एक भयानक रात: मनीष का सामना
11 अगस्त 2020 की रात करीब 9 बजे मनीष अपनी बहन मोनिका के फ्लैट पर दूध देने के लिए पहुंचा। उसने डोरबेल बजाई, लेकिन कई बार घंटी बजाने के बावजूद दरवाजा नहीं खुला। यह देखकर मनीष को गुस्सा आने लगा। उसकी नाराजगी इस बात पर थी कि पहले तो मोनिका खुद दूध लेने नहीं आई, और अब जब वह दूध लेकर आया, तब भी मोनिका और उसके पति सुखबीर दरवाजा खोलने के लिए तैयार नहीं थे। सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह थी कि फ्लैट के अंदर और बाहर हर तरफ अंधेरा पसरा हुआ था, और कोई लाइट नहीं जल रही थी।
इस असामान्य स्थिति से परेशान मनीष ने आखिरकार दरवाजा धक्का देकर खोला, जो पहले से ही अनलॉक था। अंदर घने अंधकार के बीच उसने अपने मोबाइल की टॉर्च जलाकर स्विच बोर्ड ढूंढा और ड्राइंग रूम की लाइट ऑन की। हालांकि, घर में अब भी कोई हलचल नहीं थी। यह देख मनीष के मन में अनहोनी की आशंका बढ़ गई। ड्राइंग रूम से लेकर बाकी जगहों तक सामान बिखरा हुआ था। चिंतित मनीष जल्दी से मोनिका के बेडरूम की ओर बढ़ा। कमरे के पास जाकर उसने लाइट का स्विच ऑन किया, और जो दृश्य उसने देखा, उससे उसकी चीख निकल गई।
बेडरूम में उसकी बहन मोनिका और जीजा सुखबीर की खून से लथपथ लाशें पड़ी थीं। उनके हाथ-पैर और मुंह सर्जिकल टेप से बंधे हुए थे, और घर की अलमारियां खुली हुई थीं। चारों ओर सामान बिखरा पड़ा था। इस भयानक दृश्य ने मनीष को सदमे में डाल दिया। थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया, तो वह घर से बाहर भागा और “खून-खून” चिल्लाते हुए लोगों से मदद की गुहार लगाने लगा।
मनीष की चीख-पुकार सुनकर कॉलोनी के लोग बाहर आए और उससे घटना का कारण पूछा। मनीष ने बताया कि उसकी बहन और जीजा की हत्या हो गई है। थोड़ी ही देर में वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। इसी दौरान मनीष ने अपने गांव में रह रहे परिवार को फोन करके घटना की जानकारी दी। जल्द ही मनीष का परिवार और अन्य रिश्तेदार घटनास्थल पर पहुंच गए, और माहौल शोक और भय से भर गया।
गांव जसाना में दहला देने वाली वारदात
गांववालों की सलाह पर मनीष ने पुलिस को इस भयानक घटना की सूचना दी। यह वारदात 11 अगस्त 2020 को जन्माष्टमी के दिन दिल्ली से सटे ग्रेटर फरीदाबाद के गांव जसाना में हुई। सूचना मिलते ही तिगांव थाने की पुलिस आधे घंटे के भीतर मौके पर पहुंच गई। इस बीच, सुखबीर के बड़े भाई ओमबीर और पिता रिचपाल भी अपने परिवार के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। पुलिस ने पहुंचते ही घरवालों से पूछताछ शुरू की। चूंकि मनीष ही सबसे पहले मौके पर पहुंचा था, इसलिए सबसे पहले उससे पूछताछ की गई।
मनीष ने पुलिस को बताया कि उसकी बहन मोनिका की शादी 2013 में फरीदाबाद के फतेहपुर चंदीला गांव के रहने वाले सुखबीर के साथ हुई थी। सुखबीर को अपनी फैक्ट्री तक पहुंचने के लिए गांव से लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। इसलिए दो साल पहले, उसने जसाना गांव के बाहर एक कॉलोनी में प्लॉट लेकर दो मंजिला आलीशान फ्लैट बनवाया और वहीं मोनिका के साथ रहने लगा। सुखबीर अपने हंसमुख स्वभाव और मजाकिया अंदाज के लिए ससुराल में सबका प्रिय था।
हाल ही में, सुखबीर ने करीब ₹15 लाख की नई एआई3 कार खरीदी थी। इस खुशी में उसने घर पर एक पार्टी भी दी थी। वह गांव बड़खल में स्थित अपनी लिक्विड फीलिंग मशीनें बनाने की फैक्ट्री संभालता था, जबकि मोनिका एक गृहिणी थी। उनकी शादी को सात साल हो चुके थे, लेकिन अभी तक उनकी कोई संतान नहीं थी। घटना वाले दिन भी सुखबीर अपनी पत्नी को डॉक्टर के पास दिखाकर लौटा था।
