शमशाद खान बना अमित गुर्जर फिर 12 साल की बच्ची को भी नहीं छोड़ा – प्रिया चौधरी मर्डर मिस्ट्री Hindi Crime Story

साल 2012 की बात है, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की। एक युवती, प्रिया चौधरी, अपनी ढाई साल की मासूम बेटी वंशिका को गोद में उठाए, बेबस और थकी हुई हालत में मोदीनगर के एक मकान पर पहुंची। वह एक ऐसा ठिकाना ढूंढ रही थी, जहां अपनी टूटी हुई जिंदगी के टुकड़े समेट सके। मकान मालिक से बात करके उसने वहां एक कमरा किराए पर लिया और अपनी बेटी के साथ रहने लगी।

23 साल की प्रिया और उसकी नन्हीं बेटी वंशिका के पास न कोई सहारा था, न कोई आसरा। वंशिका की मासूम आंखों में दुनिया देखने की चाह थी, और प्रिया की आंखों में बस दर्द और संघर्ष की परछाइयां। वह किसी तरह अपनी बेटी का पेट पालने के लिए एक ब्यूटी पार्लर में काम करने लगी। सुबह अपनी नन्हीं बेटी को मकान मालिक के परिवार के भरोसे छोड़कर निकलती, दिनभर मेहनत करती, और शाम को थकी-हारी लौटती।

इसी घर में चंचल नाम की 18 साल की एक लड़की रहती थी, जो वंशिका का ध्यान रखती थी। धीरे-धीरे, चंचल और प्रिया के बीच एक गहरी दोस्ती हो गई। एक दिन, चंचल ने साहस जुटाकर पूछा, “दीदी, आप यहां अकेले क्यों रहती हो? आपके परिवार वाले कहां हैं?”

इस सवाल ने प्रिया के दिल के जख्म फिर से ताजा कर दिए। उसने चंचल को अपनी कहानी सुनाई। वह लोनी की रहने वाली थी। साल 2010 में उसके परिवार ने उसकी शादी राजीव नाम के एक युवक से कर दी थी, जो भोजपुर थाना क्षेत्र के खंजरपुर गांव का रहने वाला था। शादी के बाद, प्रिया ने वंशिका को जन्म दिया। लेकिन बेटी का जन्म खुशियों की सौगात नहीं, बल्कि प्रिया के लिए मुसीबतों की शुरुआत बन गया।

राजीव और प्रिया के बीच झगड़े होने लगे। हर दिन के विवाद और कड़वाहट ने उनकी शादी को तोड़कर रख दिया। आखिरकार, राजीव ने प्रिया को तलाक दे दिया। टूटे हुए दिल और मासूम बच्ची के साथ प्रिया अपने मायके लौटी, लेकिन वहां भी हालात ज्यादा बेहतर नहीं थे। थोड़े ही समय में उसके अपने परिवार ने उसे और उसकी बेटी को बोझ समझना शुरू कर दिया।

जब अपने ही घर से सहारा छिन गया, तो प्रिया के पास कोई जगह नहीं बची। अपनी बेटी की मासूम आंखों को देखकर उसका दिल टूट जाता, लेकिन हालात ने उसे सड़क पर ला खड़ा किया। मायके वालों ने भी जब दरवाजा बंद कर दिया, तो वह अपनी छोटी-सी बच्ची के साथ अनजान मंजिल की तलाश में भटकने लगी।

यह कहानी केवल संघर्ष की नहीं, बल्कि एक मां के अटूट हौसले और ममता की है, जिसने हर ठोकर के बावजूद अपनी बेटी के लिए जीने की राह बनाई।

Priya Chaudhary Murder Mystery
Priya Chaudhary Murder Mystery

शमशाद और प्रिया के अफेयर की शुरुआत

लाक के बाद प्रिया की जिंदगी में नए रिश्तों के दरवाजे खुले, लेकिन हर बार एक ही समस्या सामने आती। घर वाले उसकी दूसरी शादी करवाना चाहते थे, पर प्रिया ने एक शर्त रखी थी—वह उसी लड़के से शादी करेगी, जो न केवल उसे, बल्कि उसकी मासूम बेटी वंशिका को भी पूरी तरह अपनाए। लेकिन हर बार उम्मीद टूट जाती। कोई भी उसकी बेटी को अपनाने को तैयार नहीं था। यही वजह थी कि प्रिया के रिश्ते नहीं हो रहे थे।

