इस घटना की शुरुआत केरल के तिरुवनंतपुरम से होती है, जहां 2012 में 25 साल की एक लड़की, कुमारी इंदु, एक रिसर्च स्कॉलर के रूप में पढ़ाई के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान में आती है। इंदु न केवल दिखने में बेहद खूबसूरत थी, बल्कि पढ़ाई में भी काफी होशियार थी।
इंदु इस संस्थान में पढ़ाई करने के लिए आई थी, लेकिन वह यहां नई थी और इसलिए उसके ज्यादा दोस्त नहीं थे। वह अपनी क्लासेज अटेंड करती और ज्यादातर समय पढ़ाई में व्यस्त रहती। इसी दौरान, इंदु की मुलाकात संस्थान में एक स्टाफ सदस्य सुभाष से होती है, जो उम्र में इंदु से थोड़ा बड़ा था।
पहली मुलाकात के बाद, सुभाष इंदु की पढ़ाई और प्रोजेक्ट्स में मदद करने लगा। इस दौरान, दोनों के बीच बातचीत और मुलाकातों का सिलसिला बढ़ने लगा और धीरे-धीरे वे अच्छे दोस्त बन गए। दोनों अक्सर साथ समय बिताने लगे, बातें करने लगे, और एक-दूसरे के साथ कॉलेज में घूमने लगे। इंदु को सुभाष में एक सच्चा दोस्त मिला, जिससे वह अपनी बातें साझा करने लगी।
इन मुलाकातों और बढ़ती नजदीकियों के बीच, दोनों को यह एहसास भी नहीं हुआ कि कब उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। हालांकि, उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका इतना करीब आना उनके लिए भविष्य में एक भयानक मोड़ ले आएगा।
सुभाष, जो इंदु से बेइंतहा प्यार करने लगा था, एक दिन उसे शादी के लिए प्रपोज कर देता है। सुभाष इंदु से कहता है कि वह उससे शादी करना चाहता है। इंदु, जो सुभाष से प्यार करने लगी थी, इस प्रस्ताव को मना नहीं कर पाई और तुरंत हां कर दी।
यही “हां” इस पूरी कहानी को एक ऐसा मोड़ दे गई, जिसने आगे चलकर इसे बेहद डरावना और दुखद बना दिया।
सुभाष और इंदु की शादी की तैयारी का दर्दनाक मोड़
हिंदू के शादी के प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद सुभाष बेहद खुश था। अपनी इस खुशी के चलते, 24 अप्रैल 2012 को सुभाष ने तिरुवनंतपुरम से कोझिकोड के लिए अपनी और हिंदू की दो ट्रेन टिकट बुक करवाई। सुभाष ने यह यात्रा इसलिए तय की थी क्योंकि वह कोझिकोड पहुंचकर हिंदू के साथ शादी करना चाहता था। इसके लिए उसने पूरी तैयारी कर रखी थी। यहां तक कि शादी के लिए स्थान की बुकिंग भी करवा ली थी।
हालांकि, सुभाष ने यह सब हिंदू से छिपाकर रखा था। वह उसे शादी का सरप्राइज देना चाहता था। इसके अलावा, सुभाष ने कोझिकोड से सिक्किम की भी टिकट बुक करवाई थी ताकि शादी के बाद वे दोनों हनीमून के लिए सिक्किम जा सकें। लेकिन इस योजना के बारे में भी उसने हिंदू को कुछ नहीं बताया। उसने केवल इतना कहा कि वे कोझिकोड घूमने जा रहे हैं।
हिंदू, जो पहले भी सुभाष के साथ सफर कर चुकी थी, इस यात्रा के लिए तैयार हो गई। लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि इस यात्रा से पहले कुछ ऐसा होगा जो सबकुछ बदल देगा।
24 अप्रैल 2012 के दिन, जब सुभाष अपने घर पर था, अचानक हिंदू के माता-पिता वहां पहुंच जाते हैं। सुभाष, जो उन्हें अच्छी तरह जानता था, उनका स्वागत करता है। बातचीत के दौरान हिंदू के पिता सुभाष को यह बताते हैं कि उन्होंने हिंदू की शादी तय कर दी है और शादी में उसका सबसे अच्छा दोस्त नहीं आए, ऐसा कैसे हो सकता है! यह कहते हुए वे सुभाष को हिंदू की शादी का कार्ड दे देते हैं।
