रायपुर के टिकरापारा की सनसनीखेज घटना
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के टिकरापारा थाना क्षेत्र के गोदावरी नगर में एक तीन मंजिला इमारत में कॉलेज के स्टूडेंट्स किराए पर रहते थे, जिनमें ज्यादातर लड़कियां थीं। इसी इमारत के तीसरे मंजिल पर केवल एक फ्लैट था, जिसमें मनीषा सिदार नाम की लड़की रहती थी। मनीषा रावतपुरा नर्सिंग कॉलेज में बीएससी नर्सिंग फर्स्ट ईयर की छात्रा थी।
10 दिसंबर 2019 की सुबह करीब 11:30 बजे मनीषा के फ्लैट से अचानक लड़ाई-झगड़े की जोरदार आवाजें सुनाई देने लगीं। ये आवाजें न सिर्फ दूसरी मंजिल पर रहने वाली छात्राओं बल्कि आस-पड़ोस के लोगों तक पहुंच रही थीं। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि फ्लैट में कई लोग झगड़ रहे थे। कुछ ही देर बाद ये झगड़े की आवाजें चीख-पुकार में बदल गईं, जिससे आस-पड़ोस के लोग घबरा गए। करीब 10 मिनट तक मनीषा के फ्लैट से चीखने-चिल्लाने और सामान गिरने की आवाजें आती रहीं, लेकिन फिर अचानक सबकुछ शांत हो गया।
इस बीच, मनीषा के फ्लैट के नीचे रहने वाली छात्राओं ने मकान मालिक बंटी साहू को फोन कर स्थिति बताई। सूचना मिलते ही बंटी साहू तुरंत तीसरी मंजिल पर पहुंचे और मनीषा को आवाज लगाई। उन्होंने पूछा कि इतनी जोर-जोर से शोर क्यों हो रहा है, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। बंटी साहू ने फ्लैट का दरवाजा हल्का सा धक्का दिया, लेकिन वह अंदर से बंद था। अंदर सन्नाटा पसरा हुआ था।
इसके बाद उन्होंने कमरे की खिड़की को थोड़ा सा धक्का दिया, जिससे वह खुल गई। जैसे ही खिड़की खुली, अंदर से किसी ने दरवाजा खोल दिया। लेकिन इससे पहले कि बंटी साहू कुछ समझ पाते, मनीषा के फ्लैट से दो लड़के बाहर निकले और सीढ़ियों से भागते हुए इमारत से निकल गए।
मनीषा के फ्लैट में खौफनाक मंजर
दूसरी मंजिल पर रहने वाली छात्राओं और आस-पड़ोस के लोगों ने दो लड़कों को फ्लैट से भागते हुए देखा। जैसे ही मकान मालिक बंटी साहू मनीषा के कमरे के अंदर पहुंचे, वहां का नजारा देखकर उनकी रूह कांप गई। कमरे के अंदर सिर्फ मनीषा ही नहीं, बल्कि दो लड़कियां खून में लथपथ पड़ी हुई थीं। बंटी साहू ने इस भयानक घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दी।
हालांकि, पुलिस को घटना स्थल तक पहुंचने में करीब 30 मिनट लग गए, क्योंकि उन्हें सटीक लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्होंने सबसे पहले दोनों लड़कियों को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल पहुंचाया। लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जांच में पता चला कि दोनों के सिर पर किसी भारी चीज से कई वार किए गए थे।
आस-पड़ोस के लोग अगर घबराहट में समय गंवाए बिना उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाते, तो शायद उनकी जान बच सकती थी। मगर स्थिति की भयावहता ने लोगों को स्तब्ध कर दिया, और वे कुछ समझ नहीं पाए कि क्या करना चाहिए।
पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के लिए दोनों शवों को भेजा और फिर मनीषा के फ्लैट में जांच के लिए वापस लौटी। मृतकों में से एक मनीषा थी, लेकिन दूसरी लड़की कौन थी, यह रहस्य बना हुआ था। मकान मालिक से पूछताछ करने पर पता चला कि उन्हें दूसरी लड़की के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बंटी साहू ने बताया कि उन्होंने मनीषा को फ्लैट किराए पर देते समय उसका घर का पता तक नहीं लिया था। इस लापरवाही के कारण पुलिस को शुरुआती जांच में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
मनीषा के फ्लैट की खौफनाक सच्चाई
पुलिस जब मनीषा के फ्लैट की जांच करने पहुंची, तो अंदर का दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाला था। सारा सामान बिखरा पड़ा था, फर्श पर खून से सने पैरों और हथेलियों के निशान थे, और दीवारों पर भी संघर्ष के स्पष्ट निशान दिख रहे थे। यह साफ था कि लड़कियों ने अपनी जान बचाने के लिए काफी संघर्ष किया था।
दूसरी मंजिल पर रहने वाली छात्राओं ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि घटना वाले दिन, यानी 10 दिसंबर की सुबह, उन्होंने मकान की सीढ़ियों पर दो अनजान लड़कों को बैठे हुए देखा था। मकान में बाहरी लड़कों का आना मना था, लेकिन वे वहां कैसे पहुंचे, यह स्पष्ट नहीं था।
जांच के दौरान पुलिस को फर्श पर खाने से भरी एक थाली मिली, जिसमें दाल, चावल, पापड़ और सब्जी थी। साथ ही सिंक में कुछ जूठी थालियां भी पड़ी थीं। इन चीजों से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि लड़के और लड़कियां एक साथ खाना खा रहे थे। इसी दौरान किसी बात पर झगड़ा हुआ और लड़कों ने मनीषा और दूसरी लड़की की हत्या कर दी।
कमरे में जहां दोनों लड़कियों के शव पड़े थे, वहीं एक बिस्तर पर रोटी बनाने वाला तवा पड़ा हुआ था, जिस पर खून के निशान थे। पुलिस ने तुरंत समझ लिया कि इसी तवे का इस्तेमाल दोनों पर हमला करने के लिए किया गया होगा। इसके बाद फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वाड को मौके पर बुलाया गया। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि दूसरी लड़की कौन थी।
घर की तलाशी के दौरान पुलिस को मनीषा सिदार का एक आईडी कार्ड मिला, जिससे पता चला कि वह रावतपुरा नर्सिंग कॉलेज की छात्रा थी। आईडी कार्ड पर एक मोबाइल नंबर भी लिखा था। जब पुलिस ने उस नंबर पर कॉल किया, तो फोन मनीषा के पिता जालंधर सिदार ने उठाया। वे रायगढ़ में रहते थे। पुलिस से खबर सुनते ही मनीषा के पिता और परिवार के अन्य सदस्य तुरंत रायपुर के लिए निकल पड़े।
पुलिस को शक था कि जो दो लड़के फ्लैट से भागते देखे गए थे, वही हत्या के जिम्मेदार थे। जिस तरह उन्होंने मनीषा के घर में बैठकर आराम से खाना खाया था, उससे साफ था कि वे दोनों लड़के मनीषा और दूसरी लड़की के करीबी थे।
मनीषा और मंजू सिदार की रहस्यमय हत्या: पुलिस की उलझन
जब पुलिस ने मकान मालिक और मकान में रहने वाली अन्य छात्राओं से उन दो लड़कों के बारे में पूछताछ की, तो कोई भी उनके बारे में जानकारी नहीं दे सका। कुछ छात्राओं ने बताया कि मनीषा के घर आमतौर पर उसके परिवार के सदस्य ही मिलने आते थे, और कभी-कभार कोई रिश्तेदार भी साथ आता था। लेकिन घटना वाले दिन जो दो लड़के आए थे, उन्हें किसी ने पहले कभी नहीं देखा था। यह स्पष्ट था कि वे पहली बार वहां आए थे।
