साइनाइड मोहन – एक नाम जो सुनते ही रोंगटे खड़े कर देता है। कभी वह एक साधारण स्कूल टीचर था, लेकिन आज वह भारत के सबसे खतरनाक सीरियल किलर्स में से एक के रूप में जाना जाता है। उस पर दर्जनों लड़कियों की हत्या का आरोप है। एक समय ऐसा था जब पूरे कर्नाटक में मोहन का खौफ इस कदर छाया हुआ था कि लड़कियां घर से बाहर निकलने में भी डरती थीं।
लेकिन सवाल उठता है, आखिर एक शिक्षक ने सीरियल किलर बनने का रास्ता क्यों चुना? उसे “साइनाइड मोहन” नाम से क्यों पुकारा जाने लगा? उसने लड़कियों को अपने जाल में कैसे फंसाया और गायब किया? और अंततः, वह पुलिस की गिरफ्त में कैसे आया?
फिलहाल, उसकी वर्तमान स्थिति क्या है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आइए, इस चौंकाने वाली कहानी को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं।
साइनाइड मोहन: जब पहली बार सामने आया नाम
साइनाइड मोहन का नाम पुलिस के रिकॉर्ड में पहली बार 2009 में दर्ज हुआ। 17 जून 2009 को, कर्नाटक के बंटवाल तालुका के बारीमर गांव की 22 वर्षीय अनीता मूल नामक एक लड़की अचानक अपने घर से लापता हो गई। अनीता के गायब होने के बाद, उसके परिवार और गांव वालों ने उसे खोजने के लिए दो दिन तक पूरा क्षेत्र खंगाल डाला, लेकिन वह कहीं नहीं मिली।
अनीता के गायब होने की खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई। बारीमर गांव, जो दक्षिण कन्नड़ जिले का हिस्सा था, उन दिनों सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहा था। लड़की के लापता होने को लेकर अफवाहें उड़ने लगीं, और कुछ लोगों ने इसे कथित “लव जिहाद” से जोड़ दिया। धार्मिक संगठनों ने सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया और प्रशासन पर अनीता को जल्द से जल्द खोजने का दबाव बढ़ने लगा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, तत्कालीन सर्कल इंस्पेक्टर नानजुंडेश्वरा के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय टीम बनाई गई। कई पुलिस टीमें अनीता को ढूंढने के लिए जुट गईं। दो दिनों की खोजबीन के बाद, अनीता का शव हासन शहर के इंटरसिटी बस स्टैंड के महिला शौचालय में मिला, जो उसके गांव से लगभग 160 किलोमीटर दूर था।
अनीता के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट का निशान नहीं था, लेकिन उसके मुंह से झाग निकल रहा था, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उसने कोई जहरीला पदार्थ खाया था। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया, और रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि अनीता के शरीर में साइनाइड पाया गया है।
जब रिपोर्ट से पता चला कि अनीता ने साइनाइड खाकर आत्महत्या की है, तो एक अहम सवाल उठ खड़ा हुआ: अगर अनीता आत्महत्या करना चाहती थी, तो वह अपने घर से 160 किलोमीटर दूर जाकर, एक सार्वजनिक शौचालय में साइनाइड क्यों खाएगी?