धीरे-धीरे, मायके वालों के लिए भी प्रिया और उसकी बेटी बोझ बन गए। उन्होंने उससे कह दिया कि अगर वह अपनी बेटी को छोड़ दे, तो एक नई जिंदगी शुरू कर सकती है। लेकिन एक मां का दिल भला ऐसा कैसे कर सकता था? प्रिया ने साफ इनकार कर दिया। बेटी को छोड़ने का सवाल ही नहीं था। इसी वजह से उसने अपना मायका भी छोड़ दिया।

2012 में, अपने इस फैसले के साथ, प्रिया अपनी बेटी को लेकर चंचल चौधरी के घर आ गई। जब उसने अपनी यह कहानी चंचल को सुनाई, तो चंचल का दिल प्रिया की मजबूती और ममता को देखकर भर आया। उनकी दोस्ती और गहरी हो गई। चंचल ने ही प्रिया को ब्यूटी पार्लर में काम दिलवाने में मदद की। धीरे-धीरे, प्रिया को अन्य काम भी मिलने लगे। वह शादी के फंक्शन में मेकअप करने लगी और अपनी जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने में जुट गई।

सबकुछ धीरे-धीरे बेहतर हो रहा था। लेकिन प्रिया की जिंदगी में एक नया मोड़ तब आया, जब 2014 में वह सोशल मीडिया के जरिए अमित गुर्जर नाम के एक युवक से मिली। अमित मेरठ का रहने वाला था, और दोनों के बीच फेसबुक पर बातचीत शुरू हुई। बातों का सिलसिला बढ़ा, और जल्द ही उनकी दोस्ती गहरी हो गई।

प्रिया ने अपने दिल का हर कोना अमित के सामने खोल दिया। उसने अमित को अपनी शादी, तलाक, मायके से अलग होने और अपनी बेटी को लेकर किए संघर्षों की पूरी कहानी सुना दी। यह जानने के बाद भी, अमित ने न सिर्फ प्रिया को, बल्कि उसकी बेटी वंशिका को भी अपनाने की बात कही।

प्रिया को लगा कि शायद उसकी तलाश अब खत्म हो गई है। उसे अमित में वह साथी दिखा, जिसके साथ वह अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू कर सकती थी। यह रिश्ता प्रिया के लिए एक नई उम्मीद और एक नया सपना बन गया।

लिव-इन रिलेशनशिप में एक परिवार

अमित मेरठ में बुक बाइंडिंग का काम करता था। पब्लिकेशन हाउस से ठेके लेकर वह किताबों की बाइंडिंग करता और इससे अच्छी-खासी कमाई हो जाती थी। जब अमित ने प्रिया से कहा, “तुम अपनी बेटी को लेकर मेरठ आ जाओ। मैं तुम्हारे लिए यहां एक ब्यूटी पार्लर खोलवा दूंगा,” तो प्रिया की आंखों में खुशी और उम्मीद चमक उठी। उसके जीवन में एक नई शुरुआत का सपना आकार लेने लगा।

इसके बाद, प्रिया और अमित फिजिकली मिलने लगे। कुछ समय बाद, प्रिया ने अपनी बेटी वंशिका को साथ लिया और मेरठ आ गई। वहां दोनों ने एक किराए के मकान में साथ रहना शुरू किया। अमित ने प्रिया से कहा कि ब्यूटी पार्लर खोलने के लिए कुछ समय इंतजार करना होगा। इस वजह से प्रिया का पहले से चल रहा काम बंद हो गया, और अब अमित ही उसकी और उसकी बेटी की हर जरूरत का खर्च उठाने लगा।