इससे पुलिस भी उलझन में पड़ गई। एक ओर, यह संभावना थी कि वे लड़के मनीषा और मंजू के जानने वाले थे, क्योंकि उन्होंने घर में बैठकर खाना खाया था। वहीं, दूसरी ओर, पड़ोसियों का कहना था कि उन्होंने उन लड़कों को पहले कभी इस इलाके में नहीं देखा था।
उधर, मनीषा सिदार के परिवार वाले रायगढ़ से सीधे हॉस्पिटल की मोर्चरी पहुंचे, जहां उन्होंने दोनों शवों की पहचान की। वे शव उनकी बेटियों के थे—बड़ी बेटी मंजू सिदार और छोटी बेटी मनीषा सिदार। मनीषा बीएससी नर्सिंग के सेकंड ईयर में पढ़ रही थी, जबकि मंजू अपनी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी। मंजू रायगढ़ में रहती थी और एक दिन पहले ही अपनी बहन से मिलने रायपुर आई थी।
इस घटना से पूरे इलाके में दहशत फैल गई। आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई टीमें गठित कीं। घटना स्थल की तलाशी के दौरान पुलिस को कुछ फटे हुए फोटोग्राफ्स मिले। इन फोटो में कुछ स्पष्ट थे, जिनमें मंजू लता के साथ एक लड़का भी नजर आ रहा था।
फोटो देखते ही पुलिस को शक हुआ कि कहीं यह मामला प्यार से जुड़ा तो नहीं है। तस्वीरों में मंजू और वह लड़का जिस तरह से साथ दिख रहे थे, उससे उनकी करीबी का संकेत मिल रहा था। इस सुराग ने पुलिस की जांच को एक नई दिशा दी, जिससे यह संभावना बनी कि इस घटना के पीछे व्यक्तिगत संबंधों की कोई गहरी वजह हो सकती है।
सीसीटीवी फुटेज और फटे फोटो: हत्या की गुत्थी सुलझने की ओर
पुलिस ने मनीषा के फ्लैट से मिले फटे फोटो को जोड़कर देखा, जिसमें मंजू और एक लड़का साथ नजर आ रहे थे। फोटो को इस तरह फाड़ा गया था कि मंजू और उस लड़के की तस्वीरें अलग हो जाएं। इससे शक गहराने लगा कि या तो उस लड़के ने ही दोनों बहनों की हत्या की और पहचान छुपाने के लिए फोटो फाड़ा, या फिर कोई तीसरा व्यक्ति इस रिश्ते से नाराज होकर मंजू को उसके प्रेमी से अलग करना चाहता था।
इसी बीच, सीसीटीवी फुटेज चेक कर रही पुलिस टीम को एक बड़ी सफलता मिली। मकान के सामने वाले घर में लगे कैमरे में 11:30 बजे के आसपास दो लड़के भागते हुए दिखाई दिए। इसके अलावा, कुछ दूरी पर एक और कैमरे में भी वही दोनों लड़के मेन रोड की ओर भागते हुए कैद हुए।
मेन रोड के पास लगे कैमरे में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। फुटेज में दोनों लड़के मेन रोड पर एक बाइक सवार से बात करते नजर आए। थोड़ी देर बाद, दोनों लड़के बाइक पर बैठ गए, और तीनों वहां से फरार हो गए। इस फुटेज से यह साफ हो गया कि हत्या की साजिश में दो नहीं, बल्कि तीन लोग शामिल थे।
फुटेज की जांच के दौरान, पुलिस ने एक और अहम कड़ी खोजी। जो लड़का मंजू के साथ फोटो में नजर आया था, वही लड़का सीसीटीवी में भी दिखा। इससे यह पक्का हो गया कि उसी लड़के ने मंजू और मनीषा की हत्या की थी। हालांकि, उसके साथ भाग रहे दो अन्य लड़कों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई थी।
सीसीटीवी और फोटो के आधार पर जांच अब तीन संदिग्धों की ओर बढ़ गई थी। इन सुरागों ने पुलिस को हत्या की गुत्थी सुलझाने के करीब ला दिया, लेकिन अभी भी कई सवाल जवाब मांग रहे थे।
शोएब अंसारी उर्फ सैफ की पहचान और जांच की नई दिशा
