परिवार की सुबह और बढ़ता तनाव
37 साल की गीता पंजाबी भाषा की प्रोफेसर थी और पिछले 15 साल से लुधियाना के एक कॉलेज में पढ़ा रही थी। उनके पति कुलदीप रेलवे में इलेक्ट्रिशियन थे। कुलदीप सुबह 8:30 बजे काम पर जाते और शाम 5:30 बजे घर लौटते। गीता 9:30 बजे कॉलेज के लिए निकलती, जबकि उनकी बेटी सुदीक्षा 10 बजे कॉलेज जाती थी। घर में इस दौरान केवल कुलदीप का छोटा भाई हरदीप रहता था, जो रात की ड्यूटी करता था और दिन में घर पर सोता था।
कुलदीप का परिवार चार लोगों का था – कुलदीप, गीता, सुदीक्षा और हरदीप। वे लुधियाना के अजीत नगर में रहते थे। कुलदीप के पिता राम मूर्ति का कुछ साल पहले निधन हो चुका था, और अब घर की जिम्मेदारी कुलदीप के कंधों पर थी। परिवार में तीन लोग कमाने वाले थे, जिससे घर में किसी चीज की कमी नहीं थी।
उस दिन सुबह सब अपने-अपने काम पर जाने की तैयारी कर रहे थे। गीता ने नाश्ता बनाया और कुलदीप को बुलाया। कुलदीप टेबल पर बैठे ही थे कि उन्हें सुदीक्षा का ख्याल आया। उन्होंने उसे आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। गीता ने कहा कि वह आ जाएगी, लेकिन कुलदीप बेचैन हो गए और खुद उसके कमरे में चले गए।
कमरे में देखा तो सुदीक्षा हेडफोन लगाकर किसी से हंसते हुए बात कर रही थी। कुलदीप ने मोबाइल की स्क्रीन देखी, तो उस पर तरुण का नाम था। तरुण, जो सुदीक्षा का बॉयफ्रेंड था, लुधियाना में मेडिकल शॉप चलाता था। पिछले तीन सालों से दोनों का रिश्ता था, लेकिन कुलदीप इसका विरोध करते थे। उन्होंने कई बार सुदीक्षा को समझाया था, लेकिन उसने कभी उनकी बात नहीं मानी।
यह देखकर कुलदीप को गुस्सा आ गया। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “मैंने कितनी बार कहा है कि इस लड़के से दूर रहो, फिर भी तुम नहीं मानती?” गीता भी वहां आई और बेटी को शांत रहने को कहा, लेकिन बहस बढ़ती गई। कुलदीप एक पिता की तरह अपनी बेटी को सही राह पर लाना चाहते थे, लेकिन सुदीक्षा को अपने रिश्ते में किसी का दखल पसंद नहीं था। इसी कारण दोनों के बीच तरुण को लेकर अक्सर झगड़े होते रहते थे।
हत्या की गुत्थी और बढ़ता शक
थाना प्रभारी परमदीप सिंह को मृतक कुलदीप की पत्नी गीता ने बताया कि रात 9:30 बजे उन्होंने अपनी 17 वर्षीय बेटी सुदीक्षा और कुलदीप के साथ छत पर बैठकर खाना खाया था। करीब 10 बजे कुलदीप नीचे अपने कमरे में सोने चले गए, जबकि गीता ने मुख्य दरवाजे पर ताला लगाकर छत पर जाकर बेटी के साथ सोने का फैसला किया। सुबह 5:30 बजे जब वह नीचे आईं, तो उन्होंने कुलदीप की खून से लथपथ लाश देखी और घबराकर शोर मचा दिया। पड़ोसी इकट्ठा हो गए, और किसी ने पुलिस को सूचना दे दी।
कुलदीप के भाई हरदीप ने बताया कि रात 9:30 बजे जब वह काम पर जा रहा था, तब उसने अपने भाई, भाभी और सुदीक्षा को छत पर खाना खाते देखा था। सुबह 5:30 बजे उसके दोस्त और पड़ोसी लाला ने फोन कर कुलदीप की हत्या की खबर दी। हरदीप ने बताया कि रोज रात को कुलदीप ही मुख्य दरवाजे का ताला लगाते थे, लेकिन इस बार दरवाजा खुला मिला। उसने यह भी बताया कि कुलदीप को शराब पीने की आदत थी और वह रात को सोने से पहले घर पर बैठकर शराब पिया करता था।