यही सवाल पुलिस को इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए प्रेरित करता है, और यहीं से साइनाइड मोहन की खौफनाक कहानी का पर्दा उठना शुरू होता है।
सुराग से खुला रहस्य: 20 लड़कियों की गुमशुदगी
पुलिस ने अनीता की मौत की जांच की शुरुआत उसके मोबाइल फोन और घर के लैंडलाइन फोन को कब्जे में लेकर की। कॉल रिकॉर्ड्स खंगालने पर अनीता के फोन से एक खास नंबर बार-बार डायल किया गया था। यह नंबर मधीकेरी में रहने वाले श्रीधर नाम के व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत था।
जब पुलिस श्रीधर से पूछताछ के लिए उसके घर पहुंची, तो उन्हें चौंकाने वाली जानकारी मिली। श्रीधर ने बताया कि वह सिम कार्ड वह खुद नहीं, बल्कि उसकी बहन कावेरी इस्तेमाल करती थी। कावेरी के बारे में पूछताछ करने पर पता चला कि वह 17 मार्च 2009 से लापता है।
अब पुलिस ने कावेरी की गुमशुदगी की जांच शुरू की। कावेरी के फोन की कॉल डिटेल्स से दो अनजान नंबरों का पता चला, जिनसे उसे बार-बार कॉल किया गया था और लंबी बातचीत भी होती थी। जब इन नंबरों को ट्रेस किया गया, तो एक नंबर पुत्तूर की रहने वाली विनता नाम की महिला का निकला, जबकि दूसरा नंबर कसारागोड की पुष्पा नामक महिला का था।
पुलिस विनता और पुष्पा के घर पहुंची, तो उन्हें एक और हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ। दोनों महिलाएं कुछ समय पहले अपने-अपने घरों से गायब हो चुकी थीं। जांच को आगे बढ़ाते हुए, पुलिस ने विनता और पुष्पा के कॉल डिटेल्स की जांच की। इन दोनों के फोन से भी आखिरी कॉल एक अनजान नंबर पर किया गया था।
पुलिस ने जब उस अनजान नंबर को ट्रेस किया, तो पाया कि उसका मालिक भी गायब था। इसी तरह, एक के बाद एक जांच में कुल 20 ऐसे मोबाइल नंबर सामने आए, जिनसे संबंधित सभी महिलाएं लापता थीं।
यह सिलसिला इतना गहरा था कि हर सुराग एक और लापता लड़की की ओर इशारा करता था। जांच की यह कड़ी पुलिस को एक ऐसे रहस्य के करीब ले जा रही थी, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। साइनाइड मोहन का असली चेहरा अब धीरे-धीरे बेनकाब होने लगा था।
असली कातिल की तलाश: फॉरेंसिक रिपोर्ट से मिला बड़ा सुराग
पुलिस को इस बात का आभास हो चुका था कि एक ही व्यक्ति ने सुनियोजित तरीके से 20 लड़कियों को अपना निशाना बनाया है। कातिल का तरीका बेहद चालाक था—वह एक लड़की को मारता और फिर उसी के फोन नंबर से अपने अगले शिकार को कॉल करता। लेकिन यह रहस्यमयी कातिल कौन था, इस सवाल का जवाब अभी भी पुलिस के पास नहीं था।
शुरुआत में पुलिस को शक हुआ कि यह मानव तस्करों का कोई गैंग हो सकता है, जो मासूम लड़कियों को बहलाकर गायब कर रहा है। इस एंगल से गहराई तक जांच की गई, लेकिन लड़कियों की किडनैपिंग या तस्करी के कोई सबूत नहीं मिले। पुलिस ने अपने मुखबिरों का जाल पूरे इलाके में फैला दिया और हर संभव सुराग तलाशने की कोशिश की, लेकिन कातिल का कोई सुराग हाथ नहीं आया।
इसी दौरान, एक फॉरेंसिक रिपोर्ट ने मामले में बड़ी सफलता दिलाई। रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि लापता हुई सभी 20 लड़कियों के सिम कार्ड्स एक ही मोबाइल फोन में इस्तेमाल किए गए थे। उस फोन का आईएमईआई नंबर हर बार एक ही निकला।
इस चौंकाने वाले तथ्य ने यह साफ कर दिया कि कातिल एक ही व्यक्ति था, जो लड़कियों की हत्या करने के बाद उनके सिम कार्ड्स को अपने फोन में इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस ने तुरंत आईएमईआई नंबर के सहारे उस मोबाइल फोन के मालिक का पता लगाने के लिए कार्रवाई शुरू की।
यह तकनीकी सुराग पुलिस के लिए निर्णायक साबित हुआ। बहुत जल्द, आईएमईआई नंबर को ट्रेस करते हुए पुलिस उस फोन के मालिक तक पहुंचने में कामयाब हो गई। इस बड़ी सफलता ने पुलिस को कातिल के करीब ला दिया, और साइनाइड मोहन की खौफनाक दास्तान का पर्दा धीरे-धीरे उठने लगा।
कातिल का पर्दाफाश: साइनाइड मोहन का नाम कैसे आया सामने