पुलिस ने जब मंजू के परिवार को वह फोटो दिखाई, जिसमें मंजू एक लड़के के साथ नजर आ रही थी, तो परिवार ने तुरंत उस लड़के को पहचान लिया। वह शोएब अंसारी उर्फ सैफ था। परिवार ने बताया कि सैफ पहले मंजू का अच्छा दोस्त था, लेकिन जब दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगीं, तो परिवार ने मंजू पर सैफ से दूर रहने का दबाव डाला। मंजू ने सैफ से दूरी बना ली, लेकिन इसके बाद सैफ ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया।
सैफ लगातार मंजू को मैसेज करता, फोन करता, और यहां तक कि रास्ते में उसे रोककर परेशान करता था। परेशान होकर, मंजू के परिवार ने 3 नवंबर 2019 को, यानी घटना से एक महीने पहले, चक्रधर नगर पुलिस स्टेशन में सैफ के खिलाफ छेड़छाड़ की रिपोर्ट दर्ज कराई। हालांकि, दोनों परिवारों के बीच समझौता हो गया, और मंजू ने शिकायत वापस ले ली। इसके बाद पुलिस ने सैफ को चेतावनी देकर छोड़ दिया था।
घटना के दिन, 10 दिसंबर को, सीसीटीवी फुटेज में सैफ को एक अन्य लड़के के साथ मनीषा के फ्लैट से भागते हुए देखा गया। पुलिस ने जब मंजू और सैफ के कॉल डिटेल की जांच की, तो पता चला कि मंजू ने आखिरी बार सैफ से ही बात की थी। इसके अलावा, 10 दिसंबर को सैफ की लोकेशन भी मनीषा के फ्लैट के आसपास पाई गई। इन सब तथ्यों ने पुलिस को यकीन दिलाया कि तीन संदिग्ध लड़कों में से एक शोएब उर्फ सैफ ही था।
अब पुलिस के सामने कई सवाल खड़े हो गए थे। मनीषा की हत्या क्यों की गई? मंजू को मारने की असल वजह क्या थी? आखिर मंजू और सैफ के बीच क्या रिश्ता था? और सैफ के साथ दिखे दो अन्य लड़के कौन थे? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए पुलिस ने सैफ और मंजू के सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच शुरू कर दी।
सोशल मीडिया और डिजिटल सबूतों के जरिए, पुलिस यह समझने की कोशिश कर रही थी कि क्या यह मामला व्यक्तिगत दुश्मनी, प्रेम संबंध, या किसी अन्य गहरी साजिश का नतीजा था। अब हर सुराग मामले को सुलझाने में अहम साबित हो सकता था।
कोर्ट मैरिज और आरोपियों की गिरफ्तारी
जांच के दौरान पुलिस को मंजू के बारे में एक अहम सुराग मिला। घटना से दो दिन पहले मंजू ने देवनारायण नामक व्यक्ति से मुलाकात की थी, जिसे पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। देवनारायण ने बताया कि सैफ रायगढ़ जिले के बोयर ददर का निवासी है। इसके साथ ही तीसरे आरोपी की पहचान भी सामने आई, जिसका नाम गुलाम मुस्तफा उर्फ काली था और वह सैफ का घनिष्ठ मित्र था।
जैसे ही सैफ और काली के बारे में जानकारी मिली, पुलिस ने तुरंत उनके घरों पर दबिश दी, लेकिन दोनों ही वहां मौजूद नहीं थे। इसके बाद सैफ के कमरे की तलाशी के दौरान पुलिस को एक हैरान कर देने वाला दस्तावेज मिला। यह दस्तावेज सैफ और मंजू की कोर्ट मैरिज का प्रमाण पत्र था, जिससे पता चला कि 21 मई 2019 को मंजू और सैफ ने चुपके से कोर्ट मैरिज की थी। इसके बाद उन्होंने मंदिर में जाकर शादी की रस्में भी पूरी की थीं और अपनी शादी की तस्वीरें भी खिंचवाई थीं।