कार्ड देखकर सुभाष स्तब्ध रह जाता है। उसे यकीन नहीं होता कि यह सब सच हो सकता है। लेकिन यह झटका यहीं खत्म नहीं होता। हिंदू के पिता आगे बताते हैं कि यह शादी हिंदू की सहमति से तय की गई है। उन्होंने इस बारे में हिंदू से बात की थी और उसने शादी के लिए हामी भर दी।
यह सुनने के बाद सुभाष के होश उड़ जाते हैं। हिंदू के माता-पिता वहां से चले जाते हैं, लेकिन सुभाष पूरी तरह टूट जाता है। इस दौरान हिंदू को बिल्कुल भी खबर नहीं थी कि उसके माता-पिता सुभाष के घर गए हैं और उसे शादी का कार्ड दे आए हैं।
अगर हिंदू को यह बात पता होती, तो शायद वह उन्हें वहां जाने से रोक लेती और ट्रेन में होने वाली भयानक घटना टल सकती थी।
सुभाष और इंदु के रिश्ते में तनाव की शुरुआत
सुभाष के मन में लगातार यह सवाल घूम रहा था कि आखिर हिंदू ने अपनी शादी और इस नए रिश्ते के बारे में उसे क्यों नहीं बताया। जहां एक तरफ सुभाष ने हिंदू के साथ अपनी शादी की योजना बनाकर रजिस्ट्रेशन तक करवा लिया था, हनीमून की टिकटें बुक करवा ली थीं, वहीं दूसरी ओर वह अब हिंदू की शादी का कार्ड हाथ में लिए खड़ा था।
यह बात उसे अंदर से कचोट रही थी। उसे हिंदू पर गुस्सा भी था कि इतनी बड़ी बात उसने छिपाई। लेकिन फिर भी सुभाष ने सोचा कि शायद हिंदू अपने घरवालों के दबाव में आकर यह शादी कर रही है। सुभाष ने तय किया कि वह हिंदू से इस मामले पर बात करेगा।
सुभाष ने अपनी कोझिकोड की यात्रा को रद्द नहीं किया और अगले दिन, यानी 25 अप्रैल 2012 को, वह और हिंदू तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन पर मिलते हैं। वहां से वे दोनों कोझिकोड के लिए ट्रेन पकड़ते हैं। ट्रेन जैसे ही रवाना होती है, सुभाष और हिंदू के बीच बातचीत शुरू हो जाती है।
सुभाष, जो अब भी असमंजस और गुस्से से भरा हुआ था, हिंदू को 24 अप्रैल की शाम की घटना के बारे में बताता है। वह कहता है कि तुम्हारे माता-पिता मेरे घर आए थे और तुम्हारी शादी का कार्ड देकर गए हैं। यह सुनकर हिंदू के चेहरे की रंगत उड़ जाती है। वह हैरान रह जाती है कि यह सब कैसे हो गया।
इसके बाद सुभाष हिंदू को अपने पूरे प्लान के बारे में बताता है। वह कहता है कि उसने सिर्फ उससे शादी करने के लिए तिरुवनंतपुरम से कोझिकोड की टिकट बुक करवाई थी। उसने कोर्ट मैरिज के लिए रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया था और अपनी शादी के हर छोटे-बड़े इंतजाम कर लिए थे। सुभाष आगे कहता है कि वह उससे बेहद प्यार करता है और उसके बिना जी नहीं सकता।
सुभाष की बातें सुनकर हिंदू स्पष्ट रूप से जवाब देती है कि ऐसा नहीं हो सकता। वह कहती है कि उसके घरवाले कभी इस बात के लिए राजी नहीं होंगे कि उनकी बेटी की शादी किसी दूसरी जाति के लड़के से हो। वह आगे कहती है कि उनकी दोस्ती और प्यार वहीं तक सीमित था, शादी करना संभव नहीं है।
लेकिन सुभाष उसकी यह बात मानने के लिए तैयार नहीं होता। वह हिंदू से शादी के लिए जिद करने लगता है और कहता है कि वह उसके बिना किसी भी हालत में नहीं रह सकता। इस बातचीत के दौरान, दोनों के बीच तनाव और बढ़ जाता है, और यह सफर एक अनजान, भयावह मोड़ लेने की ओर बढ़ने लगता है।
