सायनाइड और झूठ: वह खतरनाक प्यार जो ऑस्ट्रेलिया को हिलाकर रख गया

केरल के एक छोटे से गांव से निकलकर, सैम और सोफिया ने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न सीबीडी से 18 किलोमीटर दूर एपिंग सबर्ब में अपनी एक प्यारी सी दुनिया बसा ली थी। उनका जीवन खुशहाल और सामान्य चल रहा था। लेकिन 14 अक्टूबर 2015 की सुबह ने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी।

उस दिन सुबह जब सोफिया की आंख खुली, तो उसने देखा कि उसके पति सैम के मुंह से झाग निकल रहा था। यह दृश्य देख उसके होश उड़ गए। सैम का शरीर ठंडा पड़ चुका था और उसके हाथ-पैर अकड़ गए थे। घबराई हुई सोफिया ने तुरंत बगल में सो रहे अपने 6 साल के बेटे को जगाया और मेलबर्न में ही रहने वाली अपनी बहन सोनिया, जो पेशे से नर्स थी, को कॉल किया। साथ ही, पास में रहने वाली अपनी एक फ्रेंड को भी बुलाया।

सुबह के 9:01 बजे थे। सोनिया के सुझाव पर सोफिया ने इमरजेंसी सर्विस को फोन किया। कॉल के दूसरी तरफ मौजूद महिला ऑपरेटर ने सैम को सीपीआर और कंप्रेशन देने की सलाह दी। लेकिन जब सोनिया और सोफिया ने कोशिश की, तो पाया कि सैम के मुंह से लगातार झाग और खून निकल रहा था। सैम का जबड़ा इतनी बुरी तरह से बंद हो चुका था कि उसकी जीभ दांतों के बीच फंसी हुई थी।

वहां खड़ा 6 साल का मासूम बेटा अपनी मां और बाकी लोगों को परेशान देखकर सहमा हुआ था। एक रात पहले तक जो पिता हंसते-खेलते उसके साथ थे, अब उसी पिता को इस हालत में देखकर बच्चा सदमे में था।

13 मिनट बाद पैरामेडिक्स की टीम वहां पहुंची। उन्होंने सैम का पजामा और टॉप हटाकर उसकी हार्टबीट और बॉडी टेम्परेचर चेक किया। सैम का शरीर 27.7 डिग्री सेल्सियस पर था, जो सामान्य तापमान से 10 डिग्री कम था। टीम ने सीपीआर और रिवाइवल के हर संभव प्रयास किए, लेकिन उनकी कोशिशें नाकाम रहीं। अंततः सैम ने दम तोड़ दिया।

पैरामेडिक्स की प्रारंभिक जांच में पता चला कि सैम की मौत नींद में हार्ट अटैक आने की वजह से हुई थी। एक रात पहले तक सब कुछ ठीक था, लेकिन अगली सुबह इस परिवार के जीवन में ऐसा तूफान आया जिसने सब कुछ बदलकर रख दिया।

Real life crime story of a Kerala Couple which led to a murder mystery

33 वर्षीय सैम की असमय मृत्यु ने सोफिया और उसके 6 साल के बेटे को गहरे दुख में डाल दिया। एक मां के लिए यह एक अनकही त्रासदी थी, जहां उसे अपने बेटे को यह समझाना था कि अब उसके पिता वापस नहीं आएंगे।

पुलिस की फॉरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की और कुछ तस्वीरें लीं। हालांकि, जांच में कोई फाउल प्ले या असामान्य गतिविधि के संकेत नहीं मिले।

यह घटना केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह तेजी से बढ़ती हृदय संबंधी समस्याओं का प्रतीक बन गई है। सैम की कम उम्र में हुई मौत ने यह साबित कर दिया कि अब हार्ट अटैक जैसी समस्याएं उम्र का लिहाज नहीं करतीं। सोफिया के लिए यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि उसके जीवन का सबसे बड़ा नुकसान था।

दर्द और सवालों से घिरी एक अनहोनी

जब मेलबर्न में सैम की मौत की खबर फैली, तो पुलिस ने हर कोण से जांच की। लेकिन घर पर किसी भी तरह की जबरन घुसपैठ (फोर्स एंट्री) के सबूत नहीं मिले, जिस वजह से क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन टीम को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी। यह घटना जितनी साफ-सुथरी नजर आ रही थी, उतनी ही दर्दनाक थी।

एक असहनीय फोन कॉल

केरल में सैम के माता-पिता को जब यह खबर दी गई, तो उनके लिए यह विश्वास करना मुश्किल था। यह फोन कॉल सोफिया की थी, जिसने रोते हुए उन्हें सैम की मौत के बारे में बताया। यह ऐसा फोन था जिसे कोई भी मां-बाप अपनी जिंदगी में कभी नहीं सुनना चाहते। उस परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

