बेवफाई, वासना और हत्या – पत्नी, प्रेमी और साली ने मिलकर रची खून की साजिश – Hindi Crime Story

वसंत कुंज में मिली लाश

यह कहानी 2014 की है, जब दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में एक अजीब घटना हुई। वहां के वसंत वाटिका पार्क के आसपास रहने वाले लोग गटर के मेनहोल से आने वाली बदबू से परेशान थे। जिस मेनहोल से बदबू आ रही थी, उसमें ढक्कन नहीं था। लोगों ने इस बारे में एमसीडी ऑफिस में शिकायत की। उसी दिन सफाई कर्मचारी वहां पहुंचे और गटर की सफाई शुरू कर दी।

सफाई करते हुए एक मेनहोल के पास उन्हें बहुत तेज और अलग तरह की गंध महसूस हुई। जब उन्होंने नाक पर कपड़ा रखकर अंदर झांका, तो उनकी आंखें फटी रह गईं। गटर में एक आदमी की लाश पड़ी थी। उन्होंने तुरंत अपने सुपरवाइजर को इसकी सूचना दी।

यह खबर इलाके में फैल गई, और वहां से गुजरने वाले लोग भी लाश को देखने के लिए इकट्ठा हो गए। किसी ने पुलिस को फोन कर दिया। यह घटना 25 फरवरी 2014 को दोपहर 1 बजे की थी। सूचना मिलते ही वसंत कुंज थाने के प्रभारी मनमोहन सिंह, एसआई नीरज कुमार यादव और कांस्टेबल संदीप मौके पर पहुंचे। जब थाना प्रभारी ने गटर में झांका, तो उन्हें एक सड़ी-गली लाश दिखाई दी, जिससे तेज बदबू आ रही थी। पुलिस ने लाश बाहर निकाली और देखा कि उसका गला कटा हुआ था और पेट पर गहरे घाव थे। लाश की हालत देखकर लग रहा था कि हत्या कई दिन पहले की गई थी।

गटर से कुछ दूरी पर एक कॉलोनी थी। जब वहां के लोगों को इस बारे में पता चला, तो वे बड़ी संख्या में वसंत वाटिका पार्क पहुंच गए। उनमें से एक युवक सुमित मिश्रा भी था। उसका छोटा भाई अमित मिश्रा 14 फरवरी 2014 से लापता था। जब उसने लाश को ध्यान से देखा, तो उसे अपने भाई की लगने लगी। उसने खासकर लाश के दाएं हाथ को देखा, जहां बचपन की एक छोटी सी निशानी थी। यह देखकर उसे पूरा यकीन हो गया कि यह लाश उसके भाई अमित मिश्रा की ही थी।

अमित मिश्रा के परिवार को जब इस बारे में पता चला, तो वे भी वसंत वाटिका पार्क पहुंच गए। वहां लाश देखकर वे जोर-जोर से रोने लगे।

Hindi Crime Story
Love, betrayal, and murder

अमित मिश्रा की हत्या की जांच

पुलिस ने मृतक अमित मिश्रा के पिता राम निवास से पूछताछ की, तो उन्होंने बताया कि अमित 14 फरवरी से लापता था। उसकी पत्नी रेखा ने आज ही उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई थी। परिवार 12 दिनों तक उसे ढूंढता रहा, लेकिन जब कोई खबर नहीं मिली, तो आखिरकार उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई गई।

पुलिस का पहला काम लाश की पहचान कराना होता है, ताकि हत्यारे तक पहुंचने की कार्रवाई की जा सके। अमित के परिवार ने लाश की पहचान कर ली थी, इसलिए पुलिस ने पंचनामा बनाकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मामला हत्या का था, इसलिए दिल्ली के डीसीपी भोला शंकर जायसवाल ने थाना प्रभारी मनमोहन सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई।

अमित की पत्नी रेखा ने 25 फरवरी 2014 की सुबह अपने पति की गुमशुदगी दर्ज कराई थी, और उसी दोपहर उसकी लाश मिल गई। इस आधार पर पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या और लाश छिपाने का मामला दर्ज कर लिया।

जांच के दौरान पुलिस ने सबसे पहले मृतक के परिवार से पूछताछ की। पता चला कि अमित किराने की दुकान चलाता था और उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। इसलिए यह समझ पाना मुश्किल था कि उसकी हत्या किसने की होगी। उसके पिता राम निवास ने बताया कि अमित के गायब होने से दो दिन पहले उसका झगड़ा सुधीर नाम के व्यक्ति से हुआ था। सुधीर की पत्नी और अमित की पत्नी रेखा एक ही गांव की थीं, इसलिए सुधीर अक्सर अमित के पास आता-जाता था। गायब होने से दो दिन पहले किसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हो गई थी।