मोनिका का मायका जसाना गांव में ही था, जहां उसके परिवार का डेयरी का व्यवसाय था। इसी कारण उनके घर में दूध मायके से आता था। आमतौर पर मोनिका खुद शाम को डेयरी से दूध लेने जाती थी, लेकिन उस दिन तबीयत खराब होने के कारण वह नहीं जा सकी। उसने अपने पिता रामवीर को फोन करके कहा कि घर की तरफ कोई आए तो दूध भिजवा दें। उसी शाम मनीष को पिता ने कहा कि जाते समय दूध का डब्बा मोनिका के घर दे देना।
मनीष, जब रात 9 बजे दूध देने पहुंचा, तो उसे अपनी बहन और जीजा की खून से सनी लाशें देखकर होश उड़ गए। यह भयावह घटना की खबर जल्द ही फैल गई। रात करीब 12 बजे फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह और क्राइम ब्रांच के अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे। बदमाशों की पहचान के लिए घर के कोने-कोने से फिंगरप्रिंट और सबूत जुटाए जाने लगे। सुखबीर और मोनिका की बेरहमी से हुई हत्या ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया।
लूटपाट या जान-पहचान की साजिश?
पुलिस को अब तक की गई पूछताछ और घटनास्थल से जो जानकारी मिली, उससे शुरुआत में यही लग रहा था कि यह वारदात लूटपाट के इरादे से की गई थी। सुखबीर और मोनिका अपने आलीशान फ्लैट में अकेले रहते थे। उनका महंगा घर और नई गाड़ी देखकर कोई भी उनकी संपत्ति और हैसियत का अंदाजा लगा सकता था। घर की खुली अलमारियां और गायब गहने इस बात की ओर इशारा कर रहे थे कि बदमाश लूटपाट के इरादे से आए थे।
पुलिस ने जब सुखबीर की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा, तो परिवारवालों ने बताया कि सुखबीर का स्वभाव शांत और मिलनसार था, और उसका किसी से कोई विवाद नहीं था। लेकिन कुछ बातें ऐसी थीं, जिन्होंने पुलिस को उलझा दिया।
पहली, जब बदमाशों ने सुखबीर और मोनिका के हाथ-पांव और मुंह सर्जिकल टेप से बांध दिए थे, तो उनके विरोध करने की कोई संभावना नहीं बची थी। आमतौर पर बदमाश हत्या तभी करते हैं जब कोई उनका विरोध करता है। यहां स्थिति अलग थी। इसका मतलब था कि बदमाशों को पता था कि सुखबीर और मोनिका को जिंदा छोड़ने पर वे पहचान लिए जाएंगे। यह इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि वारदात को अंजाम देने वाला कोई जान-पहचान का व्यक्ति हो सकता है।
दूसरी, बदमाश घटना के बाद घर में लगे सीसीटीवी कैमरे का डीबीआर भी उखाड़कर ले गए थे। ऐसा तभी होता है जब उन्हें डर हो कि फुटेज से उनकी पहचान हो सकती है। इन सब तथ्यों ने पुलिस का शक और गहरा दिया कि यह वारदात किसी करीबी द्वारा की गई हो सकती है।
सुखबीर और मोनिका की हत्या बेहद निर्ममता से की गई थी; उनके सिर में गोली मारी गई थी। पुलिस ने कई घंटों तक जांच-पड़ताल की और परिवार से पूछताछ के बाद दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया। अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्या और लूटपाट के आरोप में धारा 302 और 395 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। घटनास्थल की जांच और परिस्थितियों ने इस मामले को और भी पेचीदा बना दिया।
हत्याकांड की गुत्थी में सीसीटीवी फुटेज से बड़ी सफलता