पुलिस को घर से कुलदीप की काले रंग की स्पलेंडर मोटरसाइकिल और दो मोबाइल फोन गायब मिले। इन सब तथ्यों के आधार पर थाना प्रभारी ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया। इस हत्याकांड से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी और लुधियाना पुलिस के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण मामला बन गया था।
पुलिस ने इस हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए हाईटेक जांच तकनीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने घटनास्थल का करीब डेढ़ से दो घंटे तक निरीक्षण किया, लेकिन कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे यह लगे कि किसी ने जबरदस्ती घर में घुसने की कोशिश की थी। यह इशारा कर रहा था कि हत्या में कोई करीबी व्यक्ति शामिल हो सकता है।
जांच के लिए पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और मृतक की पत्नी गीता, बेटी सुदीक्षा, रिश्तेदारों, दोस्तों और सहकर्मियों से पूछताछ की। पूछताछ में सामने आया कि कुलदीप और गीता के बीच अक्सर झगड़े होते थे। गीता ने बताया कि कुलदीप अनुशासन प्रिय था, लेकिन शराब पीने के बाद वह और सख्त हो जाता था, जिससे उसकी बेटी सुदीक्षा के साथ भी बहस हो जाती थी।
पुलिस ने जांच में पाया कि हत्या के वक्त घर में केवल गीता और उसकी बेटी सुदीक्षा मौजूद थीं। यह पुलिस के लिए एक अहम बात थी क्योंकि घर में जबरदस्ती घुसने के कोई निशान नहीं थे। घटना के समय कुलदीप का भाई हरदीप ड्यूटी पर था और जांच में उसे निर्दोष पाया गया। लेकिन उसके एक बयान ने पुलिस का शक गीता की तरफ मोड़ दिया।
गीता ने कहा था कि खाना खाने के बाद उसने खुद मुख्य दरवाजे पर ताला लगाया था, जबकि हरदीप के मुताबिक यह काम रोजाना कुलदीप करता था। इस विरोधाभास ने पुलिस को गीता की भूमिका पर संदेह करने पर मजबूर कर दिया, और उन्होंने जांच को और गहराई से आगे बढ़ाने का फैसला किया।
हत्या की गुत्थी सुलझी, पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
कुलदीप की हत्या के बाद पुलिस ने घटना स्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। जांच में सामने आया कि कुलदीप की आदत थी कि वह सोने से पहले पांच से सात मिनट घर के बाहर टहलते थे। इसके बाद, वह घर का मुख्य दरवाजा बंद करके चाबी कमरे में दीवार पर टंगी खूंटी पर लटका देते थे, ताकि सुबह गीता को चाबी ढूंढने में परेशानी न हो।
यहां एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ—अगर घर में दो लोग मौजूद थे, तो कोई तीसरा व्यक्ति बाहर से आकर हत्या कैसे कर सकता था? यह संकेत था कि घर का कोई सदस्य बाहरी व्यक्ति के संपर्क में था या फिर हत्या की योजना में खुद शामिल था। वारदात को लूटपाट का रूप देने की कोशिश की गई थी, जो साफ इशारा कर रहा था कि मामला अंदरूनी था।
