अश्लील वीडियो से शुरू हुई दुश्मनी, एक साजिश ने ली जान

13 अगस्त 2024 की शाम, मुजफ्फरपुर के बरूराज इलाके में रहने वाले जयप्रकाश ने अपनी भाभी से कहा कि वह किसी दोस्त से मिलने जा रहा है और थोड़ी देर में वापस आ जाएगा। यह बात कहकर वह घर से निकल गया। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, घरवाले उसकी राह देखते-देखते परेशान हो गए। रात हो गई, लेकिन जयप्रकाश घर नहीं लौटा। परिजन बार-बार उसके मोबाइल पर कॉल करते रहे, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया।

रात करीब 10:30 बजे, जयप्रकाश के बुजुर्ग माता-पिता स्थानीय पुलिस स्टेशन पहुंचे और उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनका बेटा यह कहकर घर से निकला था कि वह किसी जरूरी काम से जा रहा है और जल्द ही लौट आएगा, लेकिन अब तक न तो वह लौटा और न ही उसका फोन लग रहा है। इस स्थिति ने उन्हें किसी अनहोनी का डर सताने लगा। रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद वे घर लौट गए, जबकि बरूराज थाने की पुलिस जयप्रकाश की तलाश में जुट गई।

अगली सुबह, 14 अगस्त को करीब 6:00 या 7:00 बजे, मुजफ्फरपुर के सदर थाना क्षेत्र की सहजानंद कॉलोनी की गली नंबर 9 में लोग अपने घरों से बाहर निकले। उनकी नजर सड़क पर पड़ी एक बोरी पर गई, जो देखने में भारी लग रही थी। यह दृश्य लोगों के बीच उत्सुकता का कारण बन गया और धीरे-धीरे वहां भीड़ जमा होने लगी। कुछ लोगों ने हिम्मत जुटाकर बोरी खोली, तो उसके अंदर एक सूटकेस पाया। जब सूटकेस खोला गया, तो जो दृश्य सामने आया उसने सभी को दहला दिया।

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सूटकेस के अंदर एक शव था, जिसका सिर धड़ से अलग था और आंतें बाहर निकली हुई थीं। यह भयावह मंजर देखकर वहां मौजूद लोग घबरा गए और तुरंत पुलिस को सूचना दी। कुछ ही मिनटों में पुलिस मौके पर पहुंची। सूटकेस खोलने पर तेज बदबू फैल गई, जिससे स्पष्ट हो गया कि यह लाश कुछ समय से यहां पड़ी हुई थी।

पुलिस ने शव की पहचान कराने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद लोग इसे पहचान नहीं सके। पुलिस को अंदेशा हुआ कि हत्या कहीं और की गई होगी और शव को यहां लाकर फेंका गया है। इसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया।

सहजानंद कॉलोनी पुलिस ने तुरंत आसपास के सभी थानों में सूचना भेजी और पता लगाने की कोशिश की कि क्या किसी इलाके में कोई गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। अब यह मामला एक गंभीर और रहस्यमय मोड़ पर पहुंच चुका था।

प्रेम, विश्वास और एक खौफनाक साजिश

इसी दौरान पुलिस को पता चलता है कि बरूराज थाने में जयप्रकाश नाम के एक युवक की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है। यह खबर मिलते ही सहजानंद पुलिस ने बरूराज पुलिस की मदद से जयप्रकाश के माता-पिता को सहजानंद पुलिस स्टेशन बुलाया। वहां से उन्हें अस्पताल की मोर्चरी ले जाया गया। जैसे ही माता-पिता ने शव देखा, वे दहाड़े मारकर रोने लगे। शव जयप्रकाश का ही था।

अब सवाल यह था कि आखिर जयप्रकाश को इतनी बेरहमी से किसने और क्यों मारा? जयप्रकाश से किसकी दुश्मनी हो सकती थी? जब पुलिस ने इस बारे में उसके परिवार से पूछताछ की, तो उसकी मां रंभा देवी ने जो खुलासा किया, उसने पुलिस और मोहल्ले वालों को चौंका दिया।