चूंकि अमित का झगड़ा सुधीर से हुआ था, इसलिए पुलिस ने सबसे पहले उसी से पूछताछ करने का फैसला किया। रेखा को साथ लेकर पुलिस महिपालपुर स्थित सुधीर के कमरे पर पहुंची, लेकिन कमरा बंद मिला। जब पड़ोसियों से सुधीर के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने भी कोई जानकारी नहीं दी। इससे पुलिस का शक सुधीर पर और बढ़ गया।

अमित रंगपुरी कॉलोनी में रहता था। महिपालपुर से लौटने के बाद पुलिस वहां पहुंची और स्थानीय लोगों से अमित के बारे में पूछताछ की। इस दौरान पुलिस को कई अहम जानकारियां मिलीं, जिससे शक की सुई रेखा और उसकी छोटी बहन मालिनी की ओर घूम गई। पुलिस ने दोनों बहनों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया।

जब रेखा और मालिनी से अलग-अलग पूछताछ की गई, तो अमित की हत्या की सच्चाई सामने आ गई।

रेखा और अमित की कहानी

दोनों बहनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने मिलकर अमित की हत्या की थी। उन्होंने लाश को सुधीर के ऑटो में रखा, वसंत वाटिका पार्क तक लाए और फिर गटर में डालकर अपने-अपने घर लौट गए। जब रेखा ने अपने पति की हत्या की वजह बताई, तो यह एक प्रेम से जुड़ी कहानी निकली।

अमित के पिता राम निवास मूल रूप से हरियाणा के मेवात जिले के नुनेरा गांव के रहने वाले थे। करीब 40 साल पहले वे अपनी पत्नी रतनी और दो बेटों के साथ दिल्ली आए और वसंत कुंज के रंगपुरी कॉलोनी में बस गए। छोटे-मोटे काम करके उन्होंने परिवार को संभाला। दिल्ली आने के बाद उनके चार और बेटे हुए, जिससे उनके कुल छह बेटे हो गए। अमित तीसरे नंबर का था।

अमित ने रंगपुरी पहाड़ी पर एक किराना दुकान खोली, जो कुछ ही दिनों में अच्छी चलने लगी। आमदनी बढ़ने के बाद उसके पिता ने उसकी शादी पारुल नाम की लड़की से करा दी। शादी के बाद पारुल ने एक बेटी और एक बेटे को जन्म दिया, जिससे उनका परिवार खुशहाल हो गया।

लेकिन कुछ साल बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पारुल को एक गंभीर बीमारी हो गई। अमित ने उसका पूरा इलाज कराया, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वह ठीक नहीं हो सकी और हमेशा के लिए चली गई। पारुल की मौत ने पूरे परिवार को दुखी कर दिया, लेकिन सबसे ज्यादा अमित पर इसका असर पड़ा।

समय बीतने के साथ अमित अपनी जिंदगी में सामान्य होने लगा। इसी दौरान उसकी मुलाकात रेखा नाम की युवती से हुई, जो झारखंड के केरल गांव की रहने वाली थी। वह रंगपुरी कॉलोनी के पास एक अन्य कॉलोनी में रहती थी और वसंत कुंज में एक कंपनी में काम करती थी।

अमित अकेलेपन से जूझ रहा था, और रेखा को देखकर उसका झुकाव उसकी ओर हो गया। रेखा भी अकेली थी और उसे अमित पसंद आने लगा। अमित की दुकान अच्छी चल रही थी, इसलिए उसने सोच-समझकर अमित के साथ रिश्ता बनाया। चार साल पहले रेखा अमित के साथ पत्नी की तरह रहने लगी। हालांकि दोनों की उम्र में करीब आठ साल का अंतर था, लेकिन वे खुश थे।

इन चार सालों में रेखा मां नहीं बन सकी। अमित की पहली पत्नी से दो बच्चे थे, इसलिए उसे इस बात की परवाह नहीं थी, लेकिन रेखा लगातार इस चिंता में घुल रही थी। वह चाहती थी कि उसकी भी संतान हो। अमित ने उसकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए डॉक्टर से इलाज भी कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार, अमित ने अपने एक रिश्तेदार की एक साल की बेटी गोद ले ली, ताकि रेखा का मन लगा रहे। इसके बाद रेखा उस बच्ची की परवरिश में जुट गई।

रेखा, सुधीर और अमित के बीच बढ़ता तनाव

रेखा के गांव की ही प्रियंका नाम की लड़की की शादी महिपालपुर में रहने वाले सुधीर से हुई थी, जो ऑटोरिक्शा चलाता था। दोनों एक ही गांव के होने के कारण रेखा और प्रियंका की दोस्ती हो गई। वे फोन पर बात करतीं और एक-दूसरे के घर भी आती-जाती थीं। इस वजह से अमित और सुधीर के बीच भी अच्छी दोस्ती हो गई। दोनों साथ बैठकर खाते-पीते थे।

