साल 2020 में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के हल्दिया के जिकुक खली घाट के पास रहने वाले लोग 18 फरवरी की सुबह अचानक चौंक उठे। हुगली नदी के किनारे से उठता धुआं देखकर उन्होंने सोचा कि शायद किसी ने कूड़ा जलाया होगा। लेकिन वह जगह ऐसी थी, जहां न कभी कूड़ा जलते देखा गया था और न ही वहां कूड़ा फेंका जाता था। लोग इस बारे में चर्चा कर ही रहे थे कि अचानक एक अजीब और तेज बदबू ने उन्हें हैरान कर दिया। यह बदबू उसी जगह से आ रही थी, जहां आग जल रही थी।
जब लोगों को कुछ अनहोनी का शक हुआ, तो वे आग की ओर बढ़े। जैसे ही वे पास पहुंचे, उनकी रूह कांप गई। वहां दो लाशें जल रही थीं। आग के पास से उन्होंने दो युवकों को भागते देखा। लोगों ने शोर मचाकर उन्हें पकड़ने की कोशिश की, लेकिन दोनों फरार हो गए।
शोर सुनकर आसपास के लोग घटनास्थल पर जमा हो गए। वे नदी से पानी लाकर आग बुझाने लगे। आग बुझाने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि वहां दो शव जलाए जा रहे थे। इनमें से एक शव पूरी तरह जल चुका था, जिससे यह पहचानना मुश्किल हो गया कि वह महिला का था या पुरुष का। दूसरा शव आंशिक रूप से बचा हुआ था, जिसके कपड़ों और पहनावे से यह लग रहा था कि वह किसी लड़की का था।
पुलिस को सूचना दी गई, और दुर्गाचक थाने की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। फॉरेंसिक टीम को भी बुलाया गया। पहचान मुश्किल थी क्योंकि दोनों शवों के चेहरे बुरी तरह जले हुए थे। लेकिन तभी पुलिस को आंशिक रूप से बची हुई लाश के पास से कुछ बाल मिले। बालों की जांच से पता चला कि लड़की ने बालों को रंगवाया था, और वे गोल्डन और ग्रीन रंग के थे। वहां से एक कान की बाली भी मिली, जिस पर “एसजेपी” लिखा हुआ था।
पुलिस को पास में एक गड्ढा भी मिला, जिससे यह अंदाजा लगाया गया कि लाशों को दफनाने की योजना थी, लेकिन किसी कारण उन्हें जला दिया गया। घटनास्थल से एक खाली पेट्रोल की बोतल भी मिली, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि शवों को जलाने के लिए पेट्रोल का इस्तेमाल किया गया था।
पुलिस का मानना था कि इस सुनसान जगह पर हत्या करना मुश्किल है। इससे यह संभावना जताई गई कि इन दोनों की हत्या कहीं और की गई और सबूत मिटाने के लिए यहां लाकर जलाया गया।
घटनास्थल की जांच पूरी करने के बाद दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और सबूत मिटाने का मामला दर्ज कर लिया और जांच में जुट गई। इस खौफनाक घटना ने इलाके के लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया।
जली हुई लाशों की पहचान का रहस्य और सोशल मीडिया की मदद
इस मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए सबसे जरूरी था यह पता लगाना कि वे दोनों लाशें आखिर किसकी थीं। प्रारंभिक जांच में केवल इतना ही पता चला था कि एक शव किसी महिला का है, जबकि दूसरे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार करना पुलिस के लिए एकमात्र विकल्प था।
कुछ घंटे बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई, जिसमें खुलासा हुआ कि दोनों शव महिलाओं के ही थे। एक महिला की उम्र 20-22 साल थी और दूसरी की करीब 40 साल। कम जली हुई लाश 20-22 साल की युवती की थी। रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट हुआ कि उन्हें जलाने से पहले नशीली दवाएं खिलाई या पिलाई गई थीं। इसका मतलब था कि दोनों को जिंदा ही जलाया गया था।
