25 जुलाई 2017 को यमन के शहर एडेन में पुलिस ने केरला की रहने वाली निमिष प्रिया और उनकी दोस्त हन्नान को अब्दु महदी नाम के दलाल की बेरहमी से हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। यह मामला इतना खौफनाक था कि इंटरनेशनल मीडिया में तहलका मच गया। खबर थी कि केरला की एक नर्स ने यमन में अपने पति तलाल मेहदी की हत्या कर उसके टुकड़े पानी की टंकी में छुपा दिए।
यह चौंकाने वाली खबर जब केरला के इडुक्की जिले के थोडुपुझा में रहने वाले टॉमी थॉमस ने सुनी, तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। न्यूज़ में जिस मलयाली महिला का ज़िक्र हो रहा था, वह उनकी पत्नी निमिष प्रिया थीं, जो कई सालों से यमन में थीं। थॉमस हैरान थे कि उनकी पत्नी पर यह आरोप कैसे लग सकता है, जबकि वह खुद इंडिया में सही-सलामत थे। उन्होंने तुरंत निमिष से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ था।
न्यूज़ में जो खबरें आ रही थीं, वह चौंकाने वाली थीं। सवाल उठ रहा था कि तलाल मेहदी कौन था और उसका निमिष से क्या रिश्ता था? इस घटना ने थॉमस और उनकी 5 साल की बेटी मिशल की जिंदगी में तूफान ला दिया।
इस केस ने लंबा सफर तय किया। निमिष को गिरफ्तार किए जाने के एक साल बाद, 2018 में यमन की कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया और 2020 में फांसी की सजा सुना दी। साल 2023 में यमन के सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल ने उनकी अपील खारिज कर सजा को बरकरार रखा।
निमिष ने इंसाफ की उम्मीद में सालों तक संघर्ष किया, लेकिन दुर्भाग्य से 30 दिसंबर 2024 को यमन के राष्ट्रपति रशद अल अलीमी ने उनकी मर्सी पिटीशन भी खारिज कर दी और फांसी की तारीख तय कर दी।
केरला के पाला में जन्मी निमिष प्रिया यमन में एक नर्स के रूप में अपने सपनों को पूरा करने गई थीं। शुरूआत में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन बीते वक्त ने उनके जीवन को इस कदर पलट दिया कि एक नर्स से वह कातिल बन गईं और फांसी के तख्ते तक पहुंच गईं। आखिर ऐसा क्या हुआ जो उनका यह खौफनाक अंजाम बना?
एक गरीब परिवार से यमन की जमीन तक: निमिष प्रिया की अद्भुत और पेचीदा कहानी
निमिष प्रिया का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ, जहां उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे। बचपन से ही होशियार निमिष की पढ़ाई का खर्च लोकल चर्च ने उठाया, जिसने उन्हें स्कूल एजुकेशन और नर्सिंग डिप्लोमा कोर्स के लिए फाइनेंस किया। हालांकि, स्कूल एग्जाम्स में असफलता के कारण निमिष को केरला में नर्सिंग की नौकरी नहीं मिल पा रही थी। बड़े सपनों के साथ, मात्र 19 साल की उम्र में, साल 2008 में निमिष ने केरला छोड़ यमन का रुख किया।
यमन जाने से पहले उन्होंने अपनी मां से वादा किया था कि उनके बुरे दिन जल्द ही खत्म हो जाएंगे। यमन पहुंचने के बाद, निमिष ने सना के एक सरकारी अस्पताल में नर्स के रूप में काम शुरू किया। उनकी नौकरी ने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना शुरू कर दिया।