इस सनसनीखेज हत्याकांड को गंभीरता से लेते हुए पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह ने उसी रात केस को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। डीसीपी मकसूद अहमद ने खुद इस मामले की मॉनिटरिंग शुरू की। हालांकि, घर से कितना कैश और कितने गहने लूटे गए थे, यह स्पष्ट नहीं हो सका। लेकिन यह तय था कि लूटपाट जरूर हुई थी, क्योंकि सुखबीर का लैपटॉप और दोनों के मोबाइल फोन भी गायब थे। पुलिस ने घर में गहन तलाशी ली, लेकिन मोबाइल फोन नहीं मिले, और दोनों के नंबर स्विच ऑफ आ रहे थे।
बदमाशों ने घर के सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए थे और डीबीआर उखाड़कर ले गए थे। हालांकि, पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालना शुरू किया। इस प्रयास में, सुखबीर के मकान से थोड़ी दूरी पर एक दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी से महत्वपूर्ण फुटेज बरामद हुई। इन फुटेज में 11 अगस्त 2020 की दोपहर 1:37 बजे चार युवक दो बाइकों पर सुखबीर के मकान वाली गली में आते हुए नजर आए। उन्होंने अपनी बाइकों को मकान से कुछ दूरी पर खड़ा किया और सुखबीर के घर में दाखिल हो गए। करीब 42 मिनट बाद, 2:19 बजे वे वापस जाते हुए दिखाई दिए।
यह फुटेज पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता थी। फुटेज में मोटरसाइकिल के नंबर स्पष्ट नहीं थे, और बदमाशों के चेहरे रुमाल से ढके हुए थे, लेकिन फिर भी उनकी पहचान में कोई परेशानी नहीं हुई। पुलिस ने मोनिका और सुखबीर के परिवार वालों को बुलाकर यह फुटेज दिखाई। फुटेज देखकर मोनिका के छोटे भाई मनीष ने तुरंत पहचान लिया कि उनमें से एक बदमाश का हुलिया उसकी भाभी उषा के भाई विष्णु से मिलता-जुलता है।
इसके बाद, पुलिस ने फुटेज उषा और उसके पति ब्रह्मजीत को भी दिखाई। दोनों घबरा गए और बताया कि फुटेज में दिख रहा व्यक्ति विष्णु से काफी मिलता है, लेकिन उन्हें यकीन नहीं था कि विष्णु अपने जीजा की बहन के घर ऐसी वारदात क्यों करेगा।
विष्णु के इस घटना में शामिल होने की पुष्टि के लिए पुलिस ने उसके मोबाइल नंबर और पते की जानकारी हासिल की। पुलिस ने विष्णु पर कार्रवाई से पहले उसकी कॉल डिटेल्स खंगाली। कॉल डिटेल्स से यह साफ हो गया कि जिस समय बदमाश सुखबीर के घर में थे, उसी समय विष्णु के मोबाइल की लोकेशन भी सुखबीर के घर के आसपास थी।
यह जानकारी पुलिस के लिए एक ठोस सबूत थी और इस हत्याकांड की तह तक पहुंचने में सबसे बड़ी लीड साबित हुई। अब पुलिस ने अपने शिकंजे को मजबूत करते हुए इस केस को सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए।
हत्याकांड का मास्टरमाइंड और चौंकाने वाला सच
पुलिस की एक टीम विष्णु को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली के भजनपुरा पहुंची, जहां वह रहता था। तिगांव पुलिस ने उसे रात के समय उसके घर से सोते हुए हिरासत में ले लिया। फरीदाबाद के तिगांव थाने लाकर जब विष्णु से सख्ती से पूछताछ की गई, तो वह पुलिस का दबाव ज्यादा देर तक सहन नहीं कर सका और अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि सुखबीर और मोनिका की हत्या उसने अपने तीन साथियों सोनू, जतिन, और कुलदीप कुमार के साथ मिलकर की थी। हैरान करने वाली बात यह थी कि इस हत्या को अंजाम देने का आदेश उसके जीजा, मोनिका के बड़े भाई ब्रह्मजीत ने दिया था।
यह खुलासा पुलिस के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि ब्रह्मजीत, मोनिका का सगा भाई था। सवाल यह था कि एक भाई अपनी ही बहन और उसके पति की हत्या क्यों करवाएगा? पुलिस को यह बात अजीब लगी, लेकिन जब विष्णु से और सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने जो कारण बताया, उसने पुलिस को स्तब्ध कर दिया।