बहस का भयानक अंजाम
सुभाष और हिंदू के बीच बढ़ती बहस ट्रेन में सबका ध्यान खींच रही थी। हिंदू, सुभाष के सामने जोर-जोर से चिल्ला रही थी, और उनके पास बैठे यात्री उनकी तीखी बहस को हैरानी से देख रहे थे। सुभाष, माहौल को शांत करने की कोशिश करते हुए हिंदू से कहता है कि सब लोग उनकी बातें सुन रहे हैं, इसलिए उन्हें साइड में जाकर शांति से बात करनी चाहिए।
दोनों अपनी सीट छोड़कर गैलरी के रास्ते डिब्बे के गेट के पास आ जाते हैं। उस वक्त रात के करीब 2:00 बजे थे, और गेट के पास इन दोनों के अलावा कोई और नहीं था। हिंदू गेट के बिल्कुल पास खड़ी थी, जबकि सुभाष उसके सामने खड़ा होकर उससे बात कर रहा था।
सुभाष आखिरी बार हिंदू से पूछता है कि क्या वह उससे शादी करेगी। हिंदू स्पष्ट रूप से मना करते हुए कहती है कि वह अपने घरवालों के खिलाफ नहीं जा सकती। उसने खुद भी इस शादी के लिए हामी भरी है और उसी लड़के से शादी करेगी जिसे उसके माता-पिता ने चुना है।
हिंदू की यह बात सुभाष को बुरी तरह से चुभ जाती है। वह गुस्से से भर जाता है, और जब ट्रेन प्रज्ञा नदी के पुल से गुजर रही होती है, तो वह अचानक हिंदू को गेट से धक्का दे देता है। हिंदू ट्रेन से नीचे गिर जाती है, और उसका सिर पुल की पाइप से टकराता है। इसके बाद वह पानी में गिर जाती है।
पल भर के गुस्से में सुभाष ने इतना बड़ा अपराध कर दिया। लेकिन जैसे ही यह घटना होती है, सुभाष को भी अपनी गलती का एहसास होता है। वह घबरा जाता है और 12 किलोमीटर आगे आने वाले स्टेशन पर ट्रेन से उतरकर वापस अपने घर लौट जाता है।
इस भयानक घटना ने न केवल एक निर्दोष जान ले ली, बल्कि कई जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया।
इंदु की रहस्यमय मौत और मामले की दोबारा जांच
इधर, इंदु के पापा सुबह उसे कॉल करते हैं, लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ आता है। उन्हें इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि इंदु पिछली रात सुभाष के साथ थी। फिर भी, वह सुभाष से पूछते हैं कि इंदु कहां है, क्योंकि शादी से पहले की रस्में पूरी करनी थीं।
सुभाष झूठ बोलते हुए कहता है कि उसे भी नहीं पता कि इंदु कहां है। वह कहता है कि उसने भी इंदु को कॉल किया, लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। इंदु के घर वाले परेशान होकर उसकी तलाश में जुट जाते हैं। दो दिन बीत जाते हैं, और इस बीच उन्होंने पुलिस स्टेशन में इंदु की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवा दी।
कुछ दिन बाद, नदी के किनारे पुल के पास काम कर रहे मजदूरों को एक लड़की की लाश मिलती है। लड़की के कपड़े पीछे से फटे हुए थे। जांच के बाद यह पुष्टि होती है कि यह लाश कुमारी इंदु की है। पुलिस उसका पोस्टमार्टम कराकर लाश परिवार को सौंप देती है।
पुलिस इस मामले को आत्महत्या करार देते हुए रिपोर्ट बनाती है। पुलिस का मानना था कि इंदु की शादी कुछ दिनों में होने वाली थी, और शायद घरवालों के दबाव के कारण उसने यह कदम उठाया।