साल 2011 में, निमिष की फैमिली ने उनकी शादी केरला के इडुक्की में रहने वाले टॉमी थॉमस से तय कर दी, जो पेशे से ऑटो रिक्शा ड्राइवर थे। शादी के एक साल बाद, 2012 में, थॉमस भी निमिष के साथ यमन चला गया। वहां, निमिष ने सना के एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी शुरू की, जबकि थॉमस ने इलेक्ट्रिशियन असिस्टेंट के रूप में काम करना शुरू किया।
दिसंबर 2012 में, उनकी एक बेटी का जन्म हुआ। लेकिन नई जिम्मेदारियों और बढ़ते खर्चों ने उनकी जिंदगी को मुश्किल बना दिया। थॉमस की कमाई पर्याप्त नहीं थी, इसलिए अप्रैल 2014 में वह अपनी बेटी के साथ वापस केरला लौट गया और वहां ऑटो रिक्शा चलाने लगा।
यमन में, निमिष अपने पेशे में माहिर और लोगों के साथ अच्छे व्यवहार के लिए जानी जाती थीं। उनके मरीज और सहकर्मी उनके स्वभाव की तारीफ करते नहीं थकते। उन्हें विश्वास था कि यमन में अपना खुद का क्लीनिक खोलकर वह अपने परिवार और बेटी को बेहतर जिंदगी दे सकती हैं। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने अपने पति थॉमस से चर्चा की।
निमिष ने सुझाव दिया कि क्लीनिक खोलने के लिए उन्हें एक स्थानीय यमनी नागरिक को बिज़नेस पार्टनर बनाना होगा। उन्होंने इस काम के लिए तलाल अब्दो मेहदी का नाम सुझाया। तलाल की कपड़ों की दुकान उसी अस्पताल के पास थी, जहां निमिष काम करती थीं। उनकी और तलाल की पहचान ठीक-ठाक थी। तलाल की पत्नी की डिलीवरी भी उसी अस्पताल में हुई थी।
निमिष ने सोचा था कि तलाल की मदद से लाइसेंस प्राप्त करना और क्लीनिक स्थापित करना आसान होगा। लेकिन उनके इस प्लान की भनक उनके अस्पताल के मालिक, अब्दुल लतीफ, को लग गई। यहीं से उनकी जिंदगी ने एक ऐसा मोड़ लिया, जिसने उनके भविष्य को हमेशा के लिए बदल दिया।
अल अमन मेडिकल क्लीनिक: सपने का साकार होना और रिश्तों का बदलता समीकरण
जब अब्दुल लतीफ को पता चला कि निमिष प्रिया अपना खुद का क्लीनिक खोलने की योजना बना रही हैं, तो वह गुस्से से आगबबूला हो गया। पहले उसने निमिष के साथ जमकर झगड़ा किया, लेकिन बाद में 33% शेयर के बदले क्लीनिक में पैसे इन्वेस्ट करने के लिए तैयार हो गया। वहीं, थॉमस ने भी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से करीब ₹1 लाख का उधार लेकर क्लीनिक के लिए फंड का इंतजाम किया।
पैसों की व्यवस्था होने के बाद, निमिष ने तलाल को साफ कर दिया कि अब उन्हें लाइसेंस और फंडिंग के लिए उसकी मदद की जरूरत नहीं है। हालांकि, क्लीनिक सेटअप में तलाल की सहायता ली गई, और उसने इसमें पूरा सहयोग दिया। क्लीनिक का काम तेजी से आगे बढ़ रहा था, और इस दौरान तलाल थॉमस और निमिष के परिवार के करीब आ गया। वह अक्सर थॉमस को 14 बेड वाले क्लीनिक की तस्वीरें भेजता, जिसे उन्होंने “अल अमन मेडिकल क्लीनिक” नाम दिया था।
साल 2014 में, निमिष और थॉमस का सपना साकार हुआ। क्लीनिक शुरू होते ही अच्छा मुनाफा कमाने लगा। थॉमस के अनुसार, उनका क्लीनिक प्रति दिन लगभग $1000 का राजस्व उत्पन्न कर रहा था। यह सफलता उनके जीवन में खुशियों की नई रोशनी लेकर आई।
जनवरी 2015 में, निमिष अपनी बेटी के बपतिस्मा के लिए केरला लौट आई। इस बार, तलाल भी उनके साथ छुट्टियां बिताने और इंडिया घूमने आ गया। थॉमस के लिए यह गर्व और खुशी का मौका था। उसने तलाल का स्वागत दिल खोलकर किया। तलाल को अपने घर में ठहराने से लेकर घूमाने-फिराने तक, थॉमस ने उसे खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