विष्णु के बयान से स्पष्ट हो गया कि इस हत्याकांड का असली मास्टरमाइंड ब्रह्मजीत ही था। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए ब्रह्मजीत को भी गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद, पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर विष्णु के तीनों साथियों—सोनू, जतिन, और कुलदीप कुमार—को मेरठ से धर दबोचा।
आरोपियों से पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, वह दिल दहला देने वाली थी। यह हत्याकांड केवल एक अपराध नहीं था, बल्कि एक साजिश थी जिसने रिश्तों की गहराई और विश्वास को हिला कर रख दिया। मामले का यह पहलू पुलिस के लिए जितना चौंकाने वाला था, उतना ही दुखद भी।
सुखबीर की हरकतों का खुलासा और तनाव का कारण
सुखबीर पिछले दो वर्षों से अपनी ससुराल के गांव जसाना में रह रहा था, जिससे उसका ससुराल पक्ष के घरों में आना-जाना बढ़ गया था। मोनिका के दो भाई, ब्रह्मजीत और मनीष, एक ही घर के अलग-अलग हिस्सों में अपने परिवार के साथ रहते थे। सुखबीर बेधड़क ब्रह्मजीत के घर आता-जाता था, खासकर क्योंकि ब्रह्मजीत की पत्नी उषा परिवार की अन्य महिलाओं में सबसे सुंदर मानी जाती थी। उषा भी सहज और खुले स्वभाव की थी, और सुखबीर को अपने ननदोई का सम्मान देती थी। लेकिन सुखबीर ने इस सहजता का गलत फायदा उठाया।
चोरी से ट्रांसफर की गईं निजी तस्वीरें
एक दिन, जब सुखबीर ब्रह्मजीत के घर गया और ब्रह्मजीत घर पर नहीं था, उषा बाथरूम में नहा रही थी। इसी दौरान सुखबीर की नजर उषा के मोबाइल पर पड़ी। उसने फोन उठाकर चेक करना शुरू कर दिया और उसमें परिवार की तस्वीरें देखने लगा। लेकिन तभी उसे उषा की कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो मिल गए, जो उसने बाथरूम से बाहर आने से पहले चोरी-छिपे अपने फोन में ट्रांसफर कर लिए। ट्रांसफर हिस्ट्री भी डिलीट कर दी ताकि किसी को शक न हो।
पहले सुखबीर ने इसे हल्के में लिया, लेकिन कुछ दिनों बाद जब उसने अकेले में वे तस्वीरें और वीडियो देखीं, तो उसके मन में उषा के प्रति गलत भावनाएं जाग उठीं।
ब्लैकमेलिंग की शुरुआत
एक दिन, ब्रह्मजीत की अनुपस्थिति में सुखबीर ने उषा से अपने दिल की बात कह दी। जब उषा ने उसकी बातों को नजरअंदाज किया, तो सुखबीर ने उसे उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो दिखाने शुरू कर दिए। उसका मकसद उषा को डराकर अपने करीब लाना था, लेकिन उसका यह प्लान उल्टा पड़ गया।
उषा ने उस दिन सुखबीर को डांटा और चेतावनी दी कि अगर उसने तस्वीरें और वीडियो डिलीट नहीं किए, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इस घटना के बाद से उषा लगातार तनाव में रहने लगी।
उषा के बदले हुए व्यवहार को ब्रह्मजीत ने भी महसूस किया। जब उसने उषा से इसके बारे में पूछा, तो वह अपनी भावनाएं रोक नहीं सकी। उसने ब्रह्मजीत को पूरी घटना बता दी—कैसे सुखबीर उसे ब्लैकमेल कर रहा था और उसकी इज्जत को दांव पर लगा रहा था।
ब्रह्मजीत के लिए यह अपमान सहन करना असंभव था। उसने उषा को भरोसा दिलाया कि वह इस समस्या का हल निकालेगा।
3 अगस्त को रक्षाबंधन का दिन आया। उषा के तनावग्रस्त मनोदशा को देखते हुए, उसने अपने भाई विष्णु को घर बुला लिया। जब विष्णु ने अपनी बहन के चेहरे पर उदासी देखी, तो उसने इसका कारण पूछा। पहले तो उषा ने कुछ नहीं कहा, लेकिन अंततः उसने अपने भाई को सुखबीर की हरकतों के बारे में बता दिया और उसे समझाया कि कैसे सुखबीर उसे लगातार ब्लैकमेल कर रहा था।