हालांकि, अमित और प्रिया ने शादी नहीं की थी, लेकिन वे लिव-इन रिलेशनशिप में एक परिवार की तरह रहते थे। धीरे-धीरे, अमित ने खुद को प्रिया की बेटी वंशिका के लिए भी एक पिता की तरह साबित किया। वह वंशिका को बहुत प्यार करता था। छुट्टियों में उन्हें घुमाने ले जाता, शॉपिंग कराता और मूवी दिखाता। प्रिया की जिंदगी में खुशियां लौट आई थीं। उसका दिल हर पल अमित के लिए आभार से भर जाता।

इस दौरान, प्रिया अपनी सबसे करीबी दोस्त चंचल को नहीं भूली। दोनों सहेलियां हर रोज फोन पर बात करतीं और कभी-कभी मिलने भी चली जातीं। प्रिया अपनी जिंदगी के हर छोटे-बड़े पल की कहानी चंचल से साझा करती, और चंचल उसकी खुशहाल जिंदगी देखकर बेहद खुश थी।

फिर साल 2015 आया, जो प्रिया और अमित के रिश्ते में एक नए अध्याय का गवाह बना। दोनों ने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर ली। यह शादी प्रिया के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। शादी के बाद, प्रिया ने मेरठ के खरखौदा थाना क्षेत्र की काशीराम कॉलोनी में काशीराम आवास योजना के तहत एक छोटा सा घर खरीद लिया। वह और अमित अपनी बेटी वंशिका के साथ उस घर में रहने लगे।

वक्त गुजरता गया, और देखते ही देखते पांच साल बीत गए। प्रिया की जिंदगी अब स्थिर और खुशहाल थी। वह अपने संघर्षों को पीछे छोड़कर, अपनी बेटी और पति के साथ हर दिन को एक नई उम्मीद और खुशी के साथ जी रही थी।

प्रिया के गायब होने का पहला शक

2020 की शुरुआत में, अमित गुर्जर मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र के भोड़ बराल इलाके में अपने नए घर का निर्माण करा रहा था। यह घर अमित खुद के पैसों से बनवा रहा था, क्योंकि जिस घर में वे रह रहे थे, वह प्रिया ने खरीदा था। फरवरी के महीने में, लॉकडाउन से ठीक पहले, प्रिया, अमित, और उनकी बेटी वंशिका ने अपने नए घर में शिफ्ट कर लिया। नए घर में यह उनकी जिंदगी की एक नई शुरुआत थी, लेकिन शायद किसी तूफान की आहट भी छिपी हुई थी।

फिर देशभर में लॉकडाउन लग गया। चारों तरफ सन्नाटा और बंदिशें थीं। इस दौरान प्रिया अपनी सहेली चंचल से लगातार बात करती रही। दोनों सहेलियों के बीच हर रोज फोन पर लंबी बातचीत होती। लेकिन 28 मार्च की सुबह, 11:36 बजे, प्रिया ने चंचल को आखिरी बार फोन किया। करीब 20 मिनट तक उनकी बात हुई, लेकिन बातचीत के बीच अचानक फोन कट गया। यह आखिरी बार था जब चंचल ने प्रिया की आवाज सुनी थी।

अगले दिन, 29 मार्च को, जब चंचल ने प्रिया को फोन किया, तो उसका फोन नहीं उठा। यह बात चंचल को परेशान करने लगी, क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। प्रिया कभी चंचल के फोन को इग्नोर नहीं करती थी। अगर कभी काम में व्यस्त होने के कारण फोन नहीं उठा पाती, तो खुद बाद में कॉल करके बात करती थी। लेकिन इस बार प्रिया की ओर से कोई कॉल भी नहीं आया।

चंचल के पास अमित का नंबर था। उसने उसे फोन किया। अमित ने कहा, “मैं किसी काम से बाहर हूं। जब शाम को घर जाऊंगा, तो प्रिया से तुम्हारी बात करा दूंगा।” लेकिन प्रिया का फोन न उठाना और अमित की यह बात, चंचल के दिल में घबराहट पैदा करने लगी। लॉकडाउन के कारण वह प्रिया के घर भी नहीं जा सकती थी। हालांकि उनके घरों के बीच सिर्फ 12 किमी की दूरी थी, लेकिन चंचल को प्रिया के नए घर का सटीक पता भी नहीं पता था। उसे बस इतना मालूम था कि प्रिया का नया घर परतापुर इलाके में है।