इसके बाद, थाना प्रभारी परमदीप सिंह ने गीता और सुदीक्षा की कॉल डिटेल्स की जांच करवाई। इसमें एक खास नंबर सामने आया, जिससे सुदीक्षा की लगातार बातचीत होती थी। कुछ कॉल तो घंटों लंबी थीं, और कई देर रात की थीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि 19 जुलाई की रात, जब कुलदीप की हत्या हो रही थी, तब भी सुदीक्षा उसी नंबर पर लगातार बात कर रही थी।
यह सवाल उठने लगा कि अगर घर में हत्या हो रही थी, तो छत पर मौजूद सुदीक्षा को कोई आहट क्यों नहीं सुनाई दी? कोई खटका, शोर, या हलचल महसूस क्यों नहीं हुई? इस संदेह को ध्यान में रखते हुए, पुलिस ने सुदीक्षा के फोन की कॉल डिटेल्स गहराई से जांची और जब सख्ती से पूछताछ की, तो पूरी साजिश का खुलासा हो गया।
सुदीक्षा ने अपने प्रेमी तरुण उर्फ तेजपाल सिंह भाटी के जरिए अपने पिता की हत्या करवाई थी। तरुण को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, तो उसने कबूल किया कि यह हत्या सुदीक्षा ने एक लाख रुपये देकर करवाई थी। इसके बाद, पुलिस ने गीता और सुदीक्षा को भी गिरफ्तार कर लिया।
उसी दिन, तीनों—सुदीक्षा, उसकी मां गीता और प्रेमी तरुण—को अदालत में पेश किया गया और आगे की पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। तरुण और सुदीक्षा की निशानदेही पर पुलिस ने कुलदीप का मोबाइल फोन बरामद किया, जिसे छत पर छिपाया गया था। साथ ही, वारदात में इस्तेमाल खून से सनी चुन्नी और तौलिया भी मिल गए।
पूछताछ में पता चला कि हत्या में चार और लोग शामिल थे। इन आरोपियों को पकड़ने के लिए थाना प्रभारी परमदीप सिंह ने एक विशेष टीम बनाई, जिसमें दड़ा चौकी प्रभारी एसआई मनजीत सिंह, कांस्टेबल प्रकट सिंह, जतिंद्र सिंह और जीतू कुमार शामिल थे।
25 जुलाई को इस टीम ने नाटकीय अंदाज में सागर गैंग के सरगना और कांट्रैक्ट किलर सागर उर्फ न्यूटन को तीन साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, गिरोह का आठवां सदस्य जसकरण अभी पुलिस की पकड़ से बाहर था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान इस प्रकार हुई:
- सागर ब्राह्मण – प्रेमगढ़, फील्डगंज निवासी
- दीपक धालीवाल उर्फ दीपा – खडू मोहल्ला निवासी
- विशाल जैकब – सीएमसी अस्पताल के पास रहने वाला
ये सभी आरोपी 18 से 21 साल के युवा थे और अधिकतर 10वीं कक्षा तक ही पढ़े थे। ये चारों दोस्त थे और अपराध की दुनिया में सक्रिय थे।
सागर, विशाल और दीपक को राजपुरा रोड से गिरफ्तार किया गया, जबकि न्यूटन को ढोलेवाल चौक से पकड़ा गया। पुलिस अब फरार आरोपी जसकरण की तलाश में जुटी थी।
रिश्तों को तार-तार करने वाली हत्या की साजिश
पुलिस पूछताछ में सभी आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल, लाल रंग की स्कूटी, मृतक की स्प्लेंडर मोटरसाइकिल, पर्स, पहचान पत्र और अन्य सामान बरामद कर लिया। हालांकि, हत्या में इस्तेमाल हथियार बरामद करने के लिए आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लिया गया।
रिमांड के दौरान जो कहानी सामने आई, वह खून के रिश्तों और मर्यादाओं को तार-तार करने वाली थी। यह कहानी एक ऐसी लड़की की थी, जिसने अपने प्रेमी से संबंध बनाए रखने के लिए अपने ही पिता की हत्या कर दी।