यह खुलासा विष्णु और ब्रह्मजीत दोनों के लिए असहनीय था। सुखबीर की हरकतें और उषा की इज्जत को खतरा ने उनकी भावनाओं को झकझोर दिया। सुखबीर के व्यवहार ने रिश्तों को जहर बना दिया था, और इस जहर का अंजाम सुखबीर और मोनिका की दर्दनाक हत्या के रूप में हुआ।
साजिश, हत्या और सीसीटीवी का पर्दाफाश
रक्षाबंधन के दिन बहन उषा की अस्मत पर आंच की बात जानकर विष्णु का खून खौल उठा, लेकिन उषा ने उसे अपनी कसम देकर शांत करा दिया। विष्णु को सुखबीर से ज्यादा गुस्सा अपने जीजा ब्रह्मजीत पर था। उसने अपने जीजा को फटकारा कि पत्नी के इतने बड़े अपमान के बाद भी वह चुपचाप बैठा है। ब्रह्मजीत ने सफाई देते हुए कहा कि वह सुखबीर को मारने का मन कई बार बना चुका है, लेकिन यह सोचकर रुक जाता है कि जेल जाने के बाद उषा का क्या होगा। इस पर विष्णु ने सुझाव दिया कि वह ऐसे लोगों का इंतजाम कर सकता है जो सुखबीर का काम तमाम कर देंगे। ब्रह्मजीत ने इस पर सहमति जताई और कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं, लेकिन सुखबीर के घर से इतना माल मिल जाएगा कि हत्यारों को इस काम पर पछतावा नहीं होगा। उसी दिन दोनों ने सुखबीर की हत्या की पूरी योजना तैयार कर ली।
विष्णु दिल्ली लौटकर भाड़े के हत्यारों की तलाश में जुट गया। उसने दो पिस्टल और कारतूस खरीदे और उनमें से एक पिस्टल ब्रह्मजीत को देकर चला गया। विष्णु ने अपने तीन दोस्तों—सोनू, यतिन और कुलदीप, जो अवैध शराब के धंधे में उसके साथ जुड़े हुए थे, को इस काम के लिए तैयार किया। उसने उन्हें बताया कि उसकी बहन को सुखबीर उसकी आपत्तिजनक फोटो और वीडियो दिखाकर ब्लैकमेल कर रहा है। विष्णु ने उन्हें आश्वस्त किया कि हत्या के बाद उन्हें वहां से इतना माल मिलेगा कि इस काम के लिए पछताना नहीं पड़ेगा। दोस्त की बहन की खातिर और माल के लालच में सोनू, यतिन, और कुलदीप ने इस काम में साथ देने की हामी भर दी।
इस योजना के तहत उन्होंने एक शाम सुखबीर के घर का मुआयना किया और प्रतापपुर इलाके से दो बाइक चोरी की। जन्माष्टमी का दिन हत्या के लिए चुना गया। चोरी की बाइकों पर सवार होकर विष्णु अपने तीनों दोस्तों के साथ जसाना गांव पहुंचा। गांव के बाहर ब्रह्मजीत उनसे मिला और उन्हें पहले से खरीदे गए देसी तमंचे और एक पिस्टल सौंप दी। ब्रह्मजीत वहां से अपने घर चला गया, और विष्णु अपने साथियों के साथ सुखबीर के घर पहुंचा।
सुखबीर का घर सुनसान गली में था, इसलिए किसी ने उन्हें आते नहीं देखा। उन्होंने घर में घुसते ही सुखबीर और मोनिका को बंधक बना लिया और सर्जिकल टेप से उनके हाथ-पांव बांध दिए। इसके बाद उन्होंने घर में लूटपाट शुरू कर दी और गहने, कैश, लैपटॉप, मोबाइल फोन, और सीसीटीवी का डीवीआर अपने बैग में भर लिया। ब्रह्मजीत ने केवल सुखबीर की हत्या करने की बात कही थी, लेकिन मोनिका ने वारदात के दौरान विष्णु का चेहरा देख लिया था और उसे पहचान भी लिया था। पकड़े जाने के डर से विष्णु ने मोनिका की भी गोली मारकर हत्या कर दी।
वारदात के बाद वे सभी यह सोचकर निश्चिंत थे कि उन्होंने सारे सबूत मिटा दिए हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि सुखबीर के घर से थोड़ी दूरी पर एक दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में उनकी हरकतें रिकॉर्ड हो गई थीं। यही फुटेज उनके अपराध का पर्दाफाश करने में पुलिस के लिए सबसे बड़ी कड़ी साबित हुई।
सुखबीर हत्याकांड: प्रॉपर्टी विवाद या ब्लैकमेलिंग?
