यह कहानी कानपुर के एक पॉश इलाके रतनलाल नगर की है, जो 14 जून 2009 की सुबह की घटना है। दिलीप सिंह नेगी अपने मॉर्निंग वॉक के लिए बाहर निकले और उन्होंने अपने घर के सामने एक कार खड़ी देखी, जिसका नंबर था यूपी 78S 6754 और शीशे पर “प्रेस” लिखा हुआ था। उन्हें लगा कि शायद यह किसी पत्रकार की कार होगी जो आसपास किसी से मिलने आया होगा। वे अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गए, लेकिन लगभग 10 बजे जब वे फिर से बाहर निकले, तो देखा कि वही कार उसी जगह पर खड़ी है। इस पर उनके मन में तरह-तरह के विचार आने लगे।
इससे परेशान होकर उन्होंने अपने दोस्त इंद्रजीत सिंह नंदा को फोन किया और बताया कि उनके घर के सामने एक लावारिस कार खड़ी है, जिस पर “प्रेस” और “न्यूज 24” लिखा है। इंद्रजीत सिंह कुछ ही समय में उनके घर आ गए और उन्होंने कुछ परिचित पत्रकारों को फोन कर दिया। पत्रकारों के आने पर पुलिस नहीं आई, लेकिन पत्रकारों ने कार को देखकर पहचान लिया। उन्होंने इंद्रजीत को बताया कि यह कार टीवी चैनल के पत्रकार ब्रजेश गुप्ता की है, जो बाबू पूर्वा कॉलोनी में रहते हैं। पत्रकारों ने ब्रजेश के भाई बृजेंद्र और प्रभात को सूचित किया, और वे भी रतनलाल नगर आकर यह पुष्टि करने लगे कि यह कार उनके छोटे भाई ब्रजेश की है।
प्रभात ने तुरंत थाना गोविंद नगर पुलिस और वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन एक घंटे तक पुलिस नहीं आई, जिससे पत्रकारों में आक्रोश फैल गया। लगभग 11:30 बजे दरोगा बलराज शाही अपनी पुलिस टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचे, सबको शांत किया और जांच शुरू की। इसके बाद मुखबिर को भी सक्रिय किया गया, जिससे पुलिस को जानकारी मिली कि कनिका ग्रोवर इस हत्याकांड में शामिल हो सकती है। उसके घर शती सरदार का आना-जाना था और कनिका के भाई सनी मनी से उसकी गहरी दोस्ती थी।
पुलिस की छापेमारी और शांति के प्रयास
मुखबिर ने बताया कि शती सरदार चरणजीत सिंह कॉलोनी में रहता है, और यह भी हो सकता है कि कनिका और उसके भाई उसी के घर में छुपे हों। यह सूचना पुलिस के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई। बलराज शाही ने तुरंत अपनी टीम को संगठित किया और चरणजीत सिंह कॉलोनी में शंटी सरदार के घर पर छापा मारने का निर्णय लिया।
जब पुलिस ने शंटी सरदार के घर पर दबिश दी, तो वह वहां मौजूद था। बलराज शाही ने उसे मौके पर घेर लिया और बिना समय गंवाए उसे बंदी बना लिया। घर की तलाशी ली, लेकिन कनिका और उसके भाई वहां नहीं थे। शती सरदार को गिरफ्तार कर पुलिस थाने ले गई और उससे पूछताछ शुरू की, ताकि यह पता किया जा सके कि वह कनिका ग्रोवर और उसके भाई के मामले में किसी तरह से शामिल है या नहीं।
शंटी सरदार की गिरफ्तारी और पत्रकारों का आक्रोश
पुलिस ने शंटी सरदार के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने की कोशिश की, ताकि मामले की गहराई से जांच करके सच्चाई का पता चल सके। थाना पर आईजी गौतम लाल मीना और डीआईजी हरिराम शर्मा ने शंटी सरदार से बृजेश गुप्ता हत्याकांड के बारे में पूछताछ शुरू की। शुरुआत में शंटी ने पुलिस अधिकारियों को बहलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन जब पुलिस ने तीसरी डिग्री का इस्तेमाल किया, तो वह टूट गया। उसने जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि पत्रकार बृजेश गुप्ता की हत्या उसने कनिका ग्रोवर और उसके भाई सनी मण के साथ मिलकर की थी। उन्होंने शव को शंटी की कार में रखकर कनिका के घर से कुछ दूरी पर रतनलाल पंपिंग स्टेशन के पास कार खड़ी कर दी थी।