पुलिस के सामने बढ़ी चुनौतियां
अब सवाल यह था कि वे महिलाएं कौन थीं और उनके साथ यह दरिंदगी किसने की थी। दुर्गाचक पुलिस ने आसपास के सभी थानों में उन शवों की जानकारी भेजी और यह पता लगाने की कोशिश की कि कहीं किसी थाने में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट तो दर्ज नहीं की गई। लेकिन कहीं से भी कोई सुराग नहीं मिला।
पुलिस को इस बात का अंदाजा नहीं लग पा रहा था कि महिलाएं कहां की रहने वाली थीं और उनके बीच क्या रिश्ता था।
सोशल मीडिया से मांगी मदद
जब स्थानीय जांच से कोई हल नहीं निकला, तो पुलिस ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने घटना से जुड़े सभी तथ्य, जैसे शवों के पास से मिली चीजें, उनके कपड़े, गहने, हाइट, उम्र, और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की। साथ ही, उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर किसी का कोई रिश्तेदार या जानने वाला लापता है और इन डिटेल्स से मेल खाता है, तो वे पुलिस को सूचना दें।
यह पोस्ट 20 फरवरी के आसपास डाली गई थी और जल्द ही वायरल हो गई। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे तेजी से शेयर करना शुरू कर दिया, जिससे पुलिस को इस रहस्य को सुलझाने में मदद मिलने की उम्मीद थी।
मां-बेटी के लापता होने की गुत्थी: सुराग की तलाश
21 फरवरी को दुर्गाचक पुलिस से एक व्यक्ति ने संपर्क किया और बताया कि उसकी जानने वाली एक महिला और उसकी बेटी कई दिनों से लापता हैं। उस व्यक्ति ने कहा कि मां-बेटी, रमा डे (40 साल) और रिया डे (22 साल), आमतौर पर सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती थीं, लेकिन अब न तो उनसे कोई संपर्क हो रहा था और न ही वे सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट कर रही थीं।
पुलिस ने सूचना देने वाले व्यक्ति से रमा और रिया की तस्वीरें प्राप्त कीं और सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगालना शुरू किया। यह पता चला कि दोनों नॉर्थ 24 परगना जिले के न्यू बैरकपुर इलाके में रहती थीं। रिया डे, जो सोशल मीडिया पर हर दिन कुछ न कुछ पोस्ट करती थी, अचानक से गायब हो गई थी।
22 फरवरी को पुलिस न्यू बैरकपुर पहुंची और रमा और रिया की तस्वीरें स्थानीय लोगों को दिखाईं। एक व्यक्ति ने उनके घर का पता बताया। जब पुलिस वहां पहुंची, तो घर पर ताला लगा हुआ मिला। पड़ोसियों से पूछताछ में पता चला कि मां-बेटी वहां किराए पर रहती थीं और उनके अलावा उस घर में कोई और नहीं रहता था।
पड़ोसियों ने यह भी बताया कि उनका अपना घर पास में ही था, लेकिन वे परिवार से दूर इस किराए के घर में रह रही थीं। हालांकि, उनके परिवार के घर का सटीक पता किसी को नहीं पता था।
पुलिस ने पड़ोसियों से रमा और रिया के फोन नंबर हासिल किए ताकि उनके कॉल रिकॉर्ड और संपर्कों का पता लगाया जा सके। इससे यह समझने की कोशिश की गई कि मां-बेटी किन-किन लोगों के संपर्क में थीं और उनके लापता होने के पीछे कौन जिम्मेदार हो सकता है।
जांच की यह दिशा उम्मीद जगा रही थी कि इस रहस्यमय मामले का सच जल्द सामने आएगा।
कॉल डिटेल्स और लोकेशन से सामने आया संदिग्ध कनेक्शन