लेकिन इंदु के पापा इस बात को मानने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि यह शादी इंदु की मर्जी से हो रही थी, और उसके खुदकुशी करने का सवाल ही नहीं उठता।
इंदु के पापा दोबारा उस जगह पर जाते हैं जहां से इंदु की लाश मिली थी। वहां उन्होंने मजदूरों से पूछताछ की। एक मजदूर ने बताया कि वह उस रात वहीं सो रहा था। जब ट्रेन आई, तो उसकी नींद खुल गई। उसने देखा कि ट्रेन से कोई चीज गिर रही थी, जो पुल से टकराकर नदी में गिरी। इसके बाद उसने ट्रेन के गेट के पास एक व्यक्ति खड़े हुए भी देखा।
मजदूर की इस गवाही ने इंदु के पापा को और मजबूत बना दिया। वह इस बयान के साथ हाई कोर्ट पहुंच गए और मामले को क्राइम ब्रांच को सौंपने की अपील की।
क्राइम ब्रांच ने इस मामले की गहराई से जांच शुरू की। जब उन्होंने इंदु की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को बारीकी से देखा, तो पता चला कि इंदु के सिर के पीछे चोट थी। इससे यह शक पुख्ता हुआ कि अगर कोई ट्रेन से खुदकुशी करता है, तो सिर के पीछे चोट लगना मुश्किल है।
क्राइम ब्रांच को इस बात का संदेह हुआ कि इंदु को ट्रेन से धक्का दिया गया होगा। इस संदेह के साथ उन्होंने जांच शुरू की और धीरे-धीरे मामले की कड़ियां जोड़ते हुए सच्चाई के करीब पहुंचने लगे।
सुभाष का खुलासा और सच्चाई का पर्दाफाश
क्राइम ब्रांच की जांच ने नया मोड़ लिया जब उन्हें पता चला कि ट्रेन की टिकटें सिर्फ इंदु की नहीं, बल्कि सुभाष नाम के लड़के की भी बुक की गई थीं। तुरंत ही क्राइम ब्रांच की टीम सुभाष के घर पहुंचती है और उससे पूछताछ शुरू करती है। सुभाष पहले यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करता है कि वह इंदु के बारे में कुछ नहीं जानता और इंदु केवल उसकी एक अच्छी दोस्त थी।
लेकिन सच्चाई छुप नहीं पाई। जैसे ही पुलिस ने सुभाष का लैपटॉप चेक किया, उन्हें उसमें सुभाष और इंदु की कुछ प्राइवेट तस्वीरें मिलीं। इन तस्वीरों से पुलिस को पूरी कहानी समझ में आ गई। पुलिस ने तुरंत सुभाष को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद, सुभाष टूट जाता है और पुलिस को पूरी घटना के बारे में बता देता है। उसने स्वीकार किया कि उसी रात ट्रेन में उसने इंदु को धक्का दिया था। सुभाष ने बताया कि वह इंदु से प्यार करता था और उससे शादी करना चाहता था, लेकिन इंदु ने शादी से इनकार कर दिया था। सुभाष की जिद और गुस्से ने एक मासूम लड़की की जान ले ली।
कुमारी इंदु, जो अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए पढ़ाई कर रही थी, अपनी शादी के कुछ ही दिन पहले एक दर्दनाक अंत का शिकार हो गई। वह लड़की, जो अपने परिवार की उम्मीदों का केंद्र थी, घर लौटी लेकिन सिर्फ एक लाश के रूप में।
सुभाष, जिसने इंदु के साथ यह जघन्य अपराध किया, अब जेल की सलाखों के पीछे अपनी जिंदगी बिता रहा है।
सीखने की बात
इस सच्ची घटना से हमें यह सीखने की जरूरत है कि कैसे हमें अपने गुस्से और जिद को काबू में रखना चाहिए। परिवार और बच्चों को ऐसे हालात से बचाने के लिए सतर्क रहना चाहिए।
नई कहानी और सच्ची घटना के साथ फिर मिलेंगे। तब तक अपना ख्याल रखें। इस कहानी पर अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें। धन्यवाद!