इस बीच रायपुर पुलिस को सूचना मिली कि सैफ और काली बिलासपुर से रीवा जाने वाली चिरमिरी एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे हैं। तुरंत सतना पुलिस और मेहर पुलिस को अलर्ट किया गया। आखिरकार, सुबह 4:00 बजे मेहर रेलवे स्टेशन पर सैफ को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, उसका साथी काली शहडोल स्टेशन पर उतरकर भाग निकला, लेकिन शाम तक उसे भी पकड़ लिया गया।
पूछताछ के दौरान सैफ ने खुलासा किया कि वह और मंजू एक-दूसरे से गहरा प्रेम करते थे। उनके प्रेम संबंध इतने गहरे हो गए कि उन्होंने 21 मई 2019 को अपने परिवार को बताए बिना कोर्ट मैरिज कर ली। इसके बाद उन्होंने मंदिर में जाकर भी शादी की और अपनी शादी की कई तस्वीरें खिंचवाईं, जो पुलिस को घटनास्थल पर मिली थीं।
शादी के बाद, सैफ और मंजू अपने-अपने घरों में अलग-अलग रहने लगे, लेकिन जब भी मौका मिलता, वे मिलते रहते। उनके बीच सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन शादी के कुछ समय बाद सैफ ने उनकी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करनी शुरू कर दीं। यह मामला और पेचीदा तब हो गया जब मंजू के परिवार को उनकी शादी का पता चला।
हालांकि, शादी के बावजूद मंजू और सैफ के बीच प्रेम बरकरार था, लेकिन हालात ने उनकी जिंदगी को उलझा दिया, जिससे यह त्रासदी घटी। अब पुलिस की जांच सैफ, काली और मंजू के रिश्तों की परतें खोलने पर केंद्रित हो गई थी।
साजिश और घटना का सिलसिला
मंजू और सैफ के बीच का रिश्ता धीरे-धीरे कड़वाहट में बदलने लगा। सैफ का कहना था कि मंजू अब उसे नजरअंदाज करने लगी थी और उससे बातचीत भी कम कर दी थी। शायद मंजू को अपनी गलती का एहसास हो गया था, इसलिए उसने सैफ से दूरी बनानी शुरू कर दी।
इधर, जब मंजू के परिवार को पता चला कि सैफ अब भी उससे फोन पर संपर्क कर रहा है, तो उन्होंने मंजू को चक्रधर नगर पुलिस स्टेशन ले जाकर सैफ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। हालांकि, यह मामला बाद में आपसी सहमति से सुलझा लिया गया।
घटना से तीन दिन पहले, मंजू ने टिकटक पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें वह किसी लड़के के साथ अभिनय कर रही थी। यही वीडियो सैफ के गुस्से की वजह बन गई। सैफ को शक हो गया कि मंजू का उस लड़के के साथ कोई रिश्ता है। उसे लगा कि इसी कारण मंजू अब उसे इग्नोर कर रही है। गुस्से से पागल सैफ ने तय कर लिया कि वह इस मामले को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।
सैफ ने अपने नाबालिग दोस्त देवनारायण डडसेना को भी इस साजिश में शामिल कर लिया। उसने देवनारायण से वादा किया कि काम पूरा होने पर उसे ₹1,000 का इनाम मिलेगा। पैसे के लालच में देवनारायण साजिश का हिस्सा बन गया। इसके बाद सैफ ने अपने दोस्त गुलाम मुस्तफा उर्फ काली को भी इस योजना में शामिल कर लिया और उसे ₹1 लाख देने का वादा किया।
10 दिसंबर की सुबह, सैफ, काली और देवनारायण रायपुर के लिए रवाना हुए। वे बाइक से मेन रोड पर पहुंचे, जहां सैफ और काली ने देवनारायण को बाइक के साथ इंतजार करने को कहा। सैफ और काली मनीषा के फ्लैट की ओर बढ़े।
