ऐसा कुछ नहीं है।
जेरोम स्वभाव से बहुत शक्की था। उसे मारिया और नीरज की दोस्ती पर बिल्कुल भरोसा नहीं था। उसे लगने लगा कि मारिया उसे धोखा दे रही है, लेकिन वह खुलकर कुछ कह भी नहीं पा रहा था।
6 मई 2008 को मारिया ने मुंबई के मलाड इलाके में एक नया फ्लैट लिया। शिफ्टिंग के लिए उसने नीरज से मदद मांगी, और नीरज उसकी मदद के लिए तैयार हो गया। रात करीब 10 बजे वह मलाड के फ्लैट पर पहुंचा और सामान जमाने में मदद करने लगा।
इसी दौरान, मारिया के फोन पर कोची से जेरोम का कॉल आया। मारिया ने उसे बताया कि वह नए फ्लैट में शिफ्ट हो गई है। तभी जेरोम ने किसी मर्द की आवाज सुनी और तुरंत मारिया से पूछा, “क्या तुम्हारे साथ कोई और भी है?”
मारिया ने जवाब दिया, “हां, नीरज है।”
जेरोम ने गुस्से में पूछा, “वह इतनी रात को तुम्हारे फ्लैट पर क्या कर रहा है?”
मारिया ने समझाया कि वह सिर्फ शिफ्टिंग में मदद कर रहा है। इस पर जेरोम ने सख्त लहजे में कहा, “नीरज को अपने फ्लैट पर मत रुकने देना, उसे वापस भेज दो।”
लेकिन जेरोम इस बात को लेकर बहुत बेचैन हो गया। रात 11:30 बजे उसने फिर से मारिया को कॉल किया ताकि यह पक्का कर सके कि नीरज चला गया है या नहीं। मगर इस बार मारिया ने उसका फोन उठाने के बजाय मोबाइल ही बंद कर दिया।
मारिया की इस हरकत से जेरोम पागल हो गया। उसे लगा कि उसका शक सही है। उसी वक्त उसने तय कर लिया कि वह मुंबई जाकर खुद सब देखेगा।
शक, गुस्सा और खौफनाक कत्ल
मारिया जब मलाड में शिफ्ट होने वाली थी, तो उसने अपने फ्लैट का एड्रेस जेरोम को दे दिया था। जेरोम ने मन में तय कर लिया कि वह बिना बताए फ्लैट पर पहुंचेगा और देखेगा कि मारिया सच बोल रही है या नहीं। उसने कोची से मुंबई जाने वाली फ्लाइट की जानकारी ली और पाया कि 7 मई की सुबह 3 बजे की फ्लाइट से वह मुंबई पहुंच सकता है। उसने वही फ्लाइट पकड़ी और सुबह 7:30 बजे मुंबई पहुंच गया।
मुंबई आते ही वह सीधे मारिया के फ्लैट पर गया और दरवाजे की बेल बजाई। कोई जवाब नहीं मिला तो उसने दोबारा बेल बजाई। इस बार मारिया उठी और दरवाजा खोला। सामने जेरोम को देखकर वह चौंक गई, लेकिन जेरोम बिना कुछ कहे सीधा बेडरूम में चला गया। वहां उसने वही देखा, जिसका उसे सबसे ज्यादा डर था—नीरज ग्रोवर मारिया के बेडरूम में था।
अपनी गर्लफ्रेंड के कमरे में नीरज को देखकर जेरोम का गुस्सा फूट पड़ा। दोनों के बीच बहस शुरू हो गई, जो धीरे-धीरे हाथापाई में बदल गई। गुस्से से बेकाबू जेरोम किचन में गया, वहां से चाकू उठाया और नीरज पर हमला कर दिया। मारिया ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन जेरोम ने उसे धमकी दी कि अगर वह बीच में आई, तो उसे भी मार देगा।
जेरोम ने नीरज पर कई वार किए, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हत्या के बाद, मारिया और जेरोम ने उसी फ्लैट में शारीरिक संबंध बनाए। लेकिन अब उनके सामने एक बड़ी समस्या थी—नीरज की लाश का क्या किया जाए। उन्हें डर था कि अगर वे लाश को बाहर ले जाने की कोशिश करेंगे, तो पकड़े जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने ऐसा तरीका निकालने की सोची, जिससे लाश को बाहर ले जाने पर भी किसी को शक न हो।
हत्या के बाद लाश ठिकाने लगाने की साजिश
मारिया ने अपने एक दोस्त को कॉल किया और झूठ बोलकर उसकी कार ले ली। फिर सुबह 11 बजे के आसपास, वह और जेरोम कार से मलाड के एक मॉल गए। वहां से उन्होंने तीन बड़े बैग, चाकू, एयर फ्रेशनर, पर्दे और चादर खरीदी। मॉल के बाहर एक रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद, वे दोपहर 3 बजे फ्लैट पर लौट आए।