हजारों मील दूर, मेलबर्न में सोफिया भी अपनी हिम्मत खोने लगी थी। लेकिन मेलबर्न पुलिस और मेडिकल टीम के सहयोग से, सोफिया अपने बेटे के साथ सैम की डेड बॉडी को केरल ले जाने में सफल रही।

मलयाली डायस्पोरा का सहारा

मेलबर्न में रह रहे मलयाली समुदाय ने इस कठिन समय में सोफिया की मदद के लिए 4,000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर जुटाए। उनकी मदद से सैम की बॉडी और सोफिया अपने बेटे के साथ 16 अक्टूबर 2015 को केरल पहुंची।

यादों का सफर और सैम की आखिरी इच्छा

सैम केरल से हमेशा गहराई से जुड़ा रहा था। वह अपने व्यस्त शेड्यूल के बावजूद हर साल अपनी पत्नी और बेटे के साथ छुट्टियां बिताने के लिए केरल आता था। दुखद यह है कि सैम और सोफिया, मौत से केवल चार दिन पहले ही दो सप्ताह का केरल दौरा खत्म करके ऑस्ट्रेलिया लौटे थे। उस वक्त किसी को अंदाजा नहीं था कि यह उनकी आखिरी यात्रा होगी।

सैम के पिता के लिए यह घटना और भी विचलित करने वाली थी। उन्होंने याद किया कि इस बार सैम घर पर असामान्य रूप से शांत और खोया-खोया था। केरल से ऑस्ट्रेलिया लौटते समय, उसने अपने पिता और रिश्तेदारों से यह बात कही थी: “मुझे लगता है कि जब मैं अगली बार घर आऊंगा, तो मैं जिंदा नहीं बल्कि एक कॉफिन में आऊंगा।”

इतना ही नहीं, सैम ने अपने परिवार वालों से यह इच्छा भी जताई थी कि उसकी मृत्यु के बाद उसे उसके दादा की कब्र के पास दफनाया जाए।

सैम की ये बातें हर किसी के मन में एक सवाल छोड़ गईं। क्या उसे अपनी मौत का पूर्वाभास था? क्या यह केवल एक इत्तेफाक था, या फिर इसके पीछे कुछ और गहराई छिपी थी?

परिवार का दुख और समाज का सवाल

सोफिया सैम के कास्केट के पास बैठी कभी फूट-फूट कर रोती तो कभी एकदम शांत हो जाती। कभी वह सैम के माथे को चूमती, तो कभी उसका हाथ पकड़कर फुसफुसाती। उस माहौल में इतना दर्द भरा था कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।

लेकिन सैम की मौत के कारणों पर उठते सवाल सभी को परेशान कर रहे थे। क्या वाकई उसकी मौत का कारण हार्ट अटैक था, या फिर इसके पीछे कोई अनदेखी साजिश छिपी थी?

सैम जैसे हंसमुख और परिवार से जुड़े इंसान के इस तरह चले जाने ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया।

एक और झटका: उम्मीदों से टूटती कड़ी

सैम के गुजरने के बाद सोफिया की जिंदगी मानो पूरी तरह बिखर गई थी। उसके चेहरे पर झलकता दर्द हर किसी के दिल में टीस पैदा कर देता था। वह बुरी तरह टूट चुकी थी। सैम की मौत के केवल 10 दिन बाद, 24 अक्टूबर 2015 को, सोफिया अपने बेटे के साथ ऑस्ट्रेलिया वापस लौटने के लिए मजबूर हो गई। उसकी जॉब और बेटे की पढ़ाई के कारण वह केरल में ज्यादा समय नहीं रुक सकी।

हालांकि, लौटने के बाद भी उसने हर शनिवार को सैम के माता-पिता को फोन कर उनका हालचाल लेना जारी रखा। बुजुर्ग माता-पिता के लिए यह छोटी-सी बात भी उनके जीवन में बड़ी खुशी लेकर आती थी। उनके लिए बहू और पोते की आवाज ही काफी थी। लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आने वाला था, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

जुलाई 2016: एक लंबा इंतजार और अनजानी चिंता

सैम के गुजरने के नौ महीने हो चुके थे। हर शनिवार की तरह, सैम के माता-पिता उस दिन भी सोफिया के कॉल का इंतजार कर रहे थे। लेकिन वह कॉल नहीं आया। उन्होंने सोचा कि शायद सोफिया किसी वजह से व्यस्त होगी और अगले शनिवार कॉल कर लेगी।

लेकिन जब दूसरा शनिवार भी बीत गया और सोफिया का कोई कॉल नहीं आया, तो उनकी चिंता बढ़ने लगी। पिछले नौ महीनों में यह पहली बार था कि दो हफ्ते से ज्यादा वक्त बीत चुका था और उनकी सोफिया से बात नहीं हुई थी।