तलाल इतने कम समय में परिवार का हिस्सा बन गया था कि उसे थॉमस और निमिष की जिंदगी और घर से जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी पता थीं। यह नजदीकियां परिवार के बीच गहराई का संकेत थीं। लेकिन यह समीकरण आगे चलकर उनके जीवन में अप्रत्याशित बदलाव लेकर आने वाला था।
एक महीने के स्टे के बाद, 9 फरवरी 2015 को, तलाल और निमिष वापस यमन लौट गए। इस विदाई के साथ, उनकी जिंदगी में जो शुरू हुआ था, वह किसी को भी भविष्य में होने वाली घटनाओं का अंदाजा नहीं दे सकता था।
सिविल वॉर के बीच बढ़ता लालच और धोखा: निमिष प्रिया की जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़
जिंदगी पटरी पर लौट ही रही थी कि एक महीने बाद यमन में सिविल वॉर छिड़ गया। हालात तेजी से बिगड़ने लगे। अगले दो महीनों में भारत सरकार ने 46 भारतीयों और 1000 विदेशी नागरिकों को यमन से सुरक्षित बाहर निकाला। लेकिन निमिष उन गिने-चुने भारतीयों में से थी, जिन्होंने यमन छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने हाल ही में क्लीनिक खोलने के लिए काफी कर्ज लिया था और इतने बड़े इन्वेस्टमेंट को छोड़कर जाना उनके लिए संभव नहीं था।
सिविल वॉर के चलते भारत सरकार ने यमन के लिए नए वीजा अप्रूवल पर रोक लगा दी। नतीजतन, थॉमस अपनी बेटी के साथ चाहकर भी यमन नहीं जा सका। अब निमिष यमन में तलाल के सहारे थी, जबकि उसका पति और बेटी भारत में। यही वह मोड़ था, जहां से निमिष की जिंदगी एक अंधकारमय रास्ते की ओर बढ़ने लगी।
क्लीनिक की बढ़ती कमाई ने तलाल के मन में लालच भर दिया। उसे लगने लगा कि मुनाफे में उसका भी बराबर का हिस्सा होना चाहिए। वह जानता था कि निमिष यमन में केवल उसी पर निर्भर है और उस पर भरोसा करती है। तलाल ने इसी भरोसे का फायदा उठाना शुरू कर दिया।
सबसे पहले, उसने क्लीनिक के लिए खरीदी गई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में अपना नाम दर्ज करा लिया। इसके बाद, कागजी कार्यवाही में हेरफेर कर खुद को क्लीनिक का 33% शेयरहोल्डर बना लिया। इस धोखाधड़ी की भनक अभी तक निमिष को नहीं लगी थी।
तलाल का लालच यहीं नहीं रुका। उसने क्लीनिक के कैशियर को कहकर निमिष के हिस्से का मुनाफा अपने पास रखना शुरू कर दिया। उसने क्लीनिक के स्टाफ से यह झूठ फैलाना शुरू कर दिया कि निमिष उसकी पत्नी है। जब निमिष को इसकी जानकारी हुई, तो वह तलाल पर भड़क उठी और उसकी घटिया हरकतों पर सवाल खड़े किए। लेकिन तलाल ने इसे उसकी भलाई का बहाना बताते हुए कहा कि यह सब उसने इसलिए किया ताकि उसे “सिंगल वुमन” समझकर कोई परेशान न करे।
हालांकि, मामला यहीं नहीं रुका। तलाल ने क्लीनिक के प्रबंधन में अपनी दखलंदाजी बढ़ा दी, मानो क्लीनिक उसी का हो और निमिष उसकी पत्नी। वह हर महीने का प्रॉफिट अपने पास रखता और सभी महत्वपूर्ण फैसले खुद लेने लगा। यहां तक कि स्टाफ भी यही मानने लगा था कि तलाल ही निमिष का पति है।