रंभा देवी ने बताया कि जयप्रकाश उनका सबसे छोटा बेटा था। वह एक इंजीनियर था और गोवा में एक अच्छी नौकरी कर रहा था। वहीं, ललिता नाम की एक लड़की, जो रिश्ते में उसकी ममेरी बहन की ननंद थी, सहजानंद अहियापुर में रहती थी। रिश्तेदारी के नाते, जयप्रकाश कभी-कभी ललिता के घर जाया करता था। इसी दौरान उनकी मुलाकातें शुरू हुईं और धीरे-धीरे ये मुलाकातें फोन कॉल्स और वीडियो कॉल्स में बदल गईं।

वक्त बीतने के साथ, 2021 में, दोनों के बीच प्रेम इतना बढ़ गया कि उनके शारीरिक संबंध भी बन गए। लेकिन आगे की जिंदगी ने मोड़ लिया। ललिता ने बीपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए पटना में किराए का कमरा ले लिया, और जयप्रकाश गोवा में अपनी नौकरी में व्यस्त हो गया।

भले ही वे अलग-अलग शहरों में रहने लगे, लेकिन फोन और वीडियो कॉल पर उनकी बातचीत जारी रही। बीच-बीच में जयप्रकाश गोवा से पटना भी आता था और ललिता से मिलता था। इसी दौरान जयप्रकाश ने ललिता के कुछ आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए थे।

यह कहानी अब एक खौफनाक मोड़ पर पहुंच चुकी थी। ललिता और जयप्रकाश के बीच गहराता रिश्ता क्या उनकी जिंदगी में जहर घोलने वाला था? पुलिस के लिए यह मामला अब प्यार, धोखे और हत्या के रहस्यमय जाल की तरह लग रहा था।

प्रेम, धोखा और एक भयावह अंत

ललिता अब हर महीने जयप्रकाश से पैसों की मांग करने लगी थी, और जयप्रकाश उसकी हर डिमांड पूरी करता था। उनकी बात ललिता के परिवार तक पहुंची, तो परिवार वाले भी इस रिश्ते को स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए। 2023 के अंत में, ललिता के परिवार वाले जयप्रकाश के घर शादी की बात पक्की करने पहुंचे। लेकिन उस दिन जयप्रकाश के परिवार वाले घर पर नहीं थे।

कुछ समय बाद, 2024 के अगस्त में, ललिता ने अचानक जयप्रकाश को मिलने के लिए बुलाया। उस वक्त जयप्रकाश गोवा में अपनी नौकरी कर रहा था। लेकिन ललिता के बार-बार कहने पर वह 13 अगस्त को गोवा से अपने घर आ गया। उसी दिन शाम 7:30 बजे, जयप्रकाश अपनी भाभी से यह कहकर घर से निकला कि वह बाजार से सब्जी लेकर आएगा। उसने कहा, “भाभी, सब्जी बना देना, हम खाकर लौटेंगे।” लेकिन सब्जी लेने निकला जयप्रकाश कभी वापस नहीं लौटा।

अगले दिन, 14 अगस्त, वह दिन था जब सहजानंद कॉलोनी की गली नंबर नौ से सूटकेस में बंद एक शव बरामद हुआ। जयप्रकाश के परिवार वाले सूचना मिलते ही अस्पताल पहुंचे। पोस्टमॉर्टम हाउस में सबसे पहले उसका बड़ा भाई और भाभी गए। जैसे ही उन्होंने शव देखा, वे पहचान गए कि वह जयप्रकाश का ही था।

लेकिन अब भी सबसे बड़ा सवाल यही था कि जयप्रकाश को किसने और क्यों मारा?

पुलिस ने तुरंत जांच शुरू कर दी। सहजानंद कॉलोनी में, जहां से शव मिला था, पुलिस ने पड़ोसियों से घर-घर जाकर पूछताछ की। इसके अलावा, इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे भी चेक किए गए। जांच के दौरान, एक सीसीटीवी फुटेज में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। फुटेज में रात के समय तीन लोग साइकिल पर एक भारी-भरकम बोरी ले जाते हुए दिखाई दिए।

वे लोग घटना स्थल से करीब 100 मीटर दूर कैमरे में कैद हुए थे। थोड़ी आगे जाकर उन्होंने उस बोरी को वहीं फेंक दिया। हालांकि, इस फुटेज में उनका चेहरा स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रहा था, जिससे जांच में मुश्किलें बढ़ गईं।

अब पुलिस के सामने यह सवाल था कि इन तीनों में से कौन जयप्रकाश का हत्यारा है? क्या यह घटना प्रेम और विश्वास के टूटने का नतीजा थी, या फिर इसके पीछे कोई और गहरी साजिश छिपी थी?