फ्लैट पहुंचने के बाद, उन्होंने नीरज की लाश को रसोई में ले जाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने लाश के 100 से ज्यादा टुकड़े कर दिए और फिर उन्हें खरीदे हुए बैग्स में भर दिया। इसके बाद, वे बैग्स को दोस्त की कार में रखने लगे, लेकिन मारिया की बिल्डिंग के सिक्योरिटी गार्ड ने देख लिया कि वह जेरोम के साथ बैग्स कार में रख रही थी। उसने दोनों को बिल्डिंग से बाहर जाते हुए भी देखा।
रास्ते में मारिया और जेरोम ने पेट्रोल की एक बोतल खरीदी और शाम 7 बजे पालघर जिले के मनोहर की तरफ निकल गए। वहां पहुंचकर, उन्होंने जंगल के पास कार रोकी और बैग्स को बाहर निकाला। बैग्स पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी और तब तक रुके रहे जब तक लाश पूरी तरह जल नहीं गई। इसके बाद, वे वापस मुंबई लौट आए और रात 10:30 बजे मलाड के फ्लैट पर पहुंच गए।
फ्लैट पर लौटने के बाद, उन्होंने उन सभी सबूतों को मिटाना शुरू किया जो उन्हें पुलिस के शक के दायरे में ला सकते थे। दीवार, फर्नीचर और खिड़कियों के पर्दे नीरज के खून से सने हुए थे। उन्होंने दीवार पर पेंट कर दिया, फर्नीचर बदल दिया और नए पर्दे लगा दिए। जेरोम उसी रात फ्लैट में रुका और अगले दिन, 8 मई को दोपहर 12:30 बजे मुंबई से कोची की फ्लाइट लेकर वापस चला गया।
नीरज की गुमशुदगी और पुलिस की जांच
नीरज ग्रोवर जब 7, 8 और 9 मई को अपने ऑफिस नहीं पहुंचा, तो उसके दोस्तों को चिंता होने लगी। उन्होंने उसे कई बार फोन किया, लेकिन उसका मोबाइल स्विच ऑफ था। फिर उन्होंने मारिया को कॉल किया। मारिया ने फोन उठाया और बताया कि नीरज 6 मई की रात उसके फ्लैट से अपने घर चला गया था और उसके बाद से उनकी कोई बात नहीं हुई।
नीरज के दोस्तों ने उसे हर जगह ढूंढने की कोशिश की, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने नीरज के माता-पिता को भी उसकी गुमशुदगी की जानकारी दी। नीरज के पिता, अमरनाथ ग्रोवर, ने मुंबई पुलिस में बेटे के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने जांच शुरू की और सबसे पहले मारिया के फ्लैट पर पहुंची, क्योंकि नीरज आखिरी बार वहीं देखा गया था। पूछताछ में मारिया ने वही बात दोहराई कि नीरज 6 मई की रात उसके फ्लैट से निकल गया था। पुलिस ने उस समय ज्यादा सवाल नहीं किए, लेकिन उन्हें मारिया की बातों पर शक हुआ।
इसके बाद पुलिस ने नीरज और मारिया के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स निकलवाईं। कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि नीरज ने 6 मई की रात 1:20 बजे किसी से फोन पर बात की थी और उस वक्त उसकी मोबाइल लोकेशन मारिया के फ्लैट की थी। इससे साफ हो गया कि मारिया झूठ बोल रही थी।
पुलिस दोबारा मारिया के फ्लैट पर गई और वहां के सिक्योरिटी गार्ड से भी पूछताछ की। गार्ड ने बताया कि 7 मई की सुबह उसने मारिया और उसके एक दोस्त को कार में बैग रखते हुए देखा था। यह सुनकर पुलिस को शक और बढ़ गया।
इसके बाद पुलिस ने मारिया से सख्ती से पूछताछ की। जब मारिया को एहसास हुआ कि अब बचना मुश्किल है, तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि नीरज की हत्या उसने नहीं, बल्कि उसके बॉयफ्रेंड जेरोम मैथ्यू ने की थी।
इसके बाद पुलिस ने कोची से जेरोम मैथ्यू को गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह नीरज ग्रोवर हत्याकांड की गुत्थी धीरे-धीरे सुलझने लगी।