शंटी सरदार ने अपना जुर्म कबूलने के बाद अपने घर से बृजेश गुप्ता की रिवॉल्वर और खून से सने अपने कपड़े भी पुलिस को बरामद कराए।
इधर, पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद पत्रकारों को जब बृजेश गुप्ता की हत्या में शामिल किसी आरोपी के पकड़े जाने की खबर मिली, तो दर्जनों पत्रकार थाना गोविंदनगर पहुंचे। उन्होंने पूछताछ कर रहे अधिकारियों के सामने ही शंटी सरदार को खींच लिया और उसे बुरी तरह पीटा। पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह पत्रकारों के चंगुल से उसे छुड़ाया और उसकी जान बचाई। सुरक्षा के लिहाज से उसे हवालात में बंद कर दिया गया।
पुलिस और पत्रकारों के बीच तनाव और हत्या के कारणों की जांच
कुछ समय बाद पुलिस ने संदेह के आधार पर दो अन्य युवकों को पकड़ा। जब पत्रकारों को इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने उन युवकों को भी पीट दिया, हालांकि पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। इस घटना के बाद शहर के अन्य पत्रकारों और मीडिया संगठनों ने कड़ी निंदा की, जिससे पुलिस और पत्रकारों के बीच तनाव और बढ़ गया। इसने पूरे शहर में एक नई बहस को जन्म दिया, जिसमें पत्रकारों की सुरक्षा और पुलिस के रवैए पर सवाल उठाए गए।
डीआईजी हरिराम शर्मा ने हत्या में शामिल कनिका ग्रोवर, उसकी मां अल्का और भाई सनी मण को पकड़ने के लिए तीन विशेष पुलिस टीम बनाई। ये टीमें तेजी से इलाहाबाद, मेरठ और धनबाद की ओर रवाना हुईं। धनबाद जिले के आसनपुर में कनिका का ननिहाल है, और गीतांजलि इलेक्ट्रॉनिक नाम से वहां उसके मामा की दुकान है। इलाहाबाद और मेरठ में भी कनिका की रिश्तेदारी है। क्योंकि शती सरदार ने जुर्म कबूल कर लिया था और हत्या में शामिल अन्य लोगों के नाम भी बता दिए थे, पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई तेज की।
थाना गोविंदनगर पुलिस ने बृजेश गुप्ता के भाई प्रभात गुप्ता की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 201 के तहत कनिका ग्रोवर, उसके भाई सनी मणि, मां अल्का, चाचा राजीव और शती सरदार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। इस रिपोर्ट के आधार पर शंटी सरदार को विधि संगत तरीके से बंदी बना लिया गया। अब यह तो स्पष्ट हो गया था कि हत्या किसने की, लेकिन पुलिस के लिए यह जानना बहुत जरूरी था कि हत्या का कारण क्या था।
कनिका ग्रोवर और बृजेश गुप्ता की मुलाकात और प्यार की शुरुआत
कानपुर का एक पॉश इलाका रतनलाल नगर है, जहां ज्यादातर रसोई के बंगले हैं। इसी रतनलाल नगर में अर्जुन दिवाकर का बंगला था, जिसका आधा हिस्सा उन्होंने राजेंद्र ग्रोवर को किराए पर दे रखा था। राजेंद्र ग्रोवर की स्कूटर मरम्मत की दुकान थी, जिसमें उनके दोनों बेटे भी मदद करते थे। इसके अलावा, वह पुरानी मोटरसाइकिलों की खरीद-फरोख्त करते थे, और चोरी की गाड़ियां सस्ते दामों में खरीदकर और नकली कागज बनवाकर उन्हें महंगे दामों में बेचते थे, जिससे उनकी अच्छी कमाई होती थी।