फ्लैट पहुंचने पर, सैफ और काली कुछ देर सीढ़ियों पर बैठे रहे, फिर सीधे तीसरी मंजिल पर मनीषा के फ्लैट पर गए। उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दी, और मनीषा ने दरवाजा खोल दिया। सैफ और काली ने सोचा था कि मनीषा सुबह 10 बजे तक कॉलेज चली जाएगी और मंजू घर पर अकेली होगी। लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उस दिन मनीषा भी फ्लैट पर ही थी।
इस दौरान मंजू ने खाना तैयार कर रखा था, लेकिन उनकी योजना कुछ और थी। दोनों ने जो साजिश रची थी, वह जल्द ही एक खौफनाक अंजाम तक पहुंचने वाली थी।
साजिश का अंजाम और खौफनाक वारदात
10 दिसंबर की सुबह करीब 10:15 बजे, सैफ और काली मनीषा के फ्लैट पर पहुंचे। वहां दोनों आराम से बैठकर खाना खाने लगे। सैफ खाना खाते हुए मंजू से बातचीत कर रहा था। करीब एक घंटे तक सब कुछ सामान्य लग रहा था। इसके बाद, मंजू भी एक थाली में खाना लेकर बैठी। लेकिन तभी सैफ और मंजू के बीच किसी बात को लेकर बहस शुरू हो गई।
यह बहस महज एक बहाना थी। असल में, सैफ मंजू को कत्ल करने के इरादे से ही आया था। बहस के दौरान झगड़ा इतना बढ़ गया कि सैफ ने पास में रखे तवे को उठा लिया। गुलाम ने मंजू को पकड़ लिया, और सैफ ने मंजू के सिर पर तवे से ताबड़तोड़ वार कर दिए। मंजू बेहोश होकर गिर पड़ी।
अपनी बड़ी बहन पर हमला होते देख मनीषा ने हिम्मत जुटाकर उन्हें रोकने की कोशिश की। मनीषा ने करीब 10 मिनट तक संघर्ष किया, जिससे घर का सारा सामान इधर-उधर बिखर गया। लेकिन काली ने मौका देखकर मनीषा को काबू में कर लिया और सैफ ने वही तवा लेकर मनीषा पर वार किया, जिससे उसकी भी जान चली गई।
दोनों बहनों को खत्म करने के बाद, सैफ ने अपनी और मंजू की फोटो को भी फाड़ दिया, ताकि कोई सबूत न बचे। इसके बाद, सैफ और काली वहां से भाग गए। दोनों अपने तीसरे साथी, देवनारायण, के पास पहुंचे, जो मेन रोड पर बाइक लेकर उनका इंतजार कर रहा था। तीनों रेलवे स्टेशन पहुंचे, जहां से वे बिलासपुर रवाना हो गए।
बिलासपुर पहुंचने के बाद, देवनारायण अपने घर जांजगीर चला गया। वहीं, सैफ और काली चिरमिरी एक्सप्रेस ट्रेन से रीवा के लिए निकल पड़े। लेकिन मेहर रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही पुलिस ने सैफ को गिरफ्तार कर लिया, जबकि काली फरार हो गया। हालांकि, कुछ समय बाद काली को भी पकड़ लिया गया।
घटना का कारण और कानूनी कार्रवाई
यह खौफनाक वारदात महज एक टिकटॉक वीडियो के कारण हुई, जिसने सैफ को मंजू के चरित्र पर शक करने के लिए उकसाया। गुस्से और जलन में, सैफ ने काली और देवनारायण की मदद से मंजू और मनीषा की हत्या कर दी।
पुलिस ने सैफ, काली, और देवनारायण के खिलाफ पुख्ता सबूतों और बयानों के आधार पर चार्जशीट तैयार की और आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। सभी आरोपी फिलहाल जेल में हैं, और यह मामला अभी कोर्ट में लंबित है।
सीख और संदेश
इस घटना को सुनाने का मकसद किसी का दिल दुखाना या परेशान करना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करना है। जलन, गुस्से, और बिना आधार के शक की वजह से जिंदगी बर्बाद हो सकती है। ऐसी घटनाओं से सतर्क रहें और दूसरों को भी सचेत करें।
आपकी इस घटना पर क्या राय है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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