फॉरेंसिक जांच से मिले आईएमईआई नंबर का पीछा करते हुए पुलिस कर्नाटक के बैंगलोर के पास स्थित डेरला कट्टे गांव तक पहुंची। जांच के दौरान पुलिस ने उस मोबाइल फोन को ट्रेस कर लिया जिसमें गायब हुई लड़कियों के सिम कार्ड्स का इस्तेमाल हुआ था।
थोड़ी मशक्कत के बाद पुलिस फोन का वर्तमान उपयोगकर्ता ढूंढने में सफल रही और उसे हिरासत में ले लिया। पूछताछ में उसने बताया कि फोन पहले उसका था, लेकिन अब वह इसे इस्तेमाल नहीं करता। उसने यह फोन कुछ समय पहले अपने भतीजे को दे दिया था।
भतीजे के बारे में पूछने पर, उसने खुलासा किया कि उसका भतीजा एक स्कूल मास्टर है और उसका नाम मोहन कुमार है।
मोहन कुमार का नाम सामने आते ही पुलिस ने उसकी पूरी पृष्ठभूमि खंगालनी शुरू कर दी। यह वही मोहन कुमार था, जो बाद में “साइनाइड मोहन” के नाम से कुख्यात हुआ। उसके साधारण जीवन के पीछे छुपी इस खतरनाक कहानी का अंदाजा किसी को नहीं था।
अब पुलिस ने अपनी जांच का रुख मोहन कुमार की ओर मोड़ा, और धीरे-धीरे उसकी खौफनाक हकीकत सामने आने लगी। यही वह कड़ी थी जिसने एक साधारण स्कूल मास्टर को भारत के सबसे खतरनाक सीरियल किलर में से एक के रूप में उजागर किया।
मोहन कुमार का अंधेरा अतीत: एक शातिर कातिल का खुलासा
मोहन कुमार का जन्म 6 अप्रैल 1963 को कर्नाटक के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। उसके परिवार में दो भाई और एक बहन थे, और उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। हालांकि, परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी, लेकिन बच्चों ने पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन किया और सभी ने आगे चलकर नौकरी शुरू की। मोहन कुमार ने भी अपनी पढ़ाई पूरी की और उप्पी नंगड़ी फर्स्ट ग्रेड कॉलेज से बीए की डिग्री प्राप्त की।
1984 में, मोहन कुमार को सरकारी नौकरी मिल गई और उसे शिरडी प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के तौर पर पहली पोस्टिंग मिली। इसके बाद, मोहन कुमार की शादी मैरी नाम की महिला से हुई, लेकिन यह शादी ज्यादा दिन नहीं चली। फिर, उसने दूसरी शादी मंजुला नाम की महिला से की, जिससे उसके दो बच्चे हुए।
मोहक कुमार के बारे में ये सारी जानकारी निकालने के बाद, पुलिस ने उसे पकड़ने का प्लान तैयार किया। पुलिस को पता था कि मोहन कुमार एक शातिर सीरियल किलर है, जिसने अब तक 20 लड़कियों की हत्या की है। इसलिए, उसे पकड़ना इतना आसान नहीं था। पुलिस ने एक चालाक योजना बनाई और मोहन कुमार को उसी के प्लान में फंसाने का निर्णय लिया।
अनीता के गायब होने के दौरान, पुलिस को सुमित्रा नाम की एक महिला टेलर से जानकारी मिली, जिसने अनीता को आखिरी बार एक पुरुष के साथ बस स्टैंड पर देखा था। सुमित्रा ने यह भी बताया कि वह उस व्यक्ति को पहचान सकती है, अगर वह उसे फिर से देखे। मोहन कुमार का नाम सामने आते ही, पुलिस ने सुमित्रा को उसकी तस्वीर दिखाई और उसने तुरंत मोहन कुमार को पहचान लिया। सुमित्रा ने यह भी बताया कि मोहन कुमार ने 2005 में उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा था और खुद को सरकारी अफसर बताया था।
यहां पुलिस को एक बेहतरीन मौका मिला। उन्होंने सुमित्रा के मोबाइल से मोहन कुमार को फोन करवाया, जिसमें सुमित्रा ने मोहन कुमार को कहा कि वह उससे मिलना चाहती है और उससे शादी भी करेगी। पहले तो मोहन कुमार ने इनकार किया, लेकिन जब सुमित्रा ने उसे यकीन दिलाया, तो वह मिलने के लिए राजी हो गया। वह बस स्टैंड पर मिलने के लिए आया, जहां पुलिस पहले से तैयार थी। जैसे ही मोहन कुमार वहां पहुंचा, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ के दौरान, मोहन कुमार ने एक के बाद एक सभी हत्याओं की बात कबूल कर ली। जब पुलिस ने हत्या की वजह पूछी, तो मोहन कुमार ने बताया कि वह उन लड़कियों को अपना शिकार बनाता था, जिनकी उम्र बढ़ने के बाद भी शादी नहीं हुई थी। वह खुद को विभिन्न नामों से लड़कियों से मिलाता और पहले दोस्ती करता। फिर वह उन्हें शादी का सपना दिखाकर अपने जाल में फंसाता। लड़कियां मोहन कुमार को दहज विरोधी और सरकारी अफसर मानकर उसकी बातों में आ जाती थीं। वह पहले अपनी जाति के बारे में जानता और फिर खुद को उसी जाति का बताकर भरोसा जीतता।