कुलदीप अक्सर शराब के नशे में पत्नी गीता और बेटी सुदीक्षा से झगड़ा करता था। खासकर जब उसे सुदीक्षा और तरुण उर्फ तेजपाल सिंह के प्रेम संबंधों के बारे में पता चला। कुलदीप को इस रिश्ते पर कड़ी आपत्ति थी, क्योंकि उसे लगा कि यह उसकी बेटी के भविष्य को खराब कर सकता है। वह नहीं चाहता था कि सुदीक्षा तेजपाल से कोई मेल-जोल रखे।
कई बार उसने सुदीक्षा को मोबाइल पर तेजपाल से बात करते हुए पकड़ लिया था और गुस्से में आकर उसका मोबाइल तक तोड़ दिया था। लेकिन इस मामले में गीता ने बेटी को समझाने की बजाय उसका साथ दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि सुदीक्षा, मां की शह पाकर और ज्यादा जिद्दी हो गई और पिता पर हावी होने की कोशिश करने लगी। यह बात कुलदीप को बिल्कुल मंजूर नहीं थी, इसलिए वह शराब के नशे में अक्सर गीता और सुदीक्षा से इस विषय पर झगड़ा करता था।
दूसरी ओर, सुदीक्षा अपने प्रेमी तरुण को किसी भी कीमत पर छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। वह हर समय अपने पिता को नीचा दिखाने और उसे हटाने के लिए योजनाएं बनाती रहती थी। इसी दौरान, सुदीक्षा ने अपनी मां गीता को यह कहकर भड़काना शुरू कर दिया कि उसका पिता शराबी ही नहीं, बल्कि उस पर गलत नजर भी रखता है।
यह सुनकर गीता आगबबूला हो गई और बिना सच की पड़ताल किए बेटी की बातों पर विश्वास कर लिया। इसके बाद, उसने पति की हत्या की साजिश रच डाली।
हत्या की रात
सुदीक्षा ने अपने बयान में बताया कि वह पिछले तीन साल से तरुण उर्फ तेजपाल के साथ प्रेम संबंध में थी। तरुण की तरह सुदीक्षा भी प्राइवेट तौर पर बीए कर रही थी। जब कुलदीप उनके रिश्ते में बाधा बनने लगा, तो गीता ने तेजपाल से बात की और तीनों ने मिलकर अप्रैल-मई में उसकी हत्या की योजना बनाई। पहले तेजपाल ने खुद ही कुलदीप को मारने का फैसला किया और 18 जून को पूरी तैयारी के साथ हत्या करने के लिए घर पहुंचा, लेकिन ऐन मौके पर उसकी हिम्मत जवाब दे गई और योजना विफल हो गई। इसके बाद, गीता और सुदीक्षा ने तेजपाल के जरिए कुख्यात हिस्ट्रीशीटर सागर सूद उर्फ न्यूटन से संपर्क किया। सागर सूद, जो एलआईजी फ्लैट फेस-3 का रहने वाला था, पहले से ही कई संगीन अपराधों में लिप्त था। उसके खिलाफ लुधियाना के सराभा नगर और थाना डिवीजन नंबर 6 में हत्या के प्रयास, मारपीट और चोरी के कई मामले दर्ज थे। कुछ समय पहले ही उसे हत्या के प्रयास के एक मामले में थाना सलीम टाबरी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सागर बीते मई में जेल से बाहर आया और जून में एक युवती से प्रेम विवाह कर चंडीगढ़ में बस गया। तरुण पहले से ही सागर को जानता था। सागर को पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए जब तरुण ने उसे कुलदीप की हत्या के बदले ढाई लाख रुपए देने की बात कही, तो वह तुरंत तैयार हो गया। तरुण ने उसे एडवांस के तौर पर 10,000 रुपए दे दिए और बाकी रकम काम पूरा होने के बाद देने की बात तय हुई। योजना यह थी कि कुलदीप की हत्या को प्राकृतिक मौत की तरह दिखाया जाए, ताकि उसकी पत्नी गीता को रेलवे से मुआवजा मिल सके। गीता को मिलने वाले पैसे में से ही बाकी सुपारी की रकम चुकाने का फैसला