सबूतों की बरामदगी और कोर्ट का फैसला
पुलिस ने जांच के दौरान नीरज का फोन मारिया के पास से बरामद कर लिया। इसके अलावा, जिस कार का इस्तेमाल लाश ठिकाने लगाने के लिए किया गया था, उसे भी अपने कब्जे में ले लिया। कार की जांच करने पर उसमें कई जगह खून के धब्बे मिले।
इसके बाद फॉरेंसिक टीम मनोहर के जंगल पहुंची, जहां मारिया और जेरोम ने नीरज की लाश जलाने की कोशिश की थी। जांच के दौरान वहां से इंसानी दांत और कुछ हड्डियां मिलीं। इन अवशेषों और कार में मिले खून के धब्बों का नीरज के परिवार से डीएनए मिलान कराया गया, जिससे पुष्टि हो गई कि ये नीरज के ही थे।
पुलिस ने इन सबूतों को कोर्ट में पेश किया। तीन साल तक चली सुनवाई के बाद, 11 जुलाई को मुंबई सेशन कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और गवाहों तथा सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह हत्या पहले से सुनियोजित नहीं थी। जेरोम मैथ्यू ने अचानक गुस्से में आकर नीरज की हत्या कर दी, क्योंकि वह किसी भी तरह का हथियार लेकर नहीं आया था। इसे ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने जेरोम को सबूत मिटाने और गैर इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए 10 साल की सजा सुनाई।
मारिया को भी कड़ी सजा से छूट मिल गई। उसने कोर्ट में अपना बचाव करते हुए कहा कि वह निर्दोष है। उसने बताया कि जब उसने जेरोम को नीरज की हत्या करने से रोकने की कोशिश की, तो जेरोम ने उसे भी जान से मारने की धमकी दी थी। डर के कारण वह कुछ नहीं कर पाई।
कोर्ट ने मारिया को केवल सबूत मिटाने का दोषी माना और उसे एक साल की सजा दी। लेकिन जिस दिन कोर्ट का फैसला आया, उसी दिन मारिया जेल से बाहर आ गई। इसका कारण यह था कि वह पहले ही पुलिस गिरफ्तारी के बाद एक साल से ज्यादा समय जेल में बिता चुकी थी। चूंकि कोर्ट का फैसला आने में तीन साल से ज्यादा लग गए थे, इसलिए मारिया को तुरंत रिहा कर दिया गया।
नीरज ग्रोवर के परिवार की प्रतिक्रिया और इसके बाद की घटनाएं
नीरज ग्रोवर के माता-पिता कोर्ट के फैसले से बेहद दुखी थे। उन्होंने कहा कि जो असली दोषी थी, वही जेल से बाहर आ गई। नीरज के पिता अमरनाथ ग्रोवर का मानना था कि यह हत्या पहले से प्लान की गई थी। उनका कहना था कि मारिया ने बदला लेने के लिए नीरज को फंसाया, क्योंकि नीरज ने उसे काम दिलाने में मदद नहीं की थी।
नीरज के दोस्तों ने भी मारिया पर आरोप लगाए थे। उनका मानना था कि मारिया ने नीरज की भावनाओं का फायदा उठाया। नीरज के माता-पिता को इस फैसले से इतनी निराशा हुई कि उन्होंने कहा कि वे इतने सक्षम नहीं हैं कि इसे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकें। फैसले के खिलाफ किसी भी अदालत में कोई अपील नहीं हुई।
साल 2018 में जेरोम मैथ्यू भी अपनी सजा पूरी कर जेल से बाहर आ गया। कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने इस हत्याकांड पर आधारित एक फिल्म बनाई। 19 अगस्त 2011 को यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई, जिसका नाम नॉट ए लव स्टोरी था। राम गोपाल वर्मा ने कहा था कि मारिया को यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए।
यह घटना कई सवाल छोड़ जाती है और हमें सोचने पर मजबूर करती है। इसका उद्देश्य किसी का दिल दुखाना या किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि आपको जागरूक करना है।
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