इसी दौरान रेखा का झुकाव सुधीर की ओर होने लगा। रेखा की ओर से मिले खुले संकेत को सुधीर ने भी स्वीकार कर लिया। शादीशुदा होने के बावजूद उसने रेखा के साथ रिश्ता बना लिया। दोनों ही समझदार थे, इसलिए उन्हें एक-दूसरे के करीब आने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई। एक बार शारीरिक संबंध बनने के बाद उनका मिलना-जुलना बढ़ता गया।

लेकिन ज्यादा दिनों तक यह सिलसिला नहीं चल सका। अमित को पत्नी के बदले हुए व्यवहार पर शक होने लगा। उसने रेखा से कहा कि वह सुधीर को घर आने से मना कर दे, लेकिन रेखा ने ऐसा नहीं किया। इस बात को लेकर अमित और रेखा के बीच झगड़े होने लगे।

इसी बीच रेखा की छोटी बहन मालिनी भी उनके पास रहने आ गई। 22 साल की मालिनी खूबसूरत थी। उसे देखकर अमित भी उस पर ध्यान देने लगा। लेकिन घर में पत्नी की मौजूदगी के कारण वह अपनी मंशा पूरी नहीं कर पाया।

दूसरी ओर, रेखा और सुधीर का रिश्ता चलता रहा और 7 फरवरी को रेखा सुधीर के साथ भाग गई। अमित को यह बात पता चली, लेकिन बदनामी के डर से उसने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। एक हफ्ते तक रेखा और सुधीर अलग-अलग जगह घूमते रहे और फिर वापस लौट आए।

अमित ने जब रेखा से सवाल किए, तो उसने पैरों में गिरकर माफी मांग ली। उसकी आंसू भरी बातों से अमित का गुस्सा शांत हो गया और उसने उसे माफ कर दिया।

लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। 13 फरवरी की शाम को सुधीर फिर से अमित के घर आया। अमित को पता था कि उसकी पत्नी सुधीर के साथ भागी थी, इसलिए वह अंदर ही अंदर गुस्से से भरा हुआ था। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और सामान्य व्यवहार किया। दोनों ने साथ में शराब पी।

शराब के नशे में बातों-बातों में उनका झगड़ा हो गया। बहस बढ़ी, तो सुधीर वहां से चला गया। रेखा को यह अपनी प्रेमी सुधीर की बेइज्जती लगी, इसलिए उसने भी अमित से झगड़ना शुरू कर दिया।

वैलेंटाइन डे पर हुआ खौफनाक अंत

14 फरवरी, वैलेंटाइन डे के दिन 40 साल का अमित अपनी 22 साल की साली मालिनी को मन ही मन चाहता था। उस दिन मालिनी अपनी बहन रेखा के साथ महिपालपुर में सुधीर के घर गई थी, यह बात अमित को पता थी। उसने भी उसी दिन मालिनी को अपने प्यार का इजहार करने का फैसला कर लिया।

वह अपनी दुकान पर बेटे को बिठाकर सुधीर के कमरे पर पहुंचा। उस समय सुधीर घर पर नहीं था। वह रेखा और मालिनी को कमरे में छोड़कर किसी काम से बाहर गया हुआ था, और उसकी पत्नी प्रभा भी मायके गई हुई थी। अमित, मालिनी से अकेले मिलने के लिए बेचैन था।

जब रेखा किचन में कुछ काम कर रही थी, तो मालिनी कमरे में अकेली थी। अमित ने मौका देखकर उसका हाथ पकड़ लिया। घबराई मालिनी ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन अमित ने उसके सामने प्यार का इजहार करते हुए उसे जबरदस्ती किस कर लिया और अश्लील हरकतें करने लगा। मालिनी घबरा गई और चीखने लगी।

मालिनी की आवाज सुनकर रेखा दौड़कर आई और पति की हरकतें देखकर गुस्से में भर गई। इसी बीच, मालिनी किसी तरह खुद को छुड़ाकर किचन की तरफ भागी और वहां से चाकू उठा लाई। इससे पहले कि अमित कुछ समझ पाता, मालिनी ने उसके पेट में चाकू घोंप दिया। खून का फव्वारा फूट पड़ा। गुस्से में आकर उसने दूसरी बार भी चाकू अमित के पेट में उतार दिया।

अमित लड़खड़ाकर फर्श पर गिरा और बेहोश हो गया। बहन के इस कदम पर रेखा भी हैरान थी, लेकिन अब कुछ नहीं किया जा सकता था। उसे यह सोचकर राहत मिली कि अब अमित हमेशा के लिए खत्म हो गया और वह बिना किसी डर के सुधीर के साथ रह सकेगी। उसने यह सुनिश्चित करने के लिए कि अमित बच न पाए, उसी चाकू से उसका गला काट दिया।