दरअसल, तलाल यह सब सोची-समझी योजना के तहत कर रहा था। जब वह निमिष के घर केरला में रुका था, तब उसने थॉमस और निमिष की शादी के एल्बम से एक फोटो चुरा ली थी। उसने इस फोटो को मॉर्फ कर थॉमस की जगह अपना चेहरा लगा लिया और इसी के आधार पर यमन में एक फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट बनवा लिया।
यह धोखा और लालच न केवल निमिष की व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी को बर्बाद कर रहा था, बल्कि इसे उसकी जिंदगी के सबसे बड़े तूफान की ओर धकेल रहा था।
कानून का फंदा और तलाल का आतंक: कैद में तब्दील होती निमिष प्रिया की जिंदगी
यमन के कानून के अनुसार, फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर अब निमिष प्रिया तलाल की कानूनी पत्नी बन चुकी थी। तलाल के पास न केवल लोकल सपोर्ट था, बल्कि फर्जीवाड़े से उसने यमन का कानून भी अपने पक्ष में कर लिया था। निमिष की हालत उस पक्षी जैसी हो गई थी, जो एक ऐसे पिंजरे में फंस गया हो, जिसमें कोई दरवाजा नहीं।
2016 तक हालात बद से बदतर हो चुके थे। तलाल अब खुलेआम हॉस्पिटल स्टाफ के सामने निमिष को मारता-पीटता और उसके साथ बदसलूकी करता था। आखिरकार, तंग आकर निमिष ने सना के पुलिस स्टेशन में तलाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। लेकिन यमन के कानून के मुताबिक, पुलिस ने इसे “अशांति फैलाने” का मामला बताया और दोनों को ही 6 दिन के लिए जेल में डाल दिया।
जेल से छूटने के बाद, तलाल ने फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट इस जालसाजी को पहचान नहीं पाई और इस दस्तावेज़ को मान्यता देते हुए दोनों को रिहा कर दिया। इस घटना के बाद, तलाल को अहसास हो गया कि अब तो कानून भी उसके पक्ष में है। उसने इसका फायदा उठाते हुए निमिष पर और ज्यादा अत्याचार करना शुरू कर दिया।
निमिष सना में एक किराए के घर में रहती थी, लेकिन वहां तलाल अक्सर नशे में आता और उसके साथ मारपीट करता। वह जबरन शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करता, और जब निमिष विरोध करती, तो बेरहमी से उसे पीटता। कई बार वह अपने दोस्तों को भी साथ लाता और निमिष को उनके साथ रात बिताने के लिए मजबूर करता। जब निमिष मना करती, तो उसे बुरी तरह से घायल कर देता।
तलाल के अत्याचार से तंग आकर निमिष को कई बार अपनी जान बचाने के लिए घर से भागना पड़ता। यमन जैसे देश में, जहां शायद ही कोई महिला रात में सड़कों पर दिखाई देती हो, निमिष अपनी इज्जत और जिंदगी बचाने के लिए रातभर भटकती रहती।
तलाल को डर था कि कहीं निमिष देश छोड़कर न चली जाए। इसलिए उसने उसका पासपोर्ट भी छीनकर अपने कब्जे में ले लिया था। अब निमिष न सिर्फ कानून, बल्कि तलाल के शिकंजे में भी पूरी तरह कैद हो चुकी थी। उसकी जिंदगी एक ऐसी अंधेरी सुरंग में जा चुकी थी, जहां रोशनी की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी।
तलाल की मौत: एक अनचाहा अंत और हालात की त्रासदी
निमिष प्रिया ने अपने क्लीनिक के बगल में स्टाफ के लिए किराए पर एक घर लिया था, लेकिन तलाल ने उस पर भी कब्जा कर लिया और अपनी पत्नी और बच्चों को वहां ठहरा दिया। तलाल के अत्याचार का दायरा सिर्फ निमिष तक सीमित नहीं था; वह क्लीनिक की महिला स्टाफ के साथ भी बदसलूकी करता था।