चिंता से भय तक

आखिरकार, अपनी बेचैनी को दूर करने के लिए उन्होंने मेलबर्न में रह रही सोफिया की बहन सोनिया को फोन किया। सोनिया से उन्होंने सोफिया के बारे में पूछा। लेकिन जो जवाब उन्हें मिला, वह उनके पैरों तले जमीन खींचने जैसा था।

सोनिया ने बताया: “आप ही नहीं, बल्कि कोई भी सोफिया से बात नहीं कर सकता। सोफिया पिछले 15 दिनों से जेल में है।”

परिवार पर एक और वज्रपात

यह सुनते ही सैम के माता-पिता पर जैसे एक और गहरा आघात हुआ। उनके लिए यह यकीन करना मुश्किल था कि जो बहू हर शनिवार उन्हें कॉल करती थी, वह अब जेल में है। उनके दिमाग में अनगिनत सवाल उठने लगे। आखिर ऐसा क्या हुआ कि सोफिया को जेल जाना पड़ा?

सैम की मौत के बाद पहले ही परिवार गहरे दुख में डूबा था, और अब यह नई घटना उनके लिए एक नई चुनौती बनकर सामने आई थी।

अनदेखे अंधेरे की ओर

सैम के माता-पिता की उम्मीदों और भावनाओं का सहारा, हर शनिवार की वह कॉल, अब एक अनजान अंधेरे में बदल चुकी थी। उनके लिए यह समझ पाना मुश्किल था कि उनकी जिंदगी में यह नया मोड़ क्यों आया। सैम की मौत के गम से उबरने की कोशिश कर रहा यह परिवार अब एक और संकट से जूझने के लिए मजबूर हो गया।

सोफिया का जेल जाना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं थी, बल्कि यह उस परिवार के लिए एक और बड़ा आघात था, जो पहले ही अपनी खुशियां खो चुका था।

सैम की मौत, सोफिया की गिरफ्तारी और एक रहस्यमयी किरदार

सोफिया का ऑस्ट्रेलिया की जेल में होना ही चौंकाने वाला था, लेकिन उससे भी ज्यादा शॉकिंग वह वजह थी, जिसके चलते उसे गिरफ्तार किया गया। जब सैम के माता-पिता ने सोफिया के जेल जाने का कारण पूछा, तो उनकी दुनिया उलट-पलट हो गई। सोफिया को सैम की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

यह खबर न केवल दर्दनाक थी, बल्कि सवालों से घिरी हुई थी।

  • अगर सैम की मौत हार्ट अटैक से हुई थी, तो इसमें सोफिया का क्या रोल हो सकता था?
  • अगर वह दोषी थी, तो पुलिस को उसे पकड़ने में 10 महीने क्यों लगे?
  • क्या यह सच में सोफिया की साजिश थी, या वह किसी गहरी चाल का शिकार हुई थी?

ऑटोप्सी रिपोर्ट से खुला मौत का राज

सैम की मौत के कुछ दिनों बाद आई ऑटोप्सी रिपोर्ट ने पुलिस के हाथ बड़े सुराग दिए।

  1. साइनाइड की उपस्थिति: सैम के खून में हाई लेवल साइनाइड पाया गया था।
  2. क्लोनाजेपम के ट्रेस: यह एक दवा है, जिसका इस्तेमाल पैनिक डिसऑर्डर और नींद की गोलियों के रूप में होता है।

इन दो तत्वों की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया कि सैम की मौत स्वाभाविक नहीं थी, बल्कि यह एक योजनाबद्ध हत्या थी। पुलिस का पहला शक स्वाभाविक रूप से सोफिया पर गया।

ऑस्ट्रेलियन पुलिस की लंबी योजना

पुलिस ने तुरंत सोफिया से पूछताछ करने के बजाय, एक लंबी और सावधानीपूर्वक योजना बनाई। उन्होंने सोफिया की हर हरकत पर नजर रखने के लिए अलग-अलग टीमें बनाईं:

  1. एक टीम: सोफिया की हर मूवमेंट ट्रैक कर रही थी।
  2. दूसरी टीम: उसके कॉल रिकॉर्ड्स की मॉनिटरिंग कर रही थी।
  3. तीसरी टीम: उसके बैंक खातों और वित्तीय लेन-देन पर ध्यान दे रही थी।

यह निगरानी हफ्तों और महीनों तक चली, क्योंकि पुलिस जानती थी कि अपराधी कितना भी चतुर हो, कहीं न कहीं गलती जरूर करता है।

सोफिया के संदिग्ध कदम

पांच महीने बाद, पुलिस ने सोफिया के व्यवहार में कुछ चौंकाने वाले बदलाव देखे:

  1. सैम की कार का ट्रांसफर: सोफिया ने सैम की कार एक अजनबी शख्स के नाम ट्रांसफर कर दी।
  2. जॉइंट अकाउंट: उसी शख्स के साथ उसने बैंक में जॉइंट अकाउंट खुलवाया और सैम के अकाउंट से सारे पैसे ट्रांसफर कर लिए।
  3. गुप्त मुलाकातें: सोफिया को मेलबर्न में एक शख्स से मिलते-जुलते देखा गया। कभी वे पार्क में, तो कभी किसी कैफे में नजर आते। शुरू में वे भीड़ से बचते दिखे, लेकिन बाद में उनका डर खत्म हो गया।

पुलिस की जांच का बड़ा खुलासा

पुलिस ने पाया कि सोफिया के साथ लगातार मिलने वाला यह शख्स और कोई नहीं बल्कि अरुण कमलासनन नाम का व्यक्ति था।

  • अरुण वही व्यक्ति था, जिसके नाम पर सोफिया ने सैम की कार ट्रांसफर की।
  • वही, जिसके साथ उसने जॉइंट अकाउंट खुलवाया।
  • और वही, जिसके साथ उसने मेलबर्न के अलग-अलग स्थानों पर समय बिताया।

पुलिस की निगरानी टीम ने इन दोनों के बीच 100 घंटे से भी ज्यादा की कॉल रिकॉर्डिंग भी टैप की थी। जब सभी सबूतों को एकत्र किया गया, तो यह साफ हो गया कि अरुण कमलासनन इस कहानी का एक अहम किरदार है।

बड़ा सवाल

अब सवाल यह है कि आखिर अरुण कमलासनन कौन है, और इस मर्डर मिस्ट्री में उसकी क्या भूमिका है?
क्या वह सैम की मौत का मास्टरमाइंड है, या फिर सोफिया के साथ मिलकर उसने यह साजिश रची थी? इस मॉडल मिस्ट्री के पीछे की असल सच्चाई क्या है, यह जानना बाकी था।

सैम और सोफिया की प्रेम कहानी: एक खौफनाक मोड़ तक का सफर

सैम और सोफिया की कहानी शुरू होती है केरला के कोल्लम जिले के एक छोटे से गांव करुवालु से, जहां सैम का जन्म हुआ था। सैम बचपन से ही शांत और बुद्धिमान बच्चा था। इसके साथ ही, वह सिंगिंग में भी अच्छा था, जिसके चलते वह अपने लोकल चर्च के क्वायर ग्रुप का हिस्सा बना।

प्यार की शुरुआत

इसी ग्रुप में सैम की मुलाकात सोफिया से हुई। दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्त बन गए, और पड़ोस में घर होने की वजह से वे एक-दूसरे के साथ अधिकतर समय बिताते।

  • पहले उन्होंने एक ही स्कूल में पढ़ाई की।
  • फिर, दोनों एक ही कॉलेज में पहुंचे।
    धीरे-धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई।

करियर की तरफ कदम और नए रिश्ते की शुरुआत

साल 2003 में सैम ने तय किया कि वह अपना एमबीए पूरा करने के बाद सोफिया से शादी करेगा।

  • सैम तमिलनाडु के डिंडीगुल में एमबीए करने चला गया।
  • दूसरी तरफ, सोफिया ने केरला में महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन शुरू कर दी।

यहीं पर कहानी ने एक नया मोड़ लिया। इसी यूनिवर्सिटी में सोफिया की दोस्ती एक इंजीनियरिंग के छात्र अरुण कमलासनन से हुई।

  • एक ही कॉलेज में होने की वजह से सोफिया और अरुण ने काफी वक्त साथ बिताया।
  • यह दोस्ती धीरे-धीरे एक अफेयर में बदल गई।

सैम को भनक तक नहीं

सैम, जो तमिलनाडु में अपनी पढ़ाई में व्यस्त था, इस बात से बिल्कुल अनजान था कि सोफिया अब एक ही समय में दो रिश्तों को निभा रही है।

स्नातक के बाद फिर से साथ

2005 में, जब:

  • अरुण ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और उसे नौकरी मिल गई।
  • सैम ने एमबीए खत्म कर लिया।
  • सोफिया ने पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी कर ली।

इसके बाद, सैम और सोफिया फिर से एक-दूसरे के करीब आ गए। लेकिन गौर करने वाली बात यह थी कि सोफिया ने सैम को कभी अपने और अरुण के अफेयर के बारे में कुछ नहीं बताया।

शादी का फैसला और पिता का विरोध

साल 2008 तक, सैम और सोफिया ने शादी करने का फैसला कर लिया।

  • दोनों परिवार एक-दूसरे को जानते थे, इसलिए इस फैसले ने किसी को चौंकाया नहीं।
  • हालांकि, शुरू में सैम के पिता ने इस रिश्ते से इंकार कर दिया।