इसके बाद रेखा ने सुधीर को फोन कर हत्या की खबर दी और उसे तुरंत बुला लिया। जब सुधीर वहां पहुंचा, तो वह भी यह देखकर हैरान रह गया। अब तीनों ने लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। उन्होंने पहले खून साफ किया और फिर लाश को प्लास्टिक के कट्टे में रख दिया।

अंधेरा होने पर सुधीर ने लाश अपने ऑटो रिक्शा में रख ली। रेखा और मालिनी भी ऑटो में बैठ गईं। सुधीर ऑटो को वसंत कुंज इलाके की तरफ ले गया। जब वे वसंत वाटिका पार्क के पास पहुंचे, तो उन्हें एक बिना ढक्कन का मेनहोल दिखा। उन्होंने वहीं लाश फेंकने का फैसला किया।

तीनों ने ऑटो से कट्टा निकाला, मेनहोल के पास ले जाकर उसका मुंह खोला और लाश को उसमें गिरा दिया। कट्टा वहीं फेंककर वे वापस उसी कमरे पर लौट आए, जहां अमित की हत्या की गई थी। वहां जाकर उन्होंने फर्श धोकर खून के धब्बे मिटाए। फिर रेखा और मालिनी घर लौट आईं।

घर के किसी सदस्य को जरा भी अंदाजा नहीं था कि वे दोनों एक जघन्य अपराध करके आई हैं। जब रात तक अमित घर नहीं लौटा, तो घरवालों ने रेखा से पूछा। उसने अनजान बनने का नाटक करते हुए कहा कि उसे अमित के बारे में कुछ नहीं पता। वह भी परिवार के साथ इधर-उधर उसे ढूंढने लगी।

10-12 दिनों तक अमित के परिवार वाले परेशान रहे, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। जब वे पुलिस में रिपोर्ट लिखवाने की बात करने लगे, तो रेखा उन्हें रोकती रही। वह कहती कि अमित कहीं गया होगा और लौट आएगा। लेकिन घरवालों के दबाव के कारण उसने 25 फरवरी को वसंत कुंज थाने जाकर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।

उधर, अमित के माता-पिता का कहना था कि मालिनी द्वारा लगाया गया छेड़खानी का आरोप झूठा है। उनका दावा था कि जब रेखा सुधीर के साथ भाग गई थी, तब मालिनी खुद अमित के कमरे में उसके साथ सोती थी। हफ्ते भर तक दोनों साथ रहे, तो जाहिर है कि उनके बीच शारीरिक संबंध भी बने होंगे। ऐसे में अब मालिनी का यह आरोप पूरी तरह गलत है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमित की हत्या सुधीर, रेखा और मालिनी ने मिलकर साजिश के तहत की और तीनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

अब यह अदालत तय करेगी कि अमित की हत्या किसने की। पुलिस ने रेखा और मालिनी से पूछताछ के बाद सुधीर की तलाश शुरू की, लेकिन वह नहीं मिला। इसी बीच, पुलिस को पता चला कि अमित की लाश ठिकाने लगाने में सुधीर ने जिस ऑटोरिक्शा का इस्तेमाल किया था, वह एक जगह खड़ा है। पुलिस वहां पहुंची और ऑटो रिक्शा को जब्त कर थाने ले आई।

इसके बाद, पुलिस ने रेखा और मालिनी को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया।

इस घटना ने तीन जिंदगियों को बर्बाद कर दिया। धोखा, बेवफाई और गुस्से में लिया गया फैसला कभी अच्छे नतीजे नहीं देता। अमित की इच्छाएं और गुस्सा उसे इस स्थिति तक ले आए जहां उसकी जान चली गई। वहीं, रेखा और मालिनी ने भी गुस्से और डर में आकर गलत फैसला लिया।

गुस्से में आकर हत्या करना और लाश छिपाने की कोशिश करना एक ऐसा अपराध है, जो अंततः पकड़ा ही जाता है। अपराध कितना भी सोच-समझकर किया जाए, सच सामने आ ही जाता है। पुलिस की जांच और तकनीक अपराधियों तक पहुंच ही जाती है।

रेखा और सुधीर के अवैध संबंधों ने इस हत्या को जन्म दिया। सही और गलत इंसान की पहचान जरूरी है, नहीं तो उसका अंजाम खतरनाक हो सकता है। ऐसी घटनाएं हमें बताती हैं कि रिश्तों में ईमानदारी और सही फैसले लेना कितना जरूरी है। गलत कदम उठाने से पूरी जिंदगी बर्बाद हो सकती है। इसलिए, किसी भी परिस्थिति में धैर्य रखना और सही रास्ता चुनना ही बुद्धिमानी है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top