पुलिस ने रमा और रिया के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकलवाई, जिससे जांच में नई कड़ियां जुड़ने लगीं। इसी बीच, पुलिस की सोशल मीडिया पोस्ट देखकर रिया के कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों ने पुलिस से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि की कि पोस्ट में दिखाई गई चीजें रमा और रिया से काफी मेल खाती हैं। इन जानकारियों से पुलिस का शक गहरा गया कि जली हुई लाशें रमा और रिया की ही थीं।
अतीत से जुड़े सवाल
जांच में पता चला कि रमा पहले अपने पति और बेटी रिया के साथ महाराष्ट्र के नवी मुंबई में रहती थी। लेकिन वैवाहिक विवाद के चलते रमा ने पति को तलाक दे दिया और 2017-18 में अपनी बेटी को लेकर पश्चिम बंगाल लौट आई। मायके में न जाकर रमा ने हल्दिया में किराए के मकान में रहना शुरू कर दिया। रिया की पढ़ाई इस घटनाक्रम से बुरी तरह प्रभावित हुई। आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई नवी मुंबई में करने के बाद तलाक के बाद वह मां के साथ पश्चिम बंगाल आ गई।
पश्चिम बंगाल में रिया ने न्यू बैरकपुर के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की। रमा हल्दिया में रहती थी, जबकि रिया अपनी पढ़ाई के कारण न्यू बैरकपुर में। मां-बेटी कभी एक-दूसरे से मिलने हल्दिया या न्यू बैरकपुर जाती थीं, और यही उनकी जिंदगी का सिलसिला था। रमा का अपने मायके से कोई संपर्क नहीं था।
कॉल डिटेल्स से बड़ा खुलासा
22 फरवरी को पुलिस को रमा और रिया की कॉल डिटेल्स और मोबाइल लोकेशन की रिपोर्ट मिली। कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि रमा के नंबर पर आखिरी कॉल एक व्यक्ति, सद्दाम हुसैन, ने की थी। रमा और सद्दाम के बीच अक्सर फोन पर लंबी बातचीत होती थी। कभी-कभी उनकी बातचीत बंद हो जाती, लेकिन कुछ समय बाद फिर से शुरू हो जाती।
पुलिस को झटका तब लगा जब रिया के कॉल रिकॉर्ड में भी सद्दाम हुसैन का नंबर सबसे ज्यादा बार पाया गया। जिस तरह रमा और सद्दाम के बीच घंटों बातचीत होती थी, वैसी ही बातचीत रिया और सद्दाम के बीच भी होती थी।
मोबाइल लोकेशन चेक करने पर पता चला कि 17 फरवरी की रात रमा, रिया, और सद्दाम तीनों की लोकेशन एक ही जगह पर थी। साथ ही, नदी किनारे शव मिलने से पहले भी सद्दाम का लगातार मां-बेटी से संपर्क था।
सद्दाम का रमा और रिया से घंटों बातचीत करना और घटना के समय उनकी लोकेशन का एक साथ होना पुलिस के लिए बड़ा सुराग बन गया। इन सब बातों से पुलिस को पूरा यकीन हो गया कि इस हत्या में सद्दाम का कोई न कोई कनेक्शन जरूर है। अब पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी यह पता लगाना कि सद्दाम हुसैन कौन है और उसका मां-बेटी के साथ क्या संबंध था।
पुलिस की गिरफ्त में आया संदिग्ध सद्दाम: रिश्तों का खुलासा
जांच में पता चला कि सद्दाम हुसैन दुर्गाचक की न्यू कॉलोनी का रहने वाला है और लेबर कॉन्ट्रैक्टर का काम करता है। जब पुलिस उसके घर पहुंची, तो जानकारी मिली कि वह अस्पताल में भर्ती है। पुलिस तुरंत अस्पताल पहुंची और सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया।
अस्पताल में पता चला कि सद्दाम को कोई गंभीर चोट नहीं थी, बस मामूली खरोंचें थीं। इससे स्पष्ट हो गया कि वह पुलिस से बचने के लिए अस्पताल में छिपा हुआ था। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। शुरुआत में सद्दाम ने हर आरोप से इनकार किया। लेकिन जब पुलिस ने उसे कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स और 17 फरवरी की लोकेशन के सबूत दिखाए, तो वह टूट गया।