शाम का इंतजार करते हुए, चंचल ने 5:08 बजे फिर अमित को फोन किया। इस बार अमित ने कहा, “प्रिया और मेरे बीच झगड़ा हुआ है। वह तुमसे बात नहीं करना चाहती।” यह बात चंचल को बेहद अजीब लगी। अगर प्रिया और अमित के बीच झगड़ा हुआ होता, तो प्रिया इसे चंचल से जरूर साझा करती। लेकिन अमित का कहना था कि प्रिया उससे बात करने से मना कर रही है।

अमित ने प्रिया को आवाज भी लगाई और कहा, “तुम्हारी दोस्त चंचल का फोन है।” लेकिन प्रिया ने बात करने से मना कर दिया। चंचल ने अमित की आवाज तो सुनी, लेकिन उसने प्रिया की बात करने से इनकार करने वाली आवाज नहीं सुनी। यही बात चंचल को खटकने लगी। उसकी चिंता तब और बढ़ गई, जब उसने पाया कि प्रिया ने उसका नंबर ब्लैकलिस्ट कर दिया है।

जब चंचल बार-बार अमित को फोन करने लगी, तो अमित गुस्से में आकर बोला, “प्रिया अपनी बेटी को लेकर घर छोड़कर चली गई है। हमारे बीच झगड़ा हुआ था, और गुस्से में उसने मुझ पर चाकू से वार कर दिया। इसके बाद वह वंशिका को लेकर घर से भाग गई। मुझे नहीं पता कि वह अब कहां है।”

यह सुनकर चंचल के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह विश्वास नहीं कर पा रही थी कि उसकी सहेली, जिसने हर मुश्किल वक्त में उससे बात की, अचानक इतनी बड़ी बात उससे छिपा लेगी। क्या सचमुच प्रिया ने ऐसा किया था? या फिर इस कहानी के पीछे कोई और सच्चाई थी? चंचल के मन में सवालों का तूफान उठ खड़ा हुआ।

31 मार्च को प्रिया ने चंचल को व्हाट्सएप पर एक मैसेज किया। उसने लिखा, “गलती से मम्मी ने पापा पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे उन्हें चोट लग गई। इसलिए हम लोग घर से कुछ पैसे लेकर भाग आए हैं। लेकिन आप हमें ढूंढने की कोशिश मत करना।” इस मैसेज ने चंचल को असमंजस में डाल दिया। प्रिया की बातों से वह ज्यादा कुछ समझ नहीं पा रही थी, लेकिन उसे इतनी राहत थी कि कम से कम प्रिया और उसकी बेटी सुरक्षित थीं।

फिर 5 अप्रैल को चंचल के फोन पर एक बैंक अकाउंट से ₹55,000 निकाले जाने का नोटिफिकेशन मैसेज आया। यह अकाउंट प्रिया का था, लेकिन नोटिफिकेशन के लिए उसने चंचल का नंबर बैंक में दिया हुआ था। इस मैसेज को देखकर चंचल को थोड़ी राहत महसूस हुई। उसने सोचा, “अगर प्रिया ने पैसे निकाले हैं, तो इसका मतलब है कि वह जहां भी है, सुरक्षित है।”

लेकिन समय बीतता गया। 28 मार्च को प्रिया और उसकी बेटी वंशिका गायब हुई थीं। जब 15 अप्रैल तक उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया, तो चंचल ने परेशान होकर परतापुर पुलिस स्टेशन में एप्लीकेशन दी। पुलिस में उसने प्रिया को अपनी कजिन बहन बताया ताकि मामला गंभीरता से लिया जाए। उसने पुलिस को बताया, “प्रिया अपने पति अमित गुर्जर और बेटी वंशिका के साथ रहती थी। लेकिन 28 मार्च को, प्रिया और वंशिका अचानक गायब हो गईं।”

इसके बाद पुलिस ने अमित को थाने बुलाकर पूछताछ की। अमित ने पुलिस के सामने वही कहानी दोहराई जो उसने पहले चंचल को बताई थी। उसने कहा, “प्रिया ने गुस्से में मुझ पर चाकू से हमला किया और फिर घर से भाग गई।” अमित ने अपनी कलाई पर लगे चाकू के निशान भी पुलिस को दिखाए। इस पर पुलिस ने अमित को क्लीन चिट दे दी।