लेकिन सोफिया ने धमकी दी कि अगर उसकी शादी सैम से नहीं हुई, तो वह अपनी जान दे देगी। यह सुनकर सैम के पिता को झुकना पड़ा।

साफ छवि, मगर छिपे राज

शादी के समय, किसी को यह अंदाजा नहीं था कि सोफिया, जो सैम से इस कदर प्यार जताती थी, वही महिला कुछ साल बाद सैम के मर्डर के आरोप में गिरफ्तार होगी।

छोटी-छोटी बातें, बड़े संकेत

हर केस और कहानी में छोटी-छोटी डिटेल्स मायने रखती हैं। जब इस केस की गहराई से जांच हुई, तो यह साफ हुआ कि इंसान का दिमाग किस हद तक उसे गिरने पर मजबूर कर सकता है।

  • सोफिया का अरुण के साथ कॉलेज का अफेयर।
  • सैम से उसका प्यार और शादी के लिए उसका जुनून।
  • और अंत में, उसका सैम के मर्डर केस में गिरफ्तारी।

यह सब यह दिखाता है कि कैसे एक मासूम रिश्ते की शुरुआत धीरे-धीरे एक भयावह अंत तक पहुंच गई।

शुरुआत से बदलाव तक

साल 2008 में ईसाई धर्म के रीति-रिवाजों से सैम और सोफिया की धूमधाम से शादी हो गई। एक साल बाद दोनों माता-पिता बन गए, और उनकी ज़िंदगी अच्छी चल रही थी। सोफिया बेंगलुरु की एक फर्म में काम कर रही थी, जबकि सैम की नौकरी ओमान के लूलू एक्सचेंज में लगी, जिससे उसे देश छोड़कर बाहर जाना पड़ा। यहीं से स्थिति बदलने लगी।

तीन साल बाद, 2011 में, सोफिया की बड़ी बहन सोनिया एंड्रूस पहले से ही ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में सेटल हो चुकी थी। सोफिया ने भी ऑस्ट्रेलिया में रहने की जिद की। शुरुआत में सैम इस पर राजी नहीं था क्योंकि उसके लिए ओमान से भारत आना आसान था और वह छुट्टियों में अपने परिवार के साथ समय बिता लेता था। उसने सोफिया को ओमान साथ चलने के लिए कहा, लेकिन सोफिया ने ऑस्ट्रेलिया में सेटल होने की जिद पकड़ ली।

आखिरकार, 2012 में, सोफिया अपने तीन साल के बेटे को लेकर मेलबर्न शिफ्ट हो गई। सैम के पास कोई विकल्प नहीं था, और चूंकि वह अपने करियर को लेकर बहुत महत्वाकांक्षी नहीं था, इसलिए कुछ महीने बाद, 2013 की शुरुआत में, वह भी ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हो गया। उसने अपने परिवार के साथ मेलबर्न में एक नई शुरुआत की।

इस बीच, सवाल उठता है कि 2003 में सोफिया से मिला अरुण कमलासनन ऑस्ट्रेलिया में कैसे आया। लेट 1990 के दशक में, पुलिस डिपार्टमेंट ने एक इन्वेस्टिगेटिव टेक्निक इंट्रोड्यूस की थी, जिसे “मिस्टर बिग” कहा जाता है। इस तकनीक में पुलिस ऑफिसर्स फेक क्रिमिनल गैंग बनाकर संदिग्ध से दोस्ती करते हैं ताकि उसका भरोसा जीतकर कन्फेशन हासिल किया जा सके। इस फेक गैंग के बॉस का कोड नेम “मिस्टर बिग” होता है।

ऑस्ट्रेलियन पुलिस ने इस केस को सॉल्व करने के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल किया। मिस्टर बिग, जो एक अंडरकवर पुलिस ऑफिसर थे, ने पहले अरुण से उस बार में दोस्ती की, जहां वह अक्सर जाता था। एक अंडरकवर पुलिस ऑफिसर ने महीनों तक अरुण का पीछा किया, बहाने से उसकी दोस्ती हासिल की, और कई महीनों बाद, बातचीत के दौरान, अरुण ने सच उगल दिया। यह कन्फेशन ट्रायल के दौरान कोर्ट में पेश किया गया।

12 अगस्त 2016: साजिश और गिरफ्तारी की कहानी

10 महीनों की कड़ी मेहनत और धैर्य के बाद, ऑस्ट्रेलियन फेडरल पुलिस ने कॉल और चैट रिकॉर्ड्स, सर्विलांस, एविडेंस, बैंक ट्रांजैक्शंस, और टेप सीक्रेट कन्फेशन के आधार पर सोफिया और अरुण को सैम की हत्या के संदिग्ध मानते हुए गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने जब दोनों के घर की तलाशी ली, तो उन्हें सोफिया और अरुण की डायरी मिली। सोफिया की डायरी एक सामान्य डायरी थी, जबकि अरुण के पास एक इलेक्ट्रॉनिक डायरी थी, जिसका डेटा उसके लैपटॉप की हार्ड ड्राइव में स्टोर था। इन डायरी में लिखी गई कई अहम जानकारियां पुलिस के सामने आईं।