निमिष इस पूरी त्रासदी को अकेले ही झेल रही थी। तलाल ने निमिष के हिस्से के सारे पैसे अपने पास रख लिए और उसे गुजारा करने भर के पैसे देता था। निमिष के पास 26 सिम कार्ड्स थे, क्योंकि तलाल बार-बार उसका सिम कार्ड तोड़ देता था, ताकि वह भारत में अपने परिवार से संपर्क न कर सके। बड़ी मुश्किल से छुपते-छुपाते वह थॉमस और अपनी बेटी से बात कर पाती थी। ये कॉल्स अक्सर एक मिनट या उससे कम की होती थीं, और कभी-कभी वह वॉयस नोट्स भेज दिया करती थी।
हालांकि, निमिष जानती थी कि थॉमस चाहकर भी उसकी मदद नहीं कर सकता था। तलाल का क्रिमिनल रिकॉर्ड भी लंबा था। वह कभी निमिष की शिकायत पर तो कभी मनी और लैंड फ्रॉड के कारण कई बार जेल जा चुका था। एक बार कोर्ट ने उसे चार शर्तों पर रिहा किया था—निमिष का पैसा, कार और पासपोर्ट लौटाने और अपने झूठों की माफी मांगने की शर्तें शामिल थीं। लेकिन बाहर आते ही तलाल ने वही हरकतें दोहरानी शुरू कर दीं।
निमिष समझ चुकी थी कि इस नरक से छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका था यमन छोड़कर भारत वापस जाना। लेकिन इसके लिए उसे पासपोर्ट चाहिए था, जो तलाल ने छीनकर अपने पास रख लिया था। लाखों बार रिक्वेस्ट करने के बावजूद, तलाल उसे पासपोर्ट लौटाने के लिए तैयार नहीं था।
एक जोखिमभरा प्लान
जिस जेल में तलाल अक्सर भेजा जाता था, वह निमिष के क्लीनिक के पास थी। उसी जेल का वॉर्डन, जो क्लीनिक में अपना इलाज करवाने आता था, ने निमिष को एक सुझाव दिया। उसने कहा कि अगर निमिष मौका पाकर तलाल को बेहोश कर दे, तो वह उसे ऐसी जगह ले जाएगा, जहां तलाल बताएगा कि पासपोर्ट कहां छिपा रखा है। निमिष को यह प्लान माकूल लगा क्योंकि इसमें किसी को नुकसान पहुंचाने की जरूरत नहीं थी।
प्लान का अनचाहा मोड़
जुलाई 2017 में, तलाल नशे का आदी हो चुका था और अक्सर नशे की हालत में निमिष के घर आता रहता था। एक दिन, जब वह नशे में बेसुध था, निमिष ने मौका देखकर उसे सेडेटिव का इंजेक्शन दे दिया। लेकिन उस दिन इंजेक्शन का उस पर कोई असर नहीं हुआ।
अगले दिन, जब तलाल फिर से नशे में निमिष के घर आया, तो उसने दोबारा उसे सेडेटिव का इंजेक्शन लगाया। कुछ मिनटों बाद, तलाल जमीन पर गिर गया और जोर-जोर से चीखने लगा। लेकिन अचानक उसकी चीखें बंद हो गईं, और उसका शरीर पूरी तरह निष्क्रिय हो गया।
निमिष ने डरते-डरते उसकी नब्ज़ चेक की। तब उसे समझ में आया कि तलाल की मौत हो चुकी है। यह वह अंजाम नहीं था जो निमिष ने सोचा था। उसका इरादा सिर्फ अपना पासपोर्ट वापस पाने का था, लेकिन हालात ने उसे एक ऐसी त्रासदी के सामने ला खड़ा किया, जो उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाली थी।
तलाल की मौत और उसके बाद की त्रासदी
शायद सेडेटिव और ड्रग्स के रिएक्शन के चलते तलाल की मौत हो गई थी। निमिष बुरी तरह से घबरा गई, क्योंकि उसने कभी ऐसी स्थिति की उम्मीद नहीं की थी। उसका मकसद केवल तलाल से पासपोर्ट की जानकारी उगलवाना था, लेकिन अनजाने में वह खुद को एक कातिल की स्थिति में पाती है।