चंचल रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद अपने घर लौट आई थी, लेकिन उसकी बेचैनी कम नहीं हुई। उसने कई बार परतापुर थाने में फोन करके पुलिस से प्रिया और वंशिका के बारे में पता लगाने की गुहार लगाई। लेकिन पुलिस ने इस मामले पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि पुलिस वाले उल्टा चंचल को डांटने लगे। उन्होंने कहा, “तुम्हारा उससे क्या लेना-देना है? तुम क्यों इतनी परेशान हो?”

चंचल के लिए यह सब सहन करना मुश्किल हो रहा था। उसकी सहेली, जिसे वह अपनी बहन मानती थी, कहीं गायब थी, और पुलिस का यह रवैया उसकी चिंता और बढ़ा रहा था। क्या प्रिया और वंशिका सुरक्षित थीं? क्या अमित सच बोल रहा था, या इसके पीछे कोई और राज छिपा था? चंचल के मन में अनगिनत सवाल थे, लेकिन जवाब कहीं नजर नहीं आ रहे थे।

शैतान पुलिस की सच्चाई

पुलिस प्रिया की तलाश करने के बजाय चंचल को परेशान करने लगी। एक पुलिसकर्मी ने रात में चंचल को कॉल करके उसे अश्लील बातें कीं, लेकिन चंचल ने उन सभी कॉल्स को रिकॉर्ड कर लिया। उधर, जब भी चंचल प्रिया के बारे में अमित गुर्जर से पूछने के लिए फोन करती, तो वह उल्टा चंचल पर चिल्लाने लगता। अमित ने चंचल पर आरोप लगाया कि उसकी वजह से ही प्रिया घर छोड़कर गई है और धमकी दी कि वह उसकी और प्रिया की सारी बातों को सबके सामने उजागर कर देगा। चंचल को डराने की कोशिश करते हुए अमित ने उसे बार-बार फोन न करने की धमकी दी।

2 जून को स्थिति और बिगड़ गई, जब पुलिस चंचल के घर पर आकर हंगामा करने लगी। पुलिस ने मोहल्ले के सामने सवाल उठाए कि वह प्रिया को ढूंढने में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रही है और उसका प्रिया से क्या संबंध है। पुलिस की इन हरकतों ने चंचल को समाज की आलोचनात्मक नजरों का शिकार बना दिया। मोहल्ले के लोग उसे ऐसे देखने लगे जैसे वह कोई गलत काम कर रही हो। लेकिन इन सबसे बेपरवाह, चंचल अपनी सहेली प्रिया को ढूंढने के लिए लगातार कोशिश करती रही।

इसी बीच, चंचल की मुलाकात मनीष लोहिया नाम के एक प्रभावशाली व्यक्ति से हुई। मनीष लोहिया बजरंग दल, आरएसएस, और अन्य संगठनों में सक्रिय थे। पहले तो उन्होंने चंचल की बातों को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन चंचल ने बार-बार उनसे संपर्क किया। आखिरकार, मनीष लोहिया ने उसकी बात सुनी, और चंचल ने उन्हें पूरी घटना विस्तार से बताई।

14 जुलाई को मनीष लोहिया और चंचल मेरठ के एसएसपी से मिले और उन्हें पूरी घटना की जानकारी दी। चंचल ने यह भी बताया कि प्रतापपुर थाने के एसएचओ और अन्य पुलिसकर्मी उसे परेशान कर रहे थे और रात में फोन कर अश्लील बातें करते थे। एसएसपी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत क्राइम ब्रांच की एक टीम गठित की।

क्राइम ब्रांच ने सबसे पहले अमित गुर्जर को गिरफ्तार किया और उससे सख्ती से पूछताछ शुरू की। हालांकि, अमित ने शुरुआत में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। लेकिन लगातार पुलिस की सख्ती के आगे, आखिरकार 22 जुलाई को अमित टूट गया। उसने अपनी पत्नी प्रिया और बेटी वंशिका के ठिकाने का खुलासा कर दिया।