हुआ। इसके अलावा, हत्या के बाद घर में रखा कैश और कीमती सामान भी कातिल अपने साथ ले जाने वाले थे। हत्या की वारदात को अंजाम देने के लिए सागर सूद ने अपने तीन साथियों—सागर ब्राह्मण, दीपक धालीवाल उर्फ दीपा और विशाल जैकब को भी शामिल कर लिया। सागर को मिले एडवांस 10,000 में से 8,000 उसने चंडीगढ़ से लुधियाना आने के लिए टैक्सी के किराए पर खर्च कर दिए। बाकी 2,000 में उसने लुधियाना बस अड्डे के पास अपनी नई पत्नी के लिए एक होटल का कमरा बुक कराया। इसके बाद, सागर और उसके साथी मोटरसाइकिल और स्कूटी पर सवार होकर कुलदीप के घर पहुंचे। आसपास घर होने के कारण न्यूटन खुद हत्या करने का जोखिम नहीं लेना चाहता था, क्योंकि उसकी नई-नई शादी हुई थी। इसी वजह से उसने अपने दोस्तों को साथ शामिल किया था।
कुलदीप की हत्या की साजिश
गीता और सुदीक्षा ने पहले ही कुलदीप के घर का दरवाजा खोलकर रखा था। जब न्यूटन और उसके साथी अंदर पहुंचे, तब कुलदीप गहरी नींद में था। उन्होंने उसे पकड़ लिया, उसका मुंह तौलिए से दबाया और गले में चुन्नी कसकर दम घोंट दिया। दो लोगों ने उसकी टांगे और बाजू पकड़ रखी थीं। जब कुलदीप बेहोश हो गया, तो जसकरण ने उसकी धड़कन चेक की। वह जिंदा था, इसलिए न्यूटन और विशाल ने तेज धारदार हथियार से उसकी गर्दन काटकर हत्या कर दी।
इसके बाद, आरोपी कुलदीप का पर्स, जिसमें कुछ पैसे थे, उसका पहचान पत्र, कमरे में रखे दो मोबाइल फोन और मोटरसाइकिल लेकर भाग गए। हत्या के बाद सागर ने तरुण को फोन पर इसकी सूचना दी, और तरुण ने यह खबर सुदीक्षा को दे दी। योजना के अनुसार, जैसे ही हत्या की पुष्टि हुई, गीता और सुदीक्षा ने सबूत मिटाने की कोशिश की। वे छत से नीचे आईं और खून से सना तौलिया और चुन्नी काले पॉलिथीन में डालकर पीछे के खाली प्लॉट में फेंक दी, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया।
गीता पुलिस को दिए अपने बयान में फंस गई। उसने बताया कि सुबह उसने सीढ़ियों पर लगे दरवाजे की कुंडी खोली थी। जब वह नीचे आई, तो मुख्य दरवाजे में चाबी लगी थी और गेट खुला हुआ था। पुलिस को यह बात संदिग्ध लगी क्योंकि कुलदीप हमेशा सोने से पहले मेन गेट लॉक करके चाबी कुंडी पर टांग देता था। जांच के बाद पुलिस को समझ आया कि यह केवल पैसों और संपत्ति के लिए की गई हत्या नहीं थी, बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।
जब गीता से सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने सच उगल दिया। उसने स्वीकार किया कि उसने अपने पति की हत्या की साजिश रची थी, ताकि वह और उसकी बेटी कुलदीप की संपत्ति हड़प सकें। पुलिस ने इस पूरे षड्यंत्र का पर्दाफाश कर गीता, सुदीक्षा और सागर को गिरफ्तार कर लिया।
यह मामला न सिर्फ एक खौफनाक अपराध था, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि कभी-कभी परिवार और विश्वास के पीछे छिपी सच्चाई बहुत डरावनी हो सकती है। आखिरकार, सच सामने आ ही जाता है। ईमानदारी और सच्चाई को अपनाना जरूरी है, क्योंकि झूठ और धोखा हमेशा अंत में बेनकाब हो जाते हैं।
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