2009 में, शादी के बाद सोफिया और अरुण का संपर्क फिर से हुआ। उस समय सोफिया बेंगलुरु में नौकरी कर रही थी, और सैम अपने काम के चलते ओमान चला गया था। इसी दौरान, सोफिया और अरुण का अफेयर फिर से शुरू हो गया। सैम को इस अफेयर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि वह दूसरे देश में था। समय के साथ, सोफिया और अरुण का जुनून एक-दूसरे के लिए बढ़ता गया। सैम के छुट्टियों में घर आने के दौरान भी सोफिया अरुण से संपर्क नहीं कर पाती थी, जो उसे असहनीय लगता था। इसीलिए, उसने ऑस्ट्रेलिया में शिफ्ट होने की योजना बनाई, जहां उसकी बड़ी बहन पहले से सेटल थी।

2012 में, सोफिया अपने बेटे के साथ मेलबर्न शिफ्ट हो गई। कुछ महीनों बाद, सैम भी ऑस्ट्रेलिया आ गया। 2013 में, अरुण ने भी मेलबर्न में कदम रखा। पुलिस को अरुण की इलेक्ट्रॉनिक डायरी में 7 जुलाई 2013 की एंट्री मिली, जिसमें उसने लिखा था: “मेट माय लव फॉर द फर्स्ट टाइम इन मेलबर्न आफ्टर सिक्स मंथ्स।” इससे यह पुष्टि हुई कि दोनों इंडिया में भी एक-दूसरे से मिलते थे।

मेलबर्न में सैम, सोफिया, और अरुण एक ही शहर में थे। सैम को आखिरकार सोफिया के अफेयर के बारे में पता चल गया। हालांकि, अपने परिवार को बचाने और बेटे के ख्याल से सैम ने सोफिया को माफ कर दिया। लेकिन सोफिया ने अपने झूठे आंसुओं और माफी के पीछे सैम को हमेशा के लिए हटाने की योजना बना ली थी।

जुलाई 2016 में, सैम पर मेलबर्न के लल स्टेशन में एक नकाबपोश व्यक्ति ने धारदार हथियार से हमला किया। हमलावर सैम की गाड़ी में पहले से छिपा था। हमला जानलेवा था, लेकिन सैम ने न केवल साहस के साथ उसका सामना किया बल्कि उसके चेहरे से नकाब भी हटा दिया। हमलावर भाग गया, लेकिन सैम ने उसका चेहरा पहचानने में असमर्थता जताई। पुलिस को सैम की गाड़ी से ज़िप टाई और हैंड कफ मिले।

इस घटना के बारे में पता चलते ही, पुलिस ने अरुण की उस दिन की लोकेशन की जांच की। चौंकाने वाली बात यह थी कि अरुण, जो एक मर्सिडीज-बेंज डीलरशिप में क्लीनर का काम करता था, उस दिन चोट का बहाना बनाकर काम पर नहीं गया था।

सैम की हत्या: सोफिया और अरुण की साजिश का खुलासा

पुलिस को पूरा यकीन था कि सैम पर हुए हमले के पीछे अरुण का ही हाथ था। सैम का जीवन खतरे में था, और वह इसे भांप चुका था। जब वह भारत में अपने माता-पिता से मिलने आया था, तो उसने कहा था, “नेक्स्ट टाइम आई वुड बी कमिंग हियर इन अ कॉफिन।”

14 अक्टूबर 2015 की रात, सोफिया और अरुण ने एक साजिश को अंजाम दिया। सोफिया ने सैम की नजरों से बचते हुए अरुण को घर बुलाकर छुपा दिया। फिर उसने अरुण की दी हुई स्लीपिंग पिल्स को सैम के मिल्कशेक में मिला दिया। जब सैम बेहोश हो गया, तो अरुण बाहर आया और अपने साथ लाए सायनाइड को ऑरेंज जूस में मिलाकर सैम के मुंह में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में डालना शुरू किया। सायनाइड ने सैम की मौत सुनिश्चित कर दी।

अब यह इन्वेस्टिगेटर्स की जिम्मेदारी थी कि इस सबूत को अदालत में साबित करें। सोफिया और अरुण की गिरफ्तारी के 17 महीने बाद, 29 जनवरी 2000 को जूरी ट्रायल शुरू हुआ। शुरुआत में दोनों ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन बाद में दोनों ने अलग-अलग कहानियां बनानी शुरू कर दीं।