पत्नी प्रिया और बेटी वंशिका की हत्या

चंचल को पहले से ही शक था कि अमित ने प्रिया और उसकी बेटी को या तो मार दिया है या कहीं बेच दिया है। 22 जुलाई 2020 को, लॉकडाउन के दौरान, क्राइम ब्रांच की पुलिस मेरठ के प्रतापपुर थाना क्षेत्र में अमित गुर्जर के अंडर-कंस्ट्रक्शन घर पर पहुंची। यह घर काफी हद तक तैयार था, लेकिन अभी पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ था। पुलिस के साथ कई मजदूर भी वहां मौजूद थे। सबसे पहले पुलिस ने घर के मुख्य गेट पर लगे ताले को तोड़ा और अंदर दाखिल हुई। फिर, लिविंग रूम के बाद के एक बेडरूम का ताला खोला गया।

बेडरूम के अंदर सोफा सेट और बेड रखा हुआ था। मजदूरों ने कमरे को खाली किया और विनाइल फ्लोरिंग के नीचे खुदाई शुरू की। लॉकडाउन के कारण अधिकांश लोग अपने घरों में थे, लेकिन घर के अंदर से आ रही तोड़फोड़ की आवाजों ने पड़ोसियों को बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया। लोग यह देखने के लिए इकट्ठा हो गए कि पुलिस वहां क्या कर रही है।

पुलिस की देखरेख में मजदूरों ने घंटों खुदाई की। करीब 7-8 फीट गहराई तक खुदाई करने के बाद, गड्ढे के अंदर से दो अलग-अलग मानव कंकाल बरामद हुए, जो पूरी तरह नमक में लिपटे हुए थे। इन हड्डियों को निकालकर फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया। इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।

लेकिन इस बीच एक और चौंकाने वाली घटना हुई—पुलिस कस्टडी में मौजूद अमित फरार हो गया। हालांकि, उसी रात पुलिस ने अमित को पकड़ने में कामयाबी पाई। फरारी के दौरान, अमित के पास पिस्तौल थी, और उसने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में नूरनगर मोड़ पर अमित के दोनों पैरों में चार गोलियां मारीं, जिसके बाद वह गिर पड़ा। उसे तुरंत गिरफ्तार करके अस्पताल में भर्ती कराया गया।

अस्पताल में हुई पूछताछ के दौरान, अमित ने स्वीकार किया कि उसने ही अपनी पत्नी प्रिया और बेटी वंशिका की हत्या की थी। लेकिन यह रहस्य अब भी बना हुआ था—आखिर अमित ने यह घिनौना अपराध क्यों किया?

शमशाद खान कैसा बना अमित गुर्जर

अमित गुर्जर और चंचल के बयान के अनुसार, 2015 में प्रिया और अमित गुर्जर ने शादी की थी। शादी के बाद दोनों मेरठ की काशीराम कॉलोनी में मकान लेकर रहने लगे। लेकिन कुछ समय बाद, अमित का व्यवहार अचानक बदलने लगा, और प्रिया को कुछ अजीब बातें महसूस होने लगीं। हर शुक्रवार को अमित विशेष रूप से तैयार होकर बाहर चला जाता था। शुरू में यह सामान्य लगा, लेकिन बाद में अमित ने प्रिया से कहा कि उनकी बेटी को उर्दू पढ़नी चाहिए और प्रिया को भी सिर ढकने की आदत डालनी चाहिए। प्रिया, जो साईं बाबा की भक्त थी, उनकी पूजा करती थी, लेकिन अमित ने उसे यह करने से रोकना शुरू कर दिया।

प्रिया को अमित के व्यवहार में यह बदलाव असामान्य लगा, और उसने उसके बारे में जानने की कोशिश की। एक दिन उसने मौका पाकर अमित के डॉक्यूमेंट्स और आधार कार्ड चेक किए। यह देखकर प्रिया चौंक गई कि अमित गुर्जर का असली नाम शमशाद था। उसने अपनी असली पहचान छिपाकर प्रिया से शादी की थी। अब प्रिया समझ चुकी थी कि हर शुक्रवार को अमित नमाज पढ़ने के लिए जाता था।