राजेंद्र की बेटी कनिका बहुत ही सुंदर और पढ़ाई में तेज थी। उसने बीए की परीक्षा पास की थी और पत्रकारिता में रुचि रखते हुए दिल्ली से पत्रकारिता का डिप्लोमा भी किया था। अब वह नौकरी की तलाश में थी। एक दिन उसकी मुलाकात बृजेश गुप्ता से हुई, जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार थे और न्यूज 24 चैनल से जुड़े थे। बृजेश गुप्ता के पिता की मृत्यु हो चुकी थी, और उनके दो भाई, बृजेंद्र और प्रभात, थे। बृजेंद्र सहारा चैनल के संवाददाता थे, जबकि बृजेश गुप्ता स्थानीय चैनल सीएनएन के स्थानीय संचालक थे। उनका ऑफिस किदवई नगर में था, जहां उनकी मुलाकात कनिका से हुई। कनिका की सुंदरता और हंसमुख स्वभाव ने बृजेश को आकर्षित कर लिया।
कनिका के पास पत्रकारिता का डिप्लोमा था, इसलिए बृजेश ने उसे न्यूज रीडर के पद पर नियुक्त कर लिया। कनिका ने अपना काम अच्छे से किया, जिससे बृजेश भी संतुष्ट था। साथ काम करते हुए दोनों एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए। बृजेश जहां कनिका की सुंदरता से प्रभावित था, वहीं कनिका बृजेश के व्यक्तित्व से। ऑफिस में दोनों खुलकर बातें करते और हंसी-मजाक करते थे, और कनिका को यह बिल्कुल भी बुरा नहीं लगता था। अब तक दोनों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम की भावना विकसित हो चुकी थी, लेकिन इस भावना का इजहार करने की हिम्मत न तो बृजेश जुटा पा रहा था और न ही कनिका।
आखिरकार, एक दिन बृजेश ने हिम्मत जुटाई और कनिका का हाथ लिया, और प्यार का इजहार किया। कनिका ने मुस्कुराते हुए अपनी भावनाएं साझा की, और इस तरह उनके बीच एक नई शुरुआत हुई। इसके बाद दोनों का प्यार बढ़ने लगा और दोनों के बीच शारीरिक मिलन भी होने लगा।
कनिका और ब्रजेश के संबंधों में तनाव और ब्लैकमेलिंग
ब्रजेश गुप्ता के पास एक मारुती कार थी, जिसमें वह कनिका को लेकर घूमता और रेस्टोरेंट जाता था। ब्रजेश को बियर पीने का शौक था, और उसने यह आदत कनिका को भी लगा दी। अब कनिका भी बियर पीने लगी थी और अपने हाथों से जाम बनाकर ब्रजेश को पिलाती थी। कुछ समय बाद, जब कनिका और ब्रजेश के अवैध संबंधों की खबर कनिका के परिवार तक पहुंची, तो वे बहुत चिंतित हो गए। उन्होंने कनिका को समझाया कि ब्रजेश उनकी जाति और बिरादरी का नहीं है, और वह कभी उससे शादी नहीं करेगा। उनका मानना था कि ब्रजेश सिर्फ उसके शरीर का फायदा उठाकर उसे छोड़ देगा। लेकिन कनिका को यह बातें बिल्कुल अच्छी नहीं लगीं, और उसने ब्रजेश से अपने संबंध खत्म करने से इंकार कर दिया।
ब्रजेश गुप्ता, कनिका को अपनी कार से पूरे शहर में घुमाता था और कभी-कभी होटल में ले जाकर वहां रंगरलियां मनाता था। एक दिन, ब्रजेश ने कनिका की बियर में नशे की गोलियां डाल दीं और होटल के बंद कमरे में उसकी ब्लू फिल्म बना ली। जब कनिका को इसकी जानकारी हुई, तो वह नाराज हो गई और ब्रजेश से फिल्म वापस करने को कहा, लेकिन ब्रजेश ने फिल्म वापस करने से साफ मना कर दिया। अब वह ब्लू फिल्म के जरिए कनिका से ब्लैकमेल करने लगा और उसे अपने तरीके से इस्तेमाल करने लगा। कनिका बहुत परेशान हो गई, और एक दिन उसने पुलिस में शिकायत करने का निर्णय लिया, लेकिन ब्रजेश के पत्रकार होने और पुलिस अधिकारियों के साथ अच्छे संबंधों के कारण पुलिस ने उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और इसे नजरअंदाज कर दिया। इससे कनिका के परिवार की चिंताएं और बढ़ गईं।