पूछताछ में सद्दाम ने बताया कि रमा, पति से तलाक के बाद हल्दिया में अपनी बेटी रिया के साथ रहने लगी थी। बाद में, रिया ने पढ़ाई के लिए न्यू बैरकपुर में एक कमरा किराए पर लिया और वहीं रहने लगी। रमा हल्दिया में अकेले रहकर बोर महसूस करने लगी थी। इसी दौरान रमा की मुलाकात सद्दाम से हुई, और दोनों के बीच दोस्ती हो गई।
रिया को एक दिन अपनी मां के साथ सद्दाम नजर आया। उसे लगा कि सद्दाम उसकी मां का दोस्त है। लेकिन धीरे-धीरे रिया और सद्दाम के बीच भी नजदीकियां बढ़ने लगीं। रिया की उम्र महज 22 साल थी, जबकि सद्दाम 27 साल का था। कुछ समय बाद, रिया और सद्दाम ने न्यू बैरकपुर से कुछ किलोमीटर दूर वासुदेवपुरम में एक कमरा किराए पर लिया और लिव-इन में रहने लगे।
सद्दाम के रमा और रिया दोनों के साथ संबंध थे, और हैरानी की बात यह थी कि रमा को अपनी बेटी और सद्दाम के रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं थी। तीनों अक्सर एक साथ समय बिताते थे, घूमने जाते, खाना खाते, और बात करते। सद्दाम की वजह से रमा और रिया की जिंदगी में कुछ समय के लिए खुशियां लौट आई थीं।
इस अजीबोगरीब रिश्ते ने पुलिस के सामने नए सवाल खड़े कर दिए कि आखिर ये संबंध हत्या तक कैसे पहुंचे।
सद्दाम की साजिश: मां-बेटी से छुटकारा पाने की खौफनाक योजना
रिया की जिंदगी में खुशियां उस समय कड़वाहट में बदल गईं, जब उसे पता चला कि सद्दाम शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं। यह जानकारी रिया के लिए एक बड़ा झटका थी क्योंकि सद्दाम ने अपने वैवाहिक जीवन की सच्चाई उससे छिपाई थी और शादी करने का झूठा वादा किया था।
सद्दाम की सच्चाई जानने के बाद, रिया का गुस्सा फूट पड़ा। उसने सद्दाम से पूछा, “तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला?” रिया ने उसे धमकी दी कि अगर वह उससे शादी नहीं करेगा, तो वह पुलिस में शिकायत कर देगी।
रिया और उसकी मां रमा, दोनों ही सद्दाम पर शादी का दबाव बनाने लगीं। उनकी धमकियों और जिद से परेशान होकर, सद्दाम ने पुलिस को बताया कि उसने कई बार उनसे दूरी बनाने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहा।
सद्दाम अब ऐसी स्थिति में था, जहां वह न तो रिया से शादी करना चाहता था और न ही जेल जाना। दोनों मां-बेटी की जिद और धमकियों से तंग आकर, उसने एक खौफनाक योजना बनाई—रिया और रमा को हमेशा के लिए खत्म करने की।
सद्दाम ने अपने बयान में बताया कि उसने महसूस किया कि रमा और रिया को कोई खोजने या पूछने वाला नहीं है। यही सोचकर उसने अपनी साजिश में कुछ दोस्तों को शामिल किया।
सद्दाम ने 17 फरवरी 2020 को रमा को कॉल कर कहा, “आज रात हम तीनों मिलकर बैठेंगे और इस मामले को सुलझाएंगे।” यह झूठा प्रस्ताव दरअसल उसके घातक प्लान का हिस्सा था। उसने रमा और रिया को बातचीत का भरोसा दिलाकर बुलाया, लेकिन उसके इरादे खतरनाक थे।
इस मुलाकात ने एक खौफनाक घटना का रूप ले लिया, जिसने पुलिस को चौंका दिया। सद्दाम ने यह योजना बड़ी सफाई से बनाई, जिसमें उसने मां-बेटी को अपने जाल में फंसाया और अपने दोस्तों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया।
सद्दाम की साजिश और मां-बेटी की दर्दनाक मौत