2018 में यह सच्चाई सामने आने के बाद प्रिया ने अपनी दोस्त चंचल को भी इसके बारे में बताया। प्रिया ने शमशाद से इस झूठ के बारे में पूछा, जिस पर वह प्रिया और उसकी बेटी वंशिका के सामने रोने-गिड़गिड़ाने लगा और माफी मांगने लगा। अपनी बेटी और समाज में बदनामी के डर से प्रिया ने उसे माफ कर दिया। लेकिन अब शमशाद अपनी असली पहचान छिपाने की जरूरत महसूस नहीं करता था। उसने प्रिया पर दबाव डालना शुरू कर दिया कि वह पूजा न करे और उसके बताए अनुसार कपड़े पहने। अगर प्रिया इसका विरोध करती, तो शमशाद उसे मारने-पीटने लगता।

यह हिंसा धीरे-धीरे बढ़ती गई। 2019 में, शमशाद की इस मारपीट और दबाव से तंग आकर प्रिया ने खरखौदा पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

शमशाद का असली चेहरा उससे कहीं अधिक खतरनाक था

शमशाद ने पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते हुए प्रिया से माफी मांगी, और प्रिया के प्यार और उसके विश्वास के कारण उसने उसे एक बार फिर माफ कर दिया। प्रिया ने अपनी शिकायत वापस ले ली, लेकिन शमशाद की हरकतें यहीं खत्म नहीं हुईं। प्रिया को धीरे-धीरे यह अहसास हुआ कि शमशाद का असली चेहरा उससे कहीं अधिक खतरनाक था। वह अक्सर काम का बहाना बनाकर कई-कई दिनों तक घर से गायब रहता था। इन्हीं दिनों प्रिया को पता चला कि शमशाद पहले से शादीशुदा था और उसकी पहली पत्नी का नाम अफसाना था। इसके अलावा, शमशाद के तीन बच्चे भी थे, जिनके बारे में उसने प्रिया को कभी कुछ नहीं बताया।

फरवरी 2020 में, शमशाद ने काशीराम आवास योजना के तहत मिला घर, जिसे प्रिया ने अपने नाम पर खरीदा था, फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेच दिया। प्रिया को इस बारे में कुछ भी पता नहीं चला। शमशाद ने न केवल घर बेचा, बल्कि प्रिया के बैंक अकाउंट को भी अपने नियंत्रण में रखा।

पुलिस ने 28 मार्च 2020 की रात के बारे में पूछताछ की तो शमशाद ने खुलासा किया कि उस रात भी प्रिया और उसके बीच झगड़ा हुआ था। रात के करीब 10 बजे, जब प्रिया सब्जी काट रही थी, उसने गुस्से में आकर शमशाद की कलाई पर चाकू से हल्का वार कर दिया। प्रिया को तुरंत अपनी गलती का अहसास हुआ, लेकिन शमशाद गुस्से में पागल हो चुका था। उसने प्रिया का गला पकड़कर इतना जोर से दबाया कि उसकी सांस रुक गई और कुछ ही मिनटों में वह मर गई। उसी कमरे में 10 साल की मासूम वंशिका सो रही थी। शमशाद ने तकिए से उसका मुंह दबाकर उसे भी मार डाला।

उस बच्ची को, जो उसे “पापा” कहती थी और जिसे वह हर दिन स्कूल छोड़ने जाता था, शमशाद ने बेरहमी से खत्म कर दिया। इस जघन्य अपराध के बाद, उसने शराब पी और सोचना शुरू किया कि शवों को कैसे ठिकाने लगाया जाए। लॉकडाउन के समय, बाहर पुलिस की कड़ी निगरानी थी, जिससे वह शवों को नहर में फेंकने का प्लान रद्द कर देता है। उसने कई क्राइम शो देखे और “दृश्यम” फिल्म के एक सीन से प्रेरित होकर एक योजना बनाई।