यह पूरी जानकारी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता थी, क्योंकि अब मोहन कुमार के खौफनाक अपराधों का पर्दा पूरी तरह से उठ चुका था।
साइनाइड मोहन: एक निर्दयी कातिल की भयावह कहानी
मोहन कुमार लड़कियों को झांसे में लाकर उन्हें अपने जाल में फंसाता था। वह पहले लड़कियों को यह कहता था कि घर से अपनी ज्वेलरी लेकर आओ, और फिर हम शादी कर लेंगे। लड़कियां उसके झांसे में आकर अपने घर से ज्वेलरी लेकर मोहन कुमार के साथ चली आती थीं। वह उन्हें अक्सर 100 से 200 किलोमीटर दूर किसी होटल में ले जाता और वहां रातभर साथ समय बिताने के बाद, सुबह मंदिर में शादी का बहाना बनाकर, लड़की को बस स्टैंड तक छोड़ने जाता।
बस चढ़ने से पहले, मोहन कुमार लड़कियों को यह कहता कि चूंकि रात को उनके बीच संबंध बने थे, अगर प्रेगनेंसी हो गई तो समस्या हो सकती है। वह उन्हें गर्भनिरोधक गोलियां लेने के लिए कहता और बताता कि यह गोली लेने के बाद उन्हें बाथरूम में जोर से पेशाब आने की इच्छा होगी। लड़कियां उसकी बातों में आ जातीं और टॉयलेट में जाकर वह गोली ले लेतीं।
लेकिन यह गोली कोई गर्भनिरोधक नहीं, बल्कि साइनाइड की गोली होती थी। जैसे ही लड़की उसे खाती, वह बाथरूम में ही तड़पकर मर जाती। मोहन कुमार फिर वहां से निकलकर होटल में वापस लौटता, जहां लड़की ने अपनी ज्वेलरी रखी होती। वह ज्वेलरी लेकर वहां से गायब हो जाता और अपने अगले शिकार की तलाश में जुट जाता।
अक्सर वह लड़कियों को उनके घरों से दूर ले जाकर मारता था, इसलिए जब पुलिस को कहीं अनजान जगह पर एक लड़की की लाश मिलती, तो उसे सामान्य केस मानकर पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर देती थी। यदि कोई लड़की के परिवारवाले लाश को लेने नहीं आते थे या मिसिंग रिपोर्ट दर्ज नहीं होती थी, तो उसे अज्ञात लाश मानकर अंतिम संस्कार कर दिया जाता था।
पुलिस को इस हत्यारे के बारे में और भी हैरान करने वाली जानकारी मिलती है कि मोहन कुमार ने एक तीसरी शादी भी की थी। उसकी पत्नी का नाम श्रीदेवी था, और पुलिस ने उसके घर से बड़ी मात्रा में साइनाइड पाउडर और कई मारी गई लड़कियों से चुराई गई ज्वेलरी भी बरामद की।
साइनाइड के इस खतरनाक उपयोग को लेकर पुलिस ने मोहन कुमार से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे एक गरीब दोस्त ने बताया था कि साइनाइड का इस्तेमाल सोने की ज्वेलरी को साफ करने में होता है। मोहन कुमार ने अपनी शिकार लड़कियों को मारने के लिए यही साइनाइड खरीदा और उन्हें यह जहर खिलाकर उनकी जान ले ली।
पुलिस की कड़ी जांच और मोहन कुमार की गिरफ्तारी के बाद, अखबारों में उसे ‘साइनाइड मोहन’ के नाम से जाना जाने लगा। 2009 में उसकी गिरफ्तारी के बाद, मोहन कुमार पर अनीता समेत कई लड़कियों की हत्या का मामला दर्ज किया गया। 2013 में उसे मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन 2017 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने उसकी सजा को बदलकर उम्रभर की सजा में बदल दिया।
पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, मोहन कुमार ने कम से कम 20 लड़कियों की हत्या की, लेकिन माना जाता है कि वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा थी। 2004 में मोहन कुमार ने अपनी पहली हत्या की, और फिर 2005 से 2009 तक लगातार लड़कियों को अपना शिकार बनाता रहा।
वर्तमान में मोहन कुमार कर्नाटक के बेलगावी स्थित हिंदल का सेंट्रल जेल में बंद है। क्या आपको लगता है कि उसे जो सजा मिली, वह उचित थी? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।