17 फरवरी की रात, सद्दाम ने धोखे से रमा और रिया को वासुदेवपुरम के उसी कमरे पर बुलाया, जहां वह रिया के साथ लिव-इन में रहता था। सद्दाम पहले ही अपनी खौफनाक योजना बना चुका था। जब तीनों मिले, तो सद्दाम ने शराब पार्टी का प्रस्ताव रखा। रिया ने शराब नहीं पी, लेकिन वह बाजार से खाना लेकर आई। सद्दाम ने खाने में नशीली दवा मिला दी, जिसे खाते ही रमा और रिया बेहोश हो गईं। इसके बाद सद्दाम ने अपने दोस्त मंजूर आलम को फोन किया, जो कार लेकर वहां पहुंचा। दोनों ने बेहोश मां-बेटी का गला दबाकर उनकी हत्या कर दी।
शवों को ठिकाने लगाने के लिए उन्होंने रमा को कंबल में लपेटकर कार की डिक्की में रखा और रिया को पिछली सीट पर। उनका पहला प्लान शवों को मंजूर के घर के पास दफनाने का था, लेकिन सीसीटीवी कैमरों की मौजूदगी के कारण उन्होंने हुगली नदी के किनारे शवों को दफनाने का फैसला किया। खुदाई के दौरान रात ढलने लगी और सूरज निकलने का डर उन्हें घेरने लगा। जल्दबाजी में, जब उन्होंने रमा और रिया को गाड़ी से बाहर निकाला, तो देखा कि दोनों के शरीर में हरकत हो रही थी—वे अभी भी जिंदा थीं।
डर और घबराहट में, सद्दाम और मंजूर ने उन्हें जलाने का निर्णय लिया। उन्होंने पेट्रोल की पूरी बोतल रमा पर डालकर उसे आग लगा दी। रिया के लिए उन्होंने गाड़ी से फ्यूल निकाला और उसे जलाने की कोशिश की, लेकिन पर्याप्त ईंधन न होने के कारण रिया का शव अधजला रह गया। सुबह होने के डर से दोनों अपराधी शवों को वहीं छोड़कर फरार हो गए।
रिया और रमा की हत्या का पर्दाफाश: डीएनए टेस्ट और गिरफ्तारी से साजिश का खुलासा
रिया और रमा को जलाने के बाद सद्दाम और मंजूर फरार हो गए थे, लेकिन आसपास के लोगों ने उन्हें भागते हुए देख लिया और उनका पीछा भी किया। हालांकि, दोनों बचकर निकलने में सफल रहे। 23 फरवरी 2020 को मंजूर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद रिया के मामा का ब्लड सैंपल लिया गया और शवों की डीएनए जांच के लिए कोलकाता की लैब भेजा गया। जांच में पुष्टि हुई कि शव रिया और रमा के ही थे।
27 फरवरी को पुलिस हल्दिया स्थित रमा डे के घर पहुंची और तलाशी के दौरान अलमारी से कुछ फटे हुए कागज और रिया की डायरी बरामद हुई। जब उन कागज के टुकड़ों को जोड़ा गया, तो वह एक मैरिज सर्टिफिकेट निकला, जिससे पता चला कि रिया और सद्दाम ने 2018 में शादी कर ली थी। रिया की डायरी में हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली में लिखे गए पांच पन्नों ने उनकी जिंदगी के कई छिपे पहलुओं को उजागर किया। डायरी में रिया ने लिखा था कि सद्दाम से उसकी मां रमा के भी करीबी संबंध थे, जिसकी वजह से रमा हल्दिया में रहने लगी थी।
सद्दाम ने पुलिस को बताया कि उसे शक था कि रिया का किसी और लड़के से अफेयर है, जिससे वह परेशान था और रिया से छुटकारा पाना चाहता था। रिया और रमा उसे ब्लैकमेल करती थीं और आपत्तिजनक फोटो और वीडियो के जरिए पैसे वसूलती थीं। हालांकि, सवाल उठता है कि शादीशुदा होते हुए भी सद्दाम रिया और रमा के इतने करीब क्यों गया।
27 फरवरी को पुलिस ने सुखदेव नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिसने सद्दाम और मंजूर की मदद सबूत मिटाने में की थी। पूछताछ में सुखदेव ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इसके अलावा, पुलिस ने अमीनुर हुसैन नाम के एक और व्यक्ति को 3 मार्च 2020 को मुंबई के गोरेगांव से गिरफ्तार किया और उसे ट्रांजिट रिमांड पर बंगाल लाया गया।
चारों आरोपियों—सद्दाम, मंजूर, सुखदेव, और अमीनुर—को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। यह घटना समाज को झकझोर देने वाली है और हमें सतर्क रहने का संदेश देती है।