शमशाद ने अपने घर के बेडरूम में खुदाई शुरू की। लॉकडाउन के कारण घर में किसी के आने का खतरा नहीं था, और कंस्ट्रक्शन का काम पहले से ही बंद था। उसने 7-8 फीट गहरा गड्ढा खोदा, शवों को उसमें डालने से पहले 20 पैकेट नमक खरीदकर उनके ऊपर डाला, ताकि शव जल्दी से गल जाएं। इसके बाद उसने गड्ढे को मिट्टी और सीमेंट से भर दिया, ऊपर से विनाइल मैट बिछाकर उस पर सोफा और बेड रख दिया।

इन अपराधों के बाद, शमशाद सामान्य रूप से अपनी जिंदगी जीता रहा और उसी बेड पर सोता रहा, जिसके नीचे उसने प्रिया और वंशिका के शव दफनाए थे। बाद में यह भी सामने आया कि कत्ल से कुछ दिन पहले शमशाद की पहली पत्नी अफसाना और उसका साला दिलावर भी घर पर आए थे। इन सभी घटनाओं ने इस अपराध की भयावहता को और बढ़ा दिया।

प्रिया और अफसाना के बीच 2 लाख रुपये के लेनदेन को लेकर झगड़ा हुआ था, जो इस जघन्य हत्या का कारण बना। हत्या के बाद, अफसाना और उसका भाई दिलावर बिहार लौट गए। जब शमशाद की गिरफ्तारी के बाद इस घटना का खुलासा हुआ, तो पुलिस ने बिहार जाकर अफसाना और दिलावर को भी गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों पर सबूत मिटाने का आरोप था।

फॉरेंसिक जांच के लिए प्रिया की मां का खून का नमूना लिया गया, जिससे डीएनए टेस्ट में पुष्टि हुई कि बरामद हड्डियां प्रिया और उसकी बेटी वंशिका की ही थीं। पुलिस ने शमशाद के साथ जमीन में गाड़े गए प्रिया के मोबाइल और घड़ी को भी बरामद किया।

घटना के बाद, जनता में शमशाद को फांसी की सजा की मांग जोर पकड़ने लगी। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि प्रिया की दोस्त चंचल ने घटना का खुलासा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चंचल ने पुलिस द्वारा उसे परेशान किए जाने की वॉइस रिकॉर्डिंग मीडिया को दी, जो वायरल हो गई। इसके चलते कुछ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया, जिन पर आरोप था कि वे शमशाद से रिश्वत लेकर मामले को दबा रहे थे।

पुलिस ने शमशाद के साथी नकुल शर्मा को भी गिरफ्तार किया, जिसने सबूत मिटाने में शमशाद की मदद की थी। इसके अलावा, शमशाद, अफसाना, दिलावर और नकुल के साथ दो-तीन अन्य लोगों को भी पुलिस ने पकड़ा। कोर्ट ने अफसाना और दिलावर की जमानत याचिका खारिज कर दी क्योंकि यह माना गया कि 7 फीट गहरा गड्ढा अकेला शमशाद नहीं खोद सकता था। इसमें अन्य लोगों की मदद भी शामिल थी।

चंचल, जिसने प्रिया के लिए दोस्ती का फर्ज निभाया, अब पुलिसवालों और शमशाद से खतरा महसूस कर रही थी। उसके साहस और पुलिस को दी गई जानकारी की वजह से ही इस हत्या का खुलासा हुआ। अगर चंचल ने प्रिया की खोजबीन नहीं की होती, तो शायद यह मामला कभी सामने ही नहीं आता, क्योंकि प्रिया के परिवार वालों ने पहले ही उससे संबंध तोड़ लिया था।

पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में पेश किया। अब उन्हें कानून के तहत सजा मिलेगी।

घटना से मिलने वाली सीख और जागरूकता

यह घटना हमें बताती है कि सच छिपाने वाले अपराधी कितनी दूर तक जा सकते हैं। साथ ही, यह भी दिखाती है कि एक सच्चा दोस्त किसी के जीवन में कितना महत्वपूर्ण होता है। यह कहानी हमें सतर्क और जागरूक रहने का संदेश देती है।

आपकी राय में, इस मामले में मुख्य आरोपी शमशाद और उसके सहयोगियों को क्या सजा मिलनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें।

अगर यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इस पोस्ट को दूसरों के साथ शेयर करें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top