सच्चाई का पर्दाफाश: विश्वासघात और हत्या की कहानी

पुलिस लगातार जयप्रकाश के मामले की छानबीन कर रही थी। उन्हें शक था कि जयप्रकाश ने घटना वाले दिन किसी दोस्त या जानकार से मिलने के लिए अपनी भाभी से सब्जी लाने का बहाना बनाया होगा और उसी ने उसकी हत्या कर दी। इस संदर्भ में पुलिस ने उसकी कॉल डिटेल्स खंगालनी शुरू कीं।

कॉल रिकॉर्ड्स से पता चला कि जयप्रकाश पिछले कई दिनों से लगातार ललिता से बात कर रहा था। यहां तक कि 13 अगस्त को घर से निकलने के बाद भी उसने ललिता को फोन किया था। इसके बाद पुलिस ने जयप्रकाश की मां रंभा देवी के बयान, सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल्स का गहन विश्लेषण किया। सभी सुराग यह इशारा कर रहे थे कि जयप्रकाश की हत्या में ललिता का हाथ है, क्योंकि आखिरी कॉल ललिता की ही थी।

ललिता से पूछताछ के लिए पुलिस उसके घर पहुंची, लेकिन वह और उसके परिवार वाले पहले ही फरार हो चुके थे। इसके बाद पुलिस ने ललिता के फोन की लोकेशन ट्रैक की। जांच में पता चला कि 13 अगस्त की रात को ललिता की लोकेशन सहजानंद कॉलोनी के एक लॉज में थी। पुलिस तुरंत उस लॉज पहुंची और वहां के रजिस्टर की जांच की।

पता चला कि उस लॉज के एक कमरे में रविंद्र कुमार नाम का व्यक्ति रहता था, जो देवरिया का निवासी और ललिता का ममेरा भाई था। पुलिस ने तुरंत रविंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

बर्बर हत्या की चौंकाने वाली सच्चाई

पुलिस थाने में रविंद्र कुमार से पूछताछ शुरू हुई। शुरू में उसने किसी भी तरह के अपराध में शामिल होने से इंकार किया। लेकिन जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, तो वह टूट गया और उसने जो बताया, उसने सभी को सन्न कर दिया।

रविंद्र ने खुलासा किया कि जब ललिता और जयप्रकाश एक-दूसरे से मिल रहे थे, उसी दौरान ललिता बीपीएससी की तैयारी के लिए पटना चली गई थी। एक दिन, जब जयप्रकाश ने ललिता को वीडियो कॉल किया, तो उसने देखा कि ललिता के कमरे में एक और लड़का मौजूद था।

जब जयप्रकाश ने ललिता से उस लड़के के बारे में पूछा, तो वह टालमटोल करने लगी और कुछ बताने से इनकार कर दिया। इस बात को लेकर उनके बीच झगड़े शुरू हो गए। ललिता इन झगड़ों से परेशान हो चुकी थी। उसने जयप्रकाश से कहा, “अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है, तो हमें इस रिश्ते को यहीं खत्म कर देना चाहिए।”

लेकिन जयप्रकाश ऐसा नहीं चाहता था। वह ललिता से बेइंतहा प्यार करता था और उससे शादी करने का सपना देख रहा था। उसका यह जुनून और ललिता के साथ रिश्ता बनाए रखने की जिद ने उसे उसकी मौत की ओर धकेल दिया।

रविंद्र की स्वीकारोक्ति ने मामले को एक खौफनाक मोड़ दे दिया। अब सवाल यह था कि इस बर्बर हत्या में ललिता की क्या भूमिका थी और इस साजिश में और कौन-कौन शामिल था? पुलिस को अभी इस गुत्थी को सुलझाने के लिए और गहराई से जांच करनी थी।

विश्वासघात, प्रेम, और प्रतिशोध की त्रासदी

यह कहानी जयप्रकाश और ललिता के बीच पनपे प्रेम, विश्वासघात, और अंततः एक जघन्य हत्या की है। जयप्रकाश के परिवार के अनुसार, एक समय था जब वह और ललिता शादी की योजना बना रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे हालात बदल गए।