अरुण ने पूरा दोष अपने ऊपर ले लिया। उसने दावा किया कि वह उस रात सैम और सोफिया के घर के सामने झाड़ियों में छिपा रहा। जब दोनों रात 10:00 बजे घर लौटे, तो वह गैराज के दरवाजे से अंदर दाखिल हुआ। उसने सैम के मिल्कशेक में दवा मिलाई, जिससे सब बेहोश हो गए। इसके बाद उसने सैम को सायनाइड मिला हुआ ऑरेंज जूस पिला दिया। उसने कहा कि सोफिया को इस साजिश की कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि अगर सोफिया को पता भी चल जाता, तो वह उसका साथ देती, क्योंकि वह उससे बहुत प्यार करती थी।

वहीं, सोफिया ने अपने बचाव में अरुण पर सारा दोष डाल दिया। उसने अदालत में कहा कि वह गहरी नींद में थी, और उसे इस घटना की कोई भनक नहीं लगी। कोर्ट में वह फूट-फूटकर रोई, लेकिन उसके आंसू बेकार हो गए जब पुलिस ने सोफिया और अरुण की सीक्रेट डायरी कोर्ट में पेश की।

इन डायरीज में दोनों ने अपने लव अफेयर, जुनून, और सैम को हटाकर एक-दूसरे के साथ रहने की ख्वाहिशों को विस्तार से लिखा था। इन एंट्रीज को इंग्लिश में ट्रांसलेट कर कोर्ट में पढ़ा गया, जो सोफिया और अरुण के खिलाफ अनडिनायबल सबूत साबित हुए।

सोफिया और अरुण का गहरी साजिश का खुलासा

सोफिया की डायरी में उसने अरुण के लिए कई भावनात्मक और शॉकिंग बातें लिखी थीं, जो उसकी साजिश को उजागर करती हैं। उसने लिखा था, “आई एम वेटिंग फॉर यू, आई विश टू स्लीप इन योर आर्म्स, आई वांट टू बी योर्स, बट यू आर नॉट माइन, मिस यू अ लॉट डियर, हग मी टाइट, होल्ड मी न्यूड, आई एम हियर फॉर यू, व्हाई आई एम मेड विद रॉक हार्ट, व्हाई आई एम सो क्रूअल, यू मेक मी डू बैड थिंग्स, व्हाई यू मेड मी बैड, आई फील लाइक रनिंग एंड कमिंग क्लोस टू यू, बट माय हार्ट इज हेल्पलेस।” इसके अलावा, 18 जुलाई 2013 की एक एंट्री में सोफिया ने लिखा था, “प्लानिंग इज ऑलवेज नीडेड इन व्हाट वी डू, एनी आइडिया विदाउट अ प्लान इज नो मोर देन अ ड्रीम।” यह संकेत देता है कि सोफिया ने पूरी साजिश 2013 से ही रचना शुरू कर दी थी।

यह डायरी का हिस्सा यह भी बताता है कि सोफिया ने सैम के ऑस्ट्रेलिया आने के बाद अरुण को भी वहीं बुला लिया था और शायद उसी साजिश के चलते उसने ट्रेन स्टेशन में सैम पर अरुण से हमला करवाया था।

अरुण की इलेक्ट्रॉनिक डायरी भी कोर्ट में पेश की गई, जिसमें उसने लिखा था, “इट मे टेक थाउजेंड्स ऑफ बुक्स टू डिस्क्राइब हाउ मच आई लव यू, इट टूक अ लॉन्ग टाइम टू गैदर द स्ट्रेंथ टू लेट हर नो अबाउट माय लव एंड हाउ मच आई लव, आई एम अफ्रेड हाउ मेनी मोर डेज आई नीड टू लिव इन पेन विदाउट हर, यस आई रीच नियर हर आ, प्रॉमिस टू बी देयर वरवर यू गो, शी इज बेस्ट मैच फॉर मी इन ऑल वेज, आई एम श्योर दैट वन डे शी विल बी माइन दिस लाइफ।” इन डायरी एंट्रीज से यह साफ होता है कि अफेयर सिर्फ सोफिया का नहीं था, बल्कि अरुण भी इसमें पूरी तरह शामिल था।

इस सबूत ने सोफिया के इंवॉल्वमेंट को नकारने की कोशिश को नकारा और उसकी साजिश को स्पष्ट कर दिया।

30 जनवरी 2018 को, प्रॉसिक्यूटर ने जूरी को बताया कि सैम के घर में कोई भी फोर्स एंट्री के साइन नहीं थे। इसके अलावा, सैम की ऑटोप्सी रिपोर्ट में साइनाइड और टैकलिन क्लोनजपम की उच्च मात्रा पाई गई, जिसे सोफिया ने अवकाडो मिल्क शेक में मिलाकर सैम को बेहोश करने के लिए दिया था। ये दोनों सबूत सोफिया और अरुण की बनाई हुई नई कहानी को पूरी तरह बेबुनियाद साबित कर गए।