घबराई हुई निमिष ने फौरन अपनी दोस्त हन्नान को आवाज दी। हन्नान एक नर्स थी और निमिष के घर के ग्राउंड फ्लोर पर रहती थी। हन्नान को निमिष की जिंदगी और तलाल के अत्याचारों के बारे में सब कुछ पता था। वह निमिष के मानसिक और शारीरिक कष्टों की गवाह थी। तलाल के अत्याचारों से निमिष को मानसिक आघात और एंग्जायटी अटैक्स आते थे, और इस घटना के बाद उसे गंभीर पैनिक अटैक पड़ने लगे।
बॉडी ठिकाने लगाने की कोशिश
हन्नान ने निमिष को शांत किया और कहा कि उन्हें किसी भी तरह से तलाल की बॉडी को ठिकाने लगाना होगा। हन्नान ने खुद ही तलाल की बॉडी के छोटे-छोटे टुकड़े किए और उन्हें बोरी में भरकर घर की पानी की टंकी में छुपा दिया। चूंकि निमिष ने उस वक्त एंग्जायटी अटैक्स की दवा ली थी, इसलिए उसे उस समय की घटनाओं की पूरी डिटेल्स याद नहीं थी।
इसके बाद, निमिष और हन्नान ने सना शहर छोड़ दिया और 380 किमी दूर एडन शहर में जाकर छुप गए। लेकिन कुछ दिनों बाद, 25 जुलाई 2017 को, यमनी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
पड़ोसियों ने पानी की टंकी से बदबू आने की शिकायत की थी। जब अधिकारियों ने टंकी की जांच की, तो उन्हें वहां तलाल की बॉडी के टुकड़े मिले। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया।
यह मामला मीडिया में छा गया। हर न्यूज़ चैनल पर खबर फैलने लगी कि कैसे केरल की एक नर्स ने अपने पति को टुकड़ों में काटकर मार डाला। इस अफवाह ने मामले को और सनसनीखेज बना दिया।
जब यह खबर थॉमस तक पहुंची, तो वह स्तब्ध रह गया। यह उसके लिए एक भयानक झटका था। उसने अपनी बेटी से संपर्क करने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन न केवल थॉमस बल्कि केरल में उसके किसी भी रिश्तेदार से भी निमिष का संपर्क नहीं हो पा रहा था।
यह त्रासदी निमिष और उसके परिवार के लिए एक अकल्पनीय दुःस्वप्न बन गई।
न्याय से दूर, फांसी के करीब: निमिष की दर्दनाक कहानी
निमिष और हन्नान को सना शहर की जेल भेज दिया गया। कुछ दिनों बाद, निमिष को फोन का एक्सेस मिला जिससे उसने थॉमस से संपर्क किया। लेकिन यमन की कोर्ट में निमिष के खिलाफ चल रही कार्यवाही पक्षपाती और अन्यायपूर्ण थी।
निमिष को न तो कोई लीगल सपोर्ट मिला और न ही एक सक्षम वकील। उसने खुद से कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि तलाल ने फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट के जरिए उसे अपनी पत्नी के रूप में पेश किया था। उसने कोर्ट से अनुरोध किया कि सर्टिफिकेट की वैधता उसके पासपोर्ट से क्रॉस चेक की जाए और पड़ोसियों से पूछताछ कराई जाए, जो तलाल के अत्याचारों की पुष्टि कर सकते थे। लेकिन इन स्पष्ट सबूतों के बावजूद, ट्रायल कोर्ट ने 2018 में निमिष को दोषी ठहराया।
अपील के लिए असाइन किया गया जूनियर वकील अनुभवहीन था और सही तरीके से केस लड़ने में नाकाम रहा। पुलिस इन्वेस्टिगेशन और कोर्ट के कागजात अरबी में थे, जिससे निमिष को यह भी समझ नहीं आता था कि उससे किस बात पर हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं।
एपेक्स कोर्ट में अपील करने के लिए निमिष के पास कोई सक्षम वकील नहीं था। उसने सुप्रीम जुडिशियस काउंसिल ऑफ यमन में अपील की, लेकिन दुर्भाग्य से, 30 दिसंबर 2024 को यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने उसकी मर्सी पिटीशन खारिज कर दी। उन्होंने निमिष की फांसी की सजा को अगले एक महीने के भीतर लागू करने का आदेश दिया।