ललिता ने जयप्रकाश के घर फोन कर उसकी मां रंभा देवी से कहा, “आपका लड़का सही नहीं है। आप उसे समझा लीजिए। मैं उससे शादी नहीं करूंगी।” इस पर रंभा देवी ने अपने बेटे को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन जयप्रकाश ने साफ कहा कि उसने ललिता पर काफी पैसे खर्च किए हैं और उससे गहरा प्यार करता है।

रंभा देवी ने बताया, “हमने उससे कहा कि उसे छोड़ दो, लेकिन वह बोला कि हमने इतना खर्चा किया है। अगर शादी नहीं करेगी, तो पैसा लौटा दो।” जयप्रकाश के लिए यह बात केवल प्यार की नहीं, बल्कि सम्मान और उसके द्वारा किए गए बलिदानों की भी थी।

अश्लील वीडियो ने बढ़ाई दुश्मनी

जब ललिता ने जयप्रकाश से बातचीत बंद कर दी और शादी से साफ मना कर दिया, तो जयप्रकाश ने अपनी निराशा और गुस्से में ललिता के कुछ आपत्तिजनक फोटो और वीडियो उसके परिवार और रिश्तेदारों को भेज दिए। यह कदम ललिता के परिवार के लिए एक बड़ा अपमान था। ललिता ने अपने परिवार के साथ मिलकर जयप्रकाश को रास्ते से हटाने की साजिश रचनी शुरू कर दी।

विश्वासघात और मौत की योजना

पुलिस पूछताछ के दौरान ललिता के ममेरे भाई रविंद्र कुमार ने खुलासा किया कि ललिता ने जयप्रकाश को गोवा से बुलाने के लिए उसे शादी का झांसा दिया। जयप्रकाश को यह संदेह था कि उसकी हत्या हो सकती है, लेकिन ललिता पर उसके भरोसे ने उसे मुजफ्फरपुर खींच ही लिया।

13 अगस्त को जयप्रकाश सबसे पहले अपने भाई के किराए के मकान पर गया और वहां से ललिता से मिलने भगवानपुर के एक होटल पहुंचा। वहां उन्होंने साथ में नाश्ता किया। इसके बाद ललिता ने उसे अपने ममेरे भाई रविंद्र कुमार के कमरे पर चलने के लिए मना लिया। उसने कहा कि वहां शादी की सारी तैयारियां हो चुकी हैं।

बर्बर हत्या का खुलासा

रविंद्र कुमार के कमरे पर पहुंचने के बाद, ललिता ने चुपके से फोन कर अपने परिवार को वहां बुला लिया। पुलिस के अनुसार, ललिता के भाई और ममेरे भाई ने मिलकर जयप्रकाश की हत्या की।

पहले चाकू से उसका गला रेता गया, फिर उसके पेट से आंतें बाहर निकाल दी गईं। इसके बाद शव के कई हिस्सों पर वार किया गया। हत्या का मुख्य कारण वह अश्लील वीडियो और तस्वीरें थीं, जिन्हें जयप्रकाश ने वायरल किया था।

हत्या के बाद शव को एक सूटकेस में भरकर बोरी में डाला गया। इसे साइकिल पर रखकर घटना स्थल से 100 मीटर दूर फेंक दिया गया।

न्याय की ओर बढ़ते कदम

इस जघन्य अपराध में शामिल रविंद्र कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन ललिता, उसका पिता किशोर महतो, भाई रणजीत और संजीत, और बहनोई फरार हो गए। कुछ दिनों बाद ललिता ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसके बाद किशोर महतो और अन्य फरार आरोपी भी सरेंडर कर चुके थे।

रविंद्र कुमार की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल चाकू को भी उसके कमरे से बरामद कर लिया गया। पुलिस ने सभी सबूतों और बयानों के आधार पर चार्जशीट तैयार की और आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया।

सीख और जागरूकता

यह कहानी प्रेम, विश्वासघात, और प्रतिशोध के घातक परिणामों को उजागर करती है। इसका उद्देश्य किसी का दिल दुखाना नहीं है, बल्कि आपको यह सचेत करना है कि कैसे भावनाओं में बहकर लिए गए गलत फैसले किसी की जिंदगी तबाह कर सकते हैं।

आपका क्या कहना है इस पूरी घटना के बारे में? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें।

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