पुलिस से न्याय न मिलने के बाद, कनिका ने ब्रजेश पर शादी करने का दबाव डालना शुरू किया, लेकिन ब्रजेश ने साफ मना कर दिया। उसने कहा कि वह शादी नहीं करेगा और यदि कनिका ने किसी और से शादी की, तो वह उसकी ब्लू फिल्म सार्वजनिक कर देगा। इसी कारण, कनिका के मन में ब्रजेश के प्रति नफरत पैदा हो गई। उसने अपनी परेशानी अपने माता-पिता और भाई को बताई, और उनके गुस्से में आकर कनिका के पिता, राजेंद्र ग्रोवर की ब्रजेश गुप्ता से तीखी झड़प हुई। यह झड़प मारपीट तक पहुंच गई, लेकिन कनिका के बीच में आने से मामला शांत हो गया।
ब्रजेश गुप्ता के खिलाफ बदले की योजना और हत्या की अनुमति
ब्रजेश गुप्ता ने कनिका के परिवार से खुन्नस लेते हुए पुलिस से सांठ-गांठ कर राजेंद्र ग्रोवर को वाहन चोरी के आरोप में जेल भेजवा दिया, जो 1 मार्च 2009 को हुआ। इसके बाद कनिका ने ऑफिस जाना बंद कर दिया था, लेकिन ब्रजेश का फोन आने पर वह उससे बात कर लेती थी। दरअसल, कनिका को ब्लू फिल्म के सार्वजनिक होने का डर था और उसे यह भी डर था कि ब्रजेश गुप्ता उसके भाइयों को जेल ना भिजवा दे, इसीलिए वह ब्रजेश से बात कर लेती थी, चाहे वह नहीं चाहती थी।
कनिका के भाई मनी सनी का एक दोस्त शंटी सरदार था, जो गोविंद नगर की चरणजीत सिंह कॉलोनी में रहता था। शंटी और उसके दो अन्य भाई, बंटी और महेंद्र, अखबार बेचने का काम करते थे। राजेंद्र ग्रोवर के जेल जाने के बाद शंटी ने मनी सनी की मदद भी शुरू कर दी थी। एक दिन, शंटी सरदार मनी सनी के घर आया और मनी सनी ने उसे बताया कि पत्रकार बृजेश गुप्ता ने उसकी बहन कनिका की ब्लू फिल्म बना ली है और अब उसे ब्लैकमेल कर रहा है। वह कनिका का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न कर रहा था और उसके पिताजी को भी फर्जी वाहन चोरी के मामले में जेल भिजवा चुका था। इसने पूरे परिवार का जीना मुश्किल कर दिया था।
सनी मनी की बातें सुनने के बाद शंटी सरदार बोला कि इसके लिए एक ही रास्ता है, और वह था बृजेश गुप्ता को ठिकाने लगा देना। लेकिन इसके लिए राजेंद्र ग्रोवर की अनुमति जरूरी थी। फिर, अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में शंटी ने राजेंद्र से बृजेश की हत्या के संबंध में बातचीत की, और राजेंद्र ने बृजेश को मारने की अनुमति दे दी।
ब्रजेश गुप्ता की हत्या की योजना और अंजाम
शंटी सरदार ने अपने दोस्त सनी मणि, उसकी मां अल्का और बहन कनिका के साथ मिलकर ब्रजेश गुप्ता की हत्या की योजना बनाई। योजना के तहत, कनिका 3 मई 2009 से फिर से ब्रजेश के ऑफिस जाने लगी और पहले की तरह उसके साथ घुलमिल गई। वह ब्रजेश गुप्ता के कहने पर सब करती रही और इस बात का जरा भी आभास नहीं होने दिया कि उसके दिल में ब्रजेश के लिए नफरत भरी हुई थी। ऑफिस का समय खत्म होने के बाद, ब्रजेश गुप्ता अपनी मारुती कार से कनिका को घर छोड़ने आता था और कभी-कभी कनिका के आग्रह पर, वह उसके घर पर चाय पानी भी पीने आ जाता था।
12 जून 2009 की रात, बृजेश गुप्ता की हत्या के लिए एक बार फिर योजना बनाई गई। तय हुआ कि कनिका 13 जून 2009 को शाम 7 बजे के आसपास बृजेश को घर लेकर आएगी। यह समय इस वजह से तय किया गया क्योंकि उस वक्त मकान मालिक टहलने के लिए बाहर जाते थे और घर में सन्नाटा होता था। उस दिन, बृजेश गुप्ता कनिका को घर छोड़ने के लिए अपनी कार से चला, और रास्ते में कनिका के आग्रह पर ब्रीजेश ने बियर पी। 7 बजे के आसपास, वह रतनलाल नगर स्थित कनिका के घर पहुंचा। जैसे ही बृजेश गुप्ता ने कनिका को छोड़ने के बाद घर जाने के लिए गाड़ी का दरवाजा खोला, कनिका ने मुस्कराते हुए उसे रुकने के लिए कहा। बृजेश गुप्ता ने उसकी मुस्कान को समझा नहीं और जैसे ही वह घर के अंदर बरामदे में पहुंचा, तय योजना के अनुसार सनी मणि और शंटी सरदार कमरे से बाहर आए।
खतरा भापते हुए, बृजेश गुप्ता ने अपनी रिवॉल्वर निकाल ली, लेकिन उसी वक्त शंटी सरदार ने बृजेश के सिर पर भारी हथौड़े से प्रहार कर दिया। हथौड़े से सिर फटने के बाद, बृजेश गिर पड़ा। शंटी सरदार ने रिवॉल्वर अपने कब्जे में ली और फिर चाकू से उसे तड़पता हुआ मारने लगा। सनी मणि, कनिका और शंटी ने मिलकर बृजेश गुप्ता पर लगातार वार किए। हथौड़े से प्रहार कर उसके हाथ-पैर तोड़ दिए गए और आखिरकार, बृजेश गुप्ता ने दम तोड़ दिया।
ब्रजेश गुप्ता की हत्या और आरोपियों की गिरफ्तारी
ब्रजेश गुप्ता के हाथों में दो सोने की अंगूठियां थीं, जिन्हें कनिका की मां अल्का ने उतार लिया। उसके बाद, ब्रजेश को मौत के घाट उतारने के बाद, उसका शव बोरे में भरकर उसी की मारुती कार में पीछे की सीट पर डाल दिया और ऊपर से सफेद चादर डाल दी। इसके बाद, शंटी सरदार ने कार को रतनलाल नगर स्थित पंपिंग स्टेशन पर खड़ी कर दिया और अपने घर वापस चला गया। सनी मणि स्कूटर लेकर अपने चाचा राजीव ग्रोवर की दुकान पर गया और कुछ पैसे मांगे, फिर वहीं स्कूटर छोड़कर फरार हो गया।
सनी मणि के जाने के बाद, कनिका और उसकी मां अल्का ने फर्श पर पड़ा खून साफ किया और फिर रात बिता दी। सुबह, जब मां-बेटी घर से जाने लगीं, तो मकान मालकिन कीरण ने उन्हें टोका। इस पर कनिका ने कहा कि उसकी चाची की तबीयत खराब है, वह उन्हें देखने जा रही है।
इसी दौरान, रतनलाल नगर के दिलीप सिंह नेगी ने अपने घर के सामने एक लावारिस कार खड़ी देखी और इसकी सूचना अपने मित्र इंद्रजीत को दी। इंद्रजीत ने पुलिस और कुछ पत्रकारों को सूचित किया, जिसके बाद पुलिस ने आकर ब्रजेश के शव को बरामद किया और एक आरोपी शंटी सरदार को गिरफ्तार किया। शंटी से पूछताछ में यह बात सामने आई कि ब्लैकमेलिंग और सेक्स के खेल के कारण ही ब्रजेश की हत्या की गई थी।
15 जून 2009 को, थाना गोविंद नगर पुलिस ने आरोपी शंटी सरदार को सी जेएम कोर्ट में पेश किया, जहां उसे जिला कारागार भेज दिया गया। 17 जून 2009 को, सनी मणि, उसके चाचा राजीव ग्रोवर, मां अल्का और बहन कनिका ग्रोवर ने थाना गोविंद नगर पुलिस के समक्ष खुद को आत्मसमर्पण कर दिया और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर जिला कारागार भेज दिया।