अब यमन की एंबेसी इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कह रही है कि राष्ट्रपति ने फांसी की मंजूरी नहीं दी है और यह निर्णय हुदी अथॉरिटीज के अधिकार क्षेत्र में आता है। चूंकि यह केस यमन की राजधानी सना में है, जो हुदी के नियंत्रण में है, इसलिए वहां शरिया कानून लागू होता है।
शरिया कानून के तहत, अगर दोषी की फैमिली पीड़ित की फैमिली को एक निश्चित मुआवजा (ब्लड मनी) देती है, तो दोषी की सजा माफ हो सकती है।
निमिष को बचाने के लिए 2017 से प्रयासरत एक एनआरआई और सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम भास्कर ने “सेव निमिष प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” बनाई। इस काउंसिल के तहत वह क्राउड फंडिंग के जरिए ब्लड मनी जुटा रहे हैं।
हालांकि, तलाल मेहरी की फैमिली से बातचीत करने के लिए भारतीय एंबेसी ने एडवोकेट अब्दुल्ला अमीर को नियुक्त किया। अब्दुल्ला ने 40,000 डॉलर की प्री-नेगोशिएशन फीस मांगी, जिसमें से 20,000 डॉलर का भुगतान हो चुका है। लेकिन अब्दुल्ला ने आगे की बातचीत रोक दी है और शेष राशि की मांग की है।
ब्लड मनी जुटाने और नेगोशिएशन को आगे बढ़ाने में देरी निमिष के लिए समय की कमी का संकेत है। उसके जीवन को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन और तेजी से कार्यवाही की आवश्यकता है।
क्या निमिष प्रिया को बचाया जा सकेगा?
निमिष प्रिया के केस में अभी तक तलाल मेहरी की फैमिली की ओर से ब्लड मनी की राशि को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। 30 दिसंबर 2024 को यमन के राष्ट्रपति द्वारा दिए गए फांसी के फैसले के बाद भारत सरकार ने मामले में अपनी मदद का प्रस्ताव दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार इस मामले में हरसंभव मदद करने को तैयार है। अल-बायदा जेल में कैद निमिष की जिंदगी अब पूरी तरह से तलाल मेहरी की फैमिली के हाथों में है और वह यह नहीं जानती कि जेल की चारदीवारी के बाहर उसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं। निमिष की कानूनी लड़ाई लड़ रहे वकील सुभाष चंद्रन का मानना है कि इस स्थिति में केवल भारतीय सरकार के समर्थन से ही नेगोशिएशन संभव हो सकता है। इसके बावजूद, निमिष की फैमिली ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। उनके पति थॉमस का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि निमिष की जिंदगी बचाई जा सकती है और उनकी 13 साल की बेटी, जो इतने सालों से अपनी मां से दूर है, एक दिन अपनी मां से मिल सकेगी। इस बीच, निमिष की मां, प्रेमा कुमारी, अप्रैल 2024 से यमन में हैं और वह हर संभव रास्ता तलाश रही हैं जिससे उनकी बेटी की जिंदगी बच सके। बीते नौ महीनों में वह केवल दो बार अपनी बेटी से मिल पाई हैं, लेकिन हर मुलाकात में उन्होंने अपनी बेटी के दिल में उम्मीद और हिम्मत भरने की कोशिश की है। इस समय, देशभर में एक ही सवाल गूंज रहा है—क्या निमिष प्रिया की जिंदगी बचाई जा सकेगी?