सुखबीर के परिवार का आरोप है कि इस हत्याकांड की असल वजह ब्लैकमेलिंग नहीं, बल्कि प्रॉपर्टी विवाद था। गांव फतेहपुर चंदीला में आयोजित पंचायत में सुखबीर के पिता रिचपाल ने कहा कि पुलिस ब्लैकमेलिंग को हत्या की वजह बता रही है, लेकिन असल कारण छिपा रही है। उन्होंने बताया कि सुखबीर ने जसाना में ससुराल वालों से एक प्लॉट खरीदा था, जिसकी पूरी रकम चुका दी थी, लेकिन रजिस्ट्री नहीं कराई गई। ससुराल वालों पर विश्वास करते हुए सुखबीर ने प्लॉट पर मकान बना लिया था। चूंकि जमीन ससुराल वालों के नाम पर थी, उन्होंने चुपके से उस पर लोन ले लिया और इसकी जानकारी सुखबीर और मोनिका को नहीं दी।
रिचपाल ने आगे बताया कि ससुराल वालों ने मोनिका के नाम पर एक जीवन बीमा पॉलिसी भी ले रखी थी, जिसमें नॉमिनी सुखबीर के बजाय मोनिका के पिता थे, जबकि पॉलिसी की किस्तें सुखबीर भरता था। सुखबीर के बड़े भाई सतवीर ने बताया कि सुखबीर ससुराल वालों पर बेहद विश्वास करता था और उसने अपने साले ब्रह्मजीत को अपने पैसों से पानी का प्लांट भी शुरू कराया था। लेकिन जब सुखबीर ने बार-बार प्लॉट की रजिस्ट्री कराने की बात की, तो विवाद शुरू हो गया। इसके बाद साजिश रची गई, जिसमें जानबूझकर सुखबीर के मोबाइल पर आपत्तिजनक फोटो भेजे गए और उसे ब्रह्मजीत की पत्नी को ब्लैकमेल करने का आरोपी बना दिया गया। सुखबीर के परिवार का दावा है कि यह सब उसे रास्ते से हटाकर मकान और पैसा हड़पने के लिए किया गया, और ससुराल वाले इसमें सफल हो गए।
हत्या के बाद, सुखबीर के परिवार ने आरोप लगाया कि ससुराल वालों ने बिना अनुमति के सुखबीर का मकान खोलकर कीमती सामान गायब कर दिया। पंचायत में समाज से आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने की गुहार लगाई गई। इस बीच, 13 अगस्त 2020 को पुलिस ने पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया और तीन दिन की पुलिस रिमांड पर लिया। रिमांड के दौरान पुलिस ने उनकी निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल किए गए दो देसी तमंचे, एक पिस्टल, कारतूस और एक चोरी की बाइक मेरठ की मेन रोड के पास झाड़ियों से बरामद की। पूछताछ में विष्णु ने बताया कि हत्या के बाद वह सुखबीर के मोबाइल को अनलॉक नहीं कर सका, जबकि मोबाइल और लैपटॉप में उसकी बहन उषा की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो थीं। इसलिए हत्या के बाद वह मोबाइल और लैपटॉप अपने साथ ले गया।
पुलिस ने विष्णु के पास से दोनों मोबाइल, लैपटॉप, चोरी के गहने और पैसे बरामद किए। ब्रह्मजीत ने खुलासा किया कि हत्या की योजना सुखबीर के घर में इसलिए बनाई गई ताकि भाड़े के शूटरों को पैसे न देने पड़ें। हत्यारों ने बताया कि ब्रह्मजीत ने ही विष्णु को सुखबीर के घर पर होने की जानकारी दी थी। 16 अगस्त 2020 को पुलिस ने पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
इस घटना का उद्देश्य किसी को दुख पहुंचाना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करना और सचेत करना है। इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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