अरुण और सोफिया की साजिश और कोर्ट केस का खुलासा

मेलबर्न के सन किल्डा में अरुण के फ्लैट में रहने वाले अजी परमेश्वरन ने शॉकिंग बयान दिए, जिनसे अरुण और सोफिया की साजिश का पर्दाफाश हुआ। परमेश्वरन ने बताया कि सोफिया अक्सर अरुण से मिलने उसके फ्लैट आती थी, और अरुण ने उसे इंडिया में अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में किसी को बताने से मना किया था। अरुण खुद शादीशुदा था और उसका एक बच्चा था, जो इंडिया में रहता था।

1 फरवरी 2018 को डिफेंस ने सवाल उठाया कि आखिर बेहोश पड़े सैम को कोई कैसे सायनाइड दे सकता है। इस पर प्रोसीक्यूटर ने सैम का पोस्टमॉर्टम करने वाले प्रोफेसर बर्क को कोर्ट में पेश किया। प्रोफेसर बर्क ने बताया कि इंसान का शरीर स्वचालित रूप से लिक्विड को धीमे-धीमे अवशोषित करता है, और सैम के शरीर में साइनाइड की उच्च मात्रा पाई गई थी। इसके बाद कोर्ट में यह साबित हुआ कि सैम के मुंह में साइनाइड मिला हुआ ऑरेंज जूस धीरे-धीरे डाला गया था, जिससे उसकी बॉडी इसे अवशोषित कर सकी।

ऑस्ट्रेलियन पुलिस के “कवर्ट ऑपरेशन मिस्टर बिग” ने अरुण की सीक्रेट वीडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में पेश की, जिसमें वह कह रहा था, “आजकल किसी की जान लेना बड़ा आसान है,” और यह भी बताया कि उसने किस तरह अपने प्यार के लिए साइनाइड से किसी की जान ली है। यह वीडियो असल में एक पुलिस ऑफिसर ने रिकॉर्ड की थी, जिसे अरुण ने अपनी बातें बिना सोचने के कह दीं।

सोफिया और अरुण के कॉल रिकॉर्ड्स, डायरीज, फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स और उनकी छुप-छुप कर मिलती तस्वीरों ने उनके अपराध को और स्पष्ट किया। कोर्ट में कई मेडिकल डॉक्युमेंट्स भी पेश किए गए, और उनके काउंसिल ने मानसिक समस्याओं का हवाला देकर इसे माफ करने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज कर दिया।

16 अगस्त 2018 को कोर्ट ने अरुण को 24 साल की सजा सुनाई, जिसमें उसे 20 साल तक परोल नहीं मिल सकती थी, जबकि सोफिया को 22 साल की सजा सुनाई गई, जिसमें वह 18 साल तक परोल के लिए अप्लाई नहीं कर सकती थी। हालांकि, अरुण की सजा पहले 27 साल थी, जो बाद में घटाकर 24 साल कर दी गई।

सोफिया की बेल एप्लीकेशन को भी रिजेक्ट कर दिया गया, और कोर्ट ने माना कि इस केस का सबसे बड़ा विक्टिम सैम का बेटा था, जो उस वक्त 9 साल का था। कोर्ट ने सैम के बेटे की कस्टडी सोफिया की बड़ी बहन सोनिया को दे दी, लेकिन सैम के माता-पिता इस फैसले से नाखुश थे और ग्रैंडसन की कस्टडी की मांग कर रहे थे।

सोफिया के पास ऑस्ट्रेलिया की सिटिज़नशिप है, इसलिए वह अपनी सजा पूरी करने के बाद भी ऑस्ट्रेलिया में रह सकती है। हालांकि, अगर वह ऑस्ट्रेलिया छोड़ती है तो उसे दोबारा लौटने का मौका नहीं मिलेगा। अरुण के पास ऑस्ट्रेलिया की सिटिज़नशिप नहीं थी, इसलिए उसे जेल से बाहर आने के बाद इंडिया भेज दिया जाएगा।

इस केस ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सोफिया जिस सैम से शादी करने के लिए इस हद तक चली गई थी, वही सोफिया अब सैम की मौत का कारण बन गई। सोफिया ने पूरी दुनिया के सामने एक विधवा का नाटक किया और सैम की मौत को लेकर शोक जताया, लेकिन क्या वास्तव में वह उस बच्चे के बारे में सोच रही थी, जिसके सिर से उसने पिता का साया छीन लिया?

अरुण, जो एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति था, और एक शादीशुदा था, उसकी हवस ने न केवल अपने परिवार का भविष्य बर्बाद किया, बल्कि उसने सैम की जान भी ली। यह केस एक बुरी मिसाल बनकर सामने आया कि किस तरह एक महिला और पुरुष की सनक, हवस और